NCERT Solutions Class 9th Hindi Grammar पत्र लेखन- 2

NCERT Solutions Class 9th Hindi Grammar पत्र लेखन- 2

TextbookNCERT
Class Class 9th
Subject Hindi
Chapterहिन्दी व्याकरण  (Grammar)
Grammar Nameपत्र लेखन- 2
CategoryClass 9th  Hindi हिन्दी व्याकरण वा प्रश्न अभ्यास 
Medium Hindi
SourceLast Doubt
NCERT Solutions Class 9th Hindi Grammar पत्र लेखन- 2 पत्र किसे कहते हैं और कितने प्रकार के होते हैं? पत्र के भाग कितने होते हैं? पत्र लेखन का प्रारूप क्या है? पत्र लिखने का प्रारूप क्या है? पत्र का मुख्य अंग क्या है? पत्र का मुख्य कार्य क्या है? पत्र के गुण क्या है? पत्र लेखन में कितने घटक होते हैं? पत्र लेखन के नियम क्या हैं? लेखक कितने प्रकार के होते हैं? औपचारिक पत्र क्या है? पत्र की संरचना क्या है? आधिकारिक पत्र क्या है? अनौपचारिक पत्र किसे कहते हैं? अनौपचारिक पत्र में कितने पते होते हैं? मैत्रीपूर्ण पत्र का दूसरा नाम क्या है? मैत्रीपूर्ण पत्र कैसे लिखते हैं? आदि के बारे में पढ़ेंगे और जानने के साथ हम NCERT Solutions Class 9th Hindi Grammar पत्र लेखन- 2 व्याकरण करेंगे।

NCERT Solutions Class 9th Hindi Grammar पत्र लेखन -2

हिन्दी व्याकरण

पत्र लेखन- 2

पत्र-एक आवश्यकता-  पत्र लेखन दो व्यक्तियों के बीच संवाद स्थापित करने का एक साधन है। प्राचीन समय में भी इसका प्रचलन रहा है। आज भी है, परंतु प्रारूप में परिवर्तन आ गया है। सूचना-क्रांति के इस युग में मोबाइल फ़ोन, इंटरनेट आदि के प्रचलन से पत्र-लेखन में कमी आई है, फिर भी पत्रों का अपना विशेष महत्त्व है और रहेगा।

अन्य कलाओं की तरह ही पत्र-लेखन भी एक कला है। पत्र पढ़ने से लिखने वाले की एक छवि हमारे सामने उभरती है। कहा गया है कि धनुष से निकला तीर और पत्री में लिखा शब्द वापस नहीं आता है, इसलिए पत्र-लेखन करते समय सजग रहकर मर्यादित शब्दों का ही प्रयोग करना चाहिए।

अच्छे पत्र की विशेषताएँ-एक अच्छे पत्र में निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं-

पत्र की भाषा सरल, स्पष्ट तथा प्रभावपूर्ण होती है।
पत्र में संक्षिप्तता होनी चाहिए।
पत्र में पुनरुक्ति से बचना चाहिए, जिससे पत्र अनावश्यक लंबा न हो।
पत्र में सरल एवं छोटे वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए तथा उनका अर्थ समझने में कोई कठिनाई न हो।
पत्र में इस प्रकार के शब्दों का प्रयोग करना चाहिए कि उसमें आत्मीयता झलकती हो।
एक प्रकार के भाव-विचार एक अनुच्छेद में लिखना चाहिए।
पत्र में धमकी भरे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
पत्र के माध्यम से यदि शिकायत करनी हो तो, वह भी मर्यादित शब्दों में ही करना चाहिए।
पत्र में प्रयुक्त भाषा से आडंबर या दिखावा नहीं झलकना चाहिए।
पत्रों के अंगों आरंभ, कलेवर और समापन में संतुलन होना चाहिए।

पत्र के प्रकार पत्र मुख्यतया दो प्रकार के होते हैं-

1. अनौपचारिक पत्र
2. औपचारिक पत्र

1. अनौपचारिक पत्र- अनौपचारिक पत्रों का दूसरा नाम व्यक्तिगत पत्र भी है। ये पत्र अपने मित्रों, रिश्तेदारों, निकट संबंधियों तथा उन्हें लिखे जाते हैं, जिनसे हमारा नजदीकी या घनिष्ठ संबंध होता है। इन पत्रों में आत्मीयता झलकती है। इनका कथ्य निजी एवं घरेलू होता है।

2. औपचारिक पत्र – इस प्रकार के पत्र सरकारी, अर्धसरकारी कार्यालयों, संस्थाओं आदि को लिखे जाते हैं। इनमें प्रार्थना पत्र, आवेदन पत्र, शिकायती पत्र, सरकारी-अर्धसरकारी पत्र आदि शामिल हैं। ध्यान दें – नौवीं कक्षा के पाठ्यक्रम में केवल अनौपचारिक पत्र निर्धारित है। यहाँ अनौपचारिक पत्रों के बारे में हम विस्तारपूर्वक पढ़ेंगे।

अनौपचारिक पत्र कैसे लिखें – अनौपचारिक पत्र के विभिन्न अंगों को ध्यान में रखकर ये पत्र निम्नलिखित चरणों में लिखे जाते हैं-

1. लिखने वाले का पता एवं दिनांक- पत्र लेखन का आरंभ पत्र लेखक अपना पता और दिनांक लिखकर करता है। इसे बाएँ कोने में सबसे ऊपर लिखा जाता है। पहले पता लिखकर उसके ठीक नीचे दिनांक लिखना चाहिए।

2. संबोधन- दिनांक से ठीक नीचे अगली पंक्ति में उसके लिए संबोधन लिखा जाता है, जिसे हम पत्र भेज रहे हैं। (उचित संबोधन के लिए तालिका देखें।)

