NCERT Solutions Class 12th Political Science (समकालीन विश्व राजनीति) Chapter – 5 समकालीन दक्षिण एशिया (Contemporary South Asia)
Textbook | NCERT |
Class | 12th |
Subject | Political Science (समकालीन विश्व राजनीति) |
Chapter | 5th |
Chapter Name | समकालीन दक्षिण एशिया (Contemporary South Asia) |
Category | Class 12th Political Science |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 12th Political Science Chapter – 5 समकालीन दक्षिण एशिया दक्षिण एशिया (Contemporary South Asia) जिसमे हम, दक्षिण एशिया की भौगोलिक स्थिति, पाकिस्तान (सेना और लोकतंत्र), बांग्लादेश संकट (भारत एवं पाकिस्तान युद्ध), नेपाल में लोकतंत्र, श्रीलंका, श्रीलंका में जातीय संघर्ष, श्री लंका की आर्थिक स्थिति, मालदीव, भूटान, भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष, भारत और बंगलादेश के बीच सम्बन्ध, पूरब चलो नीति, भारत और नेपाल संबंध, बहरहाल भारत? आदि के बारे में पढ़ेंगे।
NCERT Solutions Class 12th Political Science (समकालीन विश्व राजनीति) Chapter – 5 समकालीन दक्षिण एशिया (Contemporary South Asia)
Chapter – 5
समकालीन दक्षिण एशिया
Notes
दक्षिण एशिया (South Asia) – दक्षिण एशिया विश्व का महत्वपूर्ण क्षेत्र है। इसमें शामिल सात देशों–भारत, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका, तथा मालद्वीव के लिए दक्षिण एशिया पद का इस्तेमाल किया जाता है। अब इस मे अफगानिस्तान ओर म्यांमार को भी शामिल किया जाता है। दक्षिण एशिया के देशों में आपस में सहयोग ओर संघर्षों का दौर चलता रहता है। नोट – चीन को दक्षिण एशिया का देश नहीं माना जाता। |
दक्षिण एशिया की भौगोलिक स्थिति – उत्तर की विशाल हिमालय पर्वत–श्रृंखला, दक्षिण का हिन्द महासागर, पश्चिम का अरब सागर और पूरब में मौजूद बंगाल की खाड़ी से यह इलाका एक विशिष्ट प्राकृतिक क्षेत्र के रूप में नजर आता है। यह भौगोलिक विशिष्टता ही इस उप–महाद्वीपीय क्षेत्र के भाषाई , सामाजिक तथा सांस्कृतिक अनूठेपन के लिए जिम्मेदार है। इस क्षेत्र की चर्चा में जब–तब अफगानिस्तान और म्यांमार को भी शामिल किया जाता है। |
दक्षिण एशिया की राजनीति एवं शासन व्यवस्था – दक्षिण एशिया के विभिन्न देशों में एक–सी राजनितिक प्रणाली नहीं है। अनेक समस्याओं और सीमाओं के बावजूद भारत और श्रीलंका में ब्रिटेन से आज़ाद होने के बाद, लोकतान्त्रिक व्यवस्था सफलतापूर्वक कायम है।
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दक्षिण एशिया में लोकतंत्र का अनुभव – दक्षिण एशिया के पाँच देशों में लोकतंत्र को व्यापक जन–समर्थन हासिल है। इन देशों में हर वर्ग और धर्म के आम नागरिक लोकतंत्र को अच्छा मानते है और प्रतिनिधिमूलक लोकतंत्र की संस्थाओं का समर्थन करते हैं। इन देशों ने इन मिथक को तोड़ दिया है कि लोकतंत्र केवल धनी देशों में ही फल–फुल सकता है। अत: दक्षिण एशिया के लोकतंत्र के अनुभवों से लोकतंत्र से लोकतंत्र की वैश्विक कल्पना का दायरा बढ़ा है। |
