NCERT Solutions Class 10th Hindi क्षितिज New Syllabus Chapter – 9 लखनवी अंदाज़
Textbook | NCERT |
Class | Class 10th |
Subject | Hindi |
Chapter | 9th |
Chapter Name | लखनवी अंदाज़ |
Category | Class 10th Hindi |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 10th Hindi क्षितिज New Syllabus Chapter – 9 लखनवी अंदाज़ प्रश्न उत्तर – लखनवी अंदाज पाठ का उद्देश्य क्या है?, लखनवी अंदाज के लेखक कौन हैं?, लखनवी अंदाज पाठ में क्या विचार व्यक्त किया गया है?, लखनवी अंदाज कहानी को आप और क्या नाम दे सकते हैं?, लखनवी अंदाज पाठ की विधा कौन सी है?, नवाब साहब के पास कितने खीरे थे?, भारत के सबसे प्रसिद्ध लेखक कौन है?, लखनवी अंदाज पाठ में किस पर व क्या व्यंग्य किया गया है?, लेखक ने खीरा क्यों नहीं खाया?, लखनवी अंदाज़ पाठ में नवाब साहब ने लेखक को खीरे की क्या विशेषता बताई और क्या वह सही थी?, नवाब साहब द्वारा बार बार खीरा खाने का आग्रह किया जा रहा था इसे लेखक ने कैसे?, लेखक के अनुसार नवाब की प्रमुख विशेषता क्या है?, नवाब साहब ने खीरा ना खाने का जो कारण बताया क्या वह सही था?, कहानी की दृष्टि से लखनवी अंदाज में आपको क्या विशेषता दिखाई देती है?, लेखक के मुंह में क्यों पानी उतर आया?, लखनवी अंदाज पाठ के आधार पर बताइए कि लेखक ने किया खाने से मना क्यों कर दिया?, लेखक नवाब साहब की तरफ कैसे देख रहे थे?, आदि के बारे में पढ़ेंगे। |
NCERT Solutions Class 10th Hindi क्षितिज New Syllabus Chapter – 9 लखनवी अंदाज़
Chapter – 9
लखनवी अंदाज़
प्रश्न उत्तर
प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1. लेखक को नवाब साहब के किन हाव-भावों से महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं हैं? उत्तर – लेखक के अचानक ट्रेन के डिब्वे में कूद पड़ने से नवाव साहव की आँखों तथा मुख पर उनके एकांत चिंतन में खलल पड़ जाने के चिह्न और असंतोष दिखाई दिया। ट्रेन में लेखक के साथ बात-चीत करने के लिए नवाब साहब ने कोई उत्सुकता प्रकट नहीं की और न ही उनकी तरफ देखा। इससे लेखक को स्वयं के प्रति नवाब साहब की उदासीनता का आभास हुआ। |
प्रश्न 2. नवाब साहब ने बहुत ही यत्ने से खीरा काटा, नमक-मिर्च बुरका, अंततः सूँघकर ही खिड़की से बाहर फेंक दिया। उन्होंने ऐसा क्यों किया होगा? उनका ऐसा करना उनके कैसे स्वभाव को इंगित करता है? उत्तर – नवाब साहब द्वारा दिए गए खीरा खाने के प्रस्ताव को लेखक ने अस्वीकृत कर दिया। खीरा खाने की इच्छा तथा सामने वाले यात्री के सामने अपनी झूठी साख बनाए रखने की उलझन में नवाब साहब ने खीरा खाने की सोची परन्तु उसे तुच्छ दिखाने के इरादे से नवाव साहब ने खीरा सूँघ कर फेंक दिया । नवाव के इस कार्य से ऐसा प्रतीत होता है कि वे दिखावे की जिंदगी जीते हैं और अपनी रईसी सिद्ध करने के लिए वे कुछ भी कर सकते है। |
प्रश्न 3. बिना विचार, घटना और पात्रों के भी क्या कहानी लिखी जा सकती है। यशपाल के इस विचार से आप कहाँ तक सहमत हैं? उत्तर – हम लेखक यशपाल के विचारों से पूरी तरह सहमत हैं। किसी भी कहानी की रचना उसके आवश्यक तत्वों – कथावस्तु, घटना, पात्र आदि के विना संभव नहीं होती। घटना तथा कथावस्तु कहानी को आगे बढ़ाते हैं, पात्रों द्वारा संवाद कहे जाते हैं। कहानी में कोई न कोई विचार, वात या उद्देश्य भी अवश्य होना चाहिए। ये कहानी के आवश्यक तत्व हैं। |
