NCERT Solutions Class 10th science Chapter – 6 जैव प्रक्रम (biological process)
Text Book | NCERT |
Class | 10th |
Subject | Science |
Chapter | 6th |
Chapter Name | जैव प्रक्रम |
Category | Class 10th Science |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 10th science Chapter – 6 जैव प्रक्रम (biological process) Notes in Hindi जिसमे हम जैव प्रक्रम, जैव प्रक्रम के चार प्रकार होते है, पोषण, पोषण दो प्रकार के होते है, स्वपोषी पोषण, विषमपोषी पोषण, प्रकाश संश्लेषण, रंध्र, मनुष्य में पोषण आदि के बारे में पढ़ेंगे।
NCERT Solutions Class 10th science Chapter – 6 जैव प्रक्रम (biological process)
Chapter – 6
जैव प्रक्रम
Notes
जैव प्रक्रम – वे सभी प्रक्रम जो संयुक्त रूप से जीव के अनुरक्षण का कार्य करते है, जैव प्रक्रम कहलाते हैं। |
जैव प्रक्रम के चार प्रकार होते है : . पोषण |
पोषण – भोजन ग्रहण करना, पचे भोजन का अवशोषण एवं शरीर द्वारा अनुरक्षण के लिए उसका उपयोग, पोषण कहलाता है। पोषण के आधार पर जीवों को दो समूह में बाँटा जा सकता है। |
पोषण दो प्रकार के होते है –
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पोषण | |
स्वपोषी पोषण | विषमपोषी पोषण |
पोषण का वह तरीका जिसमें जीव अपने आस-पास के वातावरण में उपस्थित सरल अजैव पदार्थों जैसे CO2, पानी और सूर्य के प्रकाश से अपना भोजना स्वयं बनाता है। | पोषण का वह तरीका जिसमें जीव अपना भोजन स्वयं नहीं बना सकता, बल्कि अपने भोजन के लिए अन्य जीवों पर निर्भर होता है। |
उदाहरण – हरे पौधे। | उदाहरण – मानव व अन्य जीव। |
स्वपोषी पोषण – स्वपोषी पोषण हरे पौधों मे तथा कुछ जीवाणुओं जो प्रकाश संश्लेषण कर सकते हैं, में होता है। |
प्रकाश संश्लेषण यह वह प्रक्रम है जिसमें स्वपोषी बाहर से लिए पदार्थों को ऊर्जा संचित रूप में परिवर्तित कर देता है। ये पदार्थ कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल के रूप में लिए जाते हैं, जो सूर्य के प्रकाश तथा क्लोरोफिल की उपस्थिति में कार्बोहाइड्रेट में परिवर्तित कर दिए जाते हैं। 6CO2 + 12H2O क्लोरोफिल / सूर्य का प्रकाश C6H12O6 + 6O2 + 6H2O |
प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री ● सूर्य का प्रकाश |
प्रकाश संश्लेषण के दौरान निम्नलिखित घटनाएं होती हैं ● क्लोरोफिल द्वारा प्रकाश ऊर्जा को अवशेषित करना। |
रंध्र (Stomata) पत्ती की सतह पर जो सूक्ष्म छिद्र होते हैं, उन्हें रंध्र (Stomata) कहते हैं। ● प्रकाश संश्लेषण के लिए गैसों का अधिकांश आदान-प्रदान इन्हीं छिद्रों के द्वारा होता है। चित्र: रंध्र- पत्ती की सतह पर सूक्ष्म छिद्र श्वसन गैसों के विनिमय और वाष्पोत्सर्जन के लिए खुलते-बंद होते हैं। |
विषमपोषी पोषण (Hetrotrophic Nutrition) विषमपोषी पोषण
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अमीबा
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II. पैरामीशियम में पोषण
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मनुष्य में पोषण
आहार नाल मूल रूप से मुंह से गुदा तक विस्तारित एक लंबी नली है। |
