NCERT Solutions Class 10th Hindi कृतिका Chapter – 2 साना-साना हाथ जोड़ि प्रश्न उत्तर

NCERT Solutions Class 10th Hindi कृतिका Chapter – 2 साना-साना हाथ जोड़ि

TextbookNCERT
Class10th
Subject Hindi
Chapter 2nd
Chapter Nameसाना-साना हाथ जोड़ि
Category Class 10th Hindi (कृतिका)
MediumHindi
SourceLast doubt
NCERT Solutions Class 10th Hindi कृतिका Chapter – 2 साना-साना हाथ जोड़ि प्रश्न उत्तर जिसमे हम साना साना हाथ जोड़ि पाठ की विधा क्या है?, लेखिका को किसकी कहाँ खोज थी?, लेखिका के पिता कौन थे?, शुरू शुरू में लेखिका को क्या अटपटा लगा?, गिलहरी का नाम कैसे पड़ा?, लेखिका चीजों को कैसे पहचान लेती है?, लेखिका ने किसका उपचार किया था?, गिलहरी की उम्र कितनी होती है?, गिलहरी कितने पागल याद रख सकती है?, गिलहरी किस जानवर को कहा जाता है?, क्या खाते हैं गिलहरी की थी?, मादा गिलहरी को क्या कहते हैं?, सबसे पुरानी गिलहरी कौन सी है? आदि के बारे में पढ़ेंगे।

NCERT Solutions Class 10th Hindi कृतिका Chapter – 2 साना-साना हाथ जोड़ि

Chapter – 2

साना-साना हाथ जोड़ि

प्रश्न उत्तर

प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1. झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गंतोक लेखिका को किस तरह सम्मोहित कर रहा था?
उत्तर –
रात्रि के समय आसमान ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो सारे तारे नीचे धरती पर टिमटिमा रहे हों। दूर ढलान लेती तराई पर सितारों के गुच्छे रोशनियों की एक झालर-सी बना रहे थे। रात के अन्धकार मेंसितारों से झिलमिलाता गंतोक लेखिका को जादुई एहसास करा रहा था। उसे यह जादू ऐसा सम्मोहित कर रहा था कि मानो उसका अस्तित्व स्थगित सा हो गया हो, सब कुछ अर्थहीन सा था। उसकी चेतना शून्यता को प्राप्त कर रही थी। वह सुख की अतींद्रियता में डूबी हुई उस जादुई उजाले में नहा रही थी जो उसे आत्तमिक सुख प्रदान कर रही थी।

प्रश्न 2. गंतोक को ‘मेहनतकश बादशाहों का शहर’ क्यों कहा गया?
उत्तर –
गतोक को सुंदर बनाने के लिए वहाँ के निवासियों ने विपरीत परिस्थितियों में अत्यधिक श्रम किया है। पहाड़ी क्षेत्र के कारण पहाड़ों को काटकर रास्ता बनाना पड़ता है। पहाड़ो पर बैठकर औरतें पत्थर तोड़ती हैं। उनके हाथों में कुदाल व हथौड़े होते हैं। कईयों की पीठ पर बँधी टोकरी में उनके बच्चे भी बँधे रहते हैं और वे काम करते रहते हैं। हरे-भरे बागानों में युवतियाँ बोकु पहने चाय की पत्तियाँ तोड़ती हैं। बच्चे भी अपनी माँ के साथ काम करते हैं। यहाँ जीवन वेहद कठिन है पर यहाँ के लोगों ने इन कठिनाईयों के बावजूद भी शहर के हर पल को खूबसूरत बना दिया है। इसलिए लेखिका ने इसे ‘मेहनतकश बादशाहों का शहर कहा है।

प्रश्न 3. कभी श्वेत तो कभी रंगीन पताकाओं का फहराना किन अलग-अलग अवसरों की ओर संकेत करता? 
उत्तर –
सफ़ेद बौद्ध पताकाएँ शांति व अहिंसा की प्रतीक हैं, इन पर मंत्र लिखे होते हैं। यदि किसी बुद्धिस्ट की मृत्यु होती है तो उसकी आत्मा की शांति के लिए 08 श्वेत पताकाएँ फहराई जाती हैं। कई बार किसी नए कार्य के आरंभ के अवसर पर रंगीन पताकाएँ फहराई जाती हैं। इसलिए ये पताकाएँ, शोक व नए कार्य के शुभांरभ की ओर संकेत करती हैं।