प्रश्न 4. आप इस निबंध को और क्या नाम देना चाहेंगे? उत्तर – इस कहानी का नाम ‘झूठा दिखावा’ ‘नवावी शान’, या ‘आडम्वर’ भी रखा जा सकता है, क्योंकि नवाव साहब ने अपनी झूठी शान-शौकत को कायम रखने के लिए अपनी छोटी सी इच्छा को ही दवा दिया साथ ही यह उनके नवावी स्वभाव, सामंती वर्ग की बनावटी जीवन-शैली व झूठे प्रदर्शन के भाव को भी दर्शाता है। |
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 5. (क) नवाब साहब द्वारा खीरा खाने की तैयारी करने का एक चित्र प्रस्तुत किया गया है। इस पूरी प्रक्रिया को अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए। उत्तर – नवाब साहब पैसेंजर ट्रेन के सेकंड क्लास के डिब्बों में आराम से बैठे थे। उनके सामने साफ़ तौलिए पर दो चिकने खीरे रखे थे। नवाब साहब ने सीट के नीचे से लोटा निकाला और खिड़की से बाहर खीरों को धोया। उन्होंने खीरों के सिरे काटे, गोदकर उनका झाग निकाला और खीरे छीलकर फाँकें बनाईं। उन पर नमक-मिर्च का चूर्ण बुरका। जब फाँकें पनियाने लगीं तो उन्होंने एक फाँक उठाई, मुँह तक ले गए सूँघ और खिड़की से बाहर फेंक दिया। ऐसा करते हुए उन्होंने सभी फाँकें फेंककर डकारें लीं। (ख) किन-किन चीज़ों का रसास्वादन करने के लिए आप किस प्रकार की तैयारी करते हैं? उत्तर – छात्र अपनी रुचि के अनुसार स्वयं लिखें। |
प्रश्न 6. खीरे के संबंध में नवाब साहब के व्यवहार को उनकी सनक कहा जा सकता है। आपने नवाबों की और भी सनकों और शौक के बारे में पढ़ा-सुना होगा। किसी एक के बारे में लिखिए। उत्तर – नवाबों की सनक और शौक यह बता रही है कि वे अपनी वस्तु, हैसियत आदि को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाते और बताते थे। वे बात-बात में दिखावा करते थे। एक बार लखनऊ के ही नवाब जो प्रात:काल किसी पार्क में भ्रमण करने के शौकीन थे, प्रतिदिन पार्क में आया करते थे। एक दिन एक साधारण सा दिखने वाला आदमी वहीं भ्रमण करने आ गया। उसने नवाब साहब को सलाम ठोंका और पूछा, “नवाब साहब! क्या खा रहे हैं?” नवाब साहब ने गर्व से उत्तर दिया- ‘बादाम’ नवाब साहब ने जेब में हाथ डालकर अभी निकाला ही था कि उनका पैर मुड़ा और वे गिर गए। उनके हाथ से खाने का सामान बिखर गया। उस व्यक्ति ने देखा कि खाने के बिखरे सामान में एक भी बादाम न था सारी मूंगफलियाँ थीं। अब नवाब साहब का चेहरा देखने लायक था। |
प्रश्न 7. क्या सनक का कोई सकारात्मक रूप हो सकता है? यदि हाँ तो ऐसी सनकों का उल्लेख कीजिए। उत्तर – हाँ, सनक का सकारात्मक रूप भी होता है। प्रसिद्ध व्यक्तियों, वैज्ञानिकों की सफलता के पीछे उनकी सनक ही होती है। वे अपनी सनक के कारण ही अपना लक्ष्य पाए बिना नहीं रुकते हैं। बिहार के दशरथ माँझी ने अपनी सनक के कारण ही पहाड़ काटकर ऐसा रास्ता बना दिया जिससे वजीरगंज अस्पताल की दूरी सिमटकर एक चौथाई रह गई। अपनी सनक के कारण वे ‘भारतीय माउंटेन मैन’ के नाम से जाने जाते हैं। |
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