NCERT Solutions Class 12th Hindi अंतरा Chapter – 18 जहां कोई वापसी नहीं
Textbook | NCERT |
Class | Class 12th |
Subject | Hindi |
Chapter | 18 |
Grammar Name | जहां कोई वापसी नहीं |
Category | Class 12th Hindi अंतरा |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 12th Hindi अंतरा Chapter – 18 जहां कोई वापसी नहीं Question & Answer मझर से आप क्या समझते हैं अमझर गाँव में सूनापन क्यों है?अमझर से आप क्या समझते हैं? जहां कोई वापसी पाठ कौन सी विधा में लिखा गया है? जहां कोई वापसी नहीं पाठ की मूल संवेदना क्या है?आधुनिक भारत के नए शरणार्थी कौन है? आधुनिक भारत के नए शरणार्थी कौन है?अमझर से आप क्या समझते हैं अमझर गांव में सूनापन क्यों है?
NCERT Solutions Class 12th Hindi अंतरा Chapter – 18 जहां कोई वापसी नहीं
Chapter – 18
जहां कोई वापसी नहीं
प्रश्न – उत्तर
अभ्यास प्रश्न – उत्तर
प्रश्न 1. अमझर से आप क्या समझते हैं? अमझर गाँव में सूनापन क्यों है? उत्तर – अमझर से अभिप्राय है-आम के पेड़ों से घिरा गाँव जहाँ आम झरते हैं। जहाँ पिछले दो-तीन वर्षों सेसूनापन है। इसका कारण सरकारी घोषणा है। सरकार ने घोषणा की थी कि यहाँ अमरौली प्रोजेक्ट बनाया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत नवागाँव के अनेक गाँव आएंगे जिन्हें उजाड़ दिया जाएगा। इसके बाद से यहाँ के पेड़ सूखने लगे। वे भी लोगों की तरह मूक सत्याग्रह कर रहे हैं। |
प्रश्न 2. आधुनिक भारत के ‘नए शरणार्थी’ किन्हें कहा गया है? उत्तर – आधुनिक भारत के नए शरणार्थी वे लोग हैं जो विशेष प्रोजेक्टों के तहत अपने आश्रयों से उजाड़ दिए गए। हैं। सिंगरौली गाँव में लोगों को उजाड़ दिया गया। औद्योगीकरण की तेज आँधी ने इन्हें अपने घर-जमीन से सदा के लिए उखाड़ दिया। |
प्रश्न 3. प्रकृति के कारण विस्थापन और औद्योगीकरण के कारण विस्थापन में क्या अंतर है? उत्तर – प्रकृति के क्रोध के कारण बाढ़, भूकंप आदि आते हैं। इस कारण से लोगों को अपना घर-बार छोड़ना पड़ता है। संकट के समाप्त होने पर वे सभी अपने पुराने स्थानों पर वापस आ जाते हैं, परंतु औद्योगीकरण के कारण लोगों का विस्थापन स्थायी होता है। विकास और प्रगति के नाम पर इन लोगों का परिवेश तथा आश्रयस्थल सदा के लिए नष्ट हो जाते हैं। |
प्रश्न 4. यूरोप और भारत की पर्यावरण संबंधी चिंताएँ किस प्रकार भिन्न हैं? उत्तर – भारत और यूरोप में पर्यावरण का प्रश्न अलग-अलग नजरिए से देखा जाता है। यूरोप में पर्यावरण का प्रश्न मानव तथा प्रकृति के बीच संतुलन बनाए रखने का है। वहाँ भौतिकवाद प्रमुख है भारत में यही प्रश्न मनुष्य और उसकी संस्कृति के बीच पुराना संबंध बनाए रखने का होता है। यहाँ प्रकृति को मानव संस्कारों से जोड़ा जाता है। |
प्रश्न 5. लेखक के अनुसार स्वातंत्र्योत्तर भारत की सबसे बड़ी ट्रैजडी क्या है? उत्तर – लेखक कहता है कि आज़ादी के बाद हमने यूरोप के विकास के तरीकों को चुना। उन्होंने पश्चिम केमॉडलों को ज्यों-का-त्यों अपनाया। उन्होंने कभी प्रकृति-मनुष्य तथा संस्कृति के बीच संतुलन को नहीं देखा। वे सिर्फ पश्चिम की योजनाओं की नकल करते थे। उन्होंने भारतीय स्वरूप तथा जरूरतों के मुताबिक विकास का स्वरूप निर्धारित नहीं किया। यही स्वातंत्र्योत्तर भारत की सबसे बड़ी ट्रेजेडी है। |