दक्षिण एशिया में शामिल देशो की समस्याए
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पाकिस्तान (सेना और लोकतंत्र) – पाकिस्तान की राजनीतिक व्यवस्था में सेना बहुत प्रभावशाली है। यही कारण है कि यहाँ बार–बार सैन्य शासन लोकतंत्र को कुचलता रहा है। ऐसा ही बांग्लादेश में भी हुआ है। सर्वप्रथम देश की बागडोर जनरल अयूब खान ने ली फिर जनरल याहिया खान तत्पश्चात जनरल जिया–उल–हक और 1999 में जनरल परवेज मुशर्रफ ने जनता द्वारा निर्वाचित सरकार को हटाकर सैनिक शासन की स्थापना की। कुछ समय के लिए अवश्य जुल्फिकार अली भुट्टो, बेनजीर भुट्टो तथा नवाज शरीफ के नेतृत्व में पाकिस्तान में लोकतांत्रिक सरकार कार्यरत रही। जून 2013 में नवाज शरीफ के नेतृत्व में पाकिस्तान में लोकतांत्रिक सरकार की स्थापना हुई परन्तु 2017 में उन्हें वित्तीय भ्रष्टाचार के मामले में पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दोषी ठहराया गया तथा पद से हटाते हुए दस साल की सजा का आदेश दिया। जुलाई 2018 में पाकिस्तान में हुए आम चुनाव में इमरान खान के नेतृत्व में लोकतांत्रिक सरकार का गठन हुआ। |
पाकिस्तान में लोकतंत्रीकरण स्थाई न रह पाने के कारण – पाकिस्तान में बार–बार सैनिक शासकों द्वारा तख्ता पलट हुआ है। जिसके कारण पाकिस्तान में कभी भी लोकतंत्र स्थायी रूप के कार्य नहीं कर पाया है। पाकिस्तान में लोकतंत्रीकरण के निम्नलिखित कठिनाइयाँ हैं – • यहाँ सेना, धर्मगुरु और भू–स्वामी अभिजनों का सामाजिक दबदबा है। इसके कारण कई बार निर्वाचित सरकारों को गिराकर सैनिक शासन कायम हुआ है। • पाकिस्तान की भारत के साथ हमेशा से तनातनी रही है। जिसका फायदा उठाकर यहाँ के सैनिक शासक या धर्मगुरु लोकतान्त्रिक सरकार में खोट दिखाकर यहाँ की जनता को बताते है की पाकिस्तान की सुरक्षा ख़तरे में है। और सता पर काबिज हो जाते है। पाकिस्तान में अधिकांश संगठनों द्वारा सैनिक शासन को जायज ठहराया जाता है। • पाकिस्तान में लोकतांत्रिक शासन चले–इसके लिए कोई खास अंतर्राष्ट्रीय समर्थन नहीं मिलता। इस वजह से भी सेना को अपना प्रभुत्व कायम करने के लिए बढ़ावा मिला है। • अमरीका तथा अन्य पश्चिमी देशों ने अपने–अपने स्वार्थों से गुजरे वक्त में पाकिस्तान में सैनिक शासन को बढ़ावा दिया है। |
बांग्लादेश संकट (भारत एवं पाकिस्तान युद्ध) – बांग्लादेश पाक का अंग था। इसे पूर्वी पाकिस्तान कहते थे। यह बंगाल और असम के हिस्सों को काटकर बनाया गया था। पाकिस्तान यहाँ पर दबदबा बना रहा था और यहाँ पर जबरन उर्दू भाषा थोप कर यहाँ की संस्कृति को नष्ट कर रहा था। इसका विरोध यहाँ की जनता ने किया। पश्चिमी पाक के खिलाफ शेख मुजीबुर्रहमान के नेतृत्व में जन सँघर्ष छिड़ गया। शेख मुजीब की पार्टी आवामी लीग को वहाँ 1970 में सभी सीटों पर विजय मिली शेख मुजीब को गिरफ्तार कर लिया गया याहिया खान के दौर में पाक सेना ने बंगाली जनता के आंदोलन को कुचलने की कोशिश की। हज़ारो लोग मारे गए तथा लाखो शरणंर्थी भारत आ गए इस समस्या को देखकर भारत ने पूर्वी पाक को समर्थन किया और भारत–पाक (1971) युद्ध हुआ उसके बाद बांग्लादेश एक स्वतंत्र देश बनकर उभरा। |