प्रश्न 4. जितेन नार्गे ने लेखिका को सिक्किम को प्रकृति, वहाँ की भौगोलिक स्थिति एवं जनजीवन के बारे में क्या महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ दीं, लिखिए।
उत्तर –
(1) नार्गे के अनुसार सिक्किम के रास्तों में हिमालय की गहनतम घाटियाँ और फूलों से लदी वादियाँ मिलेंगी।

(2) घाटियों का सौंदर्य देखते ही बनता हैं। नागे ने बताया कि वहाँ की खूबसूरती की तुलना स्विट्ज़रलैंड की खूबसूरती से की जा सकती है।

(3) नागे के अनुसार पहाड़ी रास्तों पर फहराई गई पताकाएँ किसी वुद्धिस्ट की मृत्यु व नए कार्य की शुरूआत का प्रतीक हैं। इनका रंग श्वेत व रंग-विरंगा होता है।

(4) सिक्किम में घूमते चक्र भारत के अन्य स्थानों व्याप्त आस्था, विश्वास, अंधविश्वास, पाप-पुण्य की अवधारणाओं की तरह ही हैं।

(5) वहाँ की युवतियाँ बोकु नाम का सिक्किम का परिधान डालती हैं। जिसमें उनके सौंदर्य की छटा निराली होती है। वहाँ के घर, घाटियों में ताश के पत्तों की तरह बिखरे होते हैं।

(6) वहाँ के लोग मेहनतकश होते हैं, उनका जीवन काफी मुश्किलों से भरा है।

(7) स्त्रियाँ व बच्चे सब काम करते हैं। स्त्रियाँ स्वेटर बुनती हैं, घर सँभालती हैं, खेती करती हैं, पत्थर तोड़-तोड़ कर सड़कें बनाती हैं। चाय की पत्तियाँ चुनने बाग में जाती हैं। वच्चे पानी भरते हैं और जानवर चराते हैं।

(8) बच्चों को बहुत ऊँचाई पर पढ़ाई वे लिए जाना पड़ता है क्योंकि दूर-दूर तक कोई स्कूल नहीं है। इन सब के विषय में नों लेखिका को बताता चला गया।

प्रश्न 5. लोंग स्टॉक में घूमते हुए चक्र को देखकर लेखिका को पूरे भारत की आत्मा एक सी क्यों दिखाई दी?
उत्तर –
लेखिका सिक्किम में घूमती हुई कवी-लोंग स्टॉक नाम की जगह पर गई। लोंग स्टॉक के घूमते चक्र के बारे में जितेन ने बताया कि यह धर्म चक्र है, इसको घुमाने से सारे पाप धुल जाते हैं। मैदानी क्षेत्र में गंगा के विषय में ऐसी ही धारणा है। लेखिका को लगा कि चाहे मैदान हो या पहाड़, तमाम वैज्ञानिक प्रगतियों के बावजूद इस देश की आत्मा एक जैसी है। यहाँ लोगों की आस्थाएँ, विश्वास, पाप-पुण्य की अवधारणाएँ और कल्पनाएँ एक जैसी हैं। यही विश्वास पूरे भारत को एक ही सूत्र में बाँध देता है।

प्रश्न 6. जितेन नार्गे की गाइड की भूमिका के बारे में विचार करते हुए लिखिए कि एक कुशल गाइड में क्या गुण होते हैं?
उत्तर –
नार्गे एक कुशल गाइड था। वह अपने पेशे के प्रति पूरा समर्पित था। उसे सिक्किम के हर कोने के विषय में भरपूर जानकारी प्राप्त थी इसलिए वह एक अच्छा गाइड था। एक कुशल गाइड में निम्नलिखित गुणों का होना आवश्यक है-

(1) एक गाइड अपने देश व इलाके के कोने-कोने से भली भाँति परिचित होता है, अर्थात् उसे सम्पूर्ण जानकारी होनी चाहिए।

(2) उसे वहाँ की भौगोलिक स्थिति, जलवायु व इतिहास की सम्पूर्ण जानकारी होनी चाहिए।

(3) एक कुशल गाइड को चाहिए कि वो अपने भ्रमणकर्ता के हर प्रश्न के उत्तर देने में सक्षम हो ।

