NCERT Solutions Class 11th Political Science (राजनीतिक सिद्धांत) Chapter – 6 नागरिकता (Citizenship) Notes In Hindi

NCERT Solutions Class 11th Political Science (राजनीतिक सिद्धांत) Chapter – 6 नागरिकता (Citizenship)

TextbookNCERT
Class11th
SubjectPolitical Science (राजनीतिक सिद्धांत)
ChapterChapter – 6
Chapter Nameनागरिकता
CategoryClass 11th Political Science
MediumHindi
SourceLast Doubt
NCERT Solutions Class 11th Political Science (राजनीतिक सिद्धांत) Chapter – 6 नागरिकता (Citizenship) Notes In Hindi नागरिकता की परिभाषा क्या है?, नागरिकता कितने प्रकार की होती?, नागरिकता के जनक कौन है?, भारत में नागरिकता कब लागू हुआ?, भारत की कौन सी नागरिकता है?, नागरिकता कहाँ से लिया गया है?, भारत का 6 नागरिक कौन है?, भारत का अंतिम नागरिक कौन होता है?, नागरिकता कितने भाग में है?, अनुच्छेद 6 में क्या कहा गया है?, संविधान के अनुच्छेद 6 में क्या है?, भारत के कुल कितने नागरिक हैं?, राज्य का प्रथम नागरिक कौन है?, भारत में जिले का पहला नागरिक कौन है?,

NCERT Solutions Class 11th Political Science (राजनीतिक सिद्धांत) Chapter – 6 नागरिकता (Citizenship)

Chapter – 6

नागरिकता

Notes

नागरिकता – नागरिकता से अभिप्राय एक राजनीतिक समुदाय की पूर्ण और समान सदस्यता से है जिसमें कोई भेदभाव नहीं होता। राष्ट्रों ने अपने सदस्यों को एक सामूहिक राजनीतिक पहचान के साथ ही कुछ अधिकार भी दिए है। इसलिए हम सबंद्ध राष्ट्र के आधार पर स्वंय को भारतीय, जापानी या जर्मन कहते हैं।

• अधिकतर लोकतांत्रिक देशों में नागरिकों को अभिव्यक्ति का अधिकार, मतदान या आस्था की स्वतंत्रता, न्यूनतम मजदूरी या शिक्षा पाने का अधिकार शामिल किए जाते हैं।

• नागरिक आज जिन अधिकारों का प्रयोग करते है उन्हें उन्होंने एक लंबे संघर्ष के बाद प्राप्त किया है जैसे 1789 की फ्रांसीसी क्रांति, दक्षिण अफ्रीका में समान नागरिकता प्राप्त करने के लिए लंबा संघर्ष आदि।

नोट – नागरिकता से संबंधित प्रावधानों का वर्णन संविधान के तीसरे खंड तथा संसद द्वारा तत्पश्चात पारित कानूनों से हुआ हैं।
नागरिक – वह व्यक्ति जो किसी राज्य अथवा देश का पूर्ण सदस्य हो नागरिक कहलाता है।
विदेशी – जो व्यक्ति किसी अन्य राज्य के नागरिक होते है और अस्थायी रूप से दुसरे देश में आया हो। ऐसे व्यक्ति को उस राज्य या देश में विदेशी कहा जाता है।
नागरिक एवं विदशी में अंतर

नागरिक
  • निवास – ये स्थाई होते हैं।
  • अधिकार – इनकों सभी राजनितिक अधिकार प्राप्त होते हैं।
  • कर्तव्य – इन्हें राज्य के सभी क़ानूनी कर्तव्यों का पालन अनिवार्य होता है।
  • प्रतिबंध – इन्हें राज्य में घूमने व निवास पर कोई प्रतिबंध नहीं होता।
विदेशी
  • निवास – ये अस्थाई होते हैं।
  • अधिकार – इनकों सिर्फ सामाजिक अधिकार प्राप्त होते हैं।
  • कर्तव्य – ये अपने मूल देश के प्रति ही वफादार होते है और अन्य देश के क़ानूनी कर्तव्यों के पालन के लिए वाध्य नहीं है।
  • प्रतिबंध – इन्हें एक निश्चित समयसीमा, जगह में निवास करना होता है।
नागरिकता के प्रकार
  • जन्मजात नागरिकता – वह नागरिकता जिसमें किसी व्यक्ति को राज्य में जन्म के आधार पर प्राप्त हो जन्मजात नागरिकता कहते है।
  • राज्यप्रद्त नागरिकता – जब किसी व्यक्ति को राज्य द्वारा किसी विशेष परिस्थितियों के कारण नागरिकता प्रदान की गयी हो तो इसे राज्यप्रदत नागरिकता कहते है।
  • इकहरी नागरिकता – वह नागरिकता जो कोई देश अपने नागरिको को प्रदान करता है जिसमे वह किसी भी राज्य का बासी हो परन्तु वह नागरिक कहलाता है।
  • दोहरी नागरिकता – जब किसी व्यक्ति को देश कि भी और प्रान्त कि भी नागरिकता प्राप्त हो तो उसे धोरी नागरिकता कहते है।
नागरिकता प्राप्त करने के तरीके
  • विवाह के आधार पर
  • लंबे निवास के आधार पर
  • गोद लेने पर
  • संपत्ति खरीदने पर
  • सरकारी सेवा
  • विद्वान् होने पर
नागरिकता त्याग के तरीके
  • त्याग पत्र
  • विवाह कर लेने पर
  • अनुपस्तिथि
  • विदेश में नौकरी
  • देश द्रोह
सार्वभौमिक नगारिकता – हम यह मान लेते हैं कि किसी देश की पूर्ण सदस्यता उन सबको उपलब्ध होनी चाहिए जो सामान्यतः उस देश के निवासी है, वहां काम करते या जो नागरिकता के लिए आवदेन करते हैं किंतु नागरिकता देने की शर्ते सभी तय करते हैं। अवांछित नागरिकता से बाहर रखने के लिए राज्य ताकत का इस्तेमाल करते हैं परंतु फिर भी व्यापक स्तर पर लोगों का देशांतरण होता है।
विश्व नागरिकता – आज हम एक ऐसी दुनिया में रहते है जो आपस में एक दूसरे से जुड़ा है संचार के साधन, टेलिविजन या इंटरनेट ने हमारे संसार को समझने के ढंग में भारी परिवर्तन किया है। एशिया की सूनामी या बड़ी आपदाओं के पीड़ितों की सहायता के लिए विश्व के सभी भागों से उमड़ा भावोद्गार विश्व समाज की उभार को ओर इशारा करता है। इसी को विश्व नागरिकता कहा जाता है। यही ‘विश्व ग्राम‘ व्यवस्था का आधार भी है।
विश्व नागरिकता से लाभ – इससे राष्ट्रीय समीओं के दोनों तरफ उन समस्याओं का समाधान करना सरल होगा जिसमें बहुत देशों की सरकारों और लोगों की संयुक्त कार्यवाही जरूरी होती है। इससे प्रवासी या राज्यविहीन लोगों की समस्या का सर्वमान्य निबटान करना आसान हो सकता है।
संपूर्ण और समान सदस्यता – इसका अभिप्राय है नागरिकों को देश में जहां चाहें रहने, पढ़ने, काम करने का समान अधिकार व अवसर मिलना तथा सभी अमीर – गरीब नागरिकों को कुछ मूलभूत अधिकार एवं सुविधाएं प्राप्त होना है।
प्रवासी – काम की तलाश में लोग एक शहर से दूसरे शहर तथा देश से दूसरे देश की ओर की जाते है, तब वे प्रवासी कहलाते है-

