NCERT Solutions Class 10th Hindi कृतिका Chapter – 4 एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा! जोड़ि प्रश्न उत्तर

NCERT Solutions Class 10th Hindi कृतिका Chapter – 4 एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!

TextbookNCERT
Class10th
Subject Hindi
Chapter 4th
Chapter Nameएही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!
Category Class 10th Hindi (कृतिका)
MediumHindi
SourceLast doubt

NCERT Solutions Class 10th Hindi कृतिका Chapter – 4 एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!

?Chapter – 4?

✍एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!✍

?प्रश्न उत्तर?

प्रश्न-अभ्यास

NCERT Solutions  Class – 10th Hindi कृतिका (Chapter-4) Question No.1

प्रश्न 1. हमारी आजादी की लड़ाई में समाज के उपेक्षित माने जाने वाले वर्ग का योगदान भी कम नहीं रहा है। इस कहानी में ऐसे लोगों के योगदान को लेखक ने किस प्रकार उभारा है? ।
?‍♂️उत्तर- हमारी आजादी की लड़ाई में समाज के हर वर्ग का योगदान रहा है। समाज के सभ्य और कुलीन कहलाने वाले वर्ग के लोगों का योगदान प्रकाश में आ जाता है, पर समाज के उपेक्षित वर्ग का योगदान भरपूर होने पर भी परदे के पीछे ही रह जाता है। कजली गायिका दुलारी भी समाज के ऐसे ही उपेक्षित वर्ग से है जो त्योहारों और अन्य अवसरों पर गीत गाकर अपनी आजीविका चलाती है। उसकी गायकी पर टुन्नू नामक युवा कलाकार आसक्त है जो दबे शब्दों में अपने प्रेम का इजहार करने और होली के अवसर पर उपहारस्वरूप खादी की धोती लाता है। टुन्नू में देशभक्ति की प्रगाढ़ भावना है। इसी से प्रेरित होकर दुलारी ने विदेशी साड़ियों का बंडल जलाने वालों की चादर में फेंककर त्याग दिया। टुन्नू की मृत्यु पर जब उसे अमन सभा में गाने के लिए बुलाया जाता है तो वह टुन्नू की दी गई सूती धोती पहनकर आज़ादी की लड़ाई में अपना योगदान देती है।

NCERT Solutions  Class – 10th Hindi कृतिका (Chapter-4) Question No.2

प्रश्न 2. कठोर हृदय समझी जाने वाली दलारी टुन्नू की मृत्यु पर क्यों विचलित हो उठी?
?‍♂️उत्तर- दुलारी को कठोर-हृदय समझा जाता था। वैसे भी वह जिस पेशे में थी, हृदयहीन होना उसका एक गुण माना जाता है, कमजोरी नहीं। वही कठोर दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर विचलित हो उठती है क्योंकि उसके मन में टुन्नू का एक अलग ही स्थान था। उसने जान लिया था कि टुन्नू उसके शरीर का नहीं, बल्कि उसकी आत्मा अर्थात् उसकी गायन-कला का प्रेमी था। शरीर से हटकर उसकी आत्मा को प्रेम करने वाले टुन्नू की मृत्यु पर गौनहारिन दुलारी का विचलित हो उठना स्वाभाविक था।

NCERT Solutions  Class – 10th Hindi कृतिका (Chapter-4) Question No.3

प्रश्न 3. कजली दंगल जैसी गतिविधियों का आयोजन क्यों हुआ करता होगा? कुछ और परंपरागत लोकआयोजनों का उल्लेख कीजिए।
?‍♂️उत्तर- इस कहानी का कालखंड स्वतंत्रता से पूर्व का है। उस समय लोगों के पास आज जैसी सुविधाएँ और मनोरंजन के साधन न थे। क्योंकि उनकी आवश्यकताएँ आज जैसी न थी। लोग त्योहारों को बढ़-चढ़कर मनाते थे। इन त्योहारों के अवसरों पर खुशी को और बढ़ाने तथा थके हारे मन को उत्साहित करने के लिए कजली दंगल जैसे आयोजन किए जाते थे। भादों माह में तीज के त्योहारों के अवसर पर लोगों के मन को उत्साहित करने के लिए कजली दंगल जैसे आयोजन किए जाते थे। भादों माह में तीज के त्योहार के अवसर पर आयोजित किए जाने वाले लोकगीत गायन का उद्देश्य लोगों का मनोरंजन करना था। इसके अलावा ऐसे प्रतियोगिताओं से नए गायक कलाकारों को भी उभरने का मौका मिलता था। आल्हागायन, कुश्ती, लंबी कूद, जानवरों पक्षियों को लड़ाना कुछ ऐसे ही अन्य परंपरागत लोक आयोजन थे।

