NCERT Solutions Class 11th History Chapter – 7 आधुनिकीकरण के रास्ते (Paths to Modernization)
Text Book | NCERT |
Class | 11th |
Subject | History |
Chapter | 7th |
Chapter Name | आधुनिकीकरण के रास्ते (Paths to Modernization) |
Category | Class 11th History Notes In Hindi |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 11th History Chapter – 7 आधुनिकीकरण के रास्ते (Paths to Modernization) Notes In Hindi जिसमे हम आधुनिकीकरण का अर्थ क्या है?, जापान का राष्ट्रीय ध्वज क्या है?, जापान में आधुनिकीकरण का मार्ग किसने दिया?, आधुनिकीकरण अच्छा है या बुरा?, आधुनिकीकरण शब्द किसने पेश किया था?, आधुनिकीकरण पीडीएफ नोट क्या है?, जापान एक देश के रूप में कितना पुराना है?, जापान का नेता कौन है?, जापान के 2 झंडे क्यों हैं?, आधुनिकता अच्छी क्यों है?, हम आधुनिकीकरण क्यों करते हैं?, आधुनिकीकरण बेहतर क्यों है? आदि के बारे में पढेंगें। |
NCERT Solutions Class 11th History Chapter – 7 आधुनिकीकरण के रास्ते (Paths to Modernization)
Chapter – 7
आधुनिकीकरण के रास्ते
Notes
चीन
- चीन एक विशालकाय द्वीप है, जिसमें कई तरह की जलवायु वाले क्षेत्र सम्मिलित हैं।
- चीन का सबसे प्रमुख जातीय समूह ‘हान‘ है और प्रमुख भाषा चीनी है।
- चीन में साम्यवादी सरकार की स्थापना।
- चीन में साम्यवादी सरकार की स्थापना 1949 में हुई।
जापान
- चीन के विपरित जापान एक द्वीप श्रृंखला है, जिसमें चार बड़े द्वीप समूह हैं होंशू, क्यूशू, शिकोकू और होकाइदो।
- 12 वीं सदी के प्रारम्भ में जापान पर शोगुनों का शासन कायम हुआ जो सैद्धान्तिक रूप से राजा थे।
- 1603 से 1867 के मध्य तक तोकुगावां वंश के लोग शोगुन पद पर कायम थे।
डायट – ‘डायट‘ जापानी संसद का नाम है और यह जर्मन विचारधारा पर आधारित थी।
फुकुज़ावा यूकिची – ‘फुकुज़ावा यूकिची‘ मेज़ी काल के प्रमुख बुद्धिजीवियों में से एक थे। उनका कहना था कि जापान को अपने में से एशिया को निकाल फेंकना चाहिए।
चीन में छींग राजवंश का अंत – 1644 से 1911 तक चीन में छींग राजवंश का शासन था। 19 वीं सदी के शुरुआत में चीन का पूर्वी एशिया पर प्रभुत्व था। यहाँ छींग राजवंश का शासन था। कुछ ही दशकों के भीतर चीन अशांति की गिरफ्त में आ गया और औपनिवेशिक चुनौती का सामना नहीं कर पाया। छींग राजवंश कारगर सुधार करने में असफल रहा और देश गृहयुद्ध की लपटों में आ गया, और छींग राजवंश के हाथों से राजनितिक नियंत्रण चला गया।
19 वीं सदी में जापान में औद्योगिक अर्थतंत्र की रचना
• 18 वीं सदी के अंत और 19 वीं सदी के शुरुआत में जापान ने अन्य एशियाई देशों की तुलना में काफी अधिक प्रगति की।
• जापान एक आधुनिक राष्ट्र, राज्य के निर्माण में, औद्योगिक अर्थतंत्र की रचना में चीन को काफी पीछे छोड़ दिया।
• ताइवान (1895) तथा कोरिया (1910) को अपने में मिलाते हुए एक औपनिवेशिक साम्राज्य कायम करने में सफल रहा।
• उसने अपनी संस्कृति और अपने आदर्शों की स्रोत – भूमि चीन को 1894 में हराया और 1905 में रूस जैसी यूरोपीय शक्ति को पराजित करने में कामयाब रहा।
चीन और जापान के भौगोलिक स्थिति में अंतर
चीन
- चीन एक विशालकाय महाद्वीप देश है।
