NCERT Solutions Class 12th Political Science (स्वतंत्र भारत में राजनीति) Chapter – 1 राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियाँ (Challenges of Nation-Building) Question & Answer In Hindi

NCERT Solutions Class 12th Political Science (स्वतंत्र भारत में राजनीति) Chapter – 1 राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियाँ (Challenges of Nation-Building)

TextbookNCERT
Class12th
SubjectPolitical Science (स्वतंत्र भारत में राजनीति)
Chapter1st
Chapter Nameराष्ट्र-निर्माण की चुनौतियाँ (Challenges of Nation-Building)
CategoryClass 12th Political Science Question Answer in Hindi
MediumHindi
SourceLast Doubt

NCERT Solutions Class 12th Political Science (स्वतंत्र भारत में राजनीति) Chapter – 1 राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियाँ (Challenges of Nation-Building) Question & Answer In Hindi एशिया में कितने देश हैं?, भारत में कुल कितने देश हैं?, विश्व में कितने राज्य हैं?, पृथ्वी पर कितने देश हैं उनके नाम?, भारत का सबसे बड़ा राज्य कौन सा है?, भारत में कितने राज्य हैं?, कुल कितने देश हैं?, विश्व का सबसे छोटा देश कौन सा है?, 2023 में कौन सा देश है?, 2023 में कितने देश हैं?, 2022 में कितने देश हैं?, भारत में कितने देश हैं 2022?

NCERT Solutions Class 12th Political Science (स्वतंत्र भारत में राजनीति) Chapter – 1 राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियाँ (Challenges of Nation-Building)

Chapter – 1

राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियाँ

प्रश्न – उत्तर

अभ्यास प्रश्न – उत्तर 

प्रश्न 1.भारत-विभाजन के बारे में निम्नलिखित कौन-सा कथन गलत है ?
(क) भारत-विभाजन दरी-राष्ट्र सिद्धांत का परिणाम था।
(ख) धर्म के आधार पर दो प्रान्तों-पंजाब और बंगाल- का बंटवारा हुआ।
(ग) पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान में संगती नही थी।
(घ) विभाजन की योजना में यह बात भी शामिल थी कि दोनों देशो के बीच आबादी की अदला-बदली होगी।
उत्तर – (घ) विभाजन की योजना में यह बात भी शामिल थी कि दोनों देशो के बीच आबादी की अदला-बदली होगी।
प्रश्न 2. निन्मलिखित सिद्धान्तों के साथ उचित उदाहरनो का मेल करे 

(क) धर्म के आधार पर देश की सीमा का निर्धारण 1. पाकिस्तान और बांग्लादेश 
(ख) विभिन्न भाषा के आधार पर देश की सीमा का निर्धारण2. भारत और पाकिस्तान 
(ग) भौगोलिक आधार पर देश की सीमा का निर्धारण  3. झारखंड और छतीसगढ़ 
(घ) किसी देश के भीतर प्रशासनिक और राजनितिक आधार पर क्षेत्रो का सीमांकन।4. हिमाचल प्रदेश और उतराखंड 

उत्तर –

(क) धर्म के आधार पर देश की सीमा का निर्धारण (2) भारत और पाकिस्तान
(ख) विभिन्न भाषा के आधार पर देश की सीमा का निर्धारण(1) पाकिस्तान और बांग्लादेश
(ग) भौगोलिक आधार पर देश की सीमा का निर्धारण  (4) हिमाचल प्रदेश और उतराखंड
(घ) किसी देश के भीतर प्रशासनिक और राजनितिक आधार पर क्षेत्रो का सीमांकन। (3) झारखण्ड और छतीसगढ़
प्रश्न 3. भारत का कोई समकालीन राजनीतिक नक्शा लीजिए (जिसमे राज्यों की सीमाएँ दिखाए गए हों) और नीचे लिखी रियासतों के स्थान चिन्हित कीजिए –

