NCERT Solutions Class 9th Social Science Civics Chapter – 5 लोकतांत्रिक अधिकार (Democratic Rights) Notes in Hindi

NCERT Solutions Class 9th Social Science Civics Chapter – 5 लोकतांत्रिक अधिकार (Democratic Rights)

Text BookNCERT
Class 9th
Subject Social Science (Civics)
Chapter5th
Chapter Nameलोकतांत्रिक अधिकार (Democratic Rights) 
CategoryClass 9th Social Science Civics
Medium Hindi
SourceLast Doubt
NCERT Solutions Class 9th Social Science Civics Chapter – 5 लोकतांत्रिक अधिकार (Democratic Rights) Notes in Hindi हम इस अध्याय मानवाधिकार, लोकतंत्र में अधिकार, गुआंतानामों बे का जेल, अधिकार, सऊदी अरब में नागरिक अधिकार, भारतीय संविधान में अधिकार, आदि के बारे में पढ़ेंगे।

NCERT Solutions Class 9th Social Science Civics Chapter – 5 लोकतांत्रिक अधिकार (Democratic Rights)

Chapter – 5

लोकतांत्रिक अधिकार

Notes

अधिकार – अधिकार किसी व्यक्ति का अपने लोगों, अपने समाज और अपनी सरकार से दावा है।

अधिकारों के बिना जीवन – अगर कोई कानून संविधान के खिलाफ़ है तो हर नागरिक को उसके खिलाफ़ जाने का अधिकार है। आइए तीन उदाहरणों से बात शुरू करें कि अधिकारों के बिना जीवन कैसा होता है।

1. गुआंतानामों बे का जेल
2. सऊदी अरब में नागरिक अधिकार
3. कोसोवो में जातीय नरसंहार

गुआंतानामो बे का जेल – अमेरिकी फौज ने दुनिया भर के विभिन्न स्थानों से 600 लोगों को चुपचाप पकड़ लिया। इन लोगों को गुआंतानामो बे स्थित एक्जे ल में डाल दिया। एक अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने गुआंतानामो बे के कैदियों की स्थिति के बारे में सूचनाएँ इकट्ठी की और बताया कि उनके साथ ज्यादती की जा रही है। उनके साथ अमेरिकी कानूनों के अनुसार भी व्यवहार नहीं किया जा रहा है।

अनेक कैदियों ने भूख हड़ताल करके इन स्थितियों के खिलाफ़ विरोध करना चाहा पर उनको ज़बर्दस्ती खिलाया गया या नाक के रास्ते उनके पेट में भोजन पहुँचाया गया। जिन कैदियों को आधिकारिक रूप से निर्दोष करार दिया गया था उनको भी नहीं छोड़ा गया। संयुक्त राष्ट्र द्वारा करायी गयी एक स्वतंत्र जाँच से भी इन बातों की पुष्टि हुई। संयुक्त राष्ट्रसंघ के महासचिव ने कहा कि गुआंतानामो बे जेल को बंद कर देना चाहिए। अमेरिकी सरकार ने इन अपीलों को मानने से इंकार कर दिया।

सऊदी अरब में नागरिक अधिकार – देश में एक वंश का शासन चलता है और राजा या शाह को चुनने या बदलने में लोगों की कोई भूमिका नहीं होती। शाह ही विधायिका और कार्यपालिका के लोगों का चुनाव करते हैं। जजों की नियुक्ति भी शाह करते हैं और वे उनके फ़ैसलों को पलट भी सकते हैं। लोग कोई राजनैतिक दल या संगठन नहीं बना सकते। मीडिया शाह की मर्जी के खिलाफ़ कोई भी खबर नहीं दे सकती। कोई धार्मिक आज़ादी नहीं है।

सिर्फ़ मुसलमान ही यह के नागरिक हो सकते हैं। यहाँ रहने वाले दूसरे धर्मों के लोग घर के अंदर ही अपने धर्म के अनुसार पूजा पाठ कर सकते हैं। उनके सार्वजनिक/ धार्मिक अनुष्ठानों पर रोक है। औरतों को वैधानिक रूप से मर्दों से कमतर का दर्ज़ा मिला हुआ है और उन पर कई तरह की सार्वजनिक पाबंदियाँ लगी हैं। मर्दो को जल्दी ही स्थानीय निकाय के चुनावों के लिए मताधिकार मिलने वाला है जबकि औरतों को यह अधिकार नहीं मिलेगा।

कोसोवो में जातीय नरसंहार – कोसोवो पुराने यूगोस्लाविया का एक प्रांत था जो अब टूट कर अलग हो गया है। इस प्रदेश में अल्बानियाई लोगों की संख्या बहुत ज्यादा थी पर पूरे देश के लिहाज से सर्ब लोग बहुसंख्यक थे। उग्र सर्ब राष्ट्रवाद के भक्त मिलोशेविक ने यहाँ के चुनावों में जीत हासिल की। उनकी सरकार ने कोसोवो के अल्बानियाई लोगों के प्रति बहुत ही कठोर, व्यवहार किया। कोसोवो पुराने यूगोस्लाविया का एक प्रांत था जो अब टूट कर अलग हो गया है। इस प्रदेश में अल्बानियाई लोगों की संख्या बहुत ज्यादा थी पर पूरे देश के लिहाज से सर्ब लोग बहुसंख्यक थे। 

