NCERT Solutions Class 11th Physical Education Chapter – 6 शारीरिक क्रियाएँ तथा नेतृत्व प्रशिक्षण (Physical Activities and Leadership Training) Notes In Hindi

NCERT Solutions Class 11th Physical Education Chapter – 6 शारीरिक क्रियाएँ तथा नेतृत्व प्रशिक्षण (Physical Activities and Leadership Training)

TextbookNCERT
ClassClass – 11th
SubjectPhysical Education
ChapterChapter – 6
Chapter Name शारीरिक क्रियाएँ तथा नेतृत्व प्रशिक्षण
CategoryClass 11th Physical Education
Medium Hindi
SourceLast Doubt
NCERT Solutions Class 11th Physical Education Chapter – 6 शारीरिक क्रियाएँ तथा नेतृत्व प्रशिक्षण (Physical Activities and Leadership Training) Notes In Hindi नेतृत्व प्रशिक्षण में क्या है?, शारीरिक शिक्षा में प्रशिक्षण क्या है?, नेता पैदा होते हैं या बनते हैं?, मुझे नेता क्यों बनना है?, क्या आप पैदाइशी नेता हैं?, नेतृत्व का जनक कौन है?, क्या हर कोई नेता बन सकता है?, नेतृत्व एक अच्छा कौशल क्यों है?, नेता कैसे बने?, क्या नेता बनना आसान है क्यों?, नेता क्यों बनते हैं और पैदा नहीं होते?, एक प्राकृतिक नेता क्या है?, नेतृत्व पैदा हो सकता है?, , नेता कौन नहीं है?

NCERT Solutions Class 11th Physical Education Chapter – 6 शारीरिक क्रियाएँ तथा नेतृत्व प्रशिक्षण (Physical Activities and Leadership Training)

Chapter – 6

शारीरिक क्रियाएँ तथा नेतृत्व प्रशिक्षण

Notes

शारीरिक क्रियाएँ का अर्थ – शारीरिक क्रियाएँ या क्रियाकलाप का अर्थ दौड़ने, कूदने, चलने, साईकिल चलाने, जॉगिंग करने, व्यायाम करने, खेलों में भाग लेने जैसे विभिन्न क्रियाकलापों या क्रियाओं से है।
शारीरिक क्रियाएँ – शारीरिक क्रियाएँ एक शरीर की हलचल है जो आपकी माँसपेशियों द्वारा कार्य करती हैं और आराम करने की स्थिति से अधिक ऊर्जा की मांग करती हैं।
स्वास्थ्य एवं मानव सेवा मंत्रालय के अनुसार शारीरिक क्रिया – अतः स्वास्थ्य एवं मानव सेवा मंत्रालय 2008 के अनुसार शारीरिक क्रिया मुख्यतः एक हलचल है जो स्वास्थ्य को बढ़ाती है।
शारीरिक क्रियाएँ जैसे-

  • पानी का ऐरोबिक्स

  • गोल्फ (चलना)

  • साइकिल चलाना

  • चलना

  • दौड़ना

  • नाचना

  • तैरना

  • योगा

  • बागवानी करना

  • ऐरोबिक्स

  • जोगिंग

  • टेनिस (डबलस)

  • कैनोईंग
नेतृत्व (Leadership) – माँटगोमरी के अनुसार, किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए व्यक्तियों को इक्ट्ठा करने की इच्छा तथा योग्यता को ही नेतृत्व कहा जाता है।
एक नेता की भूमिका – एक नेता वह हैं जो अग्रसर रहता है, स्वीकार योग्य सुझाव देता है, उपयुक्त मार्ग दिखाता है, दूसरों के लिए एक रोल मॉडल का कार्य करता है। वह लक्ष्य की प्राप्ति में व्यक्तियों के साथ मिलकर कार्य करने के लिए प्रेरित करता है।

प्रत्येक व्यवसाय में नेतृत्व की आवश्यकता होती है। शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में, व्यवसाय की निरंतर वृद्धि व जीवंतता (Vitality) को सुनिश्चित करने के लिए नेतृत्व की आवश्यकता होती है। यह एक नाजुक स्थिति है कि इस व्यवसाय के लिए जो विद्यार्थी अब तैयार हो रहे हैं, उनमें से ही नेता निकलते हैं।