(4) एक कुशल गाइड को अपने प्रति विश्वसनीयता अपने भ्रमणकर्ता को दिलानी आवश्यक है, तभी वह एक आत्मीय रिश्ता कायम कर अपने कार्य को कर सकता है।

(5) गाइड को कुशल व बुद्धिमान होना आवश्यक है ताकि समय पड़ने पर वह विषम परिस्थितियों का सामना अपनी कुशलता व बुद्धिमानी से कर सके व अपने भ्रमणकर्ता की सुरक्षा कर सके।

(6) एक कुशल गाइड की वाणी प्रभावशाली होनी आवश्यक है इससे पूरी यात्रा प्रभावशाली बनती है और भ्रमणकर्ता की यात्रा में रूचि भी बनी रहती है।

(7) वह यात्रियों को रास्तें में आने वाले दर्शनीय स्थलों की जानकारी देता रहे।

(8) वहाँ के जन-जीवन की दिनचर्या से अवगत कराए।

(9) रास्ते में आए प्रत्येक दृश्य से पर्यटकों को अवगत कराए।

प्रश्न 7. इस यात्रा-वृत्तांत में लेखिका ने हिमालय के जिन-जिन रूपों का चित्र खींचा है, उन्हें अपने शब्दों लिखिए।
उत्तर –
इस यात्रा वृतांत में लेखिका ने हिमालय के पल-पल परिवर्तित होते रुप को देखा। ज्यों-ज्यों वह ऊँचाई पर चढ़ती गई हिमालय विशाल से विशालतर होता चला गया, हिमालय कहीं चटक हरे रंग का मोटा कालीन ओढ़े हुए, तो कहीं हल्का पीलापन लिए हुए प्रतीत हुआ। चारों तरफ़ हिमालय के गहनतम वादियाँ और फूलों से लदी घाटियाँ थी। कहीं पर्वत प्लास्टर उखड़ी दीवार की तरह पथरीला दिखाई दिया और देखते-ही-देखते सब कुछ समाप्त हो गया मानो किसी ने जादू की छड़ी घूमा दी हो। कभी बादलों की मोटी चादर में, सब कुछ वादलमय दिखाई देता तो कभी कुछ और। कटाओ से आगे बढ़ने पर पूरी तरह बर्फ से ढके पहाड़ दिख रहे थे। चारों तरफ दूध की धार की तरह दिखने वाले जलप्रपात थे तो वहीं नीचे चाँदी की तरह काँध मारती तिस्ता नदी बह रही थी, जिसने लेखिका के हृदय को आनन्द से भर दिया। स्वयं को इस पवित्र वातावरण में पाकर वह भावविभोर हो गई जिसने उनके हृदय को काव्यमय बना दिया।

प्रश्न 8. प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरूप को देखकर लेखिका को कैसी अनुभूति होती है?
उत्तर –
हिमालय का स्वरुप पल-पल बदलता है। प्रकृति इतनी मोहक है कि लेखिका किसी वुत-सी माया और छाया के खेल को देखती रह जाती है। इस वातावरण में उसको अद्भुत शान्ति प्राप्त हो रही थी। इन अद्भुत व अनूठे नज़ारों ने लेखिका को पलभर में ही जीवन की शक्ति का एहसास करा दिया। उसे ऐसा लगने लगा जैसे वह देश व काल की सरहदों से दूर, बहती धारा वनकर वह रही हो और उसके मन का सारा मैल और वासनाएँ इस निर्मल धारा में वह कर नष्ट हो गई हो। प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरुप को देखकर लेखिका को लगा कि इस सारे परिदृश्य को वह अपने अंदर समेट ले। उसे ऐसा अनुभव होने लगा वह चिरकाल तक इसी तरह वहते हुए असीम आत्मीय सुख का अनुभव करती रहे ।

