NCERT Solutions Class 9th Social Science History Chapter – 6 किसान और काश्तकार (Peasant and Farmers) Notes In Hindi

NCERT Solutions Class 9th Social Science History Chapter – 6 किसान और काश्तकार (Peasant and Farmers)

Text BookNCERT
Class  9th
Subject  Social Science (History)
Chapter 6th
Chapter Nameकिसान और काश्तकार (Peasant and Farmers)
CategoryClass 9th Social Science History 
Medium Hindi
SourceLast Doubt

NCERT Solutions Class 9th Social Science History Chapter – 6 किसान और काश्तकार (Peasant and Farmers) Notes In Hindi हम इस अध्याय में काश्तकार और किसान, इंग्लैंड में आधुनिक कृषि, स्विंग दंगे, खुले खेत और कॉमंस, अनाज की बढ़ती माँग, बाड़ाबंदी का युग इत्यादि के बारे में विस्तार से पढ़ेंगे।

NCERT Solutions Class 9th Social Science History Chapter – 6 किसान और काश्तकार (Peasant and Farmers)

Chapter – 6

किसान और काश्तकार

Notes

कैप्टन स्विंग – एक मिथकीय नाम था। 1850 इंग्लैंड में कैप्टन स्विंग वाले दंगे लगातार दो सालों तक चले। (गरीब मज़दूरों ने अमीर काश्तकारों की मशीनें तोड़ीं)
कॉमन्स – भूमि जिस पर सारे ग्रामीणों का अधिकार होता था।

18वीं शताब्दी के अंत तक इंग्लैंड सरकार के हुक्म से बड़े भूस्वामियों ने सांझा भूमि की (कॉमन्स) बाड़ा बंदी शुरू कर दी।

बाड़ा बंदी – खेतों के चारों तरफ बाड़ बांधना।

  • 16 वीं शताब्दी में बाड़ाबंदी का उद्देश्य भेड़ पालन था।
  • 18 वीं शताब्दी के आखिरी सालों में इसका उद्देश्य अनाज उत्पादन में वृद्धि हो गया।
  • नेपोलियन युद्ध के दौरान खाद्यान्नों के दाम ऊँचे होने के कारण कृषकों ने अपना उत्पादन बढ़ाया।
  • मजदूरों की कमी को पूरा करने के लिए थ्रेशिंग मशीनों का उपयोग किया?
रोटी की टोकरी – अमरीका संसार की रोटी की टोकरी बनकर सामने आया।

  • 1800 के पश्चात सरकार ने औपचारिक नीति बनाकर अमरीकी इंडियनों को मिसिसिपी नदी के पार खदेड़ना शुरू किया।
  • मूल निवासियों की जगह प्रवासी अपलेशियन पठार में बस गए।
  • 1820 से 1850 के मध्य वहाँ वनों को काटकर खेत और घर बना लिए गए।
  • रूसी गेहूँ पर प्रतिबंध लगने से यूरोप अमरीका पर ही निर्भर था।
अमरीका के राष्ट्रपति विल्सन ने कहा – खेती के लिए नए औजार और नई तकनीक शुरू की।

  • विस्तृत मैदानो में खेती से अनेक समस्याएँ उत्पन्न हुई।
  • 1930 के दशक में दक्षिण के मैदानों में रेतीले तूफान आने लगे।
  • भारत में अफीम की खेती का संबंध ब्रिटेन और चीन के पारस्परिक व्यापार से जुड़ा है।
  • इंग्लैंड चीन से चाय का व्यापार करता था परंतु इंग्लैंड के पास ऐसी कोई वस्तु नहीं थी जिसे वे आसानी के साथ चीन के बाज़ार में बेच सके।
  • चाय के बदले इंग्लैंड के व्यापारियों को चाँदी के सिक्के देने पड़ते थे । जिससे ख़जाना खाली हो रहा था।
  • अफ़ीम चीन में बेचे जाने के लिए अच्छा विकल्प था जिसका उपयोग औषधि के रूप में किया जाता था।
  • अंग्रेजों द्वारा गरीब किसानों की अग्रिम रकम देकर अफीम पैदा करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
  • किसानों को अफीम की खेती से बहुत हानि होती थी।
काश्तकार और किसान –