यदि नेता निकलते हैं तो शारीरिक शिक्षा का व्यवसाय फैलेगा व समृद्ध (Prosper) होगा, लेकिन यदि नेता नहीं निकलते तो शारीरिक शिक्षा के व्यवसाय में गिरावट आएगी। वास्तव में नेतृत्व एक कला है जो व्यक्तियों को व्यावसायिक व व्यक्तिगत लक्ष्यों की प्राप्ति में मिलकर सद्भावनापूर्ण कार्य करने के लिए प्रेरित करती है।
एक अच्छे नेता के विशेष गुण 

आकर्षक रूप – नेतृत्व में व्यक्ति के रूप का बहुत महत्त्व होता है, क्योंकि इससे व्यक्ति का प्रथम प्रभाव पड़ता है।

बुद्धिमान – एक शारीरिक शिक्षा के नेता में बुद्धिमानी होनी चाहिये। वास्तव में बुद्धिमत्ता व्यक्ति की वह योग्यता होती है, जिसके द्वारा वह विभिन्न समस्याओं का संभावित हल ढूँढने के योग्य होता है। शारीरिक शिक्षा का बुद्धिमान नेता इस व्यवसाय के लिए वरदान सिद्ध हो सकता है।

रचनात्मक – शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में एक नेता को रचनात्मक या सृजनात्मक (Creative) होना चाहिए। ऐसा नेता कई तकनीकों का या विचारों का प्रतिपादन कर सकता है जो कि शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में नितांत आवश्यक है।

कर्मठ – शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में एक नेता के लिए कर्मठ होना अति आवश्यक है। वास्तव में यह इस व्यवसाय की मौलिक आवश्यकता है।

मैत्री व स्नेह – मैत्री व स्नेह भी इस व्यवसाय में एक नेता के लिए आवश्यक गुण है। इन गुणों का विकास शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रमों व ओलंपिक खेलों के द्वारा विशेष रूप से प्रशिक्षण व प्रतियोगिताओं के दौरान होता है।

अच्छा स्वास्थ्य – शारीरिक शिक्षा के क्षेत्रों में कार्यरत नेता का स्वास्थ्य अच्छा होना चाहिये। एक स्वस्थ्य नेता ही लंबी अवधि तक बिना थकावट महसूस किए कार्य कर सकता है।

शिक्षण में कुशल – इस क्षेत्र में नेता को विभिन्न शिक्षण कौशलों का विस्तृत एवं गहरा ज्ञान होना चाहिये। अब शारीरिक शिक्षा को कक्षा में एक विषय के रूप मे पढ़ाया जाता है, इसलिए इसे विभिन्न शिक्षण पद्धतियों में कुशल एवं निपुण होना चाहिए। इसके साथ – साथ उसे शरीर के द्वारा भाषा – संकेतों व चेहरे के हाव – भावो को व्यक्त करने में भी कुशल होना चाहिए। ये गुण उसके शिक्षण कार्य को अधिक प्रभावी बनाने में मददगार होते हैं।

स्वभाव – इस प्रकार का स्वभाव दूसरों का मन जीतने तथा उनका समर्थन प्राप्त करने में सहायक होता है।

नैतिक स्तर- नेता को दूसरों के साथ व्यवहार में नैतिक मूल्यों का ध्यान रखना चाहिये, जैसे सच्चाई, समान व्यवहार तथा अच्छा आचरण आदि।

दृढ़ता – किसी कार्यक्रम को चलाने हेतु समर्थकों को अपने विचारों से सहमत कराने के लिए दृढ़ता की आवश्यकता होती है।

उच्च गामक क्षमता – शारीरिक शिक्षा के नेता में उच्च गामक पृष्टि (High Motor Fitness) होनी चाहिए। इस उद्देश्य के लिए उसे शारीरिक पुष्टि के सभी अंगों, जैसे – शक्ति, गति, सहन – क्षमता, लचक व तालमेल संबंधी योग्यताओं का समुचित विकास होना चाहिए।

दूसरे व्यक्तियों के लिए आदर – इस व्यवसाय के नेता में दूसरे व्यक्तियों का आदर – सम्मान करने का गुण होना चाहिए। यदि वह दूसरे व्यक्तियों का आदर नहीं करता है तो उसको भी सम्मान नहीं मिलेगा।

