NCERT Solutions Class 10th Hindi (स्पर्श) Chapter – 9 आत्मत्राण
Textbook | NCERT |
Class | 10th |
Subject | Hindi |
Chapter | 9th |
Chapter Name | आत्मत्राण |
Category | Class 10th Hindi (स्पर्श) |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 10th Hindi (स्पर्श) Chapter – 9 आत्मत्राण
?Chapter – 9?
✍आत्मत्राण✍
?प्रश्न उत्तर?
प्रश्न-अभ्यास
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए- |
NCERT Solutions Class – 10th Hindi स्पर्श (Chapter-9) Question No.1 प्रश्न 1. कवि किससे और क्या प्रार्थना कर रहा है? |
NCERT Solutions Class – 10th Hindi स्पर्श (Chapter-9) Question No.2 प्रश्न 2. ‘विपदाओं से मुझे बचाओ, यह मेरी प्रार्थना नहीं’ -कवि इस पंक्ति के द्वारा क्या कहना चाहता है? |
NCERT Solutions Class – 10th Hindi स्पर्श (Chapter-9) Question No.3 प्रश्न 3. कवि सहायक के न मिलने पर क्या प्रार्थना करता है? |
NCERT Solutions Class – 10th Hindi स्पर्श (Chapter-9) Question No.4 प्रश्न 4. अंत में कवि क्या अनुनय करता है? |
NCERT Solutions Class – 10th Hindi स्पर्श (Chapter-9) Question No.5 प्रश्न 5. “आत्मत्राण’ शीर्षक की सार्थकता कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए। |
NCERT Solutions Class – 10th Hindi स्पर्श (Chapter-9) Question No.6 प्रश्न 6. अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आप प्रार्थना के अतिरिक्त और क्या-क्या प्रयास करते हैं? लिखिए।
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NCERT Solutions Class – 10th Hindi स्पर्श (Chapter-9) Question No.7 प्रश्न 7. क्या कवि की यह प्रार्थना आपको अन्य प्रार्थना गीतों से अलग लगती है? यदि हाँ, तो कैसे? |
(ख) निम्नलिखित अंशों का भाव स्पष्ट कीजिए- |
NCERT Solutions Class – 10th Hindi स्पर्श (Chapter-9) Question No.1 प्रश्न 1. नत शिर होकर सुख के दिन में |
NCERT Solutions Class – 10th Hindi स्पर्श (Chapter-9) Question No.2 प्रश्न 2. हानि उठानी पड़े जगत् में लाभ अगर वंचना रही तो भी मन में ना मार्ने क्षय। |
NCERT Solutions Class – 10th Hindi स्पर्श (Chapter-9) Question No.3 प्रश्न 3. तरने की हो शक्ति अनामय |
योग्यता विस्तार
प्रश्न 1. रवींद्रनाथ ठाकुर ने अनेक गीतों की रचना की है। उनके गीत-संग्रह में से दो गीत छाँटिए और कक्षा में कविता-पाठ कीजिए। ?♂️उत्तर- छात्र स्वयं करें। |
प्रश्न 2. अनेक अन्य कवियों ने भी प्रार्थना गीत लिखे हैं, उन्हें पढ़ने का प्रयास कीजिए; जैसे
इसे प्रार्थना को ढूँढ़कर पूरा पढ़िए और समझिए कि दोनों प्रार्थनाओं में क्या समानता है? क्या आपको दोनों में कोई भी अंतर प्रतीत होता है? इस पर आपस में चर्चा कीजिए। |
परियोजना कार्य
प्रश्न 1. रवींद्रनाथ ठाकुर को नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय होने का गौरव प्राप्त है। उनके विषय में और जानकारी एकत्र कर परियोजना पुस्तिका में लिखिए। ?♂️उत्तर- छात्र स्वयं करें। |
प्रश्न 2. रवींद्रनाथ ठाकुर की ‘गीतांजलि’ को पुस्तकालय से लेकर पढ़िए। ?♂️उत्तर- छात्र स्वयं करें। |
प्रश्न 3. रवींद्रनाथ ठाकुर ने कलकत्ता (कोलकाता) के निकट एक शिक्षण संस्थान की स्थापना की थी। पुस्तकालय की मदद से उसके विषय में जानकारी एकत्रित कीजिए। ?♂️उत्तर- छात्र स्वयं करें। |