(क) जूनागढ़
(ख) मणिपुर
(ग) मैसूर
(घ) ग्वालियर

उत्तर –

NCERT Solutions Class 12th Political Science (स्वतंत्र भारत में राजनीति) Chapter – 1 राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियाँ (Challenges of Nation-Building) Question & Answer In Hindi

प्रश्न 4. नीचे दो तरह की राय लिखी गई है-
विस्मय : रियासतों को भारतीय संघ में मिलाने से इन रियासतों की प्रजा तक लोकतंत्र का विस्मय हुआ।
इन्द्रप्रीत : यह बात दावे के साथ नही कह सकता। इसमे बल प्रयोग भी हुआ था जबकि लोकतंत्र में आम सहमती से सहमती से काम लिया जाता है। देशी रियासतों के विलय और ऊपर के मशविरे के आलोक में इस घटनाक्रम पर आपकी क्या राय है ?
उत्तर – इस बात में पूर्ण सच्चाई है कि रियासतों को भारतीय संघ में मिलने से इन रियासतों की प्रजा तक लोकतंत्र का विस्तार हुआ अर्थात इन रियासतों के लोग अब स्वयं अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करने लगे तथा उन्हें अपने विचार व्यक्त करने तथा सरकार की आलोचना का भी आधिकार हो गया। यद्दपि कुछ रियासतों को भारत में मिलने के लिए कुछ बल प्रयोग किया गया, परन्तु तात्कालिक परिस्थितियों में इन रियासतों पर बल प्रयोग करना आवश्यक था, क्योंकि इन रियासतों ने भारत में शामिल होने से मना कर दिया था तथा इनकी भौगोलिक स्थिति ऐसी थी, कि इससे भारत की एकता एवं अखण्डता को सदैव खतरा बना रहता। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि जो बल प्रयोग किया गया, वह इन रियासतों की जनता के विरुद्ध किया गया, और जब ये रियासते भारत में शामिल हो गई, तब इन रियासतों के लोगो को भी सभी लोकतान्त्रिक अधिकार प्रदान कर दिए गए।
प्रश्न 5. नीचे 1947के अगस्त के कुछ बयान दिए गए है जो अपनी प्रकृति अत्यंत भिन्न है- आज आपने अपने सर पर काँटों का ताज पहना है। सता का आसन एक बुरी चीज है इस आसन पर आपको बड़ा सचेत रहना होगा आपको और ज्यादा विन्रम और धैर्यवान बनाना होगा अब लगातार आपकी परीक्षा ली जाएगी। मोहनदास करमचंद गाँधी भारत आजादी की जिदगी के लिए जागेगा हम पुराने से नए की और कदम बढ़ेंगे आज दुर्भाग्य के एक दौर का खत्म होगा हिदुस्तान अपने को फिर से पा लेगा आज हम जो जश्न मना रहे है वह कदम भर है संभवनाओ के द्वारा खुल रहे है जवाहरलाल नेहरू  इन दो बयानों से राष्ट्र-निर्माण का जो एजेडा ध्वनित होगा है उसे लिखिए। आपको कौन -सा एजेंडा जँच रहा है और क्यों ?
उत्तर – मोहनदास करमचन्द गांधी एवं पं जवाहर लाल नेहरु दोनों के बयान राष्ट्र- निर्माण से सम्बंधित हैं, परन्तु प्रकृति में सर्वथा भिन्न हैं। जहां गाँधी जी ने देश के नये शासकों को यह कहकर आगाह किया हैं, कि भारत पर स्वयं शासन करना आसान नहीं होगा, क्योंकि भारत में कई प्रकार की समस्याएं हैं, जिन्हें हल करना होगा, वहीं पं नेहरु के बयान में भविष्य के राष्ट्र की कल्पना की गई है जिसमे उन्होंने वक ऐसे राष्ट्र की कल्पना की है, जो आत्म-निर्भर एवं स्वाभिमानी बनेगा। हम यह पर पं नेहरु के बयान से आधिक तौर पर सहमत हैं, क्योंकि उनके बयान में भविष्य के सम्रद्ध एवं शक्तिशाली राष्ट्र के दर्शन होते हैं।