• निर्धन प्रवासियों का अपने – अपने क्षेत्रों में उसी प्रकार स्वागत नहीं होता जिस प्रकार कुशल और दौलतमंद प्रवासियों का होता है।

• प्रतिवाद (विरोध) का अधिकार हमारे संविधान में नागरिकों के लिए सुनिश्चित की गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का एक पहलू है बशर्ते इससे दूसरे लोगों या राज्य के जीवन और संपत्ति को क्षति नहीं पहुंचनी चाहिए।
राज्यकृत नागरिकता – कोई नागरिक अपनी राष्ट्रीय पहचान को एक राष्ट्रगान, झंडा, राष्ट्रभाषा या कुछ खास उत्सवों के आयोजन जैसे प्रतीकों द्वारा प्रकट कर सकता है। लोकतांत्रिक देश यथासंभव समावेशी होते हैं जो सभी नागरिकों को राष्ट्र के अंश के रूप में अपने को पहचानने की इजाजत देता है। जैसे फ्रांस, जो यूरोपीय मूल के लोगों को ही नहीं अपितु उत्तर अफ्रीका जैसे दूसरे क्षेत्रों से आए नागरिकों को भी अपने में सम्मिलित करता है इसे राज्यकृत नागरिकता कहते हैं।
राज्यकृत नागरिकता के तरीके
  • पंजीकरण
  • देशीकरण
  • वंश परंपरा
  • किसी भू क्षेत्र का राजक्षेत्र में मिलना
विस्थापन के कारण – युद्ध, अकाल, उत्पीड़न।
शरणार्थी का अर्थ – विस्थापन के कारण जो लोग न तो घर लौट सकते है और न ही कोई देश उन्हें अपनाने को तैयार होता है तो वे राज्यविहीन या शरणार्थी कहलाते हैं।
प्रतिवाद के तरीके – नागरिक समूह बनाकर, प्रदर्शन कर के, मीडिया का इस्तेमाल कर, राजनीतिक दलों से अपील कर या अदालत में जाकर जनमत और सरकारी नीतियों को परखने और प्रभावित करने के लिए स्वतंत्र है।
समान अधिकार – शहरों में अधिक संख्या झोपड़पट्टियों और अवैध कब्जे की भूमि पर बसे लोगों की हैं। ये लोग हमारे बहुत काम के है, इनके बिना एक दिन भी नहीं गुजारा जा सकता जैसे सफाईकर्मी, फेरीवाले, घरेलू नौकर, नल ठीक करने वाले आदि।

• सरकार, स्वंय सेवी संगठन भी इन लोगों के प्रति जागरूक हो रहे है। सन 2004 में एक राष्ट्रीय नीति बनाई गई जिससे लाखों फुटपाथी दुकानदारों को स्वतंत्र कारोबार चलाने का बल प्राप्त हुआ।

• इसी प्रकार एक और वर्ग है जिसको नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है वह है आदिवासी और वनवासी समूह। ये लोग अपने निर्वाह के लिए जंगल और दूसरे प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर रहते हैं।

• नागरिकों के लिए समान अधिकार का अर्थ है नीतियाँ बनाते समय भिन्न – भिन्न लोगों की भिन्न – भिन्न जरूरतों का तथा दावों का ध्यान रखना।
नगारिक और राष्ट्र – भारतीय संविधान ने अनेक विविधतापूर्ण समाजों को समायोजित करने का प्रयास किया है। इसने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति जैसे अलग – अलग समुदायों, महिलाओं, अंडमान निकोबार द्वीपसमूह के कुछ सुदूरवर्ती समुदायों को पूर्ण तथा समान नागरिकता देने का प्रयास किया है।

You Can Join Our Social Account

YoutubeClick here
FacebookClick here
InstagramClick here
TwitterClick here
LinkedinClick here
TelegramClick here
WebsiteClick here