सामाजिक – शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत नेता को सामाजिक होना चाहिए। उसमें अनेक सामाजिक गुण, भाईचारा, सहानुभूति, सहयोग (Cooperation) सहनशीलता, सहायता, धैर्यता (Patience) व ईमानदारी आदि का समावेश होना चाहिए। इन गुणों या विशेषताओं के अभाव में एक नेता ठीक ऐसा होता है जैसे बिना पेट्रोल के एक इंजन।

तर्कशील एवं निर्णय करने वाला – शारीरिक शिक्षा के नेता को समस्याओं को तार्किक ढंग से विचार – विमर्श करने के योग्य होना चाहिए। उसे उचित समय पर एक अच्छा निर्णयकर्ता भी होना चाहिए। उसे इस बात का ज्ञान अवश्य होना चाहिए कि न्याय में देरी अन्याय होता है (Delay in justice in justice)।

नैतिकता एवं वफादारी – नैतिकता एवं वफादारी शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में एक नेता के महत्त्वपूर्ण गुण होते हैं। अपने अनुयायियों (Followers) के प्रति उसे वफादार होना चाहिए। विभिन्न स्थितियों में उसे अपनी नैतिकता नहीं भूलनी चाहिए।

शारीरिक शिक्षा के द्वारा नेतृत्व का विकास – शारीरिक शिक्षा एक व्यक्ति के सम्पूर्ण विकास के लिए विभिन्न अवसर प्रदान करती है। खेल क्रियाओं या खेल गतिविधियों में भाग लेकर एक बालक में नेतृत्व के विभिन्न गुणों का विकास होता है। खेल प्रशिक्षक विद्यार्थी को खेलों के दौरान तथा कला में विभिनन अवसर प्रदान कर सकता है। जिससे एक व्यक्ति में सफल नेता के गुण विकसित किये जा सकते हैं।

कुछ अवसर जिनके द्वारा एक विद्यार्थी एक अच्छा नेता बन सकता है।

  • विद्यार्थियों को उनकी क्षमता के अनुसार टीम का कप्तान बनाना।

  • छात्रों को अपनी टीम के लिए फैसले लेने का अवसर प्रदान करना।

  • विभिन्न कार्य करने के लिए छात्रों द्वारा निर्देशित अलग कमेटियाँ व छोटे समूह बनाना।

  • छात्रों को अधिक जिम्मेदारी सौंपना जैसे खेल गतिविधियों के दौरान विभिन्न काम बाँटना।

  • उनमें कौशल विकसित करने के अवसर प्रदान करना।
साहसिक खेल का अर्थ – ऐसे खेल जिनमें अत्याधिक रोमांच, जोश, मनोरंजन तथा जोखिम के साथ स्वयं के विरुद्ध अधिक प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है।
लक्ष्य – साहसिक खेलों का मुख्य लक्ष्य सावधानी पूर्वक सुनियोजित उत्साहवर्धक वातावरण प्रदान करना है जो कि प्रत्येक व्यक्ति के लिए सहायक होगा तथा स्वतन्त्र व सृजनात्मक अधिगम के लिए उत्तम बुनियाद प्रदान करना है।