प्रश्न 6.भारत को धर्मनिर्पेक्ष राष्ट्र बनाने के लिए नेहरू ने किन तर्को का इस्तेमाल किया। क्या आपको लगता है कि वे केवल भवनात्मक और नैतिक तर्क है अथवा इनमे कोई तर्क युवितपरक भी है ?
उत्तर – पं जवाहर लाल नेहरु जीवन की समस्याओं के प्रति सदैव धर्म-निरपेक्ष दृष्टीकोण रखते थे। उनकी मानसिक प्रवृति वैज्ञानिक थी। उन्होंने प्रथाओं तथा परम्पराओं का विरोध किया था। वह धर्म को राजनीती से दूर रखना चाहते थे वह प्रजा तंत्र को तभी सफल कहते थे जब उसका आधार धर्म-निरपेक्षता हो। उन्हें रहस्यवाद से चिढ थी क्योंकि उसे वह अस्पष्ट तथा पारलौकिक समजते थे। उनका दृष्टिकोण वैज्ञानिक तथा यथार्थवादी था। उन्होंने आध्यात्मिक विषयों जैसे आत्मा व जीवन-म्रत्यु आदि को महत्व की दृष्टी से नहीं देखा था। उनकी धर्म- निरपेक्षता के प्रति गहन निष्ठा थी। उनका विचार था कि राज्य का अपना कोई विशेष धर्म नही होना चाहिए, न ही उसे किसी धर्म विशेष को प्रोत्साहित करना चाहिए और न ही उसका विरोध करना चाहिए।

राज्य को सभी धर्मो के साथ समान व्यवाहर करना चाहिए और सभी धर्मो को उनके क्षेत्र से पूर्ण स्वतंत्रता देनी चाहिए। अपनी आत्मकथा में वे लिखते हैं – धर्म, विशेषत: एक संगठित धर्म, का जो रूप मै भारत में तथा अन्यत्र देखता हु वह मुझे भयभीत कर देता है, मैं प्रायः उसकी निंदा करता हूँ, और इसका उन्मूलन कर देना चाहता हूँ। धर्म ने सदैव अन्धविश्वास, मतान्धता, प्रतिक्रियावाद, शोषण तथा निहित स्वार्थो को पुष्ट किया जाता है।

धर्म-निरपेक्षता पर विचार प्रकट करते हुए अपने एक भाषण में नेहरु जी ने कहा था कि भारत एक धर्म निरपेक्ष राज्य है, इसका अर्थ धर्महीनता नहीं इसका अर्थ सभी धर्मो के प्रति समान आदर- भाव तथा सभी व्यक्तियों के लिए समान अवसर है – चाहे कोई भी व्यक्ति किसी धर्म का अनुयायी क्यों न हो। इसलिए हमे अपने दिमाग, अपनी संस्कृति के आदर्शमय पहलू को ही सदा दिमाग में रखना चाहिए जिसका आज के भारत में सबसे अधिक महत्व है। यद्दपि नेहरु जी धर्म-निरपेक्षता में पूर्ण विश्वास रखते थे परन्तु वह धर्म विरोधी या नास्तिक नहीं थे। धर्म शब्द के उच्चतर अर्थ में तो उन्हें एक अत्यंत धार्मिक व्यक्ति समजा जा सकता है उनकी धर्म सम्बन्धी अवधारणा संकुचित न होकर अत्यधिक विशाल थी। उन्होंने स्वमं ही कहा कि मै कोई धार्मिक व्यक्ति नहीं हूँ, परन्तु मैं किसी वस्तु में विश्वास अवश्य करता हूँ जो मनुष्य को उसके समान्य स्तर से ऊंचा उठाती है तथा मानव के व्यक्तित्व को आध्यात्मिक गुण तथा नैतिक गहराई का एक नवीन प्रमाण प्रदान करती है। हम इसे धर्म या जो चाहे कह सकते हैं। इसे ध्यान में रखकर ही वह भारत को धर्म-निरपेक्ष राज्य बनाना पसंद करते थे।

