NCERT Solutions Class 10th Social Science History Chapter – 2 इंडो-चाइना में राष्ट्रवादी आंदोलन (The Nationalist Movement in Indo-China)
Text Book | NCERT |
Class | 10th |
Subject | Social Science (History) |
Chapter | 2nd |
Chapter Name | इंडो-चाइना में राष्ट्रवादी आंदोलन (The Nationalist Movement in Indo-China) |
Category | Class 10th Social Science History |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 10th Social Science History Chapter – 2 इंडो-चाइना में राष्ट्रवादी आंदोलन (The Nationalist Movement in Indo-China)
?Chapter – 2?
✍इंडो-चाइना में राष्ट्रवादी आंदोलन✍
?प्रश्न – उत्तर?
NCERT Solution Class 10th Social Science इतिहास ( Chapter – 2) Q. 1 प्रश्न 1. निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें इसलिए वे मानते थे कि उपनिवेशों में आधुनिक विचारों का प्रसार करना यूरोपियों को ही दायित्व है और इस दायित्व की पूर्ति करने के लिए अगर उन्हें स्थानीय संस्कृतियों, धर्मों व परंपराओं को भी नष्ट करना पड़े तो इसमें कोई बुराई नहीं है। वैसे भी यूरोपीय शासक इन संस्कृतियों, धर्मों, परंपराओं को पुराना व बेकार मानते थे। उन्हें लगता था कि ये चीजें आधुनिक विकास को रोकती हैं। (ख) हुइन फू सो-हुइन फू सो ‘होआ हाओ’ आंदोलन के संस्थापक थे। यह आंदोलन 1939 में शुरू हुआ था। यह आंदोलन 19वीं सदी के उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलनों में उपजे विचारों से प्रेरित था। हुइन फू सो जादू-येना और गरीबों की मदद किया करते थे। व्यर्थ के खर्चे के खिलाफ़ उनके उपदेशों का लोगों पर काफी असर था। वे बालिका वधुओं की खरीद-फरोख्त, शराब व अफ़ीम के प्रबल विरोधी थे। फ्रांसीसियों ने हुइन फू सो के आंदोलन को कुचलने का प्रयास किया। उन्होंने फू सो को पागल घोषित कर दिया। फ्रांसीसी उन्हें पागल बोन्जे कहकर बुलाते थे। 1914 में फ्रांसीसी डॉक्टरों ने मान लिया कि वे पागल नहीं हैं। इसके बाद उन्हें वियतनाम से निष्कासित करके लाओस भेज दिया। |
NCERT Solution Class 10th Social Science इतिहास ( Chapter – 2) Q. 2 प्रश्न 2. निम्नलिखित की व्याख्या करें दरअसल बहुत सारे बच्चों को तो आखिरी साल की परीक्षा में जानबूझ कर फेल कर दिया जाता था ताकि वे अच्छी नौकरियों के लिए योग्यता प्राप्त न कर सकें। आमतौर पर दो-तिहाई विद्यार्थियों को इसी तरह फेल कर दिया जाता था। 1925 में 1.7 करोड़ की आबादी में स्कूल की पढ़ाई पूरी करने वालों की संख्या 400 से भी कम थी। (ख) फ्रांसीसियों ने वियतनाम के मेकोंग डेल्टा इलाके में खेती बढ़ाने के लिए सबसे पहले वहाँ नहरें बनवाईं और जमीनों को सुखाने के लिए जल निकासी का प्रबंध शुरू किया। सिंचाई की विशाल व्यवस्था बनाई गई। बहुत सारी नई नहरें और भूमिगत जल-धाराएँ बनाई गईं। ज्यादातर लोगों को जबरदस्ती काम पर लगाकर निर्मित की गई इस व्यवस्था से चावल के उत्पादन में वृद्धि हुई। (ग) 1926 में साइगॉन नेटिव गर्ल्स स्कूल में एक बड़ा आंदोलन हुआ। यह आंदोलन तब शुरू हुआ जब एक कक्षा