NCERT Solutions  Class – 10th Hindi कृतिका (Chapter-4) Question No.4

प्रश्न 4. दुलारी विशिष्ट कहे जाने वाले सामाजिक-सांस्कृतिक दायरे से बाहर है फिर भी अति विशिष्ट है। इस कथन को ध्यान में रखते हुए दुलारी की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए। [Imp.] [CBSE 2012]
?‍♂️उत्तर- दुलारी एक गौनहारिन है; इसलिए समाज में उसको अच्छी नज़र से नहीं देखा जाता। वह उपेक्षित एवं तिरस्कृत है। दूसरे शब्दों में, वह विशिष्ट कहे जाने वाले सामाजिक एवं सांस्कृतिक दायरे से बाहर है; लेकिन अपनी चारित्रिक विशेषताओं के कारण अति विशिष्ट है। उसके चरित्र की ये विशेषताएँ उसे विशेष दर्जा प्रदान करती हैं
(क) स्वर कोकिला-दुलारी का स्वर अति मधुर है। उसे कजली गाने में तो महारत हासिल है। यही कारण है कि कजली-दंगल में उसे अपने पक्ष से प्रतिद्वंद्वी बनाकर खोजवाँ बाजार वाले निश्चित थे।

(ख) प्रतिभाशाली शायरा (कवयित्री)-दुलारी के पास मधुर कंठ ही नहीं, त्वरित बुद्धि भी है। वह स्थिति के अनुसार तुरंत ऐसा पद्य तैयार करके गा सकती थी कि सुनने वाले दंग रह जाते। वह पद्य में ही सवाल-जवाब करने में माहिर थी, इसलिए विख्यात शायर भी उसका लिहाज़ करते थे। उसके सामने गाने में उन्हें घबराहट होती थी।

(ग) निर्भीक एवं स्वाभिमानी-दुलारी स्वस्थ शरीर की मल्लिका है। वह हर रोज कसरत करती है। उसका शरीर पहलवानों जैसा हो गया है। वह स्वाभिमान से जीती है। पुलिस का मुखबिर फेंकू सरदार उससे बदतमीजी करने की कोशिश करता है तो वह इस बात की परवाह किए बिना कि वह उसे हर प्रकार की सुख-सुविधा देता है, उसकी झाड़ से खबर लेती है।

(घ) सच्ची प्रेमिका-दुलारी एक गौनहारिन है। उसके पेशे में प्रेम का केवल अभिनय किया जाता है। लेकिन दुलारी टुन्नू से प्रेम करती है। वह जान चुकी है कि टुन्नू उसके शरीर को नहीं गायन-कला को प्रेम करता है। ऐसे सात्विक प्रेम का प्रतिदान भी वह उसी की शैली में देती है। वह भी टुन्नू की भाँति रेशम छोड़ खद्दर अपना लेती है और टुन्नू की दी गई खद्दर की साड़ी पहनकर ही पुलिस वालों के सामने गाती हुई टुन्नू की मृत्यु का शोक मनाती है।
इस प्रकार कहा जा सकता है कि दुलारी के चरित्र की विशिष्टता उसे एक अलग ही स्थान प्रदान करती है।

