NCERT Solutions Class 9th Social Science Civics Chapter – 4 संस्थाओं का कामकाज (Working of Institutions) Notes in Hindi

NCERT Solutions Class 9th Social Science Civics Chapter – 4 संस्थाओं का कामकाज (Working of Institutions)

Text BookNCERT
Class  9th
Subject  Social Science (Civics)
Chapter 4th
Chapter Nameसंस्थाओं का कामकाज (Working of Institutions) 
CategoryClass 9th Social Science Civics
Medium Hindi
SourceLast Doubt
NCERT Solutions Class 9th Social Science Civics Chapter – 4 संस्थाओं का कामकाज (Working of Institutions) Notes in Hindi हम इस अध्याय में संस्थाओं के कामकाज, एक सरकारी आदेश, संसद, राजनैतिक कार्यपालिका संस्थाओं के कामकाज, प्रमुख नीतिगत फैसले कैसे किए जाते हैं, लोकसभा एवं राज्यसभा में अंतर, हमें संसद की आवश्यकता क्यों है, प्रमुख नीतिगत फैसले कैसे किए जाते हैं, राजनैतिक कार्यपालिका, मंत्रिपरिषद और मंत्रिमंडल में अंतर, प्रधानमंत्री के अधिकार, राष्ट्रपति (President), फौजदारी कानून (Criminal law), दीवानी कानून।

NCERT Solutions Class 9th Social Science Civics Chapter – 4 संस्थाओं का कामकाज (Working of Institutions)

Chapter – 4

संस्थाओं का कामकाज

Notes

संस्थाओं के कामकाज – प्रधानमंत्री और कैबिनेट ऐसी संस्थाएं हैं जो सभी महत्वपूर्ण नीतिगत फैसले करती हैं। मंत्रियों द्वारा किए गए फैसले को लागू करने के उपायों के लिए एक निकाय के रूप में नौकरशाह जिम्मेदार होते हैं। सर्वोच्च न्यायालय वह संस्था है, जहाँ नागरिक और सरकार के बीच विवाद अंततः सुलझाये जाते हैं।

एक सरकारी आदेश – भारत सरकार के तहत सिविल पदों और सेवाओं में 27% स्थान एसईबीसी के लिए आरक्षित होंगी। इस सरकारी आदेश में प्रमुख नीतिगत फैसलों की घोषणा की गई।

निर्णय करने वाले

• राष्ट्रपति राष्ट्राध्यक्ष होता है और औपचारिक रूप से देश का सबसे बड़ा अधिकारी होता है।
• नयी सरकार ने संसद में राष्ट्रपति के भाषण के जरिए मंडल रिपोर्ट लागू करने की अपनी मंशा की घोषणा की।
• 6 अगस्त 1990 को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इसके बारे में एक औपचारिक निर्णय किया गया।
• अगले दिन प्रधानमंत्री वी.पी. ङ्क्षसह ने एक बयान के ज़रिए इस निर्णय के बारे में संसद के दोनों सदनों को सूचित किया।

राजनैतिक संस्थाओं की आवश्यकता

• किसी देश को चलाने में इस तरह की कई गतिविधियाँ शामिल होती हैं।
• प्रधानमंत्री और कैबिनेट ऐसी संस्थाएँ है जो सभी महत्वपूर्ण नीतिगत फ़ैसले करती है।
• मंत्रियों द्वारा किए गए फ़ैसले को लागू करने के उपयों के लिए एक निकाय के रूप में नौकरशाह जिम्मेदार होते हैं।
• सर्वोच्च न्यायालय वह संस्था है जहाँ नागरिक और सरकार के बीच विवाद अंततः सुलझाए जाते हैं।

संसद – भारत में निर्वाचित सदस्यों की राष्ट्रीय सभा को संसद व राज्य स्तर पर इसे विधानसभा भी कहते हैं। संसद के दो सदन होते है लोकसभा और राज्यसभा।

हमें संसद की आवश्यकता क्यों – किसी भी देश में कानून बनाने का सबसे बड़ा अधिकार संसद को होता है। कानून बनाने या विधि निर्माण का यह काम इतना महत्त्वपूर्ण होता है कि इन सभाओं को विधायिका कहते हैं। दुनिया भर की संसदें नए कानून बना सकती हैं, मौजूदा कानूनों में संशोधन कर सकती हैं या मौजूदा कानून को खत्म कर उसकी जगह नये कानून बना सकती हैं।

लोकसभा एवं राज्यसभा में अंतर बताइए ?

