NCERT Solutions Class 10th science Chapter – 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण (Periodic classification of elements) Notes in Hindi

NCERT Solutions Class 10th science Chapter – 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण (Periodic classification of elements)

Text BookNCERT
Class  10th
Subject  Science
Chapter5th
Chapter Nameतत्वों का आवर्त वर्गीकरण
CategoryClass 10th Science
Medium Hindi
SourceLast Doubt

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NCERT Solutions Class 10th science Chapter – 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण (Periodic classification of elements)

Chapter – 5

तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

Notes

  • हमारे आस-पास के पदार्थ तत्व, मिश्रण एवं यौगिक के रूप में उपस्थित रहते हैं।
  • तत्व – ऐसे पदार्थ जो एक ही प्रकार के अणुओं से मिलकर बने हैं, तत्व कहलाते हैं। उदाहरण – सोडियम, सोना, मैग्नीशियम।
  • अभी तक 118 तत्व ज्ञात हैं।
वर्गीकरण की आवश्यकता क्यों

 

  • तत्व को सुव्यवस्थित ढंग से पढ़ने के लिए तथा उनके अध्ययन को आसान बनाने हेतु उनको वर्गीकृत किया गया।
  • डॉबेराइनर के त्रिक – जब तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु भार के अनुसार क्रमवार लगाया जाए तो तीन तत्वों के समूह प्राप्त होते हैं जिन्हें त्रिक कहा गया। त्रिक के मध्य तत्व का परमाणु भार अन्य दो तत्वों के परमाणु भार का औसत होता है।

उदाहरण –

तत्व परमाणु भार
कैल्शियम Ca 40.1
स्ट्रांशियम Sr87.6
बेरियम Ba137.3

सीमाएँ – उस समय तक ज्ञात तत्वों में केवल तीन त्रिक ही ज्ञात कर सके थे।

डॉबेराइनर त्रिक –

LiCaCI
NaSrBr
KBaI
न्यूलैंड्स का अष्टक सिद्धान्त – न्यूलैंड्स ने तत्वों को बढ़ते परमाणु भार के क्रम में व्यवस्थित किया तो पाया कि प्रत्येक आठवें तत्व के गुण पहले तत्व के समान थे।

 

  • इसकी तुलना संगीत के अष्टक से की गई तथा इसीलिए इसे अष्टक का सिद्धान्त कहा गया।
  • उदाहरण – लिथियम एवं सोडियम धातु के गुण समान हैं।

सीमायें – (1) यह नियम केवल कैल्शियम धातु (हल्के तत्वों तक) लागू होता है
(2) नए तत्वों के गुण इस सारणी से मेल नहीं खाते थे।
(3) सारणी में तत्वों को समंजित करने के लिए न केवल दो तत्वों को एक साथ रख दिया बल्कि असमान तत्वों जिनके गुणों में कोई समानता नहीं थी, एक स्थान में रख दिया।

Sa साRe रेga गाma माpa पाdha धाni नि
HLiBeBCNO
FNaMgAlSiPS
ClKCaCrTiMnFe
Co and NiCuZnYInAsSe
BrRbSrCe and LaZr
मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी

 

  • तत्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुण इनके परमाणु द्रव्यमानों के आवर्त फलन हैं।
  • मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी तत्वों के रासायनिक गुणधर्मों पर आधारित है।
  • इसमें आठ (8) ऊर्ध्वाधर स्तम्भ हैं जिन्हें समूह कहते हैं तथा 6 क्षैतिज पक्तियाँ हैं जिन्हें आवर्त कहते हैं।
मेण्डेलीफ की आवर्त सारणी की उपलब्धियाँ

 

(1) अज्ञात तत्वों के लिए रिक्त स्थान छोड़े गये; जैसे – स्कैंडियम (Sc), गैलियम (Ga) तथा जर्मेनियम (Ge)

(2) समान गुणधर्म वाले तत्वों को एक साथ स्थान मिल गया।

(3) पिछली व्यवस्था को छेड़े बिना ही, अक्रिय गैसों का पता लगने पर इन्हें अलग समूह में रखा जा सकता था।