3. अभिवादन- संबोधन से अगली पंक्ति में पत्र पाने वाले के लिए उसकी उम्र, संबंध आदि के अनुसार उचित अभिवादन सूचक शब्द लिखा जाता है। (कृपया तालिका देखें।)

4. पत्र का कलेवर- इसे पत्र की सामग्री या विषय-वस्तु भी कहा भी जाता है। यह पत्र का मुख्य भाग है। हम जो कुछ भी कहना चाहते हैं, उसे इसी अंश में लिखा जाता है। भाव एवं विचार के अनुसार इसे अनुच्छेदों में बाँटा जा सकता है।

5. पत्र का समापन- पत्र को समाप्त करते समय पत्र पाने वाले के लिए यथायोग्य अभिवादन ज़रूर लिखना या ज्ञापित करना चाहिए।

6. स्वनिर्देश- यह पत्र का अंतिम चरण है। इस चरण में पत्र लिखने वाला अपने संबंध में उल्लेख करता है। इसमें पत्र पाने वाले के साथ संबंध और अपनी आयु का ध्यान रखना चाहिए। (स्वनिर्देश के लिए तालिका देखें।) ध्यान दें – प्रेषक का पता, दिनांक, अभिवादन, स्वनिर्देश आदि पत्र बाईं ओर से लिखने का प्रचलन है।

बोधन, अभिवादन और समापन के शब्द

संबंधप्रारंभअभिवादनस्वनिर्देश
1. माता-पिता, शिक्षक, दादा,चाचा, अन्य बड़े
2. बराबर वालों के लिए
3. अपने से छोटों के लिए
4. महान लोगों के लिए
5. औपचारिक पत्रों में
पूज्य, पूजनीय, श्रद्धेय आदरणीय
मित्रवर, प्रिय मित्र, प्रिय बंधु
प्रिय अनुज, प्रिय…….
आदरणीय, मान्यवर, माननीय
श्रीमान जी, महोदय, मान्यवर
सादर प्रणाम सादर नमस्ते,सादर चरण स्पर्श
नमस्ते नमस्कार
शुभाशीष, प्रसन्न रहो, चिरंजीव रहो

आपका प्रिय पुत्र, आपका आज्ञाकारी शिष्य, स्नेहाकांक्षी आदि ।
तुम्हारा अभिन्न मित्र, तुम्हारा प्रिय मित्र
तुम्हारा शुभचिंतक, हितैषी, स्नेही आदि।
भवदीय, विनीत, प्रार्थी आदि।
भवदीय, आपका आदि।

संबोधन, अभिवादन और समापन के शब्द

अब इन पर भी ध्यान दें –

यदि प्रश्न-पत्र में लिखने वाले का नाम-पता दिया गया हो, तो परीक्षा में पत्र लिखते समय वही नाम-पता लिखें, अपना नहीं।

प्रश्न-पत्र में कोई नाम-पता न होने पर ‘प्रेषक का पता’ के स्थान पर परीक्षा भवन तथा ‘नाम’ के स्थान पर क. ख. ग. या अ. ब. स. लिखना चाहिए।

व्यक्तिगत पत्रों में अपने नाम के साथ जाति सूचक नाम देने की आवश्यकता नहीं होती है।

अपना पता एवं दिनांक1 अंक
आरंभ एवं अंत1 अंक
विषय-वस्तु2 अंक
भाषा-शैली1 अंक

अनौपचारिक पत्र का प्रारूप

1. आपके विद्यालय से जम्मू-कश्मीर भ्रमण हेतु छात्रों का एक दल जा रहा है। इस यात्रा में शामिल होने के कारणों का उल्लेख करते हुए अपने पिता जी से अनुमति माँगते हुए पत्र लिखिए।

उत्तर-

परीक्षा भवन
नई दिल्ली
10 मार्च 20XX
पूज्य पिता जी
सादर चरण स्पर्श!मैं छात्रावास में स्वस्थ एवं प्रसन्न रहकर आशा करता हूँ कि आप भी सानंद होंगे। मैं ईश्वर से यही कामना भी करता हूँ। पिता जी ! इस माह के अंतिम सप्ताह में परीक्षा समाप्त होने के बाद हमारे विद्यालय से छात्रों का एक दल शैक्षिक भ्रमण हेतु जम्म-कश्मीर जा रहा है। इस दल के साथ हमारे कक्षाध्यापक, पी.टी.आई. तथा तीन अन्य अध्यापक भी जा रहे हैं। इस भ्रमण का उद्देश्य छात्रों को जम्मू-कश्मीर की भौगोलिक रचना से परिचय कराते हुए वहाँ की संस्कृति की जानकारी देना है। इस भ्रमण का एक अन्य लाभ यह भी है कि छात्र ‘धरती का स्वर्ग’ कहलाने वाले कश्मीर का प्राकृतिक सौंदर्य साक्षात् देख सकें। इस दल में शामिल होने के लिए तीन हज़ार रुपये तथा आपकी अनुमति आवश्यक है।

पूज्या माता जी को चरण स्पर्श तथा सरिता को स्नेह।
शेष सब ठीक है।
आपका प्रिय पुत्र
साक्ष्य सिंह

2. भविष्य में दसवीं के बाद क्या करना चाहते हैं। इससे अवगत कराते हुए अपने मामा जी को पत्र लिखिए।

