NCERT Solutions Class 8th Hindi Vyakaran अनुच्छेद-लेखन

NCERT Solutions Class 8th Hindi Vyakaran अनुच्छेद-लेखन

TextbookNCERT
Class 8th
Subject Hindi Vyakaran
Chapterहिन्दी व्याकरण (Vyakaran)
Grammar Nameअनुच्छेद-लेखन (Paragraph Writing)
CategoryClass 8th  Hindi हिन्दी व्याकरण
Medium Hindi
SourceLast Doubt
NCERT Solutions Class 8th Hindi Vyakaran अनुच्छेद-लेखन (Paragraph Writing) जिसमें हम अनुच्छेद की भाषा, अनुच्छेद लेखन क्या है समझाइए, अनुच्छेद लेखन कैसे लिखते हैं अनुच्छेद और उदाहरण क्या है, अनुछेद लेखन का प्रारूप क्या है, अनुच्छेद क्या है और इसके प्रकार, अनुच्छेद लिखने की मुख्य विशेषताएं क्या हैं, अनुच्छेद कितने शब्दों का होता है, आदि इसके बारे में हम विस्तार से पढ़ेंगे

NCERT Solutions Class 8th Hindi Vyakaran अनुच्छेद-लेखन

हिन्दी व्याकरण

अनुच्छेद-लेखन

अनुच्छेद लेखन – अनुच्छेद लेखन भी कला है। किसी विषय पर सीमित शब्दों में अपने विचार लिखना ही अनुच्छेद लेखन है। यदि अनुच्छेद को ‘लघु निबंध’ कहा जाए तो गलत न होगा। इसमें शब्द सीमा के भीतर विषय-परिचय, वर्णन व निष्कर्ष लिखने होते हैं। इस प्रकार अनुच्छेद को निबंध का लघुतम रूप कहा जा सकता है। अनुच्छेद लिखने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।

• अनुच्छेद की भाषा सरल होनी चाहिए।
• भाषा संक्षिप्त, भाव प्रधान, अर्थपूर्ण और प्रभावोत्पादक होनी चाहिए।
• कक्षा आठवीं 125-150 शब्द होनी चाहिए।
• इसमें अनावश्यक विस्तार नहीं होना चाहिए।
• इसमें शब्द-चयन पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
• वाक्यों में परस्पर संबंध होना चाहिए।

आवश्यकता हो तो मुहावरे या लोकोक्ति का प्रयोग कर विषय-वस्तु को और रोचक बनाया जा सकता है।

अनुच्छेद के कुछ उदाहरण

1. मीठी वाणी

वाणी से ही सबकी पहचान होती है। इसीलिए किसी कवि ने ठीक ही कहा है
‘बोली एक अनमोल है जो कोई बोले जानि’
‘हिए तराजू तोलि के तब मुख बाहर आनि’।

मनुष्य वाणी के द्वारा ही दूसरे को अपना मित्र या शत्रु बना लेता है। मीठी वाणी बोलने से आप अपने विरोधियों को भी अपने पक्ष में कर सकते हैं और इससे मन को शांति मिलती है। मीठी वाणी से मनुष्य समाज में सम्मान प्राप्त करता है। मीठा बोलकर लोगों का दिल जीत सकते हैं। मधुर वाणी से शत्रु का हृदय भी जीता जा सकता है। ‘वाणी’ मनुष्य का आभूषण है। संसार में सभी मनुष्य मीठी वाणी बोलें, तो परस्पर प्रेम और शांति से मिलकर रह सकेंगे।

इसके माध्यम से समस्त संसार की समस्याओं का समाधान निकल पाएगा। इसीलिए किसी कवि ने कहा है कि- ‘मधुरवचन है औषधि, कटुक वचन है तीर’ मधुर वचन औषधि के समान होते हैं, जबकि कटु वचन तीर के समान।

2. मैं पर्यावरण रक्षक हूँ।

प्रकृति से मनुष्य का अटूट संबंध रहा है। मानवीय विकास में प्रकृति की विशेष भूमिका रही है। मुझे इस बात की गंभीर चिंता रहती है कि यदि इसी प्रकार हम लोग पर्यावरण को नुकसान पहुँचाते रहे तो इस पृथ्वी की क्या होगा? इस पृथ्वी को जिसे ‘माँ’ के रूप में देखते हैं, क्या अपने स्वार्थ के कारण ऐसे ही नष्ट हो जाएगी। लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे। अपने वजूद को बचाने के लिए इस पृथ्वी को हमें बचाना ही होगा।

इस धरती माँ को बचाने के लिए अभी और कुछ करने का संकल्प लेना होगा। इन्हीं विचारों को लेकर हमने पर्यावरण संरक्षण समिति बनाई। अब हममें से प्रत्येक व्यक्ति पर्यावरण प्रेमी है। हम लोग अपने घर के आस-पास वातावरण को साफ सुथरा रखते हैं। कोई भी खुशी का अवसर हो, एक पौधा अवश्य लगाते हैं। हम सब उसकी देखभाल करते हैं। इस तरह हम लोग विश्व स्तर पर इस समस्या का समाधान कुछ न कुछ अवश्य निकालेंगे।