प्रश्न 9. प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनंद में डूबी लेखिका को कौन-कौन से दृश्य झकझोर गए?
उत्तर –
लेखिका हिमालय यात्रा के दौरान प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनन्द में डूबी हुई थी, अकस्मात् वहाँ के जनजीवन ने उसे झकझोर दिया। वहाँ कुछ पहाड़ी औरतें जो मार्ग बनाने के लिए पत्थरों पर बैठकर पत्थर तोड़ रही थीं। वे पत्थर तोड़कर सँकरे रास्तों को चौड़ा कर रही थीं। उनके कोमल हाथों में कुदाल व हथौड़े से ठाठे (निशान) पड़ गए थे। कईयों की पीठ पर बच्चे भी बँधे हुए थे। इनको देखकर लेखिका को बहुत दुख हुआ। वह सोचने लगी की ये पहाड़ी औरतें अपने जान की परवाह न करते हुए सैलानियों के भ्रमण तथा मनोरंजन के लिए हिमालय की इन दुर्गम घाटियों में मार्ग बनाने का कार्य कर रही हैं। सात आठ साल के बच्चों को रोज़ तीन साढ़े तीन किलोमीटर का सफ़र तय कर स्कूल पढ़ने जाना पड़ता है। यह देखकर लेखिका मन में सोचने लगी कि यहाँ के अलौकिक सौंदर्य के बीच भूख, मौत, दैन्य और जिजीविषा के बीच जंग जारी है।

प्रश्न 10. सैलानियों को प्रकृति की अलौकिक छटा का अनुभव करवाने में किन-किन लोगों का योगदान होता है, उल्ले। करें।
उत्तर –
सैलानियों को प्रकृति की अलौकिक छटा का अनुभव कराने में सबसे बड़ा हाथ एक कुशल गाइड का होता है। जो अपनी जानकारी व अनुभव से सैलानियों को अवगत कराता है। कुशल गाइड इस बात का ध्यान रखता है कि भ्रमणकर्ता की रूचि पूरी यात्रा में बनी रहे ताकि भ्रमणकर्ता के भ्रमण करने का प्रयोजन सफल हो। अपने मित्रों व सहयात्रियों का साथ पाकर यात्रा और भीरोमांचकारी व आनन्दमयी बन जाती है। वहाँ के स्थानीय निवासियों व जन जीवन का भी महत्वपूर्ण स्थान होता है। उनके द्वारा ही इस छटा के सौंदर्य को बल मिलता है क्योंकि यदि ये ना हों तो वह स्थान नीरस व वेजान लगने लगता है तथा सरकारी लोग जो व्यवस्था करने में संलग्न होते हैं उनका भी महत्त्वपूर्ण योगदान होता हैं।

प्रश्न 11. “कितना कम लेकर ये समाज को कितना अधिक वापस लौटा देती हैं।” इस कथन के आधार पर स्पष्ट करें कि आम जनता की देश की आर्थिक प्रगति में क्या भूमिका है?
उत्तर –
पत्थरों पर बैठकर श्रमिक महिलाएँ पत्थर तोड़ती हैं। उनके हाथों में कुदाल व हथौड़े होते हैं। कइयों की पीठ पर बँधी टोकरी में उनके बच्चे भी बँधे रहते हैं और वे काम करती रहती हैं। हरे-भरे बागानों में युवतियाँ वोकु पहने चाय की पत्तियाँ तोड़ती हैं। बच्चे भी अपनी माँ के साथ काम करते हैं। इन्ही की भाँति आम जनता भी अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के प्रयास में जीविका के रूप में देश और समाज के लिए बहुत कुछ करते हैं। सड़के, पहाड़ी मार्ग, नदियों, पुल आदि बनाना।

खेतों में अन्न उपजाना, कपड़ा बुनना, खानों, कारखानों में कार्य करके अपनी सेवाओं से राष्ट्र को आर्थिक सदृढ़ता प्रदान करके उसकी रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाते हैं। हमारे देश की आम जनता जितना श्रम करती है, उसे उसका आधा भी प्राप्त नहीं होता परन्तु फिर भी वो असाध्य कार्य को अपना कर्तव्य समझ कर करते हैं। वो समाज का कल्याण करते हैं परन्तु वदले में उन्हें स्वयं नाममात्र का ही अंश प्राप्त होता है। देश की प्रगति का आधार यहीं आम जनता है जिसके प्रति सकारात्मक आत्मीय भावना भी नहीं होती। यदि ये आम जनता ना हो तो देश की प्रगति का पहिया रुक जाएगा।

