NCERT Solutions Class 9th Social Science History Chapter – 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय (Nazism and the Rise of Hitler)
Text Book | NCERT |
Class | 9th |
Subject | Social Science (History) |
Chapter | 3rd |
Chapter Name | नात्सीवाद और हिटलर का उदय (Nazism and the Rise of Hitler) |
Category | Class 9th Social Science History |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 9th Social Science History Chapter – 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय (Nazism and the Rise of Hitler) Question & Answer In Hindi इसमें हम नात्सीवाद का उदय कैसे हुआ, हिटलर का उदय का क्या कारण था, नात्सीवाद की मुख्य विशेषताएं क्या थी, नात्सीवाद के उद्देश्य एवं सिद्धांत क्या थे, नात्सीवाद का उदय कब हुआ, भारत से नफरत क्यों करता था हिटलर, हिटलर की सबसे बड़ी गलती क्या थी, भारत से हिटलर से मिलने कौन गया था, हिटलर की पार्टी के लोगों को नात्सी क्यों कहा जाता था आदी Chapter – 3 के Question Answer करेंगे। |
NCERT Solutions Class 9th Social Science History Chapter – 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय (Nazism and the Rise of Hitler)
Chapter – 3
नात्सीवाद और हिटलर का उदय
प्रश्न – उत्तर
प्रश्न 1. वाइमर गणराज्य के सामने क्या समस्याएँ थीं?
उत्तर – राजनीति स्तर पर जर्मनी का वाइमर गणराज्य कमज़ोर और अस्थिर था। वाइमर गणराज्य में कुछ ऐसी कमियाँ थी जिनके कारण गणराज्य कभी भी अस्थिर और तानाशाही का शिकार बन सकता था, जो इस प्रकार है –
(i) पहली कमी अनुपातिक प्रतिनिधित्व से संबंधित थीl इस प्रवधान की वजह से किसी एक पार्टी को बहुमत मिलना बहुत मुश्किल होता जा रहा था। यहाँ हर बार गठबंधन सरकार सत्ता में आ रही थी।
(ii) दूसरी समस्या अनुच्छेद 48 की वजह से थी जिसमें राष्ट्रपति को आपातकाल लागू करने, नागरिक अधिकार रद्द करके और अध्यादेशों के ज़रिए शासन चलाने का अधिकार दिया गया था।
(iii) अनुच्छेद 48 के फलस्वरुप ही अपने छोटे से जीवन काल में वाइमर गणराज्य का शासन 20 मंत्रिमंडलों के हाथों में रहा और उनकी औसत 239 मैं दिन से ज्यादा नहीं रही।
(iv) अनुच्छेद 48 के उदारपूर्वक इस्तेमाल के बाद भी गणराज्य के संकट दूर नहीं हो पाए थे।
(v) समस्या का कोई समाधान नहीं खोज पाने के कारण लोकतांत्रिक संसदीय व्यवस्था पर से लोगों का विश्वास खत्म होने लगा।
प्रश्न 2. इस बारे में चर्चा कीजिए कि 1930 तक आते-आते जर्मनी में नात्सीवाद को लोकप्रियता क्यों मिलने लगी?
उत्तर – जर्मनी में नाजीवाद की लोकप्रियता के मुख्य कारण इस प्रकार थे –
(क) वर्साय की संधि – प्रथम विश्व युद्ध में हार के बाद जर्मनी को वर्साय में शांति संधि पर हस्ताक्षर करने पड़े। यह संधि जर्मनों के लिए इतनी कठोर तथा अपमानजनक थी जिसे वे अपने दिल से स्वीकार नहीं कर सकते थे और अंततः इसने जर्मनी में हिटलर के नाजीवाद को जन्म दिया। जर्मनी के लोग हिटलर को जर्मनी की खोई हुई प्रतिष्ठा पुनः दिलाने वाले प्रतीक के रूप में देखते थे।
(ख) आर्थिक संकट – 1929-1933 के बीच के वैश्विक आर्थिक संकट से जर्मन अर्थव्यवस्था पर सबसे गहरी मार पड़ी। देश अति मुद्रास्फीति के दौर से गुजर रहा था। इस समय के दौरान नाजीवाद जनआंदोलन बन गया। नाजी प्रोपेगेंडा ने बेहतर भविष्य की आशा जगाई।
(ग) राजनैतिक उथल-पुथल – जर्मनी में बहुत से राजनैतिक दल थे जैसे राष्ट्रवादी, राजभक्त, कम्युनिस्ट, सामाजिक लोकतंत्रवादी आदि। यद्यपि लोकतंत्रात्मक सरकार में इनमे से कोई भी बहुमत में नहीं था। दलों में मतभेद अपने चरम पर थे। इसने सरकार को कमजोर कर दिया और अततः नाजियों को सत्ता हथियाने का अवसर दे दिया।
(घ) जर्मनों को लोकतंत्र में बिल्कुल विश्वास नहीं था – प्रथम विश्व युद्ध के अंत में जर्मनी की हार के बाद जर्मनों का संसदीय संस्थाओं में कोई विश्वास नहीं था। उस समय जर्मनी में लोकतंत्र एक नया व भंगुर विचार था। लोग स्वाधीनता व आजादी की अपेक्षा प्रतिष्ठा और यश को प्राथमिकता देते थे। उन्होंने खुले दिल से हिटलर का साथ दिया क्योंकि उसमें उनके सपने पूरे करने की योग्यता थी।
प्रश्न 3. नात्सी सोच के खास पहलू कौन-से थे?