में अगली सीट पर बैठी वियतनामी लड़की को पिछली कतार में जाकर बैठने के लिए कहा गया क्योंकि अगली सीट पर एक फ्रांसीसी लड़की को बैठना था। वियतनामी लड़की ने सीट छोड़ने से इनकार कर दिया। स्कूल का प्रिंसिपल एक फ्रांसीसी था। उसने, उस लड़की को स्कूल से निकाल दिया। अन्य विद्यार्थियों ने भी जब प्रिंसिपल के फैसले का विरोध किया तो उन्हें भी स्कूल से निकाल दिया गया। इसके बाद यह विवाद बहुत फैल गया। हालात बेकाबू होने लगे तो सरकार ने आदेश दिया कि लड़की को दोबारा स्कूल में वापस ले लिया जाए। प्रिंसिपल ने लड़की को दाखिला तो दे दिया लेकिन ये ऐलान भी कर दिया कि ”मैं सारे वियतनामियों को पाँव तले कुचल कर रख दूंगा।” (घ) हनोई के फ्रांसीसी आबादी वाले हिस्से को एक खूबसूरत और साफ-सुथरे शहर के रूप में बनाया गया था। वहाँ चौड़ी सड़कें थीं और जल-निकासी का बढ़िया इंतजाम था। शहर के आधुनिक भाग में लगे विशाल सीवर आधुनिकता का प्रतीक थे। यही सीवर चूहों को पनपने के लिए भी आदर्श स्थान साबित हुए। ये सीवर चूहों की निर्बाध आवाजाही के लिए भी उचित थे। इनमें चलते हुए चूहे पूरे शहर में बेखटके घूमते थे और इन्हीं पाइपों के रास्ते चूहे फ्रांसीसियों के चाक-चौबंद घरों में घुसने लगे। |
NCERT Solution Class 10th Social Science इतिहास ( Chapter – 2) Q. 3 प्रश्न 3. टोंकिन फ्री स्कूल की स्थापना के पीछे कौन-से विचार थे? वियतनाम में औपनिवेशिक विचारों के लिहाज से यह उदाहरण कितना सटीक है?
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NCERT Solution Class 10th Social Science इतिहास ( Chapter – 2) Q. 4 प्रश्न 4. वियतनाम के बारे में फान यू त्रिन्ह का उद्देश्य क्या था? फान बोई चाऊ और उनके विचारों में क्या भिन्नता थी? वे एक लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना करना चाहते थे। पश्चिम के लोकतांत्रिक आदर्शों से प्रभावित चिन्ह पश्चिमी सभ्यता को पूरी तरह खत्म करने के खिलाफ़ थे। उन्हें मुक्ति के फ्रांसीसी क्रांतिकारी आदर्श तो पसंद थे, लेकिन उनका आरोप था कि खुद फ्रांसीसी ही उन आदर्शों का अनुसरण नहीं कर रहे हैं। उनकी माँग थी कि फ्रांसीसी शासक वियतनाम में वैधानिक एवं शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना करें और कृषि व उद्योगों का विकास करें। फान बोई चाऊ भी एक राष्ट्रवादी नेता थे। इन्होंने 1903 में रेवोल्यूशनरी सोसायटी नामक पार्टी का गठन किया और तभी से वे उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन के अहम नेता बने गए थे। इनके विचार फान बोई चाऊ से विपरीत थे। त्रिन्ह राजशाही को उखाड़ फेंकना चाहते थे, जबकि बोई चाऊ चाहते थे कि औपनिवेशिक शासन की समाप्ति के लिए राजशाही का प्रयोग किया जाए। त्रिन्ह की योजना थी कि लोगों को राजशाही के खिलाफ़ खड़ा किया जाए और फान बोई चाऊ इस योजना से असहमत थे। वास्तव में दोनों का लक्ष्य एक ही था लेकिन रास्ते अलग-अलग थे। |
चर्चा करें