3. परिश्रम की महिमा

परिश्रम सफलता की कुंजी है। यह सभी प्रकार की उपलब्धि तथा सफलता का आधार है। परिश्रमी व्यक्तियों ने मानव जाति के उत्थान में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। परिश्रम से कठिन से कठिन काम भी आसान हो जाता है। मेहनत से जी चुराने वाला व्यक्ति आलसी बन जाता है। उसे जीवन में किसी प्रकार का लाभ नहीं होता। उसमें कार्य के प्रति उमंग, उत्साह और जोश नहीं होता।

परिश्रमी व्यक्तियों ने वैज्ञानिक उन्नति में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी है। अपने परिश्रम के बलबूते मनुष्य अंतरिक्ष में जा चुका है। परिश्रमी व्यक्ति ही सदैव सफलता प्राप्त करता है। अतः हमें सभी कार्य सदैव परिश्रमपूर्वक करना चाहिए।

4. परीक्षा के दिन

प्राचीन काल से ही परीक्षा की परंपरा चली आ रही है। ज्यों-ज्यों परीक्षा निकट आती है, त्यों-त्यों धड़कन तेज़ हो जाती है। हर काम में जल्दी लगी रहती है। परीक्षा हमें शत्रु की तरह दिखाई देती है। तनाव के कारण छात्रों को रातों में नींद नहीं आती। दिल काफ़ी बेचैन रहता है। चिंताएँ लगातार बनी रहती हैं। हर समय नींद में कापी और किताबों का सपना आता रहता है।

यहाँ हमेशा भय बना रहता है कि कोई विषय में कमी न रह जाए। मानसिक तनाव में रहता है। जिनकी पूरी तैयारी रहती है वे तनावयुक्त रहते हैं। बच्चे सोचते है काश! ये परीक्षाएँ न होतीं, तो जीवन कितना सरल और सुखी होता।

5. भारतीय संस्कृति

भारतीय संस्कृति का मूल वैदिक संस्कृति है। यह संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक है। भारतीय संस्कृति पर अनेक धर्म, जाति, संप्रदाय, मत और आचार-विचारों का प्रभाव पड़ता गया। भारतीय संस्कृति में समाज के सभी पहलुओं पर विचार किया गया तथा व्यक्ति, परिवार, समाज से लेकर राष्ट्रीय उद्भव तक के विभिन्न मार्ग दिखाए गए।

हमारी संस्कृति अपनी उदारता-सहिष्णुता के कारण आज भी विश्व को आकर्षित करती है। यहाँ विचारों की स्वतंत्रता है। ‘समन्वय की भावना भारतीय संस्कृति की विशेषता है। भारतीय संस्कृति आशावाद, धार्मिकता तथा अहिंसा की सबसे बड़ी समर्थक है।

6. जीवन में खेलकूद का स्थान

जीवन की सफलता के लिए शारीरिक, मानसिक तथा मौलिक विकास का होना अति आवश्यक है। इसके लिए व्यायाम या खेल बहुत अनिवार्य है। खेलों से हम अनुशासन, संगठन, आज्ञा पालन, साहस, आत्मविश्वास तथा एकाग्रचितता जैसे गुणों को प्राप्त करते हैं।

अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्यायाम, खेलकूद आवश्यक है। प्राणायाम योगासन, दंड-बैठक आदि से शरीर की पुष्टि हो सकती है लेकिन इनसे भरपूर मनोरंजन नहीं होता है। दौड, कूद, खों-खों, हॉकी, फुटबॉल, क्रिकेट आदि खेलों में व्यायाम के साथ-साथ हमारी पूरा मनोरंजन भी होता है।

खेलकूद से केवल हमारा शरीर की पुष्ट नहीं होता बल्कि खेल के मैदानों में आज्ञाकारिता, अनुशासन, धैर्य, संयम, सहिष्णुता, सहयोग, एकता, त्याग, जैसे गुण अनायास ही प्राप्त हो जाते हैं। खेलों से राष्ट्रीय एकता की भावना पुष्ट होती है। आज देश-विदेश में अनेक स्तरों पर खेलों का आयोजन होता है। प्रांतीय, राष्ट्रीय, राष्ट्रमंडलीय, एशियाई तथा ओलंपिक आदि खेलों का नियमित रूप से आयोजन होता रहता है।

NCERT Solution Class 8th Hindi Grammar Vyakaran
वर्ण विचार
शब्द विचार
संज्ञा
लिंग
वचन
कारक
सर्वनाम
विशेषण
क्रिया
काल
संधि
समास
वाक्य
वाक्य संबंधी अशुद्धियाँ
मुहावरे और लोकोक्तियाँ
शब्द-भंडार
अलंकार
अविकारी शब्द-अव्यय
पद परिचय
भाषा, बोली, लिपि और व्याकरण
अपठित पद्यांश
अपठित बोध
अनुच्छेद-लेखन
निबंध-लेखन
पत्र लेखन

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