  • औद्योगिक क्रांति की शुरुआत इंग्लैंड में हुई। उसके बाद धीरे-धीरे पूरी दुनिया में इसका असर देखने को मिला। 
  • औद्योगिक क्रांति ने हर व्यक्ति के जीवन में बड़े बदलाव किये। उनमें किसान भी शामिल थे। इस लेशन में आप किसानों और काश्तकारों पर औद्योगिक क्रांति के प्रभावों के बारे में पढ़ेंगे। 
  • सबसे पहले आप इंग्लैंड के किसानों के बारे में पढ़ेंगे, जहाँ कृषि पैदावार में वृद्धि में किसी नई टेक्नॉलोजी की कोई भूमिका नहीं थी।
  • इंग्लैंड में खेती की जमीन में विस्तार हुआ जिससे पैदावार बढ़ी। संयुक्त राज्य अमेरिका में श्वेत प्रवासियों ने खेती का विस्तार करने के क्रम में स्थानीय लोगों को नेपथ्य में धकेल दिया और फिर पूरे अमेरिका में जम गए। 
  • अमेरिका में कृषि के क्षेत्र में कई आविष्कार हुए जिनकी मदद से कृषि उत्पादन को बढ़ाना संभव हुआ। भारत के किसान उपनिवेशी शक्तियों के हाथों की कठपुतली बन गए। 
  • इस लेशन में आप भारत में अफीम के उत्पादन के बारे में पढ़ेंगे कि उससे किसानों का जीवन किस तरह प्रभावित हुआ।
स्विंग दंगे – 

  • 1930 से 1932 के बीच इंग्लैंड के कई किसानों पर दंगाइयों ने हमले किए। दंगाई थ्रेशिंग मशीन को तबाह कर देते थे, खलिहान और पुआल को जला देते थे और कभी कभी तो पूरे फार्महाउस तक को जला देते थे। 
  • साथ में किसानों को चिट्ठी भी मिलती थी जिसपर किसी कैप्टन स्विंग का नाम लिखा होता था।
  • यह एक काल्पनिक नाम था और इसी के कारण दंगाइयों को स्विंग दंगाई के नाम से बुलाते थे। चिट्ठी में किसानों से कहा जाता था कि नई मशीनों का इस्तेमाल न करें क्योंकि नई मशीनों के कारण गरीब काश्तकारों का रोजगार जाने लगा था। 
  • सरकार ने कड़े कदम उठाए और शक के आधार पर लोगों को पकड़ा गया। कुल 1976 लोगों पर मुकदमा चला। उनमें से 9 को फाँसी दे दी गई, 505 को देशनिकाला दिया गया और 644 को जेल में बंद कर दिया।
अनाज की बढ़ती माँग –

  • सोलहवीं सदी में बाड़ेबंदी का उद्देश्य भेड़ों को पालना ही था। लेकिन अठारहवीं सदी के अंतिम दौर में होने वाली बाड़ेबंदी का उद्देश्य अनाज का उत्पादन था। अठारहवीं सदी के मध्य के बाद से इंग्लैंड की जनसंख्या तेजी से बढ़ी थी। 1750 से 1900 के दौरान इंग्लैंड की जनसंख्या चारगुनी हो गई थी। 1750 में इंग्लैंड की जनसंख्या 70 लाख थी जो 1900 में बढ़कर 3 करोड़ हो चुकी थी। बढ़ती आबादी का मतलब था अनाज की बढ़ती माँग।
  • इसी दौर में ब्रिटेन में औद्योगीकरण भी हो रहा था। अधिक से अधिक लोग शहरों की ओर पलायन कर रहे थे। शहरी आबादी बढ़ने के साथ अनाज की माँग बढ़ी और फिर उनके दाम भी बढ़े।
  • अठारहवीं सदी के आखिर में इंग्लैंड और फ्रांस के बीच युद्ध छिड़ चुका था। उस युद्ध के कारण यूरोप से होने वाले व्यापार और अनाज के आयात में खलल पड़ी। इससे इंग्लैंड में अनाज की कीमतों में आग लग चुकी थी। इससे किसानों ने अधिक से अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में अपनी जमीन का आकार बढ़ाना शुरु किया। किसानों ने बाड़ाबंदी कानून बनाने के लिए संसद पर दबाव डालना भी शुरु किया।
बाड़ाबंदी का युग –