उत्तर –

परीक्षा भवन
नई दिल्ली
10 मार्च 20XX
पूज्य पिता जी
सादर चरण स्पर्श!मैं छात्रावास में स्वस्थ एवं प्रसन्न रहकर आशा करता हूँ कि आप भी सानंद होंगे। मैं ईश्वर से यही कामना भी करता हूँ। पिता जी ! इस माह के अंतिम सप्ताह में परीक्षा समाप्त होने के बाद हमारे विद्यालय से छात्रों का एक दल शैक्षिक भ्रमण हेतु जम्म-कश्मीर जा रहा है। इस दल के साथ हमारे कक्षाध्यापक, पी.टी.आई. तथा तीन अन्य अध्यापक भी जा रहे हैं। इस भ्रमण का उद्देश्य छात्रों को जम्मू-कश्मीर की भौगोलिक रचना से परिचय कराते हुए वहाँ की संस्कृति की जानकारी देना है। इस भ्रमण का एक अन्य लाभ यह भी है कि छात्र ‘धरती का स्वर्ग’ कहलाने वाले कश्मीर का प्राकृतिक सौंदर्य साक्षात् देख सकें। इस दल में शामिल होने के लिए तीन हज़ार रुपये तथा आपकी अनुमति आवश्यक है।

पूज्या माता जी को चरण स्पर्श तथा सरिता को स्नेह।
शेष सब ठीक है।
आपका प्रिय पुत्र
साक्ष्य सिंह

3. अपने पिता जी को पत्र लिखकर सूचित कीजिए कि वार्षिक परीक्षा के लिए आपकी तैयारी कैसी है।

उत्तर –

परीक्षा भवन
नई दिल्ली।
28 जनवरी, 20XX
पूज्य पिता जी
सादर चरण स्पर्श।कल शाम आपका पत्र मिला। पढ़कर बड़ी खुशी हुई कि आप सभी सकुशल हैं। मैं भी यहाँ स्वस्थ रहकर अपनी परीक्षा की तैयारी कर रहा हूँ। आपने पत्र में वार्षिक परीक्षा की तैयारी के बारे में जानना चाहा है, जो मैं लिख रहा हूँ।

पिता जी! इस बार मैंने आपके निर्देशानुसार शुरू से ही पढ़ाई की, जिससे समय से पहले कोर्स पूरा हो गया है। आजकल मैं कोर्स को दोहरा रहा हूँ। इस बार मैंने सभी विषयों के लिए समान समय दिया, जिससे कोई विषय कठिन नहीं लगा। अब मैं कठिन प्रश्नों को ढूँढकर विषयाध्यापक की सहायता से हल कर लेता हूँ। इधर कक्षा टेस्ट में मुझे अच्छे अंक मिले हैं। मुझे विश्वास है कि इस बार जरूर अच्छे अंक प्राप्त करूँगा।

पूजनीय माता जी को चरण स्पर्श और शैली को स्नेह। शेष मिलने पर।
पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में
आपका आज्ञाकारी पुत्र
विशाल

4. आपके चाचा जी ने आपके लिए कुछ पुस्तकें भेजी हैं। उन पुस्तकों की उपयोगिता एवं आवश्यकता बताते हुए उन्हें धन्यवाद देते हुए पत्र लिखिए।

उत्तर –

परीक्षा भवन
नई दिल्ली
05 अक्टूबर 20XX
पूज्य चाचा जी
सादर प्रणाम!मैं यहाँ सकुशल रहकर आशा करता हूँ कि आप भी सानंद होंगे। मैं ईश्वर से कामना भी करता हूँ।
चाचा जी, कल शाम को आपके द्वारा भेजा गया पार्सल प्राप्त हुआ। पार्सल वजनदार होने के कारण मैं तरह-तरह के अनुमान लगाते हुए उसे उत्सुकतावश खोलने लगा। मेरी खुशी और आश्चर्य का ठिकाना उस समय नहीं रहा जब पार्सल में से एक के बाद एक पूरी पाँच पुस्तकें निकलीं। इनमें दोनों कहानी संग्रह से मेरा ज्ञानवर्धन एवं मनोरंजन होगा तो ‘विज्ञान की खोजें’ ‘हमारे वैज्ञानिक’ नामक पुस्तकें विज्ञान विषय में मेरी रुचि उत्पन्न करते हुए जिज्ञासा बढ़ाएँगी। ‘हमारे पूर्वज’ नामक पुस्तक हमें भारतीय संस्कृति से परिचित कराते हुए जीवन मूल्यों की शिक्षा देगी। इतनी सुंदर एवं उपयोगी पुस्तकें भेजने हेतु आपको बार-बार धन्यवाद। इन्हें देखते ही आपकी छवि एवं याद मानस पटल पर तरोताज़ा हो उठेगी। एक बार पुनः आपको धन्यवाद।

चाची जी को प्रणाम एवं कविता को स्नेह। पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में
आपका भतीजा
अनुराग वर्मा

5. अपने पिता जी को पत्र लिखकर बताइए कि ग्रीष्मावकाश में आपने क्या-क्या कार्यक्रम बनाया है?

उत्तर –

परीक्षा भवन
नई दिल्ली
02 मई, 20XX
पूज्य पिता जी
सादर चरण स्पर्श।आपका भेजा हुआ पत्र मिला। पत्र पढ़कर सब हाल-चाल मालूम किया। आप सभी की कुशलता जानकर खुशी हुई। मैं भी यहाँ स्वस्थ एवं प्रसन्न हूँ। पत्र में आपने ग्रीष्मावकाश कार्यक्रम के बारे में पूछा था, मैं उसी के बारे में लिख रहा हूँ।