उद्देश्य 

  • रोमांच, उत्तेजक तथा मनोरंजन गतिविधि में भाग लेना।

  • प्राकृतिक वातावरण से जुड़ा।

  • आत्म मूल्यांकन।

  • डर से उभरना और आत्म विश्वास।

  • निर्णय लेने की क्षमता का विकास।

  • ऊर्जा का उचित प्रयोग।

  • तनाव मुक्त करना।

  • ज्ञानवर्धक।

  • जीवन के प्रति सकारात्मक सोच।

  • सामाजिक संबंधों तथा सामूहिक कार्य का विकास।

  • एकाग्रता विकसित करना।

  • संज्ञानात्मक, संरचनात्मक, मोटर कौशल का विकास।

  • नैतिक मूल्यों का विकास।
साहसिक खेलों के प्रकार 

पर्वतारोहण
जैसे-

  • कैम्पिंग

  • रॉक क्लाइम्बिंग

  • ट्रेकिंग

  • पर्वतारोहण बाइकिंग
पानी के खेल
जैसे-
  • सर्किंग

  • डोंगी से चलना

  • क्लिफ डाईविंग पांव से स्कीइंग

  • विंड सर्किंग

  • नौकायन

  • जल पोलो

  • रिवर राफटिंग

  • स्कूबा डाइविंग
हवाई के खेल
जैसे-
  • पैरा – ग्लाईडिंग

  • गर्म हवा का गुब्बारा

  • जिप लाइनिंग

  • बंजी जमपिंग

  • बेस जमपिंग

  • स्काई डाइविंग

  • हेग ग्लाइडिंग

  • स्काई सर्फिग
सर्द – कालीन के खेल 
जैसे-
  • बर्फ पर चढ़ना

  • बर्फ पर बोटिंग

  • स्नो बोर्डिंग

  • स्कींग

  • स्नो मोबिलिंग

  • हैलीस्किंग

  • स्केटिंग

  • बॉबस्लैडिंग
रॉक क्लाइम्बिंग – रॉक क्लाइम्बिंग एक ऐसा क्रियाकलाप है जिसमें प्रतिभागी को प्राकृतिक अथवा कृत्रिम चट्टानों पर चढ़ते हुए शिखर अथवा पूर्व निर्धारित स्थान तक पहुँचकर सकुशल बेस तक लौटना होता है। यह एक ऐसा खतरनाक क्रियाकलाप है जिसमें प्रतिभागी को मानसिक नियंत्रण, फुर्ती, लचीलापन, सहनशक्ति, संतुलन एवं लय जैसे कौशलों की आवश्यकता होती है। इस खेल की कठिनाई का स्तर चट्टान के झुकाव (inclination) पर निर्भर करता है।
ट्रैकिंग – ट्रैकिंग एक साहसिक खेल है। ट्रैकिंग करना कोई आसान काम नहीं है। वास्तव में इसमें अत्यधिक साहस, आत्मविश्वास तथा मजबूत शारीरिक गठन की आवश्यकता होती है। ट्रैक एक लंबी पैदल यात्रा होती है जो विशेषकर पर्वतों में की जाती है। ट्रैकिंग का अर्थ आनंद अथवा खेल के उद्देश्य से पहाड़ों पर लंबी तथा दुर्गम यात्रा करना होता है।

ट्रैकिंग साहसिक यात्रा अथवा अभियान का एक भाग है। ट्रैकिंग की अवधि कम से कम एक दिन से लेकर एक महीने से भी अधिक हो सकती है। यह किसी विशिष्ट क्षेत्र, व्यक्तिगत रुचि अथवा प्रतिभागियों की शारीरिक पुष्टि (Fitness) पर निर्भर करती है।

ट्रैकिंग यात्राओं का आयोजन पर्याप्त योजना बनाकर समूहों में करना बेहतर होता है। ट्रैकिंग प्रत्येक व्यक्ति के लिए लाभदायक साहसिक क्रियाकलाप है। यह आत्मविश्वास जागृत करने में सहायक होती है। या हृदयवाहिका प्रणाली को सुधारती है तथा स्वास्थ्य में भी सुधार लाती है।
रिवर रैफ्टिग – रिवर रैफ्टिग भी साहसिक खेलों में से एक प्रमुख क्रियाकलाप या गतिविधि है। यह वास्तव में एक रोमांचक खेल, क्रियाकलाप है। निरंतर बहते हुए पानी के ऊपर उछलते तथा चक्कर काटते हुए रैफ्टिग करना वास्तव में साहसिक क्रियाकलाप है। श्वेत जल रैफ्टिग (white water rafting) इसका लोकप्रिय नाम है।

1970 के दशक के मध्य में यह साहसिक खेल काफी लोकप्रिय हो गया। यह एक अत्यधिक चुनौतीपूर्ण खेल है। इसमें नदियों के रास्ते यात्रा करते हुए रैफ्ट का प्रयोग शामिल है। विश्व में बहुत – सी रैपिंटग प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती है। यह बहते हुए बेकाबू, असीम पानी में नौका चलाने का एक रोमांचक अनुभव प्रदान करता है।
पर्वतारोहण – पर्वतारोहण एक अन्य साहसिक खेल है जो पूरे विश्व में व्याप्त है। पर्वतों की चोटियों ने मनुष्यों को सदा आकर्षित किया है। उनकी ऊँचाई ने मनुष्य की भावना अथवा मनोवृत्ति को चुनौती दी है। बहुत से बलवान एवं साहसी व्यक्तियों ने इसकी चुनौतियों को स्वीकारा है तथा विश्व में बहुत – सी चोटियों पर पहुँचने व चढ़ने के प्रयास किए हैं। इनमें से कुछ सफल हुए हैं, कुछ असफल तथा कुछ को अपने प्राण गँवाने पड़े।