उग्र सर्ब राष्ट्रवाद के भक्त मिलोशेविक ने यहाँ के चुनावों में जीत हासिल की। नरसंहार उस देश की अपनी ही सेना एक ‘ऐसे नेता के निर्देश पर कर रही थी जो लोकतांत्रिक चुनाव में जीतकर सत्ता में आया था। जातीय पूर्वाग्रहों के चलते हाल के वर्षों में जो सबसे बड़े नरसंहार हुए हैं उनमें यह संभवतः सबसे भयंकर था। आखिरकार कई और देशों ने जब दखल दिया तब जाकर यह क्रम थमा। मिलोशेविक की सत्ता गयी और बाद में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में उन पर मानवता’ के खिलाफ़ अपराध का मुकदमा चला।

लोकतंत्र में अधिकार – लोकतंत्र की स्थापना के लिए अधिकारों का होना ज़रूरी है। लोकतंत्र में हर नागरिक को वोट देने और चुनाव लड़कर प्रतिनिधि चुने जाने का अधिकार है। लोकतांत्रिक चुनाव हों इसके लिए लोगों को अपने विचारों को व्यक्त करने की, राजनैतिक पार्टी बनाने और राजनैतिक गतिविधियों की आज़ादी का होना ज़रूरी है। लोकतंत्र में अधिकारों की एक खास भूमिका भी है।

मौलिक अधिकारहमारे जीवन के लिए बुनियादी रूप से ज़रूरी अधिकारों को विशेष दर्जा दिया गया है। जिन्हें मौलिक अधिकार कहा जाता है।

समानता का अधिकार – जिसमें कानून के सामने, धर्म, वंश, जाति या लिंग के आधार पर भेदभाव का निषेध शामिल है।

स्वतन्त्र का अधिकार

• अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता।
• शांतिपूर्ण ढंग से जमा होने की स्वतंत्रता।
• संगठन और संघ बनाने की स्वतंत्रता।
• देश में कहीं भी आने-जाने की स्वतंत्रता।
• देश के किसी भी भाग में रहने – बसने की स्वतंत्रता है।
• कोई भी काम करने, धंधा चुनने या पेशा करने की स्वतंत्रता।
• गिरफ़्तार या हिरासत में लिए गए व्यक्ति को उसकी गिरफ़्तारी और हिरासत में लेने के कारणों की जानकारी देनी होती है।
• गिरफ़्तार या हिरासत में लिए गए व्यक्ति को सबसे निकट के मजिस्ट्रेट के सामने गिरफ़्तारी के 24 घंटों के अंदर प्रस्तुत करना होता है।
• ऐसे व्यक्ति को वकील से विचार-विमर्श करने और अपने बचाव के लिए वकील रखने का अधिकार होता है।

शोषण के खिलाफ अधिकार – जब कोई नेता या कोई सरकारी कर्मचारी किसी कमजोर या असहाय व्यक्ति का शोषण करता है तो उस कमजोर व्यक्ति का यह अधिकार है की वह शोषण का विरोद्ध कर सकता है इस अधिकार का वर्णन अनुछेद 23 और अनुछेद 34 में किया गया है।

सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार

• नागरिकों में विशिष्ट भाषा या संस्कृति वाले किसी भी समूह को अपनी भाषा और संस्कृति को बचाने का अधिकार है।
• किसी भी सरकारी या सरकारी अनुदान पाने वाले शैक्षिक संस्थान में किसी नागरिक को धर्म या भाषा के आधार पर दाखिला लेने से नहीं रोका जा सकता।
• सभी अल्पसंख्यकों को अपनी पसंद का शैक्षिक संस्थान स्थापित करने और चलाने का अधिकार है।

धार्मिक स्वतन्त्र का अधिकार – सभी व्यक्तियों ये अधिकार है की वह अपने अनुसार धर्म-आचरण को चुने। इसका वर्णन अनुछेद 25 से 28 में किया गया है।

हमें ये अधिकार कैसे मिला – हमें ये अधिकार सविधान के निर्माताओं के कारण मिला था जैसे – मौलिक अधिकार आदि।

संवैधानिक उपचार का अधिकार – संवैधानिक उपचार के अधिकार के अंतर्गत हम संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की सूरत में अदालत से इन अधिकारों की माँग कर सकते है।

मानवाधिकार – मानवाधिकार की स्थापना 2 अक्टूबर 1993 में हुई। जिसके उद्देश्य नौकरशाही पर रोक लगाना, मानव अधिकारों के हनन को रोकना तथा लोक सेवक द्वारा उनका शोषण करने में अंकुश लगाना। मानवाधिकार की सुरक्षा के बिना सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक आज़ादी खोखली है मानवाधिकार की लड़ाई हम सभी की लड़ाई है।

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Chapter – 2 संविधान निर्माण
Chapter – 3 चुनावी राजनीति
Chapter – 4 संस्थाओं का कामकाज
Chapter – 5 लोकतांत्रिक अधिकार
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Chapter – 4 संस्थाओं का कामकाज
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Class 9th राजनीतिक शास्त्र All Chapter’s MCQ in Hindi
Chapter – 1 लोकतंत्र क्या? लोकतंत्र क्यों?
Chapter – 2 संविधान निर्माण
Chapter – 3 चुनावी राजनीति
Chapter – 4 संस्थाओं का कामकाज
Chapter – 5 लोकतांत्रिक अधिकार

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