पिता जी! इस बार ग्रीष्मावकाश में मैंने कुछ नया करने का मन बनाया है। हमारे विद्यालय से कुछ दूरी पर मज़दूरों की जो अस्थायी बस्ती है, मैं अपने मित्र के साथ सवेरे नियमित रूप से जाऊँगा और मज़दूरों के बच्चों को प्रतिदिन पढ़ाऊँगा। इसके लिए पिछले रविवार को मेरे मित्र ने वहाँ जगह देख ली है और मज़दूरों से बातचीत कर ली है। हमारी योजना जानकर वे बड़े खुश हुए। अब मैं अपने प्रधानाचार्य से प्रार्थना करूँगा कि वे पुस्तकालय से कुछ पुस्तकें तथा कापियाँ देने की कृपा करें। रबड़ और पेंसिल का प्रबंध हम दोनों अपनी जेब खर्च के बचाए पैसों से कर लेंगे। हमारा प्रयास होगा कि हम उन बच्चों में शिक्षा के प्रति रुचि उत्पन्न कर उन्हें पढ़ना-लिखना सिखा सकें। इसके लिए आपकी प्रेरणा और उत्साहवर्धन ज़रूरी है।

पूजनीय माता जी को चरण स्पर्श तथा संचिता को स्नेह। शेष सब ठीक है।
पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में
आपका प्रिय पुत्र
यश

6. आप लंबी दौड़ प्रतियोगिता में राज्य स्तर पर प्रथम आए हैं। राज्य सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रम में आपको मुख्यमंत्री के हाथों पुरस्कृत किया जाना है। इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अपने दादा जी को पत्र लिखिए।

उत्तर –

बिरसा मुंडा छात्रावास
राँची, झारखंड
20 नवंबर 20XX
पूज्य दादा जी
सादर चरण स्पर्श!मैं यहाँ सकुशल रहकर आपकी कुशलता की कामना किया करता हूँ।

दादा जी, आपको यह जानकर अत्यंत हर्ष होगा कि कल 19 नवंबर आयोजित प्रदेश स्तरीय दौड़ प्रतियोगिता में मैंने भी भाग लिया था। आपके आशीर्वाद से इसमें मैंने प्रथम स्थान प्राप्त किया। इस उपलब्धि पर मैं भी गर्व एवं रोमांच का अनुभव कर रहा है। राज्य सरकार द्वारा विभिन्न प्रतियोगिताओं में प्रथम एवं द्वितीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को मुख्यमंत्री के हाथों पुरस्कृत किया जाएगा। मेरी हार्दिक इच्छा है कि इस कार्यक्रम में आप भी उपस्थित रहें और मुझे पुरस्कृत होता हुआ देखें। इसका आयोजन 30 नवंबर को राँची में किया जाएगा।

दादी जी को चरण स्पर्श कहना। शेष कुशल है। आपके आने की प्रतीक्षा में
आपका पौत्र
रंजन टेटे

7. आप स्वामी विवेकानंद छात्रावास, जयपुर रोड कोटा, राजस्थान के छात्र हैं। नए सत्र की तैयारी हेतु आपको कुछ रुपयों की आवश्यकता है। रुपये मँगवाने के लिए अपने पिता जी को पत्र लिखिए।

उत्तर –

स्वामी विवेकानंद छात्रावास
जयपुर रोड, कोटा
राजस्थान
03 अप्रैल, 20XX
पूज्य पिता जी
सादर चरण स्पर्शआपका पत्र मिला। यह पढ़कर बड़ी खुशी हुई कि आप सभी आनंदपूर्वक जीवन बिता रहे हैं। मैं भी यहाँ स्वस्थ एवं प्रसन्न हूँ। पिता जी! यह जानकर आपको अत्यंत हर्ष होगा कि 31 मार्च को नौवीं कक्षा का परीक्षा परिणाम घोषित कर दिया गया, जिसमें 85% अंक प्राप्त हुए हैं। अब नए सत्र की पढ़ाई 07 अप्रैल से शुरू होनी है। इसके लिए मुझे पुस्तकें और कापियाँ खरीदनी हैं। मुझे छात्रावास की फ़ीस भी जमा करानी है। इसके अलावा दसवीं कक्षा की तीन महीने की फ़ीस भी जमा करवानी है। इन सब कामों के लिए मुझे 5000 रु. की आवश्यकता है। आप इन्हें शीघ्र भिजवा दीजिए ताकि मैं नए सत्र की तैयारी समय से करके अपनी पढ़ाई-लिखाई शुरू कर सकूँ।

पूज्या माता जी को चरण स्पर्श एवं शैली को स्नेह। पत्र का जवाब शीघ्र देना।

आपका प्रिय पुत्र
अर्पित

8. पढ़ाई के लिए लैपटॉप और इंटरनेट की उपयोगिता बताते हुए इसे खरीदने का अनुरोध करते हुए अपने पिता जी को पत्र लिखिए।

उत्तर –

मानसरोवर छात्रावास
मानसरोवर गार्डेन, दिल्ली।
10 अगस्त, 20XX
पूज्य पिता जी
सादर चरण स्पर्श!मैं सकुशल रहकर आशा करता हूँ कि आप भी सकुशल होंगे और मैं ईश्वर से यही कामना भी करता हूँ।

पिता जी, आगामी महीने में हमारी मिड टर्म परीक्षा होनी है। इसे देखते हुए अत्यंत जोर-शोर से पढ़ाई कराई जा रही है। विभिन्न विषयों के पाठ पढ़ाते हुए गृहकार्य दिए जा रहे हैं तथा प्रोजेक्ट वर्क भी करवाए जा रहे हैं। प्रोजेक्ट के लिए आवश्यक सामग्री ढूँढ़ने के लिए कैफे में काफ़ी समय नष्ट करना पड़ता है। इससे पढ़ाए गए पाठों को दोहराने का समय ही नहीं मिल पाता है तथा कभी-कभी तो गृहकार्य तक अधूरा रह जाता है। जिन बच्चों के पास कंप्यूटर या इंटरनेट है, वे अपने सभी काम शीघ्रता से कर लेते हैं। इतना ही नहीं कई छात्र पी.डी.एफ. के रूप में पाठ्यपुस्तकों को लैपटॉप में डाउनलोड कर रखा है। इससे उनके बस्ते का बोझ कम हो गया है। इसके अलावा लैपटॉप अन्य शैक्षिक कार्यों में बहुत उपयोगी एवं सहायक है। मैं भी एक लैपटॉप की आवश्यकता महसूस कर रहा हूँ। मैं चाहता हूँ कि आप मेरे लिए भी एक लैपटॉप खरीदने का कष्ट करें।