मुंह → भोजन का अंतः ग्रहण दाँत → भोजन को चबाना जिह्वा → भोजन को लार के साथ पूरी तरह मिलाना लार ग्रंथि → लार ग्रंथि से निकलने वाले रस को लार रस या लार कहते हैं। स्टार्च लार एमिलेस एंजाइम माल्टोस शर्करा 2. भोजन ग्रसिका → मुंह से आमाशय तक भोजन, ग्रसिका की क्रमाकुंचक गति (Peristaltic movement) द्वारा ले जाया जाता है। (ग्रसिका की मासपेशियों का संकुचन और शिथिलन) |
3. आमाशय | → | जठर ग्रंथियां पेप्सिन – पाचक एंजाइम (प्रोटीन का पाचन करता है) हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (अम्लीय माध्यम तैयार करता है जो कि पेप्सिन की की क्रिया में सहायक होता है।) श्लेष्मा (आमाशय के आंतरिक अस्तर की अम्ल से रक्षा करता है) |
4. क्षुद्रांत्र | → | (i) आंत रस ↓परिवर्तित करता है कार्बोहाइड्र वसा प्रोटीन ↓ ↓ ↓ ग्लूकोज वसा अम्ल अमीनो अम्ल (ii) यकृत तथा अग्न्याशय से स्रावण प्राप्त करती है। (a) यकृत → पित्तरस → पित्त लवण (बड़ी गोलिकाओं) इमल्सीकरण (छोटी गोलिकाओं) (b) अग्न्याशय → अग्न्याशयिक रस
प्रोटीन ट्रिप्पिसन→ पेपटोन्स (iii) दीर्घरोम → अवशोषण का सतही (Villi) क्षेत्रफल बढ़ा देते हैं। |
5. बृहदांत्र | → | जल का अवशोषण, वर्ज्य पदार्थ गुदा द्वारा शरीर से |
श्वसन पोषण प्रक्रम के दौरान ग्रहण की गई खाद्य सामग्री का उपयोग कोशिकाओं में होता हैं जिससे विभिन्न जैव प्रक्रमों के लिए ऊर्जा प्राप्त होती है। ऊर्जा उत्पादन के लिए कोशिकाओं में भोजन के विखंडन को कोशिकीय श्वसन कहते हैं |
श्वसन
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मानव श्वसन तंत्र नासाद्वार रुधिर वाहिकाएं |
मानव श्वसन क्रिया
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● अंत श्वसन – सांस द्वारा वायुमंडल से गैसों को अंदर ले जाना है। ● उच्छवसन – फेफड़ों से वायु या गैसों को बाहर निकालना । ● स्थलीय जीव – श्वसन के लिए वायुमंडल से ऑक्सीजन का उपयोग करते हैं। ● जो जीव जल में रहते हैं – वे जल में विलेय ऑक्सीजन का उपयोग करते हैं। |
कूपिका, रक्त व उत्तकों के बीच गैसों का आदान-प्रदान 1. वायु (O2 से समृद्ध) (कूपिका) → रक्त वाहिका → O2, RBC में हीमोग्लोबिन के साथ मिलकर HbO2 बनाती है। ↓ CO2 का उत्पादन (उत्तक में) ← ग्लूकोज का ऑक्सीकरण (उत्तक में) ← धमनी द्वारा O2 उत्तकों में पहुंचती है। 2. CO2 (उत्तकों में) → CO2 रक्त वाहिका में → CO2 का रक्त में विसरण ↓ CO2 का मोचन (नासाद्वार द्वारा बाहर) ← CO2 का कूपिका कोश में विसरण ← रक्त वाहिका द्वारा कूपिका में विसरण |
संवहन मनुष्य में भोजन, ऑक्सीजन व अन्य आवश्यक पदार्थों की निरंतर आपूर्ति करने वाला तंत्र, संवहन तंत्र कहलाता है। |
मानव संवहन तंत्र के मुख्य अवयव इस प्रकार हैं
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रक्त
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कणीय अवयव (रुधिर कणिकाएं)
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द्रवीय अवयव (प्लाज्मा) → पीले रंग का तरल पदार्थ जिसमें 90% जल होता है तथा शेष अवयव जैविक: प्लाज्मा प्रोटीन जैसे एलब्यूमिन, ग्लोब्यूलिन अजैविक: खनिज तत्व |
रक्त वाहिका
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● मानव हृदय एक पम्प की तरह होता है जो सारे शरीर में रुधिर का परिसंचरण करता है। हृदय में उपस्थित वाल्व रुधिर प्रवाह को उल्टी दिशा में रोकना सुनिश्चित करते हैं। |