प्रश्न 12. आज की पीढ़ी द्वारा प्रकृति के साथ किस तरह का खिलवाड़ किया जा रहा है। इसे रोकने में आपकी क्या भूमिका होनी चाहिए। अथवा प्रकृति के साथ हो रहे खिलवाड़ को कैसे रोका जा सकता है? 
उत्तर –
प्रकृति के साथ खिलवाड़ करने के क्रम में आज की पीढ़ी पहाड़ी स्थलों को अपना विहार स्थान बना रही है। इससे वहाँ गंदगी वढ़ रही है। पर्वत अपनी स्वभाविक सुंदरता खो रहे है। कारखानों से निकलने वाले जल में खतरनाक कैमिकल व रसायन होते हैं जिसे नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है। साथ में घरों से निकला दूषित जल भी नदियों में ही जाता है। जिसके कारण हमारी नदियाँ लगातार दूषित हो रही हैं। वनों की अन्धाधुंध कटाई से मृदा का कटाव होने लगा है जो बाढ़ को आमंत्रित करता है। दूसरे अधिक पेड़ों की कटाई ने वातावरण में कार्बवडाई आक्साइड की अधिकता बढ़ा दी है जिससे वायु प्रदूषित होती जा रही है।

इसे रोकने में हमारी भूमिका इसप्रकार होनी चाहिए-

(1) हम सबको मिलकर अधिक से अधिक पेड़ लगाना चाहिए।

(2) पेड़ों को काटने से रोकने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए ताकि वातावरण की शुद्धता बनी रहे।

(3) हमें नदियों की निर्मलता व स्वच्छता को बनाए रखने के लिए कारखानों से निकलने वाले द्रूपित जल को नदियों में डालने से रोकना चाहिए।

(4) नदियों की स्वच्छता बनाए रखने के लिए, लोगों को जागरूक करने के लिए अनेक कार्यक्रमों का आयोजन होना चाहिए।

प्रश्न 13. प्रदूषण के कारण स्नोफॉल में कमी का जिक्र किया गया है। प्रदूषण के और कौन-कौन से दुष्परिणाम सामने आए हैं, लिखें।
उत्तर –
आज की पीढ़ी के द्वारा प्रकृति को प्रदूषित किया जा रहा है। प्रदूषण का मौसम पर असर साफ दिखाई देने लगा है। प्रदूषण के चलते जलवायु पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। कहीं पर वारिश अतिरिक्त हो जाती है तो किसी स्थान पर अप्रत्याशित रूप से सूखा पड़ रहा है। गर्मी के मौसम में गर्मी की अधिकता देखते बनती है। कई बार तो पारा अपने सारे रिकार्ड को तोड़ चुका होता है। सर्दियों के समय में या तो कम सर्दी पड़ती है या कभी सर्दी का पता ही नहीं चलता। ये सब प्रदूषण के कारण ही हो रहा है।

प्रदूषण के कारण वायुमण्डल में कार्बनडाई आक्साइड की अधिकता बढ़ गई है जिसके कारण वायु प्रदूषित होती जा रही है। इससे साँस की अनेक बीमारियाँ उत्पन्न होने लगी है। प्रदूषण के कारण पहाड़ी स्थानों का तापमान भी बढ़ गया है, जिससे स्रोफॉल कम हो गया। ध्वनि प्रदूषण से शांति भंग होती है। ध्वनि प्रदूषण मानसिक अस्थिरता, बहरेपन तथा अनिंद्रा जैसे रोगों का कारण बन रहा है। जलप्रदूषण के कारण स्वच्छ जल पीने को नहीं मिल पा रहा है और पेट सम्बन्धी अनेक बीमारियाँ उत्पन्न हो रही हैं।

प्रश्न 14. ‘कटाओ’ पर किसी भी दुकान का न होना उसके लिए वरदान है। इस कथन के पक्ष में अपनी राय व्यक्त कीजिए? अथवा ‘कटाओ’ पर किसी दुकान का न होना इस पर्यटन-स्थल के लिए वरदान क्यों है? पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर –
‘कटाओ’ पर किसी भी दुकान का न होना उसके लिए वरदान है क्योंकि अभी तक यह पर्यटक स्थल नहीं बना है। यदि वहाँ दुकानें होती तो वहाँ सैलानियों का अधिक आगमन शुरू हो जाता और वे जमा होकर खाते-पीते, गंदगी फैलाते तथा वहाँ पर वाहनों के अधिक प्रयोग से वायु में प्रदूषण बढ़ जाएगा। लेखिका को केवल यही स्थान मिला जहाँ पर वह स्रोफॉल देख पाई। इसका कारण यही था कि वहाँ प्रदूषण नहीं था। अतः ‘कटाओ पर किसी भी दुकान का न होना उसके लिए एक प्रकार से वरदान ही है।