पूज्या माता जी को चरण स्पर्श तथा सुरभि को स्नेह। पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में,

आपका प्रिय पुत्र
सौरभ कुमार

9. आपके विद्यालय ने वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया। इसमें अपनी भूमिका का उल्लेख करते हुए अपने पिता जी को पत्र लिखिए।

उत्तर –

परीक्षा भवन
नई दिल्ली।
25 अगस्त 20XX
पूज्य पिता जी
सादर चरण स्पर्श।कल शाम आपका पत्र मिला। आप सभी के स्वस्थ होने की बात जानकर बड़ी खुशी हुई। मैं भी यहाँ स्वस्थ एवं प्रसन्न रहकर अपनी पढ़ाई कर रहा हूँ तथा समय-समय पर विद्यालय द्वारा आयोजित पाठ्येत्तर क्रियाओं में भाग ले रहा हूँ। पिता जी!

अगस्त माह के प्रथम सप्ताह में हमारे विद्यालय में वृक्षारोपण कार्यक्रम मनाया गया। इसमें अन्य छात्रों के अलावा मैंने भी उत्साहपूर्वक भाग लिया। प्रधानाचार्य जी ने उद्यान अधिकारी को पत्र लिखकर 500 पौधे मँगवा लिए थे। इनमें अधिकांश छाया देने वाले पौधे हैं। हमने खेल शिक्षक के निर्देशानुसार जगह-जगह गड्ढे खोदे। उन गड्ढों में खाद मिलाई । नौ बजते-बजते इस कार्यक्रम में आमंत्रित अतिथि उप शिक्षा निदेशक भी आ गए। उन्होंने नीम का एक पौधा लगाकर शुभारंभ किया। इसके बाद प्रधानाचार्य एवं शिक्षकों ने एक-एक पौधा लगाया। मैंने भी दो गड्ढों में नीम और पीपल के पेड़ लगाए। उनमें पानी देकर तार की जालियाँ लगाईं। मैंने इन पौधों की रक्षा का वचन भी लिया। हमारे इस पुनीत काम से बादल भी प्रसन्न हुए और उन्होंने पौधों को स्वयं पानी देना शुरू कर दिया। इन पौधों के लगने से विद्यालय का वातावरण बदला-सा नज़र आ रहा था।

पूज्या माता जी को चरण स्पर्श और काव्या को स्नेह।
आपके पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में

आपका प्रिय पुत्र
क्षितिज

10. आप जिम कार्बेट अभयारण्य घूमकर लौटे हैं। वहाँ के रोमांचक एवं अनूठे अनुभव को बताते हुए बड़ी बहन को पत्र लिखिए।

उत्तर –

टैगोर छात्रावास
टैगोर गार्डेन, दिल्ली
30 सितंबर 20XX
आदरणीया बड़ी बहन
सादर नमस्ते!मैं यहाँ सकुशल रहकर आशा करता हूँ कि आप भी सकुशल होंगी। बहन, जैसा कि मैंने पिछले पत्र में बताया था कि हमारे विद्यालय से शैक्षिक भ्रमण हेतु टूर जिम कार्बेट अभयारण्य गया था। मैं भी इस दल में शामिल था। उसी टूर के अद्भुत अनुभव मैं आपको बताना चाह रहा हूँ।

जिम कार्बेट नेशनल पार्क उत्तराखंड राज्य के रामनगर में स्थित है जो नैनीताल में है। यह भारत का पहला ‘बाघ संरक्षित क्षेत्र’ एवं राष्ट्रीय पार्क है। हिमालय की शिवालिक पर्वत श्रृंखला की तलहटी में स्थित इस पार्क का प्राकृतिक सौंदर्य अत्यंत मनोहारी है। यह हमारी प्राकृतिक विरासत का एक भाग है। यहाँ बाघ एवं अन्य जीवों के शिकार पर प्रतिबंध है। यहाँ उन्मुक्त रूप से टहलते, उछलते-कूदते बाघों को देखना, कभी-कभी उनकी मादा और शावकों के साथ देखने का अनुभव अत्यंत रोमांचक एवं अनूठा है। इस पार्क में लगभग 600 हाथी तथा अनेक जातियों के स्थानीय एवं विदेशी पक्षी भी रहते हैं। इस नेशनल पार्क का नामकरण एक प्रसिद्ध शिकारी ‘एडवर्ड जिम जेम्स कार्बेट’ के नाम पर रखा गया है। इस पार्क को बार-बार देखने आने के लिए मन मचलता है।

पूज्या माता जी एवं पिता जी को चरण स्पर्श कहना। शेष अगले पत्र में,

आपका अनुज
मनस्वी शर्मा

11. अपनी माता जी के धीरे-धीरे स्वस्थ होने का समाचार देते हुए अपने पिता जी को पत्र लिखिए।

उत्तर –

परीक्षा भवन
नई दिल्ली
05 सितंबर, 20XX
पूज्य पिता जी
सादर चरण स्पर्शमैं स्वयं स्वस्थ एवं प्रसन्न रहकर आशा करती हूँ कि आप भी स्वस्थ एवं प्रसन्न होंगे तथा मैं यही कामना भी करती हूँ। पिता जी, यह पत्र में करीब एक माह बाद लिख रही हूँ। इसका कारण यह है कि माँ की अचानक तबीयत खराब हो गई। उन्हें बुखार और सिरदर्द रहने लगा। डॉक्टर को दिखाने पर पता चला कि बुखार के अलावा उन्हें उच्च रक्तचाप की भी समस्या है। दवा देने पर भी बुखार न उतरता देख उन्हें भरती करवाना पड़ा। तीन दिन बाद उनका बुखार कम हो गया। डॉक्टर ने उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी। एक सप्ताह तक नियमित दवाएँ लेने से अब वे पूरी तरह स्वस्थ हैं। उन्हें उच्च रक्तचाप से भी अब काफ़ी आराम है।