लसीका – एक तरल उत्तक है, जो रुधिर प्लाज्मा की तरह ही है; लेकिन इसमें अल्पमात्रा में प्रोटीन होते हैं। लसीका वहन में सहायता करता है। |
पादपों में परिवहन
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जाइलम – पादप तंत्र का एक अवयव है, जो मृदा से प्राप्त जल और खनिज लवणों का वहन करता है जबकि फ्लोएम पत्तियों द्वारा प्रकाश संश्लेषित उत्पादों को पौधे के अन्य भागों तक वहन करता है। जड़ व मृदा के मध्य आयन सांद्रण में अंतर के चलते जल मृदा से जड़ों में प्रवेश कर जाता है। तथा इसी के साथ एक जल स्तंभ निर्माण हो जाता है, जो कि जल को लगातार ऊपर की ओर धकेलता है। यही दाब जल को ऊँचे वृक्ष के विभिन्न भागों तक पहुचाता है। यही जल पादप के वायवीय भागों द्वारा वाष्प के रूप में वातावरण में विलीन हो जाता है, यह प्रकम वाष्पोत्सर्जन कहलाता है। इस प्रकम द्वारा पौधों को निम्न रूप से सहायता मिलती है।
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भोजन तथा दूसरे पदार्थों का स्थानांतरण (पौधों में) ● प्रकाश संश्लेषण के विलेय उत्पादों का वहन स्थानांतरण कहलाता है जो कि फ्लोएम ऊतक द्वारा होता है। |
मानव में उत्सर्जन वह जैव प्रकम जिसमें जीवों में उपापचयी क्रियाओं में जनित हानिकारक नाइट्रोजन युक्त पदार्थों का निष्कासन होता है, उत्सर्जन कहलाता है। |
मानव उत्सर्जन तंत्र में उपसिथत अंग निम्न प्रकार के है- (1) एक जोड़ा वृक्क (Kidney) ● वृक्क में मूत्र बनने के बाद मूत्रवाहिनी से होता हुआ मूत्राशय में एकत्रित होता है। |
वृक्क में मूत्र निर्माण प्रक्रिया वृक्क की संरचनात्मक व क्रियात्मक इकाई वृक्काणु (Nephron ) कहलाती है। वृक्काणु के मुख्य भाग इस प्रकार हैं। 1. केशिका गुच्छ (ग्लोमेरुलस) : यह पतली भित्ति वाला रुधिर कोशिकाओं का गुच्छा होता है। |
वृक्क में उत्सर्जन की क्रियाविधि |
1. केशिकागुच्छ निस्यंदन – जब वृक्क-धमनी की शाखा वृक्काणु में प्रवेश करती है, तब जल, लवण, ग्लूकोज, अमीनों अम्ल व अन्य नाइट्रोजनी अपशिष्ट पदार्थ, कोशिका गुच्छ में से छनकर वोमन संपुट में आ जाते हैं। 2. वर्णात्मक पुन – अवशोषण: वृक्काणु के नलिकाकार भाग में, शरीर के लिए उपयोगी पदार्थों, जैसे ग्लूकोज, अमीनो अम्ल लवण व जल का पुनः अवशोषण होता है। 3. नलिका स्रावण – यूरिया, अतिरिक्त जल व लवण जैसे उत्सर्जी पदार्थ वृक्काणु के नलिकाकार भाग के अंतिम सिरे में रह जाते हैं व मूत्र का निर्माण करते हैं। वहां से मूत्र संग्राहक वाहिनी व मूत्रवाहिनी से होता हुआ मूत्राशय में अस्थायी रूप से संग्रहित रहता है तथा मूत्राशय के दाब द्वारा मूत्रमार्ग से बाहर निकलता है। |
कृत्रिम वृक्क (Artificial Kidney) कृत्रिम वृक्क (अपोहन) : यह एक ऐसी युक्ति है जिसके द्वारा रोगियों के रुधिर में से कृत्रिम वृक्क की मदद से नाइट्रोजन युक्त अपशिष्ट पदार्थों का निष्कासन किया जाता है। प्राय : एक स्वस्थ व्यस्क में प्रतिदिन 180 लीटर आरंभिक निस्यंदन वृक्क में होता है। जिसमें से उत्सर्जित मूत्र का आयतन 1.2 लीटर है। शेष निस्यंदन वृक्कनलिकाओं में पुनअवशोषित हो जाता है। |
पादप में उत्सर्जन ● वाष्पोत्सर्जन प्रक्रिया द्वारा पादप अतिरिक्त जल से छुटकारा पाते हैं। |
NCERT Solution Class 10th विज्ञान Notes in Hindi
- Chapter – 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ और समीकरण
- Chapter – 2 अम्ल, क्षार एवं लवण