उत्तर – नात्सी सोच के खास पहलू इस प्रकार थे –
(क) नाजियों की दृष्टि में देश सर्वोपरि है। सभी शक्तियाँ देश में निहित होनी चाहिएं। लोग देश के लिए हैं न कि देश लोगों के लिए।(ख) नाजी सोच सभी प्रकार की संसदीय संस्थाओं को समाप्त करने के पक्ष में थी और एक महान नेता के शासन में विश्वास रखती थी।
(ग) यह सभी प्रकार के दल निर्माण व विपक्ष के दमन और उदारवाद, समाजवाद एवं कम्युनिस्ट विचारधाराओं के उन्मूलन की पक्षधर थी।
(घ) इसने यहूदियों के प्रति घृणा का प्रचार किया क्योंकि इनका मानना था कि जर्मनों की आर्थिक विपदा के लिए यही लोग जिम्मेदार थे।
(ङ) नाजी दल जर्मनी को अन्य सभी देशों से श्रेष्ठ मानता था और पूरे विश्व पर जर्मनी का प्रभाव जमाना चाहता था।
(च) इसने युद्ध की सराहना की तथा बल प्रयोग का यशोगान किया।
(छ) इसने जर्मनी के साम्राज्य विस्तार और उन सभी उपनिवेशों को जीतने पर ध्यान केन्द्रित किया जो उससे छीन लिए गए थे।
(ज) ये लोग ‘शुद्ध जर्मनों एवं स्वस्थ नोर्डिक आर्यों के नस्लवादी राष्ट्र का सपना देखते थे और उन सभी का खात्मा चाहते थे जिन्हें वे अवांछित मानते थे।
प्रश्न 4. नात्सियों का प्रोपेगैंडा यहूदियों के खिलाफ नफरत पैदा करने में इतना असरदार कैसे रहा?
उत्तर – 1933 ई0 में तानाशाह बनने के बाद हिटलर ने सभी शक्तियों को कब्जा लिया। उसने एक शक्तिशाली केन्द्रीय सरकार का गठन किया। उसने लोकतंत्र का ध्वंस कर दिया। उसके प्रशासन का आधार एक दल, एक नेता और पूर्णतः अनुशासित प्रशासन था। हिटलर ने यहूदियों के विरुद्ध विद्वेषपूर्ण प्रोपेगेन्डा । शुरू किया जो यहूदियों के प्रति घृणा पैदा करने में सफल साबित हुआ। यहूदियों के खिलाफ नाजियों के प्रोपगैंडे के सफल होने के कुछ कारण इस प्रकार हैं –
(क) हिटलर ने उन जर्मन लागों के दिमाग में पहले ही स्थान बना लिया था जो उसे अपना मसीहा मानने लगे थे। वे हिटलर द्वारा कही गई बातों पर विश्वास करते थे। इस प्रकार, हिटलर के चमत्कारी व्यक्तित्व के कारण यहूदियों के विरुद्ध नाजी प्रोपगैंडा सफल साबित हुआ।
(ख) ईसा की हत्या के अभियुक्त होने के कारण इसाइयों की यहूदियों के प्रति पारंपरिक घृणी का नाजियों ने पूरा लाभ उठाया जिससे जर्मन यहूदियों के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रस्त हो गए।
(ग) नाजियों ने भाषा और मीडिया का बहुत सावधानी से प्रयोग किया। नाजियों ने एक नस्लवादी विचारधारा को जन्म दिया कि यहूदी निचले स्तर की नस्ल से संबंधित थे और इस प्रकार वे अवांछित थे।
(घ) नाजियों ने प्रारंभ से उनके स्कूल के दिनों में ही बच्चों के दिमागों में भी यहूदियों के प्रति नफरत भर दी। जो अध्यापक यहूदी थे उन्हें बर्खास्त कर दिया गया और यहूदी बच्चों को स्कूलों से। निकाल दिया गया। इस प्रकार के तरीकों एवं नई विचारधारा के प्रशिक्षण ने नई पीढी के बच्चों में यहूदियों के प्रति नफरत फैलाने और नाजी प्रोपेगेन्डा को सफल बनाने में पूर्णतः सफलता प्राप्त की।
(ङ) यहूदियों के प्रति नफरत फैलाने के लिए प्रोपेगेन्डा फिल्मों का निर्माण किया गया। रूढीवादी यहूदियों की पहचान की गई एवं उन्हें चिन्हित किया गया। उन्हें उड़ती हुई दाढी और कफ्तान पहने दिखाया जाता था।
(च) उन्हें केंचुआ, चूहा और कीड़ा कह कर संबोधित किया जाता था। उनकी चाल की तुलना कुतरने वाले छटुंदरी जीवों से की जाती थी।