- यहाँ की जलवायु में विविधता पाई जाती है।
- यहाँ कई राष्ट्रिय भाषाएँ हैं।
- खानों में क्षेत्रीय विविधता पाई जाती है।
- जापान एक द्वीप श्रृंखला वाला देश है।
- इसमें चार मुख्य द्वीप शामिल हैं, मुख्य द्वीपों की 50 प्रतिशत से अधिक जमीन पहाड़ी है।
- यहाँ की प्रमुख भाषा जापानी है।
- जापान बहुत ही सक्रीय भूकंप क्षेत्र में है।
आधुनिक दुनियाँ में धीमी चीनी प्रतिक्रिया
• जापान के समक्ष देखा जाय या अन्य यूरोपीय देशों को के साथ तुलना की जाए तो चीनी प्रतिक्रिया धीमी रही और उनके सामने कई कठिनाइयाँ आईं।
• आधुनिक दुनिया का सामना करने के लिए उन्होंने अपनी परंपराओं को पुनः परिभाषित करने का प्रयास किया।
• अपनी राष्ट्र – शक्ति का पुनर्निर्माण करने और पश्चिमी व जापानी नियंत्रण से मुक्त होने की कोशिश की।
• उन्होंने पाया कि असमानताओं को हटाने और अपने देश के पुनर्निर्माण के दुहरे मकसद को वे क्रांति के जरिए ही हासिल कर सकते हैं।
मेजी पुनर्स्थापना – मेजी पुनर्स्थापना का अर्थ है, प्रबुद्ध सरकार का गठन। सन 1867 – 68 के दौरान मेजी वंश का उदय हुआ और देश में विद्यमान विभिन्न प्रकार का असंतोष मेजियों की पुनर्स्थापना का कारण बना।
मेजियों के पुनर्स्थापना के पीछे कारण
- देश में तरह – तरह का असंतोष था।
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार व कूटनीतिक संबंधों की भी मांग की जा रही थी।
मेजी शासन के अंतर्गत जापान में अर्थव्यवस्था का आधुनिकरण
- कृषि पर कर।
- जापान में रेल लाइन बिछाना।
- वस्त्र उद्योगों के लिए मशीनों का आयात।
- मजदूरों का विदेशी कारीगरों द्वारा प्रशिक्षण।
- विद्यार्थियों को पढ़ने के लिए विदेश भेजना।
- आधुनिक बैंकिंग व्यवस्था का प्रारंम्भ।
- कंपनियों को कर में छुट और सब्सिडी देना।
फुकोकु – क्योहे ‘ – जिसका अर्थ है समृद्ध देश और मजबूत सेना।
जापान में मेजियों द्वारा शिक्षा एवं विद्यालयी व्यवस्था में बदलाव
- लडके और लड़कियों के लिए स्कूल जाना अनिवार्य।
- पढाई की फ़ीस बहुत कम करना।
- आधुनिक विचारों पर जोर देना।
- राज्य के प्रति निष्ठा और जापानी इतिहास के अध्ययन पर बल दिया गया।
- किताबों के चयन और शिक्षकों के प्रशिक्षण पर नियंत्रण।
- माता – पिता के प्रति आदर, राष्ट्र के प्रति वफ़ादारी और अच्छे नागरिक बनने की प्रेरणा दी गई।
जापान में मेजियों द्वारा पर्यावरण पर उद्योगों के विकास का प्रभाव
- लकड़ी जैसे प्राकृतिक संसाधनों की मांग से पर्यावरण पर विनाशकारी प्रभाव।
- औद्योगीकरण के कारण वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण का बढ़ना।
- कृषि उत्पादों में कमी का प्रमुख कारण लोगों का शहरों की तरफ पलायन।
चियांग काईशेक के कार्य
- वारलार्ड्स पर नियन्त्रण करना।
- साम्यवा दियों का खात्मा।
- सेक्यूलर और ‘इहलौकिक‘ कन्फ्यूशियसवाद की हिमायत की। राष्ट्र का सैन्यकरण का प्रयास।
- महिलाओं के चार सद्गुण पैदा करने के लिए प्रोत्साहित किया। सतीत्व, रूप – रंग, वाणी और काम।
देश को एकीकृत करने में असफलता के कारण
- संकीर्ण सामाजिक आधार।
- सीमित राजनीतिक दृष्टि।
- पूँजी नियमन और भूमि अधिकारों में समानता लाने में असमर्थता।