- Chapter – 3 धातु और अधातु
- Chapter – 4 कार्बन और इसके यौगिक
- Chapter – 5 तत्वों के आवर्त वर्गीकरण
- Chapter – 6 जैव-प्रक्रम
- Chapter – 7 नियंत्रण एवं समन्वय
- Chapter – 8 जीव जनन कैसे करते है
- Chapter – 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास
- Chapter – 10 प्रकाश-परावर्तन एवं अपवर्तन
- Chapter – 11 मानव-नेत्र एवं रंगबिरंगी दुनियाँ
- Chapter – 12 विद्युत
- Chapter – 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव
- Chapter – 14 उर्जा के स्रोत
- Chapter – 15 हमारा पर्यावरण
- Chapter – 16 प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन
NCERT Solution Class 10th विज्ञान Question Answer in Hindi
- Chapter – 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ और समीकरण
- Chapter – 2 अम्ल, क्षार एवं लवण
- Chapter – 3 धातु और अधातु
- Chapter – 4 कार्बन और इसके यौगिक
- Chapter – 5 तत्वों के आवर्त वर्गीकरण
- Chapter – 6 जैव-प्रक्रम
- Chapter – 7 नियंत्रण एवं समन्वय
- Chapter – 8 जीव जनन कैसे करते है
- Chapter – 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास
- Chapter – 10 प्रकाश-परावर्तन एवं अपवर्तन
- Chapter – 11 मानव-नेत्र एवं रंगबिरंगी दुनियाँ
- Chapter – 12 विद्युत
- Chapter – 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव
- Chapter – 14 उर्जा के स्रोत
- Chapter – 15 हमारा पर्यावरण
- Chapter – 16 प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन
NCERT Solution Class 10th Science All Chapters Notes
- Chapter 1 – Chemical Reactions and Equations
- Chapter 2 – Acids, Bases, and Salts
- Chapter 3 – Metals and Non-Metals
- Chapter 4 – Carbon and Its Compounds
- Chapter 5 – Periodic Classification of Elements
- Chapter 6 – Life Processes
- Chapter 7 – Control and Coordination
- Chapter 8 – How Do Organisms Reproduce
- Chapter 9 – Heredity and Evolution
- Chapter 10 – Light reflection and refraction
- Chapter 11 – Human eye and colorful world
- Chapter 12 – Electricity
- Chapter 13 – Magnetic effect of electric current
- Chapter 14 – Sources of energy
- Chapter 15 – Our Environment
- Chapter 16 – Management of Natural Resources
NCERT Solution Class 10th Science All Chapters Question & Answer
- Chapter 1 – Chemical Reactions and Equations
- Chapter 2 – Acids, Bases, and Salts
- Chapter 3 – Metals and Non-Metals
- Chapter 4 – Carbon and Its Compounds
- Chapter 5 – Periodic Classification of Elements
- Chapter 6 – Life Processes
- Chapter 7 – Control and Coordination
- Chapter 8 – How Do Organisms Reproduce
- Chapter 9 – Heredity and Evolution
- Chapter 10 – Light reflection and refraction
- Chapter 11 – Human eye and colorful world
- Chapter 12 – Electricity
- Chapter 13 – Magnetic effect of electric current
- Chapter 14 – Sources of energy
- Chapter 15 – Our Environment
- Chapter 16 – Management of Natural Resources
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