  • 1780 के दशक के पहले तक, इंग्लैंड में जब भी आबादी तेजी से बढ़ती थी तो अनाज की कमी हो जाती थी। लेकिन उसके बाद अनाज उत्पादन और जनसंख्या वृद्धि के बीच तालमेल ठीक हो चुका था। 1868 में इंग्लैंड के खाद्यान्न की जरूरत का 80% का उत्पादन वहीं होता था और बाकी आयात होता था।
  • अनाज के उत्पादन में जो वृद्धि हुई थी वह किसी नई टेक्नॉलोजी के कारण नहीं बल्कि अधिक से अधिक जमीन पर खेती शुरु करने के कारण हुई थी। खेती के लिए हर उपलब्ध जमीन पर कब्जा हो चुका था, जैसे कि चरागाह, खुले खेत, कॉमन जंगल, दलदल, आदि।
  • उस दौरान सबसे साधारण उपायों से पैदावार बढ़ाई गई। किसान शलजम और क्लोवर (तिपतिया घास) की खेती करते थे, जिससे जमीन की उर्वरता बढ़ती थी। जब किसी जमीन पर कई फसल उग जाते हैं तो जमीन में नाइट्रोजन की मात्रा कम हो जाती है, जिससे जमीन की उर्वरता कम हो जाती है। शलजम और क्लोवर उगाने से जमीन को फिर से नाइट्रोजन मिल जाता है, जिससे उर्वरता बढ़ जाती है। इसके अलावा शलजम एक अच्छे चारे का भी काम करता है।
  • बाड़ेबंदी को अब एक लंबे निवेश के रूप में देखा जाने लगा। बाड़ेबंदी के कारण जमीन पर फसल चक्रण (क्रॉप रोटेशन) की सही योजना बनाई जा सकती थी, ताकि जमीन की उर्वरता भी बढ़ सके। बाड़ेबंदी से धनी किसानों को जमीन बढ़ाने और बाजार के लिए अधिक उत्पादन करने का मौका भी मिला था।
गरीबों की स्थिति –

  • बाड़ेबंदी के कारण अब कॉमन लैंड गरीबों की पहुँच से दूर हो चुका था। अब वे उन जमीनों से सेब नहीं ले सकते थे, वहाँ शिकार नहीं कर सकते थे और अपने मवेशियों को नहीं चरा सकते थे। 
  • गरीब लोग अपनी जमीन से विस्थापित हो चुके थे। इसलिए इंग्लैंड के बीचों बीच (उत्तरी और दक्षिणी भागों के बीच) के इलाकों के मजदूरों को जीवनयापन के लिए दक्षिण की काउंटी (प्रांतों) की ओर पलायन करने को मजबूर होना पड़ा। 
  • इंग्लैंड के दक्षिणी इलाकों में गहन खेती होती थी इसलिए वहाँ पर कृषि मजदूरों की बहुत माँग थी।
  • पुराने जमाने में मजदूर अक्सर भूस्वामियों के साथ रहते थे। वे मालिकों के साथ ही खाना खाते थे और सालभर उनकी सेवा टहल किया करते थे। लेकिन 1800 के बाद से यह परंपरा समाप्त होने लगी थी। 
  • अब मजदूरों को पगार मिलती थी और केवल कटाई के वक्त काम मिल पाता था। अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में मालिक अक्सर पगार कम कर देते थे। इस तरह से गरीबों की आय कम हो गई और काम मिलना भी कम हो गया।
थ्रेशिंग मशीन का आना –

  • जब फ्रांस और इंग्लैंड के बीच युद्ध चल रहा था तो अनाज की कीमत बहुत ज्यादा थी। मौके का फायदा उठाने के लिए किसानों ने उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया। उसी समय बाजार में नई थ्रेशिंग मशीन आई थी। मजदूर की कमी के डर से किसानों ने उन मशीनों को खरीदना शुरु किया।
  • जब युद्ध समाप्त हुआ तो हजारों सैनिक अपने गाँव लौटने लगे। वे काम की तलाश में थे। उसी समय यूरोप से अनाज इंग्लैंड आने लगा। बाजार में अनाज की बहुत ज्यादा खेप आ जाने से कीमतें गिर गईं और कृषि मंदी का दौर शुरु हो गया। किसानों ने जोत का क्षेत्र घटा दिया और आयात पर बैन लगाने की माँग करने लगे। उन्होंने मजदूरों और पगार दोनों में कटौती करने की कोशिश की। बेरोजगार युवक काम की तलाश में गाँव गाँव भटकते थे। स्थिति खराब होने के कारण स्विंग दंगे शुरु हुए थे, जिसके बारे में आपने शुरु में पढ़ा था।
  • 1850 इंग्लैंड में कैप्टन स्विंग वाले दंगे लगातार दो सालों तक चले।इन दंगो में गरीब मजदूरों ने अमीर काश्तकारों की मशीनें तोड़ी।कैप्टन स्विंग– एक मिथकीय नाम था। कॉमन्स– भूमि जिस पर सारे ग्रामीणों का अधिकार होता था।18 वी शताब्दी के अंत तक इंगलैंड सरकार के हुक्म से बड़े भूस्वामियों ने सांझा भूमि की (कॉमन्स) बाडा बंदी शुरू कर दी।
ग़रीब किसानो के जीवन में कॉमन्स का महत्त्व –

  • कॉमन्स की ज़मीन साझा होती थी। कोई भी किसान वहाँ खेती कर सकता था।
  • इस पर लोग अपने मवेशी चराते थे।
  • जलावन की लकड़ियाँ इकट्ठी करते थे।
  • खाने के लिए कंदमूल फल इकट्ठा करते थे।

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