नेपाल में लोकतंत्र (Democracy in Nepal) – नेपाल में लम्बे समय तक राजा और लोकतंत्र समर्थकों में जद्दोजहद चलती रही है। अब वहाँ कि राजनीति में माओवादी भी बहुत प्रभावी हो गये हैं। नेपाल में राजा की सेना, लोकतंत्र समर्थको और माओवादियों के बीच लम्बे त्रिकोणीय संघर्ष का परिणाम यह रहा कि नेपाल के द्वारा वर्तमान में अपनाए गए संविधान के तहत खड्ग प्रसाद शर्मा ओली अक्टूबर 2015 से नेपाल के नए प्रधानमंत्री है। नोट – अब नेपाल में लोकतंत्र है। |
श्रीलंका (Sri Lanka) – श्रीलंका को 1948 में स्वतंत्रता प्राप्त हुई। श्रीलंका एक सफल लोकतंत्र और सामाजिक, आर्थिक क्षेत्रों एव अपनी अच्छी स्थिति के बावजूद सिंहली और तमिल समुदायों के जातीय संघर्ष का शिकार रहा है।
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श्रीलंका में जातीय संघर्ष – यह संघर्ष मुख्य रूप से तमिलों द्वारा श्रीलंका में अलग राष्ट्र की मांग एवं संसाधनों पर अधिकार के लिए था, वहीं दूसरी ओर सिंहली समुदाय द्वारा लगातार उनकी इस मांग का विरोध किया जाता रहा।
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श्री लंका की आर्थिक स्थिति – गृहयुद्ध होने के बावजूद भी श्री लंका ने बहुत तेज़ गति से विकास किया। श्री लंका जनसख्या नियंत्रण के मामले में सबसे सफल रहा। दक्षिण एशिया में सभी देशों में से श्री लंका ने सबसे पहले अपनी अर्थव्यवस्था का उदारीकरण किया। श्री लंका का प्रति व्यक्ति सकल घरेलु उत्पाद भी दक्षिण एशिया में सबसे ज़्यादा है। |
मालदीव (Maldives) – 1965 तक मालदीव ब्रिटिश सरकार के आधीन रहा था। 1965 में मालदीव को ब्रिटिश शासन से आज़ादी मिली और राजा मुहम्मद फरीद दीदी के आधीन यह एक सल्तनत बन गया। 1968 में इस राजशाही को भी खत्म कर दिया गया गणतंत्र की स्थापना की गई जो आज तक कायम है। |
भूटान (Bhutan) – भूटान ने अपना संविधान 2008 में लागु किया तभी से भूटान में वर्तमान में संवैधानिक राजतन्त्र की व्यवस्था है। |
भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष ( i ) कश्मीर समस्या – विभाजन के तुरंत बाद भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर को लेकर लड़ाई शुरू हो गई। चूँकि विभाजन के समय कश्मीर एक स्वतंत्र राज्य था और उसका अधिकारिक विलय भारत में हुआ था। जबकि पाकिस्तान उस पर नाजायज अपना दावा करता है। इस समस्या को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच 1947–48 और 1965 में युद्ध हो चूका है। 1948 के युद्ध के फलस्वरूप कश्मीर के दो हिस्से हो गए। एक हिस्सा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर कहलाया जबकि दूसरा हिस्सा भारत का जम्मू-कश्मीर प्रान्त बना। कश्मीर समस्या आज भी जस की तस बनी हुई है। आज इस क्षेत्र में आतंकवाद एक बहुत बड़ी समस्या है। ( ii ) बंगलादेश समस्या – 1971 में बांग्लादेश की आतंरिक समस्याएँ आई जिसको लेकर बंगलादेश के नेताओं ने भारत से हस्तक्षेप और समर्थन माँगा। भारत ने सैन्य सहायता दी और बांग्लादेशियों का समर्थन किया। इससे भारत–पाकिस्तान के बीच संघर्ष हुआ। |