प्रश्न 1. इस अध्याय में आपने जो पढ़ा है, उसके हवाले से वियतनाम की संस्कृति और जीवन पर चीन के प्रभावों की चर्चा करें। ?♂️उत्तर – इस अध्याय के आधार पर देखें तो वियतनाम की संस्कृति और जीवन पर चीन का प्रभाव स्पष्ट नजर आता है, जो इस प्रकार है
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प्रश्न 2. वियतनाम में उपनिवेशवाद विरोधी भावनाओं के विकास में धार्मिक संगठनों की भूमिका क्या थी? 18वीं सदी से ही बहुत सारे धार्मिक आंदोलन पश्चिमी शक्तियों के प्रभाव और उपस्थिति के खिलाफ़ जागृति फैलाने का प्रयास कर रहे थे। इसके दो उदाहरण ये हैं स्कॉलर्स रिवोल्ट – 1868 का स्कॉलर्स रिवोल्ट फ्रांसीसी कब्जे और ईसाई धर्म के प्रसार के खिलाफ़ शुरुआती आंदोलनों में से था। इस आंदोलन की बागडोर शाही दरबार के अफसरों के हाथों में थी। ये अफ़सर कैथोलिक धर्म और फ्रांसीसी सत्ता के प्रसार से नाराज थे। इन्होंने एक हजार से ज्यादा ईसाइयों का कत्ल कर डाला। कैथोलिक मिशनरी 17 वीं सदी के शुरू से ही स्थानीय लोगों को ईसाई धर्म से जोड़ने में लगे हुए थे। 18वीं सदी के अंत तक उन्होंने लगभग 3 लाख लोगों को ईसाई बना लिया था। फ्रांसीसियों ने 1868 के आंदोलन को तो कुचल दिया, किंतु इस बगावत ने देशभक्तों में उत्साह का संचार जरूर किया। होआ हाओ आंदोलन – यह आंदोलन 1939 में शुरू हुआ था। यह एक ऐसा धार्मिक आंदोलन था जो औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध चलने वाले आंदोलनों का पक्षधर था । हरे-भरे मेकोंग डेल्टा इलाके में इसे भारी लोकप्रियता मिली। इस आंदोलन के संस्थापक का नाम हुइन्ह फू सो था। वे जादू-टोना और गरीबों की मदद किया करते थे। फ्रांसीसियों ने इस आंदोलन को कुचलने का प्रयास किया। इस तरह के आंदोलनों का राष्ट्रवाद की मुख्यधारा के साथ अंतर्विरोध संबंध रहता था। राजनीतिक दल ऐसे आंदोलनों से जुड़े जन-समर्थन का फायदा उठाने की तो कोशिश करते थे, लेकिन उनकी गतिविधि से बेचैन भी रहते थे। इसके बावजूद साम्राज्यवादी भावनाओं को झकझोरने में ऐसे आंदोलनों के योगदान को कम करके नहीं आँका जा सकता। |
प्रश्न 3. वियतनाम युद्ध में अमेरिकी हिस्सेदारी के कारणों की व्याख्या करें । अमेरिका के इस कृत्य से अमेरिका में जीवन पर क्या-क्या असर पड़े?
जब अमेरिका युद्ध में फ्रांस की मदद के लिए सम्मिलित हो गया, तब इसका प्रभाव वियतनामियों के साथ-साथ अमेरिका पर भी पड़ा। उसे भयंकर क्षति उठानी पड़ी। इस युद्ध में उसके 47,244 सैनिक मारे गए और 3,03,704 घायल हुए। अमेरिकी सरकार को अपनी ही जनता के विरोध का सामना इस प्रकार से करना पड़ा
अंतत: अमेरिका में ही इस युद्ध के कारण काफी तनाव उत्पन्न हो गया। |
प्रश्न 4. अमेरिका के खिलाफ वियतनामी युद्ध का निम्नलिखित दृष्टिकोण से मूल्यांकन कीजिए इस मार्ग का प्रयोग देश के उत्तर से दक्षिण की ओर सैनिक व रसद पहुँचाने के लिए होता था जिससे वियतनामी सैनिक अमेरिका का मुकाबला कर पाये। इस मार्ग पर सामान पहुँचाने वाले कुली लगभग 25 किलो सामान पीठ पर या 70 किलो सामान साईकिलों पर लेकर निकल जाते थे। अमेरिकी सेना ने वियतनामी सैनिकों के लिए रसद की आपूर्ति को बंद करने के लिए कई बार इस मार्ग पर बम बरसाए। किंतु वे इसे