माउंट एवरेस्ट हिमालय की सबसे ऊँची चोटी होने के साथ ही विश्व की सबसे ऊँची चोटी भी है। जिस पर कई पर्वतारोहियों ने चढ़ने का प्रयास किया। न्यूजीलैंड के सर एडमंड हिलेरी तथा नेपाल के तेनजिंग नोर्गे, विश्व के पहले व्यक्ति थे जो इस चोटी पर 29 मई, 1953 को पहुँचने में सफल हुए।

तब से अब तक कई पर्वतारोहियों ने इस चोटी पर पहुँचने में सफलता पाई है। जैसा कि पर्वतरोहियों के अनुभव एवं आकड़ों से प्रतीत होता है, पर्वतारोहण एक बहुत जोखिम भरा साहसिक क्रियाकलाप है जिसमें निम्न गुणों का होना आवश्यक होता है, जैसे-

शारीरिक रूप से स्वस्थ अथवा क्षमतावान होना।

  • सहन शक्ति।

  • दृढ़ संकल्प।

  • बर्फीली परिस्थितियों में बर्फ से ढकी चोटियों पर चढ़ने तथा उतरने के कौशल होने चाहिए।

सभी प्रकार की कठिनाइयों के होते हुए भी बहुत से साहसी प्रतिभागी अथवा साहसिक प्रकृति प्रेमी, पर्वतारोहण की ओर आकर्षित होते हैं। पर्वतारोहण में सफल होने के लिए एक अच्छी योजना बनानी पड़ती है, तथा अनेक प्रकार की सामग्री जुटानी पड़ती है।
रॉक क्लाइम्बिंग के दौरान सुरक्षा उपाय 

  • चट्टान आरोहण का प्रशिक्षण प्राप्त करना।

  • शरीर को पूरी तरह से अनुकूलित करना।

  • भौतिक शास्त्र के सिद्धांतों का ध्यान रखना।

  • शारीरिक व मानसिक दृष्टि से आरोहण के लिए तैयार होना।

  • रस्सियों, फीते अथवा स्ट्रेप खूटियों तथा लंगर आदि का निरीक्षण करना।
ट्रैकिंग के दौरान सुरक्षा उपाय 

  • पैरों में समुचित जूते पहनना।

  • कीटों द्वारा काटे जाने से बचने के लिए पूरी बाजु की कमीज तथा पूरी पैंट पहनना।

  • गंतव्य स्थान की मौसम रिर्पोट की जानकारी होना।

  • ट्रैकिंग करते समय पते व फूल न खाना।

  • हृदय तथा फेफड़े सम्बन्धी बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों का ट्रैकिंग न करना।

  • बरसात के मौसम में ट्रैकिंग न करना।

  • आवश्यक सामग्री साथ लेकर जाना।
रिवर रॉफटिंग के दौरान सुरक्षा उपाय – रिवर राफटिंग के लिए अकेले जाने से बचें। तैराकी आनी चाहिए। जीवन रक्षक जैकेट तथा हेलमेट पहनें, सभी उपकरण की जाँच कर लें। राफटिंग हमेशा दिन के उजाले में करें।
पर्वतारोहण के दौरान सुरक्षा उपाय 

  • पानी की कमी हो जाना, ऊँचे पर्वतों पर घटित होने वाली सामान्य घटना है। इसलिए बार – बार पानी पिएँ।

  • पर्वतारोहण हेतु जाने से पूर्व यह सुनिश्चित कर लें कि आपका स्वास्थ्य बिल्कुल ठीक है।

  • वास्तव में आप पूर्णतः शारीरिक रूप से पुष्ट होने चाहिए।

  • अपने आसपास के स्थान का ध्यान रखें तथा अपने साथी पर्वतारोहियों के विषय में सतर्क रहे यदि तापमान अत्यधिक कम हो तो आप हाइपोथर्मिया (Hypothermia) के शिकार हो सकते हैं। इसलिए शरीर को सूखा तथा गर्म रखें।