भारत और पाकिस्तान के बीच समझौते
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भारत और बंगलादेश के बीच सम्बन्ध सकारात्मक (सहमति) –
नकारात्मक (विवाद) –
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पूरब चलो नीति – पूरब चलो निति भारत सरकार की वह निति है जिसके द्वारा वह दक्षिण–पूर्व एशियाई देशों से अपने संबंध और आर्थिक संबंध अच्छा बनाना चाहती है। इसी निति के अंतर्गत बांग्लादेश, म्यांमार, इंडोनेशिया, सिंगापुर और मलेशिया से संपर्क साधने की बात है। इस बात के भी प्रयास किए जा रहे हैं कि साझे खतरों को पहचान कर तथा एक दूसरे की जरूरतों के प्रति ज्यादा संवेदनशीलता बरतकर सहयोग के दायरे को बढ़ाया जाए। |
भारत और नेपाल संबंध – भारत और नेपाल के बीच मधुर संबंध हैं और दोनों देशों के बीच एक संधि हुई है। इस संधि के तहत दोनों देशों के नागरिक एक–दूसरे के देश में बिना पासपोर्ट और वीजा के आ जा सकते हैं और काम कर सकते हैं। ख़ास संबंधे के बावजूद दोनों देश के बीच अतीत में व्यापार से संबंधित मनमुटाव पैदा हुए हैं। नेपाल की चीन के साथ दोस्ती को लेकर भारत सरकार ने अक्सर अपनी अप्रसन्नता जतायी है। नेपाल सरकार भारत–विरोधी तत्त्वों के खिलाफ कदम नहीं उठाती। इससे भी भारत नाखुश है। |
बहरहाल भारत – नेपाल के संबंध एकदम मजबूत और शांतिपूर्ण है। विभेदों के बावजूद दोनों देश व्यापार, वैज्ञानिक सहयोग, साझे प्राकृतिक संसाधन, बिजली उत्पादन और जल प्रबंधन ग्रिड के मसले पर एक साथ हैं। नेपाल में लोकतन्त्र की बहाली से दोनों देशों के बीच संबंधों के और मजबूत होने की उम्मीद बंधी है। |
भारत और भूटान संबंध – भारत के भूटान के साथ भी बहुत अच्छे रिश्ते हैं और भूटानी सरकार के साथ कोई बड़ा झगड़ा नहीं है। भूटान से अपने काम का संचालन कर रहे पूर्वोत्तर भारत के उग्रवादियों और गुरिल्लों को भूटान ने अपने क्षेत्र से खदेड़ भगाया। भूटान के इस कदम से भारत को बड़ी मदद मिली है। भारत भूटान में पनबिजली की बड़ी परियोजनाओं में हाथ बँटा रहा है। इस हिमालयी देश के विकास कार्यों के लिए सबसे ज्यादा अनुदान भारत से हासिल होता है। |
दक्षेस (SAARC) SAARC – South Asian Association for Regional Corporation सदस्य – भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, श्री लंका, मालदीव अफगानिस्तान (2007 में शामिल) • दक्षिण एशियाई देशों ने आपस में सहयोग के लिए सन् 1985 में दक्षेस (SAARC – साउथ एशियन एसोशियन फॉर रिजनल कोऑपरेशन) की स्थापना की। 2005 में 13वें सार्क शिखर सम्मेलन ढाका में अफगानिस्तान को सार्क में शामिल करने पर सहमति बनी। 