पिता जी! यह सब जानकर आप बिल्कुल मत घबराना। दशहरे की छुट्टियों के कारण मैं और संयोग घर पर ही थे। हम दोनों ने माँ की यथासंभव देखभाल की और अब भी कर रहे हैं। अब तो माँ घर के कुछ काम करने लगी हैं। उनकी दवाएँ अब बंद हो चुकी हैं। आप अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना तथा पत्रोत्तर शीघ्र देना। शेष सब ठीक है।

आपकी प्रिय पुत्री
प्राची मौर्या

12. मित्र की दादी के निधन पर शोक संवेदना प्रकट करते हुए पत्र लिखिए।

उत्तर –

मदन मोहन मालवीय छात्रावास
कैंट रोड, वाराणसी (उ.प्र.)
05 जुलाई, 20XX
प्रिय मित्र सतीश
सप्रेम नमस्तेतुम्हारा भेजा पत्र कल ही शाम को मिला। पत्र पढ़कर बड़ा दुख हुआ कि तुम्हारी दादी का स्वर्गवास हो गया।

मित्र! पत्र पढ़कर एक बार तो विश्वास ही नहीं हुआ कि दादी अब इस दुनिया में ही नहीं रहीं। अभी पिछले महीने ही तो मैं तुम्हारे साथ उनसे मिलकर आया था। उनसे मिलकर हम दोनों कितना खुश हुआ करते थे। कितनी अच्छी इंसान थीं वह।। मित्र! जीवन-मरण ईश्वर के हाथ होता है। उस पर किसी का भी ज़ोर नहीं। वह इतने समय के लिए इस दुनिया में आई थीं। फिर, अच्छे इंसानों की ज़रूरत ईश्वर को भी होती है, इसलिए उसने उन्हें अपने पास बुला लिया। अब ईश्वर इनकी आत्मा को शांति प्रदान करें तथा तुम्हारे परिवार वालों को यह आकस्मिक दुख सहन करने की शक्ति दें। मेरी संवेदनाएँ तुम्हारे परिवार के साथ हैं। शोक की इस घड़ी में मैं तुम्हारे साथ हूँ।

अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना। घर आते ही तुमसे मिलने आऊँगा। शेष कुशल है।

तुम्हारा अभिन्न मित्र,
उत्कर्ष

13. आपकी बड़ी बहन का चयन भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में परिवीक्षाधीन अधिकारी पद पर हो गया है। उन्हें बधाई देते हुए पत्र लिखिए।

उत्तर –

ज्ञान कुंज छात्रावास
कोटा, राजस्थान
20 सितंबर 20XX
आदरणीया बड़ी बहन
सादर प्रणाम!मैं यहाँ सकुशल रहकर आशा करता हूँ कि आप भी सकुशल होंगी और मैं यही कामना भी करता हूँ।

कल शाम को आपके द्वारा भेजे गए पत्र का लिफ़ाफ़ा खोलते ही मुझे जो खुशी प्राप्त हुई, उसका वर्णन मैं शब्दों में नहीं कर सकता हूँ। मुझे यह जानकर अतीव प्रसन्नता हुई कि आपका चयन भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में परिवीक्षाधीन अधिकारी पद पर प्रथम प्रयास में ही हो गया है। इसके लिए मैं आपको बार-बार बधाई देता हूँ। आपकी इस सफलता से माता-पिता और आपका सपना पूरा हो गया। खुशी के इस अवसर पर मैं कामना करता हूँ आप इस पद पर भली प्रकार से कार्य करें और सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ती जाए। ऐसी शानदार सफलता के लिए आपको पुनः बधाई।

माता एवं पिता जी को प्रणाम कहना। शेष अगले पत्र में,

आपका अनुज
श्यामू शर्मा

14. आपके विद्यालय में नए शिक्षक आए हैं। उनकी विशेषताएँ बताते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए।

उत्तर –

परीक्षा भवन
नई दिल्ली
15 जुलाई, 20XX
प्रिय मित्र पीयूष
सप्रेम नमस्ते।मैं यहाँ सकशल रहकर आशा करता हूँ कि तुम भी सकुशल होंगे। तुम्हारी कुशलता हेतु मैं कामना करता हूँ। इस पत्र के माध्यम से मैं अपने विद्यालय में आए नए शिक्षक की विशेषताएँ बताना चाहता हूँ। मित्र, हमारे विद्यालय में जुलाई के प्रथम सप्ताह में गणित विषय के नए शिक्षक आए हैं। इनके आने से गणित की हमारी कक्षाएँ लगने लगी हैं। इन नए अध्यापक के पढानेलिखाने का ढंग मुझे बेहद पसंद आया। गणित के जो सवाल मेरे सिर के ऊपर से निकल जाते थे, अब वही आसान से लगने लगे हैं। सबसे अच्छी बात तो यह है कि उनसे चाहे जितनी बार सवाल पूछो, वे झल्लाते नहीं हैं और न छात्रों को डाँटते-डपटते हैं। वे सरल विधि से सवाल कराकर हमारा टेस्ट लेते हैं। जिन छात्रों के सवालों में अशुद्धियाँ होती हैं, उन्हें तुरंत ही दूर कर देते हैं। वे पीरियड लगते ही कक्षा में आ जाते हैं और पूरे पीरियड भर पढ़ाते हैं। वे हम छात्रों के प्रिय बन गए हैं।

अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम और शुभि को स्नेह कहना। पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में,

तुम्हारा अभिन्न मित्र
पुष्कर

15. आपके मित्र ने ग्रीष्मावकाश में आपको दिल्ली की सैर कराई। उसे धन्यवाद देते हुए पत्र लिखिए।

उत्तर –

ए-15, आशीर्वाद अपार्टमेंट
रेलवे स्टेशन रोड, अमेठी (उ.प्र.)
26 जून, 20XX
प्रिय मित्र अभिनव

नमस्तेमैं यहाँ सकुशल रहकर आशा करता हूँ कि तुम भी वहाँ सपरिवार स्वस्थ एवं प्रसन्न होंगे। मैं तुम्हारी कुशलता हेतु ईश्वर से कामना करता हूँ। मित्र! इस ग्रीष्मावकाश के करीब 15 दिन मैंने तुम्हारे साथ बिताए। ये दिन मुझे आजीवन याद रहेंगे। तुमने मुझे दिल्ली के महत्त्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक महत्त्व वाले स्थानों की जो सैर कराई है, उन्हें मैं भूल नहीं पा रहा हूँ। मैं कभी लालकिला, संसद भवन, जंतर-मंतर के बारे में पढ़ा करता था, पर अब तो उनकी छवि मेरी आँखों में बस गई है। वो लोटस टेंपल, इस्कान मंदिर एवं अक्षरधाम मंदिर की शांति एवं सुंदरता मनोमस्तिष्क को भा रही थी। बाल भवन, डॉलम्यूजियम, नेहरू तारामंडल, रेल भवन में रखा पुराना रेल इंजन एवं राजघाट की यादें अब भी तरोताज़ा हैं। मैट्रो की वातानुकूलित यात्रा ने तो गरमी का पता भी न लगने दिया। सच कहूँ तो इन्हें दुबारा देखने का मोह मन से नहीं जा रहा है। मैं इन सबके लिए तुम्हें धन्यवाद देना चाहता हूँ। अपने माता-पिता जी को मेरा प्रणाम कहना। शेष मिलने पर।

तुम्हारा अभिन्न मित्र
पंकज शर्मा

16. आप दसवीं के बाद विज्ञान विषय से ही पढ़ाई क्यों करना चाहते हैं? यह बताते हुए मित्र को पत्र लिखिए।

उत्तर –

बी-312, मुखर्जी मार्ग
मालवीय नगर, दिल्ली 1
0 अप्रैल, 20XX
प्रिय मित्र संचित
नमस्तेमैं स्वस्थ एवं प्रसन्न रहकर आशा करता हूँ कि तुम भी स्वस्थ एवं प्रसन्न होंगे तथा ईश्वर से मैं यही कामना करता हूँ। मैं विज्ञान वर्ग की पढ़ाई क्यों करना चाहता हूँ, यही पत्र के माध्यम से बता रहा हूँ।

मित्र! विज्ञान बेहद रुचिकर विषय है जो हमें प्रयोगों दवारा स्वयं करके सीखने का अवसर देता है। बस इसके लिए थोड़ी मेहनत करने की ज़रूरत है। विज्ञान वर्ग में दसवीं के बाद पढ़ाई करके ही हम इंजीनियरिंग और चिकित्सीय सेवाओं में जा सकते हैं। फार्मेसी का ज्ञान हो या चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ी अन्य नौकरियाँ पाने का साधन यही है। इसके अलावा मानवता की सेवा करने का सर्वोत्तम तरीका हम विज्ञान विषय पढ़कर अपना सकते हैं। पत्रोत्तर में लिखना कि तुम दसवीं के बाद किस वर्ग की पढाई करना चाहते हो। अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम और शैली को स्नेह कहना। शेष अगले पत्र में।

तुम्हारा अभिन्न मित्र
विजय

17. आपका मित्र मोहित अपने राज्य की अंडर 19 क्रिकेट टीम में चुन लिया गया है। इसके लिए बधाई देते हुए उसे पत्र लिखिए।

उत्तर –

सरस्वती छात्रावास
गोमती नगर, लखनऊ (उ.प्र.)
15 नवंबर, 20XX
प्रिय मित्र
मोहित सप्रेम नमस्ते!मैं सकुशल रहकर तुम्हारी कुशलता की कामना करता हूँ। मित्र, कल शाम को मिले तुम्हारे पत्र से पता चला कि तुम्हारा चयन उत्तर प्रदेश की अंडर-19 क्रिकेट टीम के लिए हो गया है। इसके लिए सबसे पहले मेरी बधाई स्वीकार करो। मित्र, याद करो एक बार हमारे खेल एवं शिक्षक ने कहा था कि मोहित, मन लगाकर प्रैक्टिस करो, तुम्हारी मेहनत रंग लाएगी। उन्होंने यह भी कहा था कि ‘खेलोगे कूदोगे होगे खराब’ की सोच और परिस्थितियाँ अब पूरी तरह बदल गई हैं। उनकी बातें तुमने सच कर दिखाया है। यह तुम्हारे द्वारा किए गए परिश्रम का ही परिणाम है कि तुम्हारा नाम उत्तर प्रदेश के हर अखबार में छप गया। मेरी कामना है कि तुम अपने खेल से अपनी टीम को विजयी बनाओ ताकि राष्ट्रीय टीम में चयनित होकर देश का नाम रोशन करो। इस सफलता के लिए पुनः-पुनः बधाई।

अंकल-आंटी को मेरा प्रणाम कहना तथा यामिनी को स्नेह।

तुम्हारा अभिन्न मित्र
निशांत

18. किसी पर्वतीय स्थल की यात्रा का वर्णन करते हुए अपने विदेशी मित्र को ग्रीष्मावकाश में भ्रमण हेतु आमंत्रित करते हुए पत्र लिखिए।