प्रश्न 6. औद्योगीकरण ने पर्यावरण का संकट पैदा कर दिया है, क्यों और कैसे? उत्तर – औद्योगीकरण के कारण प्राकृतिक वनस्पति को नष्ट किया जाता है। वनों की बड़े पैमाने पर कटाई होती है। गाँवों को उजाड़ दिया जाता है। उपजाऊ क्षेत्रों पर सड़कों तथा भवनों का जाल बिछ जाता है। आबादी बढ़ जाती है उद्योगों के चलने से वातावरण को प्रदूषित करने वाली गैसें उत्पन्न होती हैं तथा जहरीला कचरा भी निष्कासित होता है। प्रकृति का अपना संतुलन डगमगा जाता है। |
प्रश्न 7. निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए (क) आदमी उजड़ेंगे तो पेड़ जीवित रहकर क्या करेंगे? (ख) प्रकृति और इतिहास के बीच यह गहरा अंतर है? उत्तर – (क) इस पंक्ति में लेखक ने अमझर गाँव की दशा का वर्णन किया है। प्रोजेक्ट शुरू होने की सरकारी घोषणा के बाद वहाँ आम के पेड़ सूखने लगे। इससे यह पता चलता है कि प्रकृति और मानव के बीच गहरा रिश्ता है। एक के उजड़ने पर दूसरा भी उजड़ने लगता है। (ख) लेखक कहता है कि प्राकृतिक आपदाओं से व्यक्ति अस्थायी तौर पर विस्थापित होता है। परंतु औद्योगीकरण से इस इलाके का प्राकृतिक परिवेश केवल कहानी रह जाता है। इस प्रगति की अंधी दौड से आश्रय स्थल सदा के लिए नष्ट हो जाते हैं। |
प्रश्न 8. निम्नलिखित पर टिप्पणी कीजिए- (ख) आज का युग विकास का युग है। विकास उद्योगों से ही हो सकता है। यह आज के समय की ज़रूरत है। यदि कोई देश इसकी उपेक्षा करता है तो वह असभ्य माना जाता है। वहाँ के लोगों का जीवनस्तर ऊँचा नहीं उठ पाता। (ग) लेखक बताता है कि प्रकृति, मनुष्य और संस्कृति के बीच गहरा संबंध होता है। प्रकृति और मनुष्य एक नई संस्कृति को जन्म देते हैं। हर संस्कृति के विकास में वहाँ की जलवायु का बहुत बड़ा योगदान है। संस्कृति के विकास से ही किसी क्षेत्र का पर्यावरण ठीक रह सकता है। |
प्रश्न 9. निम्नलिखित पंक्तियों का भाव-सौंदर्य लिखिए (क) कभी-कभी किसी इलाके की संपदा ही उसका अभिशाप बन जाती है। (ख) अतीत का समूचा मिथक संसार पोथियों में नहीं, इन रिश्तों की अदृश्य लिपि में मौजूद रहता था। उत्तर – (क) लेखक बताता है कि जिस क्षेत्र में खनिज संसाधन या वन संपदा होती है तो वहाँ विकास की योजनाएँ बनाई जाती है ताकि उन संसाधनों से नई चीजें बनाई जा सके। यही संपन्नता ही उस क्षेत्र के लिए अभिशाप बन जाती सिंगरौली में यही हुआ। यहाँ कोयले की उपलब्धता को देखते हुए पावर प्लांट लगाए गए जिससे इस क्षेत्र की वनसंपदा को भारी नुकसान हुआ (ख) इस पंक्ति के माध्यम से लेखक ने प्रकृति तथा मनुष्य के मध्य संबंध की घनिष्टता को बहुत ही सुंदर रूप में अभिव्यक्त किया है। शब्दों के मोती भाव को इतनी सुंदरता से व्यक्त करते हैं कि पंक्ति पढ़कर ही मन प्रसन्न हो जाता है। इसमें लेखक बताना चाहता है कि भारतीयों ने प्रकृति के साथ अपने गहरे संबंध को इतिहास में नहीं लिखा है बल्कि उसे रिश्तों में इस प्रकार रचा-बसा लिया है कि उसे अक्षरों की आवश्यकता नहीं है। वह आँखों से ही दिखाई दे जाता है। इसके लिए हमें इतिहास में नहीं बल्कि अपने आस-पास देखने की आवश्यकता है। जो हमारे खानपान, रहन-सहन, वेशभूषा, तीज-त्योहार, रीति-रिवाज़ के माध्यम से अभिव्यक्त होता है। |