ध्वस्त नहीं कर पाए क्योंकि वहाँ के लोग हर हमले के बाद उसकी फौरन मरम्मत कर लेते थे। इससे पता चलता है कि वियतनाम के लोग अपने सीमित संसाधनों को सूझबूझ से प्रयोग करना जानते थे। (ख) एक महिला सैनिक – त्रियू अयू: विश्व के लगभग प्रत्येक देश में जहाँ पर राष्ट्रवादी आंदोलन हुए, महिलाओं की छवि को एक योद्धा के रूप में चित्रित करके जन प्रेरणा के लिए उसका प्रयोग हुआ। वियतनाम में भी एक ऐसी ही महिला ‘त्रियू अयू’ थी। इनको जन्म तीसरी सदी में हुआ था। वह बचपन में ही अनाथ हो गई थी। इस कारण वह अपने भाई के साथ रहने लगी। जब वे बड़ी हुईं तो इन्होंने अपना घर छोड़ दिया और जंगल में रहने लगीं। यहां इन्होंने एक विशाल सेना का गठन किया और चीनियों के वर्चस्व को चुनौती दी । जब उनकी सेना इस संघर्ष में हार गई, तो इन्होंने जल में डूबकर अपनी जान दे दी। इस प्रकार वियतनामी मानसम्मान की रक्षा करने वाली वे एक शहीद ही नहीं कहलाईं, बल्कि एक देवी की तरह पूजी भी गईं। राष्ट्रवादियों ने इनकी छवि का प्रयोग वियतनामी और अमेरिकी युद्ध में जनता में साहस की भावना उत्पन्न करने के लिए किया। |
प्रश्न 5. वियतनाम में साम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष में महिलाओं की क्या भूमिका थी? इसकी तुलना भारतीय राष्ट्रवादी संघर्ष में महिलाओं की भूमिका से कीजिए। वे घायलों की मरहम पट्टी करने, भूमिगत कमरे व सुरंगे बनाने और दुश्मनों से मोर्चा लेने में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने लगीं। उन्होंने छह हवाई पटियाँ बनाई, दस हजार बमों को बेकार किया, हजारों किलो माल ढोया, हथियार व गोला बारुद की सप्लाई जारी रखी और और 15 जहाजों को मार गिराया। 1965-75 के दौरान इस मार्ग पर चलने वाले युवाओं में 70-80 प्रतिशत लड़कियाँ थीं। एक सैनिक इतिहासकार के अनुसार वियतनामी सेना में 15 लाख महिलाएँ थीं। इन सबने इस संघर्ष में अद्वितीय साहस का परिचय दिया था। राष्ट्रवादी भारतीय महिलाओं की वियतनामी राष्ट्रवादी महिलाओं से तुलना – भारत के राष्ट्रवादी आंदोलन में महिलाओं ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया था। परंतु इनके विरोध के तरीके वियतनामी महिलाओं से भिन्न थे। जैसे –
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परियोजना कार्य
प्रश्न 1. दक्षिण अमेरिका के किसी एक देश में साम्राज्यवाद-विरोधी आंदोलन के बारे में पता लगाएँ । कल्पना कीजिए कि इस देश का एक स्वतंत्रता सेनानी वियेतमिन्ह के एक सिपाही से मिलता है; वे दोस्त बन जाते हैं और अपने-अपने देश में स्वतंत्रता संघर्षों के अनुभवों की चर्चा करने लगते हैं। उनके बीच क्या बातचीत हो सकती है, उसे लिखें। यहाँ पर इन देशों की स्वतंत्र सरकारें बनीं । यहाँ के देश हैं-अर्जेण्टाइना, चिली, उरूग्वे, परागुआ और क्यूबा। अर्जेण्टाइना का साम्राज्यवाद विरोधी आंदोलन
जब दोनों देशों के सैनिक आपस में एक दूसरे से मिलेंगे तो वे संभवत: यह बातचीत करेंगे
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NCERT Solution Class 10th इतिहास Question Answer in Hindi