परीक्षा भवन
नई दिल्ली
05 मई 20XX
प्रिय मित्र डेविड जानसन
सप्रेम नमस्ते!तुम्हारा भेजा पत्र परसो किसी पर्वतीय स्थल पर मिला। तुम्हारी कुशलता जानकर खुशी हुई। तुमने लिखा कि जून में तुम घूमने जाने की योजना बना रहे हो, तो मैं तुम्हें भारत आने के लिए आमंत्रित करता हूँ।

मित्र हमारे देश के उत्तरी-पूर्वी छोर पर उत्तराखंड नामक पर्वतीय स्थल है। यहाँ की मनोहारी प्राकृतिक छटा मन मोहने वाली है। इस पर्वतीय प्रदेश में सुबह पूरब दिशा की लालिमा देखते ही बनती है। यहाँ पल में बादल छा जाते हैं और पल भर में सूर्य चमकने लगता है। बरसात के बाद आसमान में चमकता सतरंगी इंद्र धनुष देखकर मन झूम उठता है। यहाँ प्रकृति को देखकर लगता है कि प्रकृति पल-पल में अपना वेश बदल रही है। यहाँ के हरे-भरे पेड़ों पर कलरव करते पक्षी मलय पर्वत से आती शीतल हवाएँ मन को प्रसन्नचित्त कर देती हैं। यहाँ के ऊँचे-नीचे सर्प के आकार वाले रास्ते पर बस या कार की यात्रा मन को रोमांचित कर देती है। मैं चाहता हूँ कि इस ग्रीष्मावकाश में भारत आओ और इस सौंदर्य को देखो।

अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना। शेष अगले पत्र में

तुम्हारा अभिन्न मित्र
अमन कुमार

19. अपने चाचा जी को पत्र लिखकर बताइए कि आपके विद्यालय में खेल-दिवस किस प्रकार मनाया गया तथा उसमें आपने कैसे अपनी भागीदारी निभाई।

उत्तर –

परीक्षा भवन
नई दिल्ली
20 जनवरी, 20XX
आदरणीय चाचा जी
सादर प्रणाममैं यहाँ सकुशल रहकर आशा करता हूँ कि आप भी सपरिवार सानंद जीवन बिता रहे होंगे। मैं ईश्वर से यही कामना भी करता हूँ। आपने पिछले पत्र में मेरी पढ़ाई और खेल-दिवस के बारे में पूछा था, इस पत्र में उसी का उल्लेख कर रहा हूँ।

चाचा जी! हमारे विद्यालय का खेल-दिवस इस वर्ष 17 जनवरी, 20XX को मनाया गया, जिसके संबंध में दो सप्ताहपूर्व ही सूचना दे दी गई थी। छात्रों ने इसके लिए जी-जान लगाकर तैयारी की थी। इस अवसर पर जोनल शिक्षा अधिकारी को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। खेलों का शुभारंभ अधिकारी महोदय ने फीता काटकर किया। सबसे पहले 50 मीटर, फिर 100 मीटर दौड़ आयोजित की गई। इसके तुरंत बाद लंबी कूद, ऊँची कूद और गोला फेंकने की प्रतियोगिता हुई। इसके बाद रस्साकसी प्रतियोगिता हुई, जिसमें बड़ा मज़ा आया। इनमें प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान पाने वाले छात्रों को अधिकारी महोदय ने पुरस्कृत किया। मैंने 50 मीटर दौड़ और लंबी कूद में भाग लिया और क्रमशः द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त किया। इन खेलों से हमारी प्रतियोगी एवं सहभागिता की भावना प्रगाढ़ हुई।

चाची जी को प्रणाम और रौनक को स्नेह। शेष सब ठीक है।

आपका भतीजा
कनिष्क

20. आपके मित्र की माता जी का निधन हो गया। उनके आकस्मिक निधन पर शोक प्रकट करते हुए पत्र लिखिए।

उत्तर –

307/4, विकास मार्ग
विवेक विहार, दिल्ली
10 अक्टूबर, 20XX
प्रिय मित्र सुयश
सप्रेम नमस्ते!आज दोपहर में ही तुम्हारा भेजा पत्र मिला। पत्र में यह अविश्वसनीय बात पढ़कर सन्न रह गया कि तुम्हारी माता जी का देहांत हो गया। उनके इस आकस्मिक निधन की बात पर मन अब भी विश्वास नहीं कर पा रहा है। उनकी मृत्यु सुनकर जब मैं इतना दुखी हो रहा हूँ तो तुम्हारे मन को और भी दुख हुआ होगा। यह मैं अच्छी तरह अनुभव कर रहा हूँ।

मित्र, तुम्हारी माता जी ने तो तुझमें और मुझमें कोई फर्क ही नहीं किया। मुझे उनसे असीम स्नेह मिलता था, पर मित्र जीनामरना ईश्वर के हाथ में है। उसकी इच्छा के आगे हम सब विवश हैं। उसकी लीला के आगे किसी का ज़ोर नहीं। ईश्वर से प्रार्थना है कि वह दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे और तुम सबको यह दुख सहने की शक्ति दे।

आगामी रविवार को मैं तुम्हारे घर आकर मिलता हूँ।

तुम्हारा अभिन्न मित्र
प्रतीक कुमार

NCERT Solution Class 9th Hindi Grammar Vyakaran All Chapters
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अपठित गद्यांश
अपठित काव्यांश
अनुच्छेद लेखन
पत्र लेखन – 1
पत्र लेखन – 2
निबंध लेखन
संवाद लेखन – 1
संवाद लेखन – 2
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