प्रश्न 15. प्रकृति ने जल संचय की व्यवस्था किस प्रकार की है?
उत्तर –
प्रकृति ने जल संचय की व्यवस्था नायाव ढंग से की है। प्रकृति सर्दियों में बर्फ के रूप में जल संग्रह कर लेती है और जब गर्मियों में पानी के लिए जव त्राहि-त्राहि मचती है, तो उस समय यही बर्फ शिलाएँ पिघलकर जलधारा बन कर नदियों को भर देती है। नदियों के रूप में बहती यह जलधारा अपने किनारे बसे नगर तथा गावों में जल संसाधन के रूप में तथा नहरों के द्वारा एक विस्तृत क्षेत्र में सिंचाई करती हैं और अंत में सागर में जाकर मिल जाती हैं। सागर से फिर से वाष्प के रूप में जल चक्र की शुरुआत होती है। सचमुच प्रकृति ने जल संचय की कितनी अद्भुत व्यवस्था की है।

प्रश्न 16. देश की सीमा पर बैठे फ़ौजी किस तरह की कठिनाइयों से जूझन हैं? उनके प्रति हमारा क्या नरदायित्व होना चाहिए?
उत्तर –
‘साना साना हाथ जोडि पाठ में देश की सीमा पर तैनात फौजियों की चर्चा की गई है। वस्तुतः सैनिक अपने उत्तरदायित्व का निर्वाह ईमानदारी, समर्पण तथा अनुशासन से करते है। सैनिक देश की सीमाओं की रक्षा के लिए कटिबध्द रहते है। देश की सीमा पर बैठे फ़ौजी प्रकृति के प्रकोप को सहन करते हैं। हमारे सैनिकों (फौजी) भाईयों को उन बर्फ से भरी ठंड में ठिठुरना पड़ता है। जहाँ पर तापमान शून्य से भी नीचे गिर जाता है। वहाँ नसों में खून को जमा देने वाली ठंड होती है। वह वहाँ सीमा की रक्षा के लिए तैनात रहते हैं और हम आराम से अपने घरों पर बैठे रहते हैं। ये जवान हर पल कठिनाइयों से जूझते हैं और अपनी जान हथेली पर रखकर जीते हैं। हमें सदा उनकी सलामती की दुआ करनी चाहिए। उनके परिवारवालों के साथ हमेशा सहानुभूति, प्यार व सम्मान के साथ पेश आना चाहिए।

NCERT Solutions Class 10th Hindi कृतिका All Chapter’s Question & Answer
Chapter – 1 माता का आँचल
Chapter – 2 साना-साना हाथ जोड़ि
Chapter – 3 मैं क्यों लिखता हूँ?
NCERT Solutions Class 10th Hindi स्पर्श All Chapter’s Question & Answer
Chapter – 1 साखी
Chapter – 2 पद
Chapter – 3 मनुष्यता
Chapter – 4 पर्वत प्रदेश में पावस
Chapter – 5 तोप
Chapter – 6 कर चले हम फ़िदा
Chapter – 7 आत्मत्राण
Chapter – 8 बड़े भाई साहब
Chapter – 9 डायरी का एक पन्ना
Chapter – 10 तताँरा-वामीरो कथा
Chapter – 11 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र
Chapter – 12 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले
Chapter – 13 पतझर में टूटी पत्तियाँ
Chapter – 14 कारतूस
NCERT Solutions Class 10th Hindi क्षितिज All Chapter’s Question & Answer
Chapter – 1 पद
Chapter – 2 राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद
Chapter – 3 आत्मकथ्य
Chapter – 4 उत्साह और अट नहीं रही
Chapter – 5 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल
Chapter – 6 संगतकार
Chapter – 7 नेताजी का चश्मा
Chapter – 8 बालगोबिन भगत
Chapter – 9 लखनवी अंदाज़
Chapter – 10 एक कहानी यह भी
Chapter – 11 नौबतखाने में इबादत
Chapter – 12 संस्कृति

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