सीमाएँ – (1) समस्थानिकों की स्थिति स्पष्ट नहीं की।
(2) हाइड्रोजन का स्थान निश्चित न होना।
(3) कुछ तत्वों का परमाणु द्रव्यमानों के अनुसार अनुचित क्रम।

सरणी 5.4 मेन्डेलीफ की आवर्त सरणी

NCERT Solutions Class 10th science Chapter - 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण (Periodic classification of elements) Notes in Hindi

आधुनिक आवर्त सारणी

 

  • तत्व के परमाणु द्रव्यमान की तुलना में उसका परमाणु संख्या अधिक आधारभूत गुणधर्म है।
  • आधुनिक आवर्त नियम के अनुसार – “तत्वों के गुणधर्म उसकी परमाणु संख्या का आवर्त फलन होते हैं।”
NCERT Solutions Class 10th science Chapter - 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण (Periodic classification of elements) Notes in Hindi

मेन्डेलीफ की आर्वत सारणी के आधुनिक दोष आवर्त सारणी द्वारा दूर हो गए

 

(1) समस्थानिकों की स्थिति स्पष्ट की गई। (समान परमाणु संख्या वाले तत्व एक स्थान पर समान समूह में रखा गया।)

(2) कोबाल्ट जिसकी परमाणु संख्या 27 है वह निकल (परमाणु संख्या 28) से पहले आएगा।

(3) परमाणु संख्या सदैव पूर्ण संख्या होती है, अतः हाइड्रोजन व हीलियम के बीच में कोई तत्व नहीं आएगा।

परमाणु संख्या – परमाणु संख्या को ‘Z’ से निरूपित किया जाता है। परमाणु संख्या अणु के केन्द्र में पाए जाने वाले प्रोटॉन की संख्या के बराबर होते हैं।

  • आधुनिक आवृत सारणी में 18 ऊर्ध्व स्तंभ हैं जिन्हें ‘समूह’ कहा जाता है तथा 7 क्षैतिज पंक्तियाँ है जिन्हें आवर्त कहा जाता है।
  • किसी भी आवर्त में पाए जाने सभी तत्वों में कोशों की संख्या समान होती है।

उदाहरण – Li (2, 1), Be (2, 2); B- ( 2,3); C (2, 4), N(2, 5) इन सभी तत्वों में कोशों की संख्या समान है।

  • एक समूह के सभी तत्वों में संयोजी इलेक्ट्रानों की संख्या समान होती है।

उदाहरण – समूह 1 – H -1
Li – 2,1
N – 2, 8, 1, K – 2, 8, 8, 1

  • सभी तत्वों में संयोजी इलेक्ट्रानों की संख्या (1) समान है।
  • समूह में नीचे जाने पर कोशों की संख्या बढ़ती जाती है।
  • किसी विशेष आवर्त में पाए जाने वाले तत्वों की संख्या इस बात पर निर्भर करती है कि किस प्रकार इलेक्ट्रान विभिन्न कोशों में भरे जाते हैं।
  • विभिन्न कोशों में भरे जाने वाले इलेक्ट्रानों की संख्या के आधार पर आवर्त में तत्वों की संख्या बता सकते हैं।
  • किसी कोश में इलैक्ट्रानों की अधिकतम संख्या सूत्र 2n2 द्वारा निरूपित की जाती है जहाँ n दिए गए कोश की संख्या को दर्शाता है।

उदाहरण –
K कोश (n = 1) → 2 x (1)2 = 2 तत्व प्रथम आवर्त में दो तत्व हैं।
L कोश (n = 2) → 2 x (2)2 = 8 तत्व प्रथम आवर्त में दो तत्व हैं।

  • आवर्त सारणी में तत्वों की स्थिति उनकी रासायनिक क्रियाशीलता को बताती है।
  • संयोजकता इलेक्ट्रानों द्वारा तत्व द्वारा निर्मित आबंध का प्रारूप तथा संख्या निर्धारित होती है।
आधुनिक आवर्त सारणी की प्रवृति –

 

संयोजकता – जब तत्व रासायनिक यौगिक बनाता है तो दूसरे परमाणु के साथ तत्व की संयोजक क्षमता को संयोजकता कहते हैं अथवा बाहयतम कोश को पूरा करने के लिए तत्व को जितनी इलेक्ट्रॉन लेने, देने या सांझा करने की जरूरत होती है, वह तत्व की संयोजकता कहलाती है।

