NCERT Solutions Class – 10th Hindi कृतिका Chapter -1 माता का आँचल
Textbook | NCERT |
Class | 10t |
Subject | Hindi |
Chapter | 1st |
Chapter Name | माता का आँचल |
Category | Class 10th Hindi (कृतिका) New Syllabus |
Medium | Hindi |
Source | Last doubt |
NCERT Solutions Class – 10th Hindi कृतिका Chapter -1 माता का आँचल प्रश्न उत्तर जिसमें हम माता का आँचल पाठ का मूल भाव क्या है?, माता का आंचल पाठ का मुख्य उद्देश्य क्या है?, माता का आँचल पाठ में बैजू तथा बच्चों ने किसे और क्यों चिढ़ाया उसका क्या परिणाम निकला?, माता का अँचल किसकी कहानी है?, माता का आँचल कौन सी विधा है?, सांप को देख भोलेनाथ की क्या दशा हुई?, माता का आँचल में बालक का वास्तविक नाम क्या था?, माता का आंचल पाठ से क्या शिक्षा मिलती है?, माता का आंचल पाठ में लेखक का नाम भोलेनाथ क्यों पड़ गया? आदि इसके बारे में हम विस्तार से पढ़ेंगे। |
NCERT Solutions Class – 10th Hindi कृतिका Chapter -1 माता का आँचल
Chapter – 1
माता का आँचल
प्रश्न उत्तर
प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1. प्रस्तुत पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बच्चे को अपने पिता से अधिक जुड़ाव था, फिर भी विपदा के समय वह पिता के पास न जाकर माँ को शरण लेता है। आपकी समझ से इसकी क्या वजह हो सकती है?
उत्तर – बच्चे को हृदयस्पर्शी स्नेह की पहचान होती है। बच्चे को विपदा के समय अत्याधिक ममता और स्नेह की आवश्यकता थी। भोलानाथ का अपने पिता से अपार स्नेह था पर जब उस पर विपदा आई तो उसे जो शांति व प्रेम की छाया अपनी माँ की गोद में जाकर मिली, वह शायद उसे पिता से प्राप्त नहीं हो पाती। माँ के आँचल में बच्चा स्वयं को सुरक्षित महसूस करता है।
प्रश्न 2. आपके विचार से भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना क्यों भूल जाता है?
उत्तर – भोलानाथ भी बच्चों की स्वाभाविक आदत के अनुसार अपनी उम्र के बच्चों के साथ खेलने में रूचि लेता है। उसे अपनी मित्र मंडली के साथ तरह-तरह की क्रीड़ा करना अच्छा लगता है वे उसके हर खेल व हुड़दंग के साथी हैं। अपने मित्रों को मजा करते देख वह स्वयं को रोक नहीं पाता। इसलिए रोना भूलकर वह दुबारा अपनी मित्र मंडली में खेल का मजा उठाने लगता है। उसी मग्नावस्था में वह सिसकना भी भूल जाता है।
प्रश्न 3. आपने देखा होगा कि भोलानाथ और उसके साथी जव-तब खेलते-खाते समय किसी न किसी प्रकार की तुकबंदी करते हैं। आपको यदि अपने खेलों आदि से जुड़ी तुकबंदी याद हो तो लिखिए।
उत्तर – मुझे भी अपने बचपन के कुछ खेल और एक आध तुकबन्दियाँ याद हैं –
-> अटकन – बटकन दही चटाके, बनफूल बंगाले ।
-> अक्कड़ – बक्कड़ बम्बे बो, अस्सी नब्वे पूरे सौ।
प्रश्न 4. भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री आपके खेल और खेलने की सामग्री से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर – भोलानाथ और उसके साथियों का जो वर्णन किया गया है वह तीस के दशक का ग्रामीण परिवेश में खेले जाने वाला खेल और खिलौने हैं। उस समय बच्चे अधिकतर हाथ की बनी चीजों से खेलते थे जैसे गिल्ली-डंडा, मिट्टी के खिलौने, कपड़े की गेंद आदि इसके अलावा वे कबड्डी, खो-खो, लुकाछिपी, पकड़म पकड़ाई, चाय चूड़ी आदि जबकि वर्तमान समय में खेलों की प्रकृति बिल्कुल बदल गई है अब के बच्चे क्रिकेट, फुटबॉल आदि खेल खेलते हैं और इसके अलावा अपना समय कंप्यूटर, टीवी तथा मोबाइल आदी मे बिताते हैं। अब के बच्चे शारीरिक श्रम की खेल नहीं खेलते हैं।
प्रश्न 5. पाठ में आए ऐसे प्रसंगों का वर्णन कीजिए जो आपके दिल को छू गए हों?