प्रश्न 4. रवींद्रनाथ ठाकुर ने अनेक गीत लिखे, जिन्हें आज भी गाया जाता है और उसे रवींद्र संगीत कहा जाता है। यदि संभव हो तो रवींद्र संगीत संबंधी कैसेट व सी० डी० सुनिए। ?♂️उत्तर- छात्र स्वयं करें। |
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. ‘दुख’ के संबंध में हमारी प्रार्थना और कवि की प्रार्थना में क्या अंतर है? ?♂️उत्तर- ‘दुख’ के संबंध में हमारी प्रार्थना यह होती है कि प्रभु हमारे दुख हर लो। इस दुख से मुक्ति दिलाओ और दुखों से बचाकर रखना। कवि यह प्रार्थना करता है कि मैं दुखों से बचाने, उन्हें दूर करने की प्रार्थना नहीं कर रहा हूँ। मैं तो दुख सहने की शक्ति और साहस आपसे माँग रहा हूँ। |
प्रश्न 2. ‘सुख के दिन’ के संबंध में जन सामान्य और कवि के दृष्टिकोण में अंतर स्पष्ट कीजिए। ?♂️उत्तर- ‘सुख के दिनों में जन सामान्य सुख को अपने भाग्य का सुफल मानता है और वह प्रभु को भूला रहता है। कवि ‘सुख के दिनों को ईश्वर की कृपा के कारण मिला हुआ मानता है। वह सोचता है कि वह प्रभु को पल भर भी न भूले और सुख में भी उसका सिर झुके वह हरपल प्रभु का चेहरा देखे। |
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. ‘आत्मत्राण’ कविता में निहित संदेश स्पष्ट कीजिए। ?♂️उत्तर- ‘आत्मत्राण’ कविता में कवि प्रभु से दुख दूर करने की प्रार्थना नहीं करता है बल्कि वह स्वयं अपने साहस और आत्मबल से दुखों को सहना चाहता है तथा उनसे पार पाना चाहता है। वह दुखों से मुक्ति नहीं, बल्कि उसे सहने और उबरने की आत्मशक्ति चाहता है। इस कविता में निहित संदेश यह है कि हम अपने दुखों के लिए प्रभु को जिम्मेदार न ठहराएँ। हम दुखों को सहर्ष स्वीकार करें तथा उनसे पीछा छुड़ाने के बजाय उन्हें सहें तथा उनका मुकाबला करें। दुखों से परेशान होकर । हम आस्थावादी बनने की जगह निराशावादी न बने। हम हर प्रकार की स्थिति में प्रभु के प्रति अटूट आस्था एवं विश्वास बनाए रखें। |
प्रश्न 2. “आत्मत्राण’ कविता हमें दुख से संघर्ष करने का मार्ग दिखाती है। स्पष्ट कीजिए। ?♂️उत्तर- ‘आत्मत्राण’ कविता में दुख के प्रति एक अलग दृष्टिकोण प्रकट हुआ है। इस कविता में दुख से पलायन करने की प्रवृत्ति त्यागकर उसे सहर्ष स्वीकारने तथा उस पर विजय पाने की प्रेरणा दी गई है। कविता में दुख और सुख दोनों को समान भाव से अपनाने का संदेश है। सुख के समय में भी प्रभु के प्रति मन में संदेह न पैदा होने देने तथा हर स्थिति में आस्था एवं विश्वास बनाए रखने के लिए प्रेरित किया गया है जिससे हमारी आस्थावादिता बढ़ती है। इस तरह सुख में प्रभु को धन्यवाद देने तथा दुख को आत्मबल से जीतने का भाव समाहित करने वाली यह कविता हमें दुख से संघर्ष करने का मार्ग दिखलाती है। |
NCERT Solutions Class 10th हिंदी All Chapters स्पर्श
- Chapter – 1 साखी
- Chapter – 2 पद
- Chapter – 3 दोहे
- Chapter – 4 मनुष्यता
- Chapter – 5 पर्वत प्रदेश में पावस
- Chapter – 6 मधुर-मधुर मेरे दीपक जल
- Chapter – 7 तोप
- Chapter – 8 कर चले हम फ़िदा
- Chapter – 9 आत्मत्राण
- Chapter – 10 बड़े भाई साहब
- Chapter – 11 डायरी का एक पन्ना
- Chapter – 12 तताँरा-वामीरो कथा
- Chapter – 13 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र
- Chapter – 14 गिरगिट
- Chapter – 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले
- Chapter – 16 पतझर में टूटी पत्तियाँ
- Chapter – 17 कारतूस