NCERT Solutions  Class – 10th Hindi कृतिका (Chapter-4) Question No.5

प्रश्न 5. दुलारी का टुन्नू से पहली बार परिचय कहाँ और किस रूप में हुआ?
?‍♂️उत्तर- दुलारी कजली की प्रसिद्ध गायिका थी। टुन्नू भी इसी प्रकार की पद्यात्मक शायरी करने वाला उभरता कलाकार था। तीज के अवसर पर आयोजित खोजवाँ बाजार के कजली दंगल में टून्नू का दुलारी से परिचय हुआ था। दुलारी खोज़वाँ बाजारवालों की ओर से कजली गाने के लिए आई थी। दुलारी ने दुक्कड़ पर जब कजली गीत सुनाया तो उसका जवाब देने के लिए। बजरडीहा की ओर से टुन्नू नामक सोलह-सत्रह वर्षीय युवा गायक उठ खड़ा हुआ, जिसने अपने जवाबी गायन और मधुर कंठ से श्रोताओं का ही नहीं दुलारी का भी ध्यान अपनी ओर खींचा। यहीं दोनों का प्रथम परिचय हुआ था।

NCERT Solutions  Class – 10th Hindi कृतिका (Chapter-4) Question No.6

प्रश्न 6. दुलारी का टुन्नू को यह कहना कहाँ तक उचित था- ”तें सरबउला बोल ज़िन्नगी में कब देखले लोट? :::: दुलारी के इस आपेक्ष में आज के युवा वर्ग के लिए क्या संदेश छिपा है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
?‍♂️उत्तर- टुन्नू के गायन का जवाब देते हुए दुलारी ने कहा था-तै सरबउला बोल जिंदगी में कब देखले लोट “। इसका भाव था कि तुझ सिरफिरे ने जिंदगी में नोट कहाँ देखे हैं। यहाँ नोट के दोनों अर्थ सही हैं कि न तो सोलह-सत्रह वर्ष की कच्ची उम्र में टुन्नू ने परमेश्वरी लोट (प्रॉमिसरी नोट) ही देखे हैं और न ही नोट यानि धन-माया। टुन्नू के पिता गरीब पुरोहित थे, जो जैसे-तैसे कौड़ी-कौड़ी जोड़कर गृहस्थी चला रहे थे।

• दुलारी के इस आक्षेप में आज के युवा वर्ग के लिए यही संदेश निहित है कि उन्हें सपनों की हसीन दुनिया से निकल कर कठोर यथार्थ का सामना करना चाहिए।

NCERT Solutions  Class – 10th Hindi कृतिका (Chapter-4) Question No.7

प्रश्न 7. भारत के स्वाधीनता आंदोलन में दुलारी और टुन्नू ने अपना योगदान किस प्रकार दिया?
?‍♂️उत्तर- भारत के स्वाधीनता आंदोलन में टुन्नू और दुलारी ने अपने-अपने ढंग से अपना योगदान दिया। टुन्नू जो महँगे मलमल के कपड़े पहनता था, उसे छोड़कर खादी के कपड़े पहनने लगा। वह विदेशी वस्त्रों की होली जलाने के लिए विदेशी कपड़े एकत्र करने वालों के जुलूस में शामिल होकर यह काम करता रहा और इसी कारण पुलिस जमादार की पिटाई का शिकार हुआ, जिससे उसकी जान चली गई। इस प्रकार देश की आजादी के लिए उसने अपना बलिदान दे दिया। टुन्नु की देशभक्ति एवं राष्ट्रीयता से प्रभावित होकर दुलारी ने अपनी विदेशी साड़ियों का बंडल जलाने के लिए फेंक दिया तथा उसने सूती साड़ी पहनकर अपने ढंग से योगदान दिया।

NCERT Solutions  Class – 10th Hindi कृतिका (Chapter-4) Question No.8

प्रश्न 8. दुलारी और टुन्नू के प्रेम के पीछे उनका कलाकार मन और उनकी कला थी। यह प्रेम दुलारी को देश-प्रेम तक कैसे पहुँचाता है?
?‍♂️उत्तर- टुन्नू सोलह-सत्रह वर्ष का युवक था तो दुलारी ढलते यौवन की प्रौढ़ा थी। टुन्नू घंटे-आधे घंटे आकर दुलारी के पास बैठता और उसकी बातें सुनता। वह केवल दुलारी की कला का प्रेमी था। उसे दुलारी की आयु, रंग या रूप से कुछ लेना-देना न था। दुलारी भी टुन्नू की कला को पहचान कर उसका मान करने लगी थी। यह परस्पर सम्मान का भाव ही प्रेम में बदल गया।

