NCERT Solutions Class 11th Hindi अंतराल Chapter – 2 हुसैन की कहानी अपनी जुबानी Question & Answer

NCERT Solutions Class 11th Hindi अंतराल Chapter – 2 हुसैन की कहानी अपनी जुबानी

TextbookNCERT
Class Class 12th
Subject Hindi
ChapterChapter – 2
Grammar Nameहुसैन की कहानी अपनी जुबानी
CategoryClass 11th  Hindi अंतराल अभ्यास प्रश्न – उत्तर 
Medium Hindi
SourceLast Doubt

NCERT Solutions Class 11th Hindi अंतराल Chapter – 2 हुसैन की कहानी अपनी जुबानी

?Chapter – 2?

✍हुसैन की कहानी अपनी जुबानी✍

?प्रश्न – उत्तर?

प्रश्न 1. लेखक ने अपने पाँच मित्रों के जो शब्द-चित्र प्रस्तुत किए हैं, उनसे उनके अलग-अलग व्यक्तित्व की झलक मिलती है। फिर भी वे घनिष्ठ मित्र हैं, कैसे?
?‍♂️उत्तर – लेखक ने अपने पाँच मित्रों के जो शब्द-चित्र प्रस्तुत किए हैं, उसके अनुसार पाँचों के स्वभाव अलग-अलग हैं, किंतु इससे उनकी मित्रता पर कभी फर्क नहीं पड़ा क्योंकि उन सब में कलाकार की सोच विद्यमान थी| पाँचों की मित्रता स्वार्थ पर आधारित नहीं थी इसलिए वे घनिष्ठ मित्र थे।

प्रश्न 2. ‘प्रतिभा छुपाये नहीं छुपती’ कथन के आधार पर मकबूल फिदा हुसैन के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।
?‍♂️उत्तर – लेखक को अपने दादा से विशेष लगाव था जिसका प्रमाण इस घटना से मिलता है कि जब लेखक के दादाजी की मृत्यु हुई तो वह अपने दादाजी के कमरे में ही बंद रहने लगा। वह अपने दादाजी के बिस्तर पर उनकी भूरी अचकन ओढ़कर – इस प्रकार सोता था मानो वह अपने दादाजी से लिपटकर सोया हुआ है।

प्रश्न 3. ‘लेखक जन्मजात कलाकार है।’-इस आत्मकथा में सबसे पहले यह कहाँ उद्घाटित होता है?
?‍♂️उत्तर – “लेखक जन्मजात कलाकार है,” ‘इस बात का पता इस पाठ में उस समय चलता है जब बड़ौदा के बोर्डिंग स्कूल में जथा उस समय उसके ड्राइंग के शिक्षक मास्टर मोहम्मद अतहर ने ब्लैक बोर्ड पर सफेद चॉक से एक बड़ी-सी चिड़िया बनाई और लड़कों से कहा कि ‘अपनी-अपनी स्लेट पर इस चिड़िया की नकल करो।’ मकबूल फिदा हुसैन ने उस चिड़िया को बिल्कुल उसी तरह से बना दिया जैसे मास्टर मोहम्मद अतहर ने ब्लैक बोर्ड पर बनाई थी।

प्रश्न 4. दुकान पर बैठे-बैठे भी मकबूल के भीतर का कलाकार उसके किन कार्यकलापों से अभिव्यक्त होता है?
?‍♂️उत्तर – मकबूल फिदा हुसैन को पेंटिंग से बहुत लगाव था। जब कभी वह दुकान पर बैठते तो वहाँ भी कुछ-न-कुछ ड्राइंग बनाते रहते थे। पेंटिंग से उसका प्यार इतना अधिक था कि हिसाब की किताब में दस रुपये लिखता था तो ड्राइंग की कॉपी में बीस चित्र बना देता था। कान के सामने से अकसर चूँघट ताने गुजरने वाली एक मेहतरानी का स्केच, गेहूँ की बोरी उठाए मजदूर की पेंचवाली पगड़ी का स्केच, पठान की दाढ़ी और माथे पर सिजदे के निशान, बुरका पहने औरत और बकरी के बच्चे का वह स्केच बनाया करता था। अपनी पहली ऑयल पेंटिंग भी उसने दुकान पर रहकर ही बनायी थी।

प्रश्न 5. प्रचार-प्रसार के पुराने तरीकों और वर्तमान तरीकों में क्या फ़र्क आया है? पाठ के आधार पर बताएँ।
?‍♂️उत्तर – प्रचार-प्रसार के पुराने तरीकों और वर्तमान तरीकों में बहुत अंतर आया है। किसी वस्तु का प्रचार के लिए ढोल-नगाड़े आदि बजाकर उसके विषय में घोषणा की जाती थी। एक व्यक्ति रिक्शा, ताँगे आदि में बैठ जाता था और उस वस्तु का पोस्टर लगाकार ढोल बजाते हुए जोर-जोर से उसके विषय में बताता था। कुछ लोग घर-घर जाकर अपनी वस्तु का विज्ञापन किया करते थे। कई बार नुक्कड़ों पर नाटक आदि के माध्यम से भी वस्तु का विज्ञापन किया जाता था। अब किसी भी वस्तु का प्रसार-प्रचार अखबार, मैगजीन, रेडियो, टेलीविज़न, इंटरनेट और मोबाइल फोन ने विज्ञापन को कई गुना तीव्र एवं प्रभावशाली बना दिया है।

प्रश्न 6. कला के प्रति लोगों का नजरिया पहले कैसा था? उसमें अब क्या बदलाव आया है?
?‍♂️उत्तर – पहले लोग कला को राजे-महाराजे और अमीरों का शौक मानते थे। गरीब व्यक्ति तो इस विषय में सोच भी नहीं सकता था। उस समय कला आम आदमी का पेट नहीं भर सकती थी। यह केवल समय काटने का साधन थी।लेकिन समय बदला है। आज कला तथा कलाकार का सम्मान किया जाता है। अब तो शिक्षा में भी इसे अभिन्न बना दिया गया है। आज यह जीविका का मज़बूत साधन है। अब कलाकृतियाँ बड़े घरों की ही नहीं, आम घरों के दीवारों की शोभा बनने लगी हैं।

You Can Join Our Social Account

YoutubeClick here
FacebookClick here
InstagramClick here
TwitterClick here
LinkedinClick here
TelegramClick here
WebsiteClick here