भाषा शिल्प
प्रश्न 1. पाठ के संदर्भ में निम्नलिखित अभिव्यक्तियों का अर्थ स्पष्ट कीजिए मूक सत्याग्रह, पवित्र खुलापन, स्वच्छ मांसलता, औद्योगीकरण का चक्का, नाजुक संतुलन उत्तर – मूक सत्याग्रह – जब हम किसी बात के विरोध स्वरूप चुप रहकर सत्य के लिए आग्रह करते हैं, तो इसे मूक सत्याग्रह कहते हैं। अमझर गाँव के लोगों द्वारा यह सत्याग्रह किया गया था। पवित्र खुलापन – प्रायः खुलापन अपवित्रता की निशानी मानी जाती है। इसमें मनुष्य अपनी लज्जा को खो देता है। पवित्र खुलापन में ऐसा नहीं होता है। संबंधों की पवित्रता पर ध्यान रखा जाता है, तब खुलकर बोला जाता हैं। अमझर गाँव के लोगों के पहले की जीवन शैली को इसी पवित्र खुलापने के अंदर रखा गया है। स्वच्छ मांसलता – ऐसा शारीरिक सौंदर्य तथा सौष्ठव जिसमें अश्लीलता के स्थान पर पवित्र भाव हो। लेखक यह पंक्ति गाँव की चावल के खेत रोपती स्त्रियों के लिए कहता है। औद्योगीकरण का चक्का – विकास और प्रगति के लिए किया गया तकनीकों से युक्त प्रयास ही औद्योगीकरण कहलाता है। नाजुक संतुलन – ऐसा संबंध जो हमेशा दो लोगों के मध्य होता है। इसे ज़रा-सा धक्का तक तोड़ देता है। ऐसा ही नाजुक संतुलन लेखक ने मनुष्य, प्रकृति तथा संस्कृति के मध्य बताया है। |
प्रश्न 2. इन मुहावरों पर ध्यान दीजिए मटियामेट होना, आफत टलना, न फटकना उत्तर – मटियामेट होना- इसका अर्थ है समाप्त हो जाना- यह मुहावरा मिट्टी से बना है कि मिट्टी में ही मिल जाना। आफत टलना- मुसीबत चली जाना। न फटकना- पास न आने देना या पास न जाना। |
प्रश्न 3. ‘किंतु यह भ्रम है …………….. डूब जाती हैं।’ इस गद्यांश को भूतकाल की क्रिया के साथ अपने शब्दों में लिखिए। उत्तर – किंतु यह भ्रम था…. यह बाढ़ नहीं, पानी में डूबे हुए धान के खेत थे। हम थोड़ी सी हिम्मत बटोरकर गाँव के भीतर गए थे तो वे औरतें दिखाई दीं, जो एक पाँत में झुकी हुई धान के पौधे छप-छप पानी में रोप रही थीं, सुंदर-सुडौल, धूप में चमचमाती काली टाँगें और सिरों पर चटाई के किश्तीनुमा हैट, जो फोटो या फिल्मों में देखे हुए वियतनामी या चीनी औरतों की याद दिलाती थीं। जरा-सी आहट पाते ही उन्होंने एक साथ सिर उठाकर चौंकी हुई निगाहों से हमें देखा बिलकुल उन युवा हिरणियों की तरह, जिन्हें मैंने कान्हा के वनस्थल में देखा था। किंतु वे भागी नहीं, सिर्फ मुस्कुराती रहीं और फिर सिर झुकाकर अपने काम में डूब गईं। |
योग्यता विस्तार
प्रश्न 1. विस्थापन की समस्या से आप कहाँ तक परिचित हैं? किसी विस्थापन संबंधी परियोजना पर रिपोर्ट लिखिए। उत्तर – विस्थापन की समस्या से मैं बहुत अच्छी तरह परिचित हूँ। मेरे दादाजी उतराखंड के एक भाग टिहरी में रहते थे। वह पुराना टिहरी था। जब टिहरी बाँध को बनाने की योजना आरंभ हुई, तो कई लोगों को सरकार द्वारा विस्थापित किया गया। इसे रोकने के लिए अनेक आंदोलन किए गए। इसमें मेरे दादाजी और पिताजी ने भी भाग लिया। बहुत