उत्तर – पाठ में आए ऐसे बहुत से प्रसंग हैं जो हमारे दिल को छू गए हैं ऐसे कुछ प्रसंग निम्नलिखित है-
(क) बच्चे के पिता द्वारा बच्चे को नहलाना-धुलाना उसे अपने साथ सुलाना उसे कंधे पर घुमाने ले जाना और खेलते समय जानबूझकर हार जाना
(ख) मां के द्वारा बच्चे को बहुत प्यार करना, उसे अपने हाथों से खाना खिलाना, सजाना सवारना और काला टीका लगाना
(ग) बच्चे को जब सांप दौड़ा रहा था तब लहूलुहान होकर बच्चे का मां के आंचल में छुप जाना आदि प्रसंग दिल को लेते हैं।
प्रश्न 6. इस उपन्यास अंश में तीस के दशक की ग्राम्य संस्कृति का चित्रण है। आज की ग्रामीण संस्कृति में आपको किस तरह के परिवर्तन दिखाई देते हैं।
उत्तर – इस उपन्यास अंश में लिखित या वर्णित तत्कालीन ग्रामीण संस्कृति की तुलना आज के ग्रामीण संस्कृति से की जाए तो दोनों संस्कृति के बीच बहुत बड़ा अंतर देखने को मिलेगा जहां पहले लोग भौतिक संसाधनों के अभाव में आपसी ठिठेले, मटरगश्ती और नोकझोंक से अपना मनोरंजन करते थे, रीति-रिवाजों और आदर्शों का पालन करते थे वही आज के लोग भौतिक साधनों जैसे- टीवी, मोबाइल, इंटरनेट, कंप्यूटर, रेडियो आदि को ही अपना मनोरंजन का साधन बना चुके हैं और पुराने रीति-रिवाजों तथा आदर्शों को भूलते जा रहे हैं।
प्रश्न 7. पाठ पढ़ते-पढ़ते आपको भी अपने माता-पिता को लाड़-प्यार याद आ रहा होगा। अपनी इन भावनाओं को डायरी में अंकित कीजिए।
उत्तर – सौम्य के बचपन की डायरी का एक पेज-
सोमवार, 12 अक्टूबर, 20XX
मनुष्य के मस्तिष्क से माता-पिता के स्नेह का चित्र कभी गायब नहीं होता है। मुझे याद है कि बचपन की वह घटना जब पिता जी ने मुझे मेरे जन्मदिन पर नई साइकिल दिलवाई थी। मुझे साइकिल चलाना नहीं आता था, इसलिए पिता जी मुझे बाग की ओर ले गए। वे घंटे भर साइकिल पकड़कर चलाना सिखाते रहे, पर मैंने उनसे कहा कि अब मैं खुद चलाऊँगा। मैं थोड़ी दूर ही गया था कि आगे थोड़ी ऊँचाई थी, जिसे मैं पार करना चाहता था पर साइकिल पार न हो सकी और पीछे की ओर सरकने लगी। मैं स्वयं को सँभाल न सकी और गिर पड़ा। साइकिल मेरे ऊपर थी। मेरे पैर चेन और गीयर के बीच में होने से घाव हो गया। पिता जी भागे-भागे आए। मुझे गोद में उठाया और डॉक्टर के पास ले गए। इलाज करवाया। इधर माँ और पिता जी हफ्तों तक मेरे ऊपर विशेष ध्यान रखते रहे। वह स्नेह मैं आज भी नहीं भूल पाया हूँ।
प्रश्न 8. यहाँ माता-पिता का बच्चे के प्रति जो वात्सल्य व्यक्त हुआ है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – प्रस्तुत कहानी माता का अंचल में माता-पिता का अपने बच्चे के प्रति जो व्यवहार दर्शाया गया है उसमें वात्सल्य रस की प्रचुरता देखने को मिलती है। जहां पिता अपने पुत्र के हर जिद को पूरा करने के लिए व्याकुल रहते हैं तथा अपने दिनचर्या के साथ पुत्र की दिनचर्या को जोड़ें रखते हैं वही माता अपने पुत्र के तनिक कष्ट को भी बर्दाश्त नहीं कर पाती है वह बेटे को परेशान देखकर व्याकुल हो उठती है और अपने बच्चे को अपनी गोद में भर लेती है। माता-पिता की ऐसी व्यवहार से यह स्पष्ट होता है कि वे अपने पुत्र से अगाध प्रेम करते है।