- लोगों की समस्या पर ध्यान न देकर, फौजी व्यवस्था थोपने का प्रयास किया।
चीनी बहसों में तीन समूहों के नजरिए
- कांग योवेल (1858 – 1927) या लियांग किचाऊ (1873 – 1929)।
- गणतंत्र के दुसरे राष्ट्राध्यक्ष सन यान – सेन।
- चीन की कम्युनिस्ट पार्टी।
आधुनिक चीन की शुरुआत – आधुनिक चीन की शुरुआत सोलहवीं और सत्रहवीं सदी में पश्चिम के साथ उसका पहला सामना होने के समय से माना जाता है।
जेसुइट मिशनरियाँ – जेसुइट मिशनरियों ने चीन में खगोल विद्या और गणित जैसे पश्चिमी विज्ञानों को वहाँ पहुँचाया।
पहला अफीम युद्ध – पहला अफीम युद्ध ब्रिटेन और चीन के बीच (1839 1942) हुआ। इस युद्ध में ब्रिटेन ने अफीम के फायदेमंद व्यापार को बढ़ाने के लिए सैन्य बलों का इस्तेमाल किया।
पहला अफीम युद्ध का परिणाम
- इस युद्ध ने सताधारी क्विंग राजवंश को कमजोर किया।
- सुधार तथा बदलाव के माँगों को मजबूती दी।
सन यात – सेन – सन यात – सेन के नेतृत्व में 1911 में मांचू साम्राज्य को समाप्त कर दिया गया और चीनी गणतंत्र की स्थापना की गई। वे आधुनिक चीन के संस्थापक माने जाते हैं। वे एक गरीब परिवार से थे और उन्होंने मिशन स्कूलों से शिक्षा प्राप्त की जहाँ उनका परिचय लोकतंत्र व ईसाई धर्म से हआ। उन्होंने डॉक्टरी की पढ़ाई की, परंतु वे चीन के भविष्य को लेकर चिंतित थे। उनका कार्यक्रम तीन सिद्धांत (सन मिन चुई) के नाम से प्रसिद्ध है।
सन यात – सेन के तीन सिद्धांत – ये तीन सिद्धान्त हैं-
राष्ट्रवाद – इसका अर्थ था मांचू वंश – जिसे विदेशी राजवंश के रूप में माना जाता था – को सत्ता से हटाना, साथ – साथ अन्य साम्राज्यवादियों को हटाना।
गणतांत्रिक सरकार की स्थापना – अन्य साम्राज्यवादियों को हटाना तथा गणतंत्र की स्थापना करना।
समाजवाद – जो पूँजी का नियमन करे और भूस्वामित्व में समानता लाए। सन यात – सेन के विचार कुओमीनतांग के राजनीतिक दर्शन का आधार बने। उन्होंने कपड़ा, खाना, घर और परिवहन, इन चार बड़ी आवश्यकताओं को रेखांकित किया।
ताइवान में लोकतंत्र की स्थापना – 1975 में चियांग काइशेक की मौत के बाद धीरे – धीरे शुरू हुआ और 1887 में जब फौजी कानून हटा लिया गया तथा विरोधी दलों को क़ानूनी इजाजत मिल गई, तब इस प्रक्रिया ने गति पकड़ी। पहले स्वतंत्र मतदान ने स्थानीय ताइवानियों को सत्ता में लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी।
चीन द्वारा अपनाये गये आधुनिकीकरण के तरीके
- साम्यवादी दल का कड़ा नियंत्रण।
- आर्थिक खुलेपन और विश्व बाजार से संबंध बनाने की नीति।
- सामन्तवाद का खात्मा।
- शिक्षा का विस्तार हुआ।
- विदेशी साम्राज्यवाद से लड़ने का कार्यक्रम।
- निजी कारखानों और भू – स्वामित्व का अंत।
- अर्थव्यवस्था पर सरकारी नियंत्रण।
- तेजी से औद्योगिकरण।
- बाजार संबंधी सुधार किए गए।
- एक ही दल की सरकार।
- आधुनिकीकरण का श्रेय साम्यवादी दल।
- पुरानी असमानताओं का अंत।
- केंद्रीकृत सरकार की स्थापना।
जापान द्वारा अपनाये गए आधुनिकता के मार्ग
- पारंपरिक कौशल और प्रथाओं का प्रयोग।
- पश्चिम का अनुकरण।
- जापानी राष्ट्रवाद।
- निष्ठावान नागरिक बनना।
- सम्राट के प्रति वफादार रहने की शिक्षा।
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