प्रयास किया गया कि यह बाँध न बने। हमारा पैतृक घर, जमीन-जायदाद सभी उसकी भेंट चढ़ गया। नाम के लिए मिला कुछ जमीन का हिस्सा। इससे आहत पिताजी शहर में आकर बस गए क्योंकि जो मिला वह घर को चलाने के लिए कम था। धीरे-धीरे हमने टिहरी से ही पलायन कर दिया। मेरे पिताजी को 30 वर्ष लगे शहर में अपना एक छोटा-सा घर बनाने में। खास रिपोर्ट टिहरी बाँध के निर्माण कार्य के समय यह सुनहरा ख्याब दिखाया गया था कि यह बाँध उतराखण्ड के विकास में बहुत सहायता प्रदान करेगा। इससे न केवल 2400 मेगावाट बिजली मिलेगी साथ ही 70,000 हेक्टर क्षेत्र की सिंचाई व्यवस्था तथा पेयजल उपलब्ध करवाया जाएगा। इसके लिए टिहरी के सैकड़ों गाँवों की बलि चढ़ाई गयी। 2005 में यह बाँध बनकर तैयार हो गया। लेकिन यह बाँध लाखों टिहरीवासियों के दिलों में दुख की गहरी काली छाया छोड़ गया। |
प्रश्न 2. लेखक ने दुर्घटनाग्रस्त मजदूरों को अस्पताल पहुँचाने में मदद की है। आपकी दृष्टि में दुर्घटना-राहत और बचाव कार्य के लिए क्या-क्या करना चाहिए? उत्तर – इसके लिए हमें अपने कुछ साथियों को एकत्र कर लेना चाहिए। दो-चार गाड़ियों का इंतज़ाम करना चाहिए ताकि समय रहते घायलों को अस्पताल पहुँचाया जा सके। अपने साथ दवाइयाँ, खाद्य सामग्री आदि मँगवा लेनी चाहिए। समझदार और मेहनती लोगों को साथ रखना चाहिए |
प्रश्न 3. अपने क्षेत्र की पर्यावरण संबंधी समस्याओं के समाधान हेतु संभावित उपाय कर एक रिपोर्ट तैयार कीजिए। उत्तर – हमने अपने क्षेत्र में पेड़ों की संख्या जानने के लिए एक कार्यक्रम चलाया था। इससे हमें पता चला कि हमारे यहाँ पेड़ों की संख्या बहुत कम है। अतः इस समाधान से निपटने के लिए हमने दिल्ली सरकार की सहायता माँगी और उनसे पौधों की माँग की। उसके बाद हमने अपने इलाके के कुछ उत्साही युवकों को एकत्र किया और उनका समूह बनाया। उन्हें खाली स्थान ढूँढने और वहाँ पर पौधों लगाने का कार्य दिया गया। इसके अतिरिक्त हमने कुछ युवकों को लगाए गए पौधों की देखभाल करने का जिम्मा सौंपा। एक साल में ही हमें इसका फल मिला और हमने हज़ार पौधों में से 700 पौधों को सफल रूप से स्थापित ही नहीं किया बल्कि उन्हें सँभाले रखा। |
काव्य खंड
- Chapter – 1 जयशंकर प्रसाद
- Chapter – 2 सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
- Chapter – 3 सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’
- Chapter – 4 केदारनाथ सिंह
- Chapter – 5 विष्णु खरे
- Chapter – 6 रघुवीर सहाय
- Chapter – 7 तुलसीदास
- Chapter – 8 बारहमासा
- Chapter – 9 पद
- Chapter – 10 रामचंद्रचंद्रिका
- Chapter – 11 कवित्त / सवैया
गद्य खंड
- Chapter – 12 प्रेमघन की छाया – स्मृति
- Chapter – 13 सुमिरिनी के मनके
- Chapter – 14 कच्चा चिट्ठा
- Chapter – 15 संवदिया
- Chapter – 16 गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफ़ात
- Chapter – 17 शेर, पहचान, चार हाथ, साझा
- Chapter – 18 जहां कोई वापसी नहीं
- Chapter – 19 यथास्मै रोचते विश्वम्
- Chapter – 20 दूसरा देवदास
- Chapter – 21 कुटज
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