प्रश्न 9. माता का अँचल शीर्षक की उपयुक्तता बताते हुए कोई अन्य शीर्पक सुझाइए।
उत्तर – किसी भी कहानी, उपन्यास या नाटक का शीर्षक उसके मुख्य पात्र, घटनाक्रम या पाठ की महत्ता प्रकट करने वाला होता है। ‘माता को अंचल’ पाठ का शीर्षक इस पाठ की घटनाओं पर आधारित है। वास्तव में भोलानाथ अपने पिता के साथ अधिक लगाव रखता, वह उन्हीं के साथ पूजा पर बैठता, खेलता तथा वे ही भोलानाथ को गुरु जी से बचाकर लाए, पर बिल में पानी डालने पर जब अचानक साँप निकल आता है और भोलानाथ गिरता पड़ता घर आता है तो माँ के अंचल को सुरक्षित मान उसी में शरण लेता है। अतः यह शीर्षक पूर्णतः उपयुक्त है।
इस पाठ के अन्य शीर्षक हो सकते हैं-
1. बचपन के दिन
2. बच्चों की दुनिया
3. बचपन की दुनिया कितनी रंग-बिरंगी।
प्रश्न 10. बच्चे माता-पिता के प्रति अपने प्रेम को कैसे अभिव्यक्त करते हैं?
उत्तर – बच्चे का भी अपने माता पिता के साथ प्रेम पूर्ण संबंध बन जाता है और वे अपने माता-पिता के इच्छा या आकांक्षाओं को पूरा करने का प्रयास करते हैं वे अपने माता-पिता के भावनाओं का ख्याल रखते हैं और उनका सम्मान करते हैं अपने व्यवहार से ही बच्चे अपने माता-पिता के प्रति अपना प्रेम अभिव्यक्त करते हैं।
प्रश्न 11. इस पाठ में बच्चों की जो दुनिया रची गई है वह आपके बचपन की दुनिया से किस तरह भिन्न है?
उत्तर – प्रस्तुत पाठ में बच्चों की जो दुनिया रची गई है। उसकी पृष्ठभूमि पूर्णतया ग्रामीण जीवन पर आधारित है। प्रस्तुत कहानी तीस के दशक की है। तत्कालीन समय में बच्चों के | पास खेलने-कूदने का अधिक समय हुआ करता था। उनपर पढ़ाई करने का दबाव अब जितना नहीं था। ये अलग बात है कि उस समय उनके पास खेलने के अधिक साधन नहीं थे। वे लोग अपने खेल प्रकृति से ही प्राप्त करते थे और उसी प्रकृति के साथ खेलते थे। उनके लिए मिट्टी, खेत, पानी, पेड़, मिट्टी के बर्तन आदि साधन थे। आज तीन वर्ष की उम्र होते ही बच्चों को नर्सरी में भर्ती करा दिया जाता है। आज के बच्चे विडियो गेम, टी. वी., कम्प्यूटर, शतरंज आदि खेलने में लगे रहते हैं या फिर क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी, बेडमिण्टन या कार्टून आदि में ही अपना समय बीता देते हैं।
प्रश्न 12. फणीश्वरनाथ रेणु और नागार्जुन की आंचलिक रचनाओं को पढ़िए।
उत्तर – फणीश्वरनाथ रेणु का उपन्यास ‘मैला आँचल’ पठनीय है।
नागार्जुन का उपन्यास ‘बलचनमा’ आँचलिक है।
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