• कहने को तो दुलारी ने होली पर गाँधी आश्रम से धोती लाने वाले टुन्नू को फटकार कर भगा दिया, लेकिन टुन्नू के जाने के बाद उसे टुन्नू का बदला वेश, उसका कुरता और गाँधी टोपी का ध्यान आया तो उसे समझने में देर न लगी कि टुन्नू स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गया है। एक सच्ची प्रेमिका की तरह उसने भी तुरंत वही राह अपनाने का फैसला कर लिया और फेंकू सरदार की लाई हुई विदेशी मिलों में बनी महीन धोतियाँ होली जलाने के लिए स्वराज-आंदोलनकारियों की फैलाई चद्दर पर फेंक दी। यह एक छोटा-सा त्याग वास्तव में एक बड़ी भावना की अभिव्यक्ति था।

NCERT Solutions  Class – 10th Hindi कृतिका (Chapter-4) Question No.9

प्रश्न 9. जलाए जाने वाले विदेशी वस्त्रों के ढेर में अधिकांश वस्त्र फर्ट-पुराने थे परंतु दुलारी द्वारा विदेशी मिलों में बनी कोरी साड़ियों का फेंका जाना उसकी किस मानसिकता को दर्शाता है?
?‍♂️उत्तर- विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार के लिए वस्त्रों का संग्रह कर रहे देश के सेवकों की चादर पर वस्त्र-कमीज, धोतियाँ, कुर्ता, साडी आदि की जो वर्षा हो रही थी, उनमें अधिकांश फटे और पुराने थे परंतु दुलारी ने विदेशी मिलों में बनी कोरी साडियों का वह बंडल फेंका जो एकदम नया था और जिनकी साड़ियों की तह भी नहीं खुली थी। उसका ऐसा करना देशभक्ति की उत्कट भावना और सच्ची राष्ट्रीयता की अभिव्यक्ति करता है। इसके अलावा इससे टुन्नू के प्रति प्रेम की मानसिकता भी दिखाई देती है।

NCERT Solutions  Class – 10th Hindi कृतिका (Chapter-4) Question No.10

प्रश्न 10. “मन पर किसी का बस नहीं; वह रूप या उमरे का कायल नहीं होता।” टुन्नू के इस कथन में उसका दुलारी के प्रति किशोर जनित प्रेम व्यक्त हुआ है परंतु उसके विवेक ने उसके प्रेम को किस दिशा की ओर मोड़ा?
?‍♂️उत्तर- टुन्नू का यह कथन सत्य है। वैसे भी टुन्नू का प्यार आत्मिक था। इसलिए उसे दुलारी की आयु या उसके रूप से कुछ लेना-देना नहीं था। क्योंकि यह प्रेम मात्र आकर्षण या शारीरिक भूख से प्रेरित न था; इसलिए उनके विवेक ने इसे देश-प्रेम की ओर मोड़ दिया, जो स्वार्थ से परे प्रेम का सर्वोच्च स्वरूप है। देश-प्रेम ही आत्मा की पवित्रतम भावना है। टुन्नू और दुलारी का प्रेम उनकी आत्मा द्वारा चालित होकर देश-प्रेम में बदल गया।

NCERT Solutions  Class – 10th Hindi कृतिका (Chapter-4) Question No.11

प्रश्न 11. ‘एही तैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!’ का प्रतीकार्थ समझाइए।
?‍♂️उत्तर- ‘एही तैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!’ का शाब्दिक अर्थ है-इसी जगह पर मेरी लौंग अर्थात् नाक का आभूषण खो गया है। इसका प्रतीकार्थ है-टाउन हाल का वह स्थान जहाँ पुलिस जमादार अली सगीर द्वारा टुन्नू की हत्या कर दी गई थी। टुन्नू दुलारी से प्रेम करता था और दुलारी जो कठोर हृदयी समझी जाती थी, टुन्नू से प्रेम करने लगी थी। वह उसी हत्या वाली जगह की ओर संकेत करके कहती है-”इसी स्थान पर उसका सबसे प्रिय (टुन्नू और उसका प्रेम) खो गया है।

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