तीसरा आवर्तNaMgAlSiPSClAr
संयोजकता12343210
  • परमाणु साइज – परमाणु साइज से परमाणु की त्रिज्या का पता चलता है। एक परमाणु के केन्द्र से बाह्यत्तम कोश की दूरी ही परमाणु साइज है।
  • आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर परमाणु साइज या त्रिज्या घटती है क्योंकि नाभिकीय आवेश में क्रमिक वृद्धि होती है।
तीसरा आवर्तNaMgAlSiPSCl
त्रिज्या (pm)18616014311811010499
  • समूह में ऊपर से नीचे आने पर परमाणु त्रिज्या बढ़ती है क्योंकि नए कोशों की संख्या बढ़ती है जिससे कि नाभिक और बातम कोश की दूरी बढ़ती जाती है।
Class 10th science Chapter - 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

धात्विक गुण – धात्विक गुण का अर्थ है किसी तत्व के परमाणु द्वारा इलेक्ट्रान त्यागने की क्षमता। 

  • धातुएँ आवर्त सारणी में बाएँ तरफ होता हैं। 
  • आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर धात्विक गुण कम हो जाता है क्योंकि इलेक्ट्रॉनों पर नाभिकीय आवेश बढ़ता है, इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति घट जाती है।
  • धातु इलेक्ट्रॉन खोते हैं और धनात्मक आयन बनाते हैं। अतः धातु विद्युत धनात्मक तत्व कहलाते हैं।
  • समूह में ऊपर से नीचे आने पर धात्विक गुण बढ़ता है। क्योंकि संयोजकता इलेक्ट्रॉनों पर नाभिकीय आवेश घटता है तथा बाहरी इलेक्ट्रॉन सुगमतापूर्वक निकल जाते हैं।

अधात्विक गुणधर्म –

  • अधातुएँ विद्युत ऋणात्मक होती हैं। वे इलेक्ट्रॉनों को ग्रहण करती हैं।
  • अधातुएँ, आवर्त सारणी में दाएँ ओर पाई जाती हैं। 
  • आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर अधात्विक गुण बढ़ता है क्योंकि प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ने के कारण इलेक्ट्रान ग्रहण करने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। 
  • समूह में ऊपर से नीचे आने पर अधात्विक गुण कम होता जाता है क्योंकि प्रभावी नाभिकीय आवेश कम हो जाता है जिससे इलेक्ट्रॉन अपनाने की क्षमता कम हो जाती है। 
  • आवर्त सारणी के मध्य में उपधातु या अर्द्धधातुएँ पाई जाती हैं। ये कुछ गुण धातुओं के तथा कुछ गुण अधातुओं के दर्शाते हैं। 
  • धातु आक्साइड क्षारीय प्रकृति के होते हैं जबकि अधातु आक्साइड अम्लीय प्रकृति के होते है।
क्र. सं.गुणआवर्त में परिवर्तनकारणसमूह में परिवर्तनकारण
1.परमाणु साइजकम होता हैप्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ता है जिससे नाभिक एवं इलेक्ट्रान के बीच परस्पर आकर्षण बढ़ता है फलस्वरूप इलेक्ट्रान व नाभिक के मध्य दूरी घटती है।बढ़ता हैनए कोशों के जुड़ने के कारण, बाहरी कोश तथा नाभिक के बीच की दूरी बढ़ती जाती है।
2.धात्विक
गुण
कम होता हैप्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ने के कारण संयोजन इलेक्ट्रान त्यागने की प्रवृति घट जाती है।बढ़ता जाता हैप्रभावी नाभिकीय आवेश कम हो जाता है तथा संयोजी इलेक्ट्रान त्यागने की क्षमता बढ़ जाती है।
3.अधात्विक गुणबढ़ता जाता हैप्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ने के कारण इलेक्ट्रान
ग्रहण करने की प्रवृति बढ़ जाती है।
कम हो जाता हैप्रभावी नाभिकीय आवेश कम होने के कारण इलेक्ट्रान इलेक्ट्रान अपनाने की क्षमता कम हो जाती है।

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