  • पर्वतारोहण पर जाने से पूर्व आपको मौसम का पूर्वानुमान जान लेना चाहिए।

  • पर्वतारोहण पर जाते समय अपनी दवाएँ तथा प्राथमिक चिकित्सा किट लें जाना न भूलें।

  • यदि आपको अधिक ऊँचाई वाली बीमारी (High Altitude Sickness) अनुभव हो तो आपके लिए अनिवार्य है कि आप तुरंत ही नीचे उतर आएँ।
शारीरिक क्रियाओं के दौरान सुरक्षा उपाय – कोई भी व्यक्ति शारीरिक क्रिया कर सकता है यदि उसको स्वास्थ्य सम्बन्धी खतरे न हों। किन्तु यदि आपको स्वास्थ्य सम्बन्धी कोई बीमारी हैं तो किसी डॉक्टर या विशेषज्ञ से परामर्श करके ही शारीरिक क्रिया करनी चाहिए।
शारीरिक क्रियाओं के दौरान 7 सुरक्षा उपाय निम्नलिखित हैं।

  • कोई भी शारीरिक क्रिया करने से पहले 5 से 10 मिनट शरीर को गर्माना तथा शारीरिक क्रिया करने के बाद शरीर को अनुकूलित करना या शिथिलीकरण करना अनिवार्य है।

  • कोई भी शारीरिक क्रिया धीरे – धीरे शुरू करें तथा अपना शारीरिक क्रिया करने का स्तर धीरे – धीरे बढ़ाएँ।

  • अपने शरीर की सुने अर्थात् जब आप थकान महसूस कर रहे हों या बीमार हों तो कोई भी शारीरिक क्रिया न करें।

  • शारीरिक क्रियाओं के दौरान निर्जलीकरण की समस्या से बचने के लिए पर्याप्त पानी पीएँ।

  • अपनी शारीरिक क्रिया के अनुसार अपने कपड़ों तथा जूतों का चुनाव करें। हर छः महीनें में अपने जूतों को बदलें।

  • अत्यधिक गर्म और आर्द्रता वाले वातावरण में कोई भी शारीरिक क्रिया न करें क्योंकि इससे निर्जलीकरण की समस्या हो सकती है।

  • हाइपोथरमिया की समस्या से निजात पाने के लिए अत्यधिक ठंडे वातावरण में पर्याप्त कपड़े पहनकर ही अभ्यास करें।
खेल चोटों को रोकने के लिए सुरक्षात्मक उपाय – खेल प्रत्येक व्यक्ति द्वारा पसंद किया जाता है चाहे बड़े हों या बच्चे। कई बार खेल के लिए बड़े भी बच्चे बन जाते हैं क्योंकि खेल के द्वारा ही व्यक्ति अपने स्वास्थ्य को फिट रख सकता है व बीमारियों से बच सकता है। परन्तु इसके साथ – साथ खेल चोटों का होना भी स्वाभाविक है। हम खेल में चोर्ट बिल्कुल ही न हों, इसे रोक तो नहीं सकते परन्तु खेल चोटों को कुछ उपाय तथा सूझबूझ व सामान्य (Sense) से कम अवश्य किया जा सकता है।
खेल चोटों को रोकने के लिए सुरक्षात्मक उपाय 

उपयुक्त शारीरिक दशा – में होना किसी भी खेल या प्रशिक्षण में भाग लेने से पहले आपको उस खेल के लिए उपयुक्त शारीरिक दशा के स्तर में आना होगा अर्थात् पर्याप्त शारीरिक पुष्टि का स्तर होना चाहिए। उस खेल के लिए आवश्यक क्रियाएँ आपको आनी चाहिए। जैसे जूड़ों के अभ्यास से पूर्व आपको गिरने का अभ्यास सीखना चाहिए।

सुरक्षात्मक उपकरणों का प्रयोग – किसी भी खेल को खेलने से पहले उस खेल में प्रयोग होने वाले सुरक्षात्मक उपकरणों जैसे है लमेट, दस्ताने, पैडस व दौड़ने वाले जूतों का ही प्रयोग करना चाहिए।

