NCERT Solutions Class 10th Hindi क्षितिज New Syllabus Chapter – 10 एक कहानी यह भी
Textbook | NCERT |
Class | Class 10th |
Subject | Hindi |
Chapter | 10th |
Chapter Name | एक कहानी यह भी |
Category | Class 10th Hindi Question & Answer |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 10th Hindi क्षितिज New Syllabus Chapter – 10 एक कहानी यह भी प्रश्न उत्तर एक कहानी यह भी का मूल उद्देश्य क्या है? एक कहानी यह भी पाठ का संदेश क्या है? एक कहानी यह भी कि लेखिका अपनी मां से लगाओ के बावजूद उनकी तरह क्यों नहीं बनना चाहती थी? एक कहानी यह भी की लेखिका ने अपने पिताजी को क्रोधी और अहंवादी क्यों कहा होगा? कहानी आपको क्या संदेश देती है? कहानी हमें क्या संदेश देती है? अपने मन से कहानी कैसे लिखें?हैप्पी प्रिंस की नैतिक कहानी क्या है? कहानी का हमारे जीवन में क्या महत्व है? कहानी पढ़ने के क्या लाभ हैं? बच्चा हमेशा अपने माता-पिता से पीछे क्यों रहता था? लेखिका की माँ की विशेषता क्या थी? लेखिका की माँ के व्यक्तित्व पर किसका प्रभाव पड़ा था? आदि के बारे में पढेंगें। |
NCERT Solutions Class 10th Hindi क्षितिज New Syllabus Chapter – 10 एक कहानी यह भी
Chapter – 10
एक कहानी यह भी
प्रश्न उत्तर
प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1. लेखिका के व्यक्तित्व पर किन-किन व्यक्तियों का किस रूप में प्रभाव पड़ा? उत्तर – लेखिका के व्यक्तित्व पर दो लोगों का विशेष प्रभाव पड़ा- (i) पिता का प्रभाव – लेखिका के व्यक्तित्व पर पिताजी का अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ा, वह रंग-रूप के कारण हीन भावना से ग्रस्त थी क्योंकि गौर वर्ण के कारण बड़ी वहन सुशीला को उनके पिता ज्यादा मानते थे, इसी के परिमाण स्वरुप उनमें आत्मविश्वास की कमी हो गई थी। पिता के द्वारा ही उनमें देश प्रेम की भावना जाग्रत हुई थी। पिता के समान कभी अपनी उपलब्धियों पर विश्वास नहीं कर पाई। (ii) शिक्षिका शीला अग्रवाल का प्रभाव – शीला अग्रवाल की जोशीली बातों ने एक ओर लेखिका के खोए आत्मविश्वास को पुन: लौटाया तो दूसरी ओर देशप्रेम की अंकुरित भावना को अभिव्यक्ति का उचित माहौल प्रदान किया। जिसके फलस्वरूप लेखिका खुलकर स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लेने लगी। शीला अग्रवाल ने लेखिका को अच्छा साहित्य चुन कर पढ़ना सिखाया। |
प्रश्न 2. इस आत्मकथ्य में लेखिका के पिता ने रसोई को ‘भटियारखाना’ कहकर क्यों संबोधित किया है? उत्तर – ‘भटियारखाना’ शब्द भट्टी (चूल्हा) से बना है। जहाँ पर प्रतिभाशाली लोग नहीं जाते हैं लेखिका के पिता का मानना था, रसोई के काम में लग जाने के कारण लड़कियों की क्षमता और प्रतिभा नष्ट हो जाती है। वे पकाने-खाने तक ही सीमित रह जाती हैं और अपनी प्रतिभा का उचित उपयोग नहीं कर पातीं। सम्भवतः इसलिए लेखिका के पिता ने रसोई को “भटियारखाना’ कहकर संबोधित किया होगा। |
प्रश्न 3. वह कौन-सी घटना थी जिसके बारे में सुनने पर लेखिका को न अपनी आँखों पर विश्वास हो पाया और न अपने कानों पर? उत्तर – एक बार कॉलेज से प्रिंसिपल का पत्र आया कि लेखिका के पिताजी आकर मिलें और बताएँ कि लेखिका की गतिविधियों के खिलाफ क्यों न अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए। पत्र पढ़कर पिताजी गुस्से नाते हुए कॉलेज गए। इससे लेखिका बहुत भयभीत हो गई परन्तु प्रिंसिपल से मिलने तथा असली कारण का पता चलने पर लेखिका के पिता को अपनी बेटी से कोई शिकायत नहीं रही, उन्होंने कहा यह तो समय की माँग है और घर आकर उनकी प्रशंसा की। पिताजी के व्यवहार में परिवर्तन देख कर लेखिका को न तो अपने आँखों पर भरोसा हुआ और न ही अपने कानों पर विश्वास हुआ। |
