NCERT Solution class 10th Social Science History Chapter – 2 इंडो-चाइना में राष्ट्रवादी आंदोलन (The Nationalist Movement in Indo-China) Notes In Hindi

NCERT Solution class 10th Social Science History Chapter – 2 इंडो-चाइना में राष्ट्रवादी आंदोलन (The Nationalist Movement in Indo-China)

Text BookNCERT
Class  10th
Subject  Social Science (History)
Chapter2nd
Chapter Nameइंडो-चाइना में राष्ट्रवादी आंदोलन (The Nationalist Movement in Indo-China)
CategoryClass 10th Social Science History 
Medium Hindi
SourceLast Doubt

NCERT Solution class 10th Social Science History Chapter – 2 इंडो-चाइना में राष्ट्रवादी आंदोलन (The Nationalist Movement in Indo-China)

Chapter – 2

इंडो-चाइना में राष्ट्रवादी आंदोलन

Notes

शुरुआती इतिहास 

आधुनिक वियतनाम, लाओस और कम्बोडिया के इलाकों को इंडो चीन कहा जाता है। प्राचीन काल में यहाँ के लोग अलग-अलग समूहों में बँटे हुए थे और चीन के शक्तिशाली साम्राज्य की छत्रछाया में रहते थे। जब स्वतंत्र राष्ट्रों का निर्माण हो गया तब भी यहाँ के शासक चीन की पुरातन संस्कृति का अनुसरण करते रहे और वहाँ की प्रशासन पद्धति को अपनाते रहे।

वियतनाम उस सिल्क रूट से भी जुड़ा हुआ था जो जल मार्ग से होकर जाता था। इस कारण से यहाँ सदियों से माल, लोग और विचार आयातित होते रहे। व्यापार के अन्य रास्तों से यह अंदर के इलाकों से भी जुड़ा हुआ था जहाँ गैर वियतनामी लोग रहते थे; जैसे कि ख्मेर कम्बोडियन।

उपनिवेश का निर्माण

फ्रांस की सेना 1858 में वियतनाम पहुँची थी। 1880 के दशक के मध्य तक पूरे उत्तरी इलाके पर फ्रांसीसी सेना का कब्जा हो चुका था। फ्रांस और चीन की लड़ाई के बाद फ्रांस का नियंत्रण टोंकिन और अनम पर भी हो गया। इस तरह से 1887 में फ्रेंच इंडो चीन का निर्माण हुआ।

फ्रांस के लिए उपनिवेश का क्या मतलब था?

यूरोप की शक्तियों को प्राकृतिक संसाधनों और अन्य चीजों की मांग को पूरा करने के लिये उपनिवेश की जरूरत होने लगी। यूरोपीय शक्तियों का यह भी मानना था कि पिछड़े लोगों को सुधारना उनकी जिम्मेदारी थी क्योंकि वे ‘विकसित’ थे।

फ्रांसीसियों ने मेकांग डेल्टा की जमीन को सींचने के लिये नहर बनाने शुरु कर दिये ताकि फसल की पैदावार बढ़ाई जा सके। इससे चावल की पैदावार बढ़ाने में काफी मदद मिली। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 1900 में कुल 274,000 हेक्टेअर जमीन पर चावल की खेती होती थी जो 1930 में बढ़कर 11 लाख हेक्टेअर हो गई। 1931 आते-आते वियतनाम से धान की कुल उपज का दो तिहाई हिस्सा निर्यात होने लगा। इस तरह से वियतनाम धान निर्यात करने वाला दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश बन गया था।

उसके बाद वहाँ पर आधारभूत सुविधाओं को बनाने का काम शुरु हुआ। सामान और सैनिकों को आसानी से लाने ले जाने के लिये यह जरूरी था। फ्रांसीसियों ने एक सकल इंडो चीन रेल तंत्र पर काम शुरु किया। चीन में युन्नान से आखिरी रेल लिंक 1910 में बनकर पूरा हुआ। एक दूसरी लाइन बनाई गई जो वियतनाम को सियाम से जोड़ती थी। थाइलैंड का पुराना नाम सियाम है।

क्या उपनिवेशों को विकसित करना चाहिए?

पॉल बर्नार्ड एक जाने माने फ्रांसीसी विचारक थे; जिनका मानना था कि वियतनाम के लोगों को खुशहाल बनाने के लिये मूलभूत सुविधाओं का निर्माण जरूरी था। यदि लोग खुशहाल होते तो फ्रांस के व्यवसाय के लिये बेहतर बाजार का निर्माण हो सकता था। उन्होंने खेती की पैदावार बढ़ाने के लिये भू-सुधार पर भी बल दिया।

उस दौरान वियतनाम की अर्थव्यवस्था मुख्य रुप से धान और रबर की खेती पर निर्भर करती थी। इन्हीं क्षेत्रों को और सुविधा मुहैया कराने के लिए रेल और बंदरगाहों का निर्माण किया गया। लेकिन वियतनाम की अर्थव्यवस्था के औद्योगिकरण के लिए फ्रांसीसियों ने कुछ भी नहीं किया।

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