2007 के 14वें शिखर सम्मेलन (नई दिल्ली) में अफगानिस्तान पहली बार सार्क शिखर सम्मेलन में शामिल हुआ। • वैश्वीकरण के दौर में हुए सार्क सम्मेलनों में जलवायु परिवर्तन, आपदा प्रबन्धन एवं आतंकवाद की समाप्ति संबंधी तथा इस क्षेत्र में व्यापार एवं विकास को बढ़ावा देने हेतु कई समझौतो पर हस्ताक्षर हुए हैं। • सार्क का 18वाँ शिखर सम्मेलन 26 – 27 नवम्बर 2014 को नेपाल की राजधानी काठमांडू में सम्पन्न हुआ जिसका विषय शांति एवं समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध एकजुटता था। • सार्क का 19वाँ सम्मेलन 2016 में इस्लामाबाद (पाकिस्तान) में हुआ। परंतु उरी में आंतकवादी हमले के कारण भारत ने इस सम्मेलन का बहिष्कार किया। बाद में बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका और मालद्वीप ने भी इस सम्मेलन का बहिष्कार किया। |
दक्षेस SAARC के उद्देश्यों
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SAFTA SAFTA – South Asian Free Trade Area जनवरी 2004 में आयोजित 12वें शिखर सम्मेलन में सार्क देशों ने ऐतिहासिक दक्षिणी एशियाई मुक्त व्यापार सौदा (SAFTA) समझौते पर हस्ताक्षर किये, जो 1 जनवरी 2006 से प्रभावी हुआ। इस समझौते के दो मुख्य उद्देश्य है।
भारत के अपने पेड़ोसी देशों के साथ जिनमें पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश एवं श्रीलंका प्रमुख है, इनमें से यदि पाकिस्तान को छोड़ दिया जाये तो बाकी राष्ट्रों के साथ भारत के संबंध कमोबेश मधुर बने हुए हैं। |
सार्क की उपलब्धियाँ – भारत व पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बावूजद भी द्विपक्षीय स्तर पर समझ और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए छोटे देशों के लिए अभी भी उपयोगी संगठन है। साप्टा और साफ्टा को बनाकर व्यापार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। पर्यावरण, आर्थिक विकास व ऊर्जा आदि क्षेत्रों में सहयोग की बात की है। BIMSTEC (Bay of Bengal Intiative for multi sectoral Technical and Economic Cooperation) बंगाल की खाड़ी बहु – क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग उपक्रम इसके सदस्य देश, बांग्लादेश, भारत, बर्मा, श्रीलंका, थाईलैण्ड, भूटान और नेपाल है। वर्तमान में भारत बिम्सटेक (BIMSTEC) पर अधिक बल दे रहा है, इसके वरिष्ठ अधिकारियों की 17 वीं बैठक फरवरी 2017 में काठ मांडू (नेपाल) में आयोजित की गई। इस बैठक में व्यापार और निवेश, उर्जा प्रौद्योगिकी, मत्सयपालन, जलवायु परिवर्तन, संस्कृति, लोगों के बीच संपर्क और अन्य क्षेत्रों के बारे में चर्चा की गई। |
https://drive.google.com/file/d/1W5GaCb6frRu8JEcbEflfTVjNP05lUv9t/view
NCERT Solution Class 12th समकालीन विश्व राजनीति Notes In Hindi
- Chapter – 1 शीतयुद्ध का दौर
- Chapter – 2 दो ध्रुवीयता का अंत
- Chapter – 3 समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व
- Chapter – 4 सत्ता के नए केन्द्र
- Chapter – 5 समकालीन दक्षिण एशिया
- Chapter – 6 सयुक्त राष्ट्र और इसके संगठन
- Chapter – 7 समकालीन विश्व में सुरक्षा
- Chapter – 8 पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन
- Chapter – 9 वैश्वीकरण