प्रश्न 4. लेखिका की अपने पिता से वैचारिक टकराहट को अपने शब्दों में लिखिए। उत्तर – (i) लेखिका के पिताजी लेखिका को समाज और देश के प्रति जागरूक तो बनाना चाहते थे परन्तु एक निश्चित सीमा तक। लेखिका का स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए भाषण देना, हाथ उठाकर नारे लगवाना, लड़कों के साथ सड़कों पर घूमना उन्हें पसंद नहीं था इस बात पर लेखिका और उनके पिता की वैचारिक टकराहट होती थी। (ii) यद्यपि उसके पिताजी भी देश की स्थितियों के प्रति जागरूक थे, वे स्त्रियों की शिक्षा के विरोधी नहीं थे परन्तु वे स्त्रियों का दायरा चार दीवारी के अंदर ही सीमित रखना चाहते थे। लेखिका खुले विचारों की महिला थीं। इस बात पर लेखिका की उनसे वैचारिक टकराहट होती थी। (iii) लेखिका के पिता लड़की की शादी जल्दी करने के पक्ष में थे लेकिन लेखिका जीवन की आकांक्षाओं को पूर्ण करना चाहती थी। उन्होंने पिताजी की मर्जी के विरूद्ध अपना मनपसंद विवाह किया। (iv) पिताजी का लेखिका की माँ के साथ अच्छा व्यवहार नहीं था। अपनी माँ के प्रति ऐसा व्यवहार लेखिका को उनके पिताजी की ज़्यादती लगती थी। |
इस आत्मकथ्य के आधार पर स्वाधीनता आंदोलन के परिदृश्य का चित्रण करते हुए उसमें मन्नू जी की भूमिका को रेखांकित कीजिए। उत्तर – 1942-47 का समय स्वतंत्रता आन्दोलन का समय था, हर एक युवा पूरे जोश खरोश से इस आन्दोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहा था ऐसे में लेखिका मन्नू भंडारी ने भी इस आन्दोलन का अभिन्न हिस्सा बनकर अपनी सक्रिय भूमिका निभाई। उसने पिता की इच्छा के विरुद्ध सड़कों पर घूम-घूमकर नारेवाजी, हड़तालें, जलसे, जुलूस किए। इस आंदोलन में उन्होंने अपने भाषण, उत्साह तथा अपनी संगठन दक्षमता के द्वारा सहयोग प्रदान किया । |
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 6. लेखिका ने बचपन में अपने भाइयों के साथ गिल्ली डंडा तथा पतंग उड़ाने जैसे खेल भी खेले किंतु लड़की होने के कारण उनका दायरा घर की चारदीवारी तक सीमित था। क्या आज भी लड़कियों के लिए स्थितियाँ ऐसी ही हैं या बदल गई हैं, अपने परिवेश के आधार पर लिखिए। उत्तर – अपने समय में लेखिका को खेलने तथा पढ़ने की आज़ादी तो थी लेकिन अपने पिता द्वारा निर्धारित गाँव की सीमा तक ही। परन्तु आज स्थिति बदल गई है।आज लड़कियाँ एक शहर से दूसरे शहर शिक्षा ग्रहण करने तथा खेलने जाती हैं। ऐसा केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि आज भारतीय महिलाएँ विदेशों तक, अंतरिक्ष तक जाकर दुनिया में अपने देश का नाम रोशन कर रही हैं। परन्तु इसके साथ दूसरा पहलू यह भी है की आज भी हमारे देश में कुछ लोग स्त्री स्वतंत्रता के पक्षधर नहीं हैं। |
प्रश्न. 7 मनुष्य के जीवन में आस-पड़ोस का बहुत महत्व होता है। परंतु महानगरों में रहने वाले लोग प्राय: पड़ोस कल्चर से वंचित रह जाते हैं। इस बारे में अपने विचार लिखिए। उत्तर – आज मनुष्य के सम्बन्धों का क्षेत्र सीमित होता जा रहा है, मनुष्य आत्मकेन्द्रित होता जा रहा है। उसे अपने सगे सम्बन्धियों तक के बारे में अधिक जानकारी नहीं होती है। यही कारण है कि आज के समाज में पड़ोस कल्चर लगभग लुप्त होता जा रहा है। लोगों के पास समय का अभाव होता जा रहा है। मनुष्य के पास इतना समय नहीं है कि वो अपने पड़ोसियों से मिलकर उनसे वात चीत करें। |
प्रश्न 8. लेखिका द्वारा पढ़े गए उपन्यासों की सूची बनाइए और उन उपन्यासों को अपने पुस्तकालय में खोजिए। उत्तर – ‘एक कहानी यह भी’ पाठ की लेखिका मन्नू भंडारी ने अपनी किशोरावस्था में निम्नलिखित उपन्यास पढ़े थे- • शेखर एक जीवनी • सुनीता • नदी के द्वीप • चित्रलेखा • त्याग-पत्र |
प्रश्न 9. आप भी अपने दैनिक अनुभवों को डायरी में लिखिए। उत्तर – छात्र अपने दैनिक अनुभवों को स्वयं डायरीबद्ध करें। |
प्रश्न. 10 इस आत्मकथ्य में मुहावरों का प्रयोग करके लेखिका रचना को रोचक बनाया है। रेखांकित मुहावरों को ध्यान में रखकर कुछ और वाक्य बनाएँ- (क) इस बीच पिता जी के एक निहायत दकियानूसी मित्र ने घर आकर अच्छी तरह पिता जी की ल उतारी। उत्तर – लू उतारी – होमवर्क न करने से शिक्षक ने अच्छी तरह से छात्र की लू उतारी। (ख) वे तो आग लगाकर चले गए और पिता जी सारे दिन भभकते रहे। उत्तर – आग लगाना कुछ मित्र ऐसे भी होते हैं जो घर में आग लगाने का काम करते हैं। (ग) बस अब यही रह गया है कि लोग घर आकर थू-थू करके चले जाएँ। उत्तर – थू-थू करना तुम्हारे इस तरह से ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने से पड़ोसी थू-थू करेंगे। (घ) पत्र पढ़ते ही पिता जी आग-बबूला हो गए । उत्तर – आग-बबूला मेरे स्कूल नहीं जाने से पिताजी आग-बबूला हो गए। |
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