प्रश्न 5. नात्सी समाज में औरतों की क्या भूमिका थी? फ्रांसीसी क्रांति के बारे में जानने के लिए अध्याय 1 देखें। फ्रांसीसी क्रांति और नात्सी शासन में औरतों की भूमिका के बीच क्या फर्क था? एक पैराग्राफ में बताएँ।
उत्तर – नात्सी समाज में महिलाओं ने द्वितीयक स्तर भूमिका अदा की। उन्हें आर्य संस्कृति का संवाहक माना जाता था।इस संहिता का पालन करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया जाता था तथा इनका उल्लंघन करने वाली महिलाओं को दण्डित किया जाता था और अपमानित कर जेलों में डाल दिया जाता था। गैर-जर्मन महिलाओं के आत्मसम्मान को ठेस पहुँचाई जाती थी।
इसके विपरीत फ्रांसीसी क्रांति ने महिलाओं के जीवन में नई गतिविधियों का संचार किया। महिलाओं ने क्रांति में बराबर की भूमिका निभाई। वे प्रगतिशील गतिविधियों में खुलकर भाग ले सकती थी। जैसे राजनीतिक क्लबों की सदस्यता, पेंटिंग, अखबार, नौकरी आदि। महिलाओं ने अपनी एक संस्था ‘क्रांतिकारी एवं गणतांत्रिक महिला समाज, की स्थापना की उन्होंने अपने लिए समान राजनीतिक अधिकारों की मांग की जो उन्हें लम्बे संघर्ष की बाद प्राप्त भी हुए। 1946 में उन्हें मत देने का अधिकार प्राप्त हुआ।
प्रश्न 6. नात्सियों ने जनता पर पूरा नियंत्रण हासिल करने के लिए कौन-कौन से तरीके अपनाए?
उत्तर –
(i) हिटलर ने लोकतांत्रिक शासन की संरचना एवं संस्थानों को समाप्त करना शुरू कर दिया।
(ii) जर्मन संसद में हुए रहस्मय अग्निकांड से उनका रास्ता आसान हो गया। 28 फरवरी 1933 को जारी अध्यादेश के माध्यम से अभिव्यक्ति, प्रेस एवं सभा करने की आजादी को छीन लिया गया।
(iii) कम्युनिस्ट हिटलर का कट्टर शत्रु था। 3 मार्च 1933 को जर्मनी में प्रसिद्ध विशेषाधिकार अधिनियम के माधयम से तानाशाही स्थापित कर दी गई।
(iv) ट्रेड यूनियन पर पाबंदी लगा दी गई।
(v) अर्थव्यवस्था, मीडिया, न्यायपालिका और सेना पर राज्य ने पूरी तरह से नियंत्रण स्थापित कर लिया।
(vi) पूरे समाज को नात्सियों के हिसाब से नियंत्रित व्यवस्थित करने के लिए सुरक्षा दस्ते गठित किए गए। इसमें गेस्तापो, एस.एस. और सुरक्षा सेवा शामिल थे।
NCERT Solution Class 9th इतिहास Question Answer in Hindi |
Chapter – 1 फ्रांसीसी क्रांति |
Chapter – 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति |
Chapter – 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय |
Chapter – 4 वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद |
Chapter – 5 आधुनिक विश्व में चरवाहे |
NCERT Solution Class 9th इतिहास Notes in Hindi |
Chapter – 1 फ्रांसीसी क्रांति |
Chapter – 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति |
Chapter – 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय |
Chapter – 4 वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद |
Chapter – 5 आधुनिक विश्व में चरवाहे |
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Chapter – 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति |
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Chapter – 5 आधुनिक विश्व में चरवाहे |
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