प्रश्न 7. आजादी के समय देश के पूर्वी और पश्चिमी इलाकों में राष्ट्र-निर्माण की चुनौती के लिहाज से दो मुख्य अंतर क्या थे ?
उत्तर – आजादी के समय देश के पूर्वी और पश्चिमी इलाको में राष्ट्र-निर्माण की चुनौती के लिहाज से दो मुख्य अंतर निम्नलिखित थे-

  • पूर्वी क्षेत्र में सांस्कृतिक एवं आर्थिक सन्तुलन की समस्या थी, जबकि पश्चिमी क्षेत्र में विकास की चुनौती थी
  • पूर्वी क्षेत्र में भाषायी समस्या अधिक थी, जबकि पश्चिमी क्षेत्र में धार्मिक एवं जातिवादी समस्याएं अधिक थीं
प्रश्न 8. राज्य पुनर्गठन आयोग का काम क्या था ? इसकी प्रमुख सिफारिश क्या थी ?
उत्तर – राज्य पुनर्गठन आयोग की स्थापना 1953 में की गई थी। इस आयोग का मुख्य कार्य राज्यों के सीमांकन के विषय पर गौर करना था। इस आयो ने सिफ़ारिश की कि राज्यों की सीमओं का निर्धारण वहां बोली जाने वाली भाषा के आधार पर होना चाहिए।

प्रश्न 9.कजतहा है कि राष्ट्र एक व्यापक अर्थ मे कलिप्त समुदाय होता है और सर्वसामान्य विश्वास, इतिहास राजनीतिक आकांक्षा और कल्पनाओ से एकसूत्र में बंधा होता है उन विशेषताओ की पहचान करे जिनके आधार पर भारत एक राष्ट्र है
उत्तर – भारतीय राष्ट्र की निम्नलिखित विशेषताए हैं –

1. भौगोलिक एकता – भौगोलिक एकता में राष्ट्रवाद का विकास होता हैजब मनुष्य कुछ समय के लिए एक निश्चित प्रदेश में रह जाता है तो उसे उस प्रदेश से प्रेम हो जाता हैं और यदि उसका जन्म भी उस प्रदेश में हुआ हो तो प्यार की भावना और तीव्र हो जाती है खानाबदोश कबीलों में राष्ट्रीय भावनाए उत्पन्न नहीं होती क्योंकि वह एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते- फिरते रहते है

2. सामान्य हित – भारतीय राष्ट्र के लिए सामान्य हित महत्वपूर्ण तत्व है यदि लोगो के सामाजिक, आर्थिक, और रजनीतिक तथा धार्मिक हित समान हों तो उनमे एकता की उत्पति होना स्वाभाविक ही है 18वीं शताब्दी में अपने आर्थिक हितो की रक्षा के लिए अमेरिका के विभिन्न राज्य आपस में संगठित हो गए और उन्होंने स्वतंत्रता की घोषणा कर दी

3. सामान्य मातृभूमि – प्रत्येक मनुष्य को अपनी मातृभूमि अर्थात् अपे जन्म स्थान से प्यार होना स्वाभाविक ही है एक ही स्थान या प्रदेश पर जन्म लेने वाले व्यक्ति मातृभूमि से प्यार करते हैं और इया प्यार के कारण आपस में एक भावना के अन्दर बंध जाते है भारत से लाखो की संख्या में सिख इंग्लैंड, कनाडा आदि दूसरे देशों में गए हुए हैं परन्तु मातृभूमि के प्यार के कारण वे अपने आपको सदा भारतीय राष्ट्रयता का अंग मानते है

4. सामान्य इतिहास – सामान्य इतिहास भी भारतीय राष्ट्र का महत्वपूर्ण तत्व है जिन लोगो का सामान्य इतिहास होता है, उनमे एकता की भावना का आना स्वभाविक हैं