लोकसभाराज्यसभा
इसके सदस्य आम जनता द्वारा वयस्क मतदान की प्रक्रिया के तहत चुने जाते हैं।इसके सदस्य राज्य विधान सभा के निर्वाचित सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं।
लोक सभा का कार्यकाल 5 वर्षों का होता है।यह एक स्थायी सदन है जिसके एक-तिहाई सदस्य प्रत्येक दो साल बाद रिटायर हो जाते हैं।
इसकी अधिकतम सदस्य संख्या 552 है।इसकी अधिकतम सदस्य संख्या 250 है।
धन विधेयक को केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है। यह सदन देश में शासन चलाने हेतु धन आवंटित करता है।धन विधेयक के संबंध में राज्यसभा को अधिक शक्तियां प्राप्त नहीं है।
केन्द्रीय मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है।केन्द्रीय मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से राज्यसभा के प्रति उत्तरदायी नहीं होती है।
लोकसभा के बैठकों की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष करते हैं।राज्यसभा की बैठकों की अध्यक्षता उप-राष्ट्रपति करते हैं।।
इसे निचला सदन या आम जनता का सदन कहा जाता है।इसे ऊपरी सदन या ‘राज्यों की परिषद्’ कहा जाता है
भारत के राष्ट्रपति इस सदन में आंग्ल-भारतीय समुदाय के 2 सदस्यों को मनोनीत कर सकते हैं।भारत के राष्ट्रपति इस सदन में कला, शिक्षा, समाजसेवा एवं खेल जैसे क्षेत्रों से संबंधित 12 सदस्यों को मनोनीत कर सकते हैं।
लोकसभा का सदस्य बनने के लिए न्यूनतम आयु-सीमा 25 वर्ष है।राज्यसभा का सदस्य बनने के लिए न्यूनतम आयु-सीमा 30 वर्ष है।

राजनैतिक कार्यपालिका – मंत्रिपरिषद और प्रधानमंत्री मिलकर राजनीतिक कार्यपालिका का गठन करते हैं। मंत्रीपरिषद का काम होता है सरकार के कार्यक्रमों और नीतियों को मूर्तरूप देना या क्रियांवयन करना। इसलिए मंत्रीपरिषद को कार्यपालिका कहा जाता है। राजनैतिक कार्यपालिका के सदस्य जनता द्वारा चुनकर आते हैं।

स्थायी कार्यपालिका – यह नौकरशाओं से मिलकर बनी होती है। नौकरशाहों का चयन अखिल भारतीय सिविल सर्विसेज द्वारा होता है। सरकारें बदलने के बावजूद नौकरशाहों यानी स्थायी कार्यपालिका के कार्यकाल में कोई रुकावट नहीं आती है।

मंत्रिपरिषद और मंत्रिमंडल में अंतर बताइए ?

मंत्रिपरिषदमंत्रिमंडल
इसमें मंत्रियों की तीन श्रेणियां – कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री एवं उपमंत्री होती है।इसमें केवल कैबिनेट मंत्री शामिल होते हैं. अतः यह मंत्रिपरिषद का एक भाग है।
यह सरकारी कार्यों हेतु एक साथ बैठक नहीं करती है। इसका कोई सामूहिक कार्य नहीं है।यह एक निकाय की तरह है। यह सामान्यतः हफ्ते में एक बार बैठक करती है और सरकारी कार्यों के संबंध में निर्णय करती है। इसके कार्यकलाप सामूहिक होते हैं।
इसे सैद्धान्तिक रूप से सभी शक्तियां प्राप्त है।यह वास्तविक रूप में मंत्रिपरिषद की शक्तियों का प्रयोग करती है और सरकारी उसके लिए कार्य करती है।
इसके कार्यों का निर्धारण मंत्रिमंडल करती है।यह राजनैतिक निर्णय लेकर मंत्रिपरिषद को निर्देश देती है तथा ये निर्देश सभी मंत्रियों पर बाध्यकारी होते हैं।
यह मंत्रिमंडल के निर्णयों को लागू करती है।यह मंत्रिपरिषद द्वारा अपने निर्णयों के अनुपालन की देखरेख करती है।
यह सामूहिक रूप से संसद के निचले सदन-‘लोकसभा’ के प्रति उत्तरदायी होती है।यह संसद के निचले सदन-‘लोकसभा’ के प्रति मंत्रिपरिषद की सामूहिक जिम्मेदारी को लागू करती है।
यह एक बड़ा निकाय है जिसमें 60 से 70 मंत्री होते हैं।यह एक लघु निकाय है जिसमें 15 से 20 मंत्री होते हैं।
इसका विस्तृत विवरण संविधान के अनुच्छेद 74 तथा 75 में किया गया है। यह एक संवैधानिक निकाय है।इसे संविधान के अनुच्छेद 352 में 1978 के 44वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा शामिल किया गया था।।” इसके कार्यों एवं शक्तियों का वर्णन संविधान में नहीं किया गया है।

प्रधानमंत्री के अधिकार

• कैबिनेट की बैठकों की अध्यक्षता।
• विभिन्न विभागों के कार्य का समन्वय।
• विभिन्न विभागों की सामान्य निगरानी।
• मंत्रियों के कामों का वितरण।
• किसी मंत्री को बर्खास्त करने का अधिकार।

राष्ट्रपति

• भारत के राष्ट्राध्यक्ष राष्ट्रपति होते हैं। सरकार का हर निर्णय राष्ट्रपति के नाम में लिया जाता है लेकिन राष्ट्रपति का पद केवल अलंकारिक है।
• जब कोई बिल संसद से पास हो जाता है तो उस पर राष्ट्रपति के दस्तखत के बाद ही वह कानून बन पाता है।
• सरकार के हर महत्वपूर्ण निर्णय को लागू करने से पहले उसपर राष्ट्रपति का हस्ताक्षर होना जरूरी है। सभी अंतर्राष्ट्रीय संधि समझौते राष्ट्रपति के नाम में ही बनाए जाते हैं।

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