खेलने से पूर्व शरीर को गर्माना – गर्माने से व्यक्ति का शरीर तथा दिमाग व हृदय मानसिक रूप से तैयार हो जाते हैं जिससे चोटों का खतरा कम हो जाता है।

प्रचुर मात्रा में नींद लेना – नींद आपके शरीर को प्रशिक्षण के दौरान होने वाली थकन व पुनः शक्ति प्राप्त करने में सहायक है। भूत चोटों से बचने के लिए आपको पर्याप्त नींद लेनी चाहिए।

अतिभार न करें – यह अत्यंत महत्त्वपूर्ण है कि आपको हमेशा अपने शरीर की सुननी चाहिए। जब भी आप कोई खेल खेलें। धीरे – धीरे उसकी शुरूआत करें और धीरे – धीरे भार को बढ़ाएं। अपनी क्षमता से बाहर वर्क आउट न करें।

अपनी तकनीक को बढ़ाए – खेलों में जीव यांत्रिकी के सिद्धांतों का अनुसरण करते हुए अपनी तकनीक का स्तर बढ़ाएं। आपका शारीरिक गठन आपकी; को अकेला नहीं बढ़ा सकता अतः अपनी तकनीक को बढ़ाएं व चोटों से बचें।

अपने शरीर को हाइड्रेटिड रखें –  हमारा शरीर में 60 % भाग पानी का बना है। जब हम शारीरिक क्रिया करते हैं तो हमारे शरीर से पसीने के द्वारा पानी निकलता है। इसीलिए हमें अपने शरीर को ऊर्जा देने वाली पेय पदार्थों से तरल रखना चाहिए। खेल dietitions के अनुसार पानी शरीर में खून के आयतन (Volume) को बनाए, शरीर का तापमान नियंत्रित करने में तथा शरीर में मसल के सकुचन (Contraction) के लिए आवश्यक है।

ठंडा करना या कूल डाऊन – खेलों के पश्चात् कम से कम 10 मिनट का शरीर को ठंडा करने वाला व्यायाम करना चाहिए हमारी हृदय दर सामान्य शरीर को ठंडा करने से आपके शरीर से व्यर्थ के पदार्थ निस्काषित होते हैं और आपकी मांसपेशियों तक ऑक्सीजन तथा पोषक तत्वों का बहाव भी तेज हो जाता है।

खिंचाव वाली क्रियाएं करना – शरीर में चोटों को रोकने के लिए लचक का होना अत्यंत आवश्यक है। इसीलिए खिंचाव वाली क्रियाएँ करनी चाहिए। कम लचक से माँसपेशियों छोटी तथा टाइट हो जाती हैं जिससे माँसपेशियों और टंडनस Cooling down में खिचाव आ सकरता है। (Tendons) के बाद कुछ खिंचाव वाली क्रियाएँ करनी अत्यंत आवश्यक है।

विराम लेना – लगातार तथा निरंतर करने वाली क्रियाओं के बाद विराम लेना में भूलें ताकि आपका शरीर और दिमाग के पास पुनः शक्ति प्राप्ति तथा ऊर्जा के लिए पर्याप्त समय मिल जाए। खेलों के दौरान विराम न लेने से थकान व निर्णय लेने की क्षमता बढ़ जाती है जिससे चोटों लग सकती है।

किसी भी खेल के नियमों को जानना – किसी भी खेल की शुरूआत करने से पहले हमेशा उस खेल के नियमों के बारे में अवश्य जानकारी प्राप्त करें।

दर्द की दशा में न खेले – किसी भी चोट का लक्षण दर्द से शुरू होता है अगर आप को असहनीय दर्द है, तो वहीं पर खेल रोक दें या बंद कर दें किसी खेल थैरपिस्ट से जाँच करवाएं।

स्वास्थ्यवर्धक आहार खाएँ – किसी भी खिलाड़ी के लिए स्वास्थ्यवर्धक आहार लेना अत्यंत आवश्यक है। किसी भी खिलाड़ी के लिए माँसपेशियों के उचित स्वास्थ्य के लिए प्रोटीन लेना आवश्यक है। छोटे – छोटे meals लगातार खाते रहें।

खेल थैरपिस्ट के पास समय – समय पर चैक अप करवाना – अपने स्वास्थ्य की जाचं के लिए समय – समय पर किसी अच्छे खेल चिकित्सक से जांच कराते रहें।

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