5. लोक इच्छा – भारतीय राष्ट्र में एक अन्य महत्वपूर्ण तत्व लोगों में राष्ट्रवाद बनने की इच्छा है मैजिनी ने लोक इच्छा को राष्ट्र का आधार बताया हैं

6. सामान्य रजनीतिक आकांक्षाएं – भारतीय राष्ट्र में सामान्य रजनीतिक आकांक्षाएं महत्वपूर्ण तत्व है स्वतंत्रता की भावना तथा अपनी सरकार की भावना प्रत्येक व्यक्ति में होती है जब लोगो के समूह में विदेशी राज्य को समाप्त करने की भावना होती है तो राष्ट्रीयता की भावना उत्पन्न होती है भारत अंग्रेजो के अधीन था, परन्तु स्वतंत्रता की इच्छा इतना बल पकड़ गई कि विभिन्न धर्मो तथा विभिन्न भाषाओ के लोग भी इकटठे हो गए और एक राष्ट्रीयता में बंध गए और इकटठे होकर स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी आज भी भारतियों में राष्ट्रीयता की भावना का एक कारण रजनीतिक आकांक्षाएं हैं

प्रश्न 10. नीचे लिखे अवतरण को पढिए और इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उतर दीजीए – राष्ट्र-निर्माण के इतिहास के लिहाज से सिर्फ सोवियत संघ में हुए प्रयोगों की तुलना भारत से की हा सकती है सोवियत संघ ने भी विभिन्न और परस्पर अलग-अलग जातीय समूह धर्म भाषाई समुदाय और सामाजिक वर्गो के बीच एकता का भाव कायम करना पड़ा जिस पैमाने पर यह काम हुआ, चाहे भौगोलिक पैमाने के लिहाज से देखे या जनसख्या  वैविध्य के लिहाज से वह अपनाप में बहुत व्यापक कहा जाएगा दोनों ही जगह राज्य को जिस कच्ची सामग्री से राष्ट्र-निर्माण की शुरूआत करनी थी वह समान रूप से दुष्कर थी लोग धर्म के आधार पर बंटे हुए और कर्ज तथा बीमारी से दबे हुए थे

(क) यहाँ लिखक ने भारत और सोवियत संघ के बीच जिन समानताओ का उल्लेख किया है, उनकी एक सूची बनिएइनमे से प्रत्येक के लिए भारत से एक उदहारण दीजीए

(ख) लेखक ने यहाँ भारत और सोवियत संघ में चली राष्ट्र-निर्माण की प्रकियाओ के बीच की असमानता का उल्लेख नही किया है क्या आप दो असमानताएँ बता सकते है ?

(ग) अगर पीछे मुड़कर देखे तो आप क्या पते है ? राष्ट्र-निर्माण के इन दो प्रयोगों में किसने बेहतर काम किया और क्यों ? 
उत्तर – (क) सोवियत संघ की तरह भारत में भी जातीय समूह, धर्म, भाषाई समुदाय और सामाजिक वर्गो में एकता का भाव पाया जाता है

(ख) सोवियत संघ में साम्यवादी आधार पर राष्ट्र-निर्माण हुआ,जबकि भारत में लोकतान्त्रिक समाजवादी आधार पर राष्ट्र-निर्माण हुआसोवियत संघ में राष्ट्र-निर्माण के लिए आत्म-निर्भरता का सहारा लिया था जबकि भारत ने कई तरह से बाहरी मदद से राष्ट्र-निर्माण के कार्य को पूरा किया

(ग) अगर हम पीछे मुड़कर देखे, तो पाएँगे कि भारत में किए राष्ट्र-निर्माण के प्रयोग बेहतर रहें, परन्तु 1991 में सोवियत संघ के विघटन ने उसके राष्ट्र-निर्माण के प्रयोगो पर प्रश्न-चिह्न लहै दिया

NCERT Solutions Class 12th Political Science All Chapter’s Question Answer