NCERT Solutions Class 8th History Chapter – 5 जब जनता बगावत करती है 1857 और उसके बाद (When People Rebel 1857 and After) Notes in Hindi

NCERT Solutions Class 8th History Chapter – 5 जब जनता बगावत करती है 1857 और उसके बाद (When People Rebel 1857 and After)

Text BookNCERT
Class  8th
Subject  Social Science (इतिहास)
Chapter5th
Chapter Nameजब जनता बग़ावत करती है 1857 और उसके बाद (When People Rebel 1857 and After)
CategoryClass 8th  Social Science (इतिहास)
Medium Hindi
SourceLast Doubt
NCERT Solutions Class 8th History Chapter – 5 जब जनता बग़ावत करती है 1857 और उसके बाद (When People Rebel 1857 and After) Notes in Hindi जिसमे हम नीतियाँ और लोग, अवध पर कब्जा, मुगल शासन खत्म करने की योजनाआदि इसके बारे में विस्तार से पढ़ेंगे।

NCERT Solutions Class 8th History Chapter – 5 जब जनता बगावत करती है 1857 और उसके बाद (When People Rebel 1857 and After)

Chapter – 5

जब जनता बगावत करती है 1857 का विद्रोह

Notes

नीतियाँ और लोग – 1857 का सिपाही विद्रोह का भारत के स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण स्थान है। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ यह पहला संघर्ष था जिसे जनता के एक बड़े हिस्से का समर्थन मिला था और जो देश के एक बड़े भू-भाग में फैला था। जिनके कारण लोगों का रोष इतना बढ़ चुका था कि मौका आने पर लोगों ने अंग्रेजी राज की नींव हिला डाली। आप यह भी पढ़ेंगे कि उस आंदोलन ने किस तरह भारत में अंग्रेजी राज के समीकरण को हमेशा के लिए बदल दिया।

नवाबों की छिनती सत्ता – अठारहवीं सदी के मध्य से ही नवाबों और राजाओं की सत्ता कम होने लगी थी। अब उन्हें पहले की तरह सत्ता और सम्मान नहीं मिलता था। अंग्रेजों ने कई राजाओं के दरबार में अपने रेजिडेंट तैनात कर रखे थे ताकि उनके काम काज में दखल डाल सकें। भारतीय राजाओं की आजादी कम कर दी गई और उनकी सेनाओं को भंग कर दिया गया। धीरे धीरे करके कम्पनी ने उनके इलाकों और राजस्व के अधिकार को भी छीन लिया।

सैनिक विद्रोह – जब सिपाही इकट्ठा होकर अपने सैनिक अफ़सरों का हुक्म मानने से इनकार कर देते हैं।

सैनिक विद्रोह जनविद्रोह बन गया – यद्यपि शासक और प्रजा के बीच संघर्ष कोई अनोखी बात नहीं होती लेकिन कभी-कभी ये संघर्ष इतने फैल जाते हैं कि राज्य की सत्ता छिन्न-भिन्न हो जाती है। बहुत सारे लोग मानने लगे हैं कि उन सबका शत्रु एक है। इसलिए वे सभी “कुछ करना चाहते हैं। इस तरह की स्थिति में हालात अपने हाथ में लेने के लिए लोगों को संगठित होना पड़ता है, उन्हें संचार, पहलकदमी और आत्मविश्वास का परिचय देना होता है।

भारत के उत्तरी भागों में 1857 में ऐसी ही स्थिति पैदा हो गई थी। फ़तह और शासन के 100 साल बाद ईस्ट इंडिया कंपनी को एक भारी विद्रोह से जूझना पड़ रहा था। मई 1857 में शुरू हुई इस बग़ावत ने भारत में कंपनी का अस्तित्व ही खतरे में डाल दिया था। मेरठ से शुरू करके सिपाहियों ने कई जगह बग़ावत की थी।

किसान और सिपाही

  • किसानों की अपनी समस्याएँ थीं। लगान की ऊँची दरों और उसे वसूलने के तरीकों से किसान दुखी थे। कई किसानों को कर्ज न चुका पाने के कारण उन जमीनों से हाथ धोना पड़ा जिसे वे कई पीढ़ियों से जोत रहे थे।
  • कम्पनी की सेना में काम करने वाले सिपाही अपने वेतन, भत्ता और सर्विस की शर्तों से खुश नहीं थे। कुछ नए नियम उनके धार्मिक विश्वास और मान्यताओं के खिलाफ साबित हो रहे थे।
  • हिंदुओं की मान्यता थी कि समुद्र पार करने से उनका धर्म और उनकि जाति नष्ट हो जाएगी। जब 1924 में सिपाहियों को समुद्र के रास्ते बर्मा जाने के लिए कहा गया तो उन्होंने हुक्म मानने से इनकार कर दिया।
  •  वे जमीन के रास्ते बर्मा जाने को तैयार थे। इसके लिए सिपाहियों को कठोर सजा दी गई। कम्पनी ने 1856 में एक नया नियम बना दिया। इस नियम के अनुसार यदि कोई सिपाही की नौकरी करता तो उसे जरूरत पड़ने पर विदेशों में जाना ही पड़ता।
  • अधिकतर सिपाही ग्रामीण परिवेश से आते थे। उनके परिवार गाँवों में रहते थे। इसलिए गाँवों में होने वाली किसी भी घटना का उनपर असर होता था और वे उसपर प्रतिक्रिया भी करते थे।

सुधारों पर प्रतिक्रिया

  • अंग्रेजों ने समाज सुधार की दिशा में कई काम किये थे। जैसे कि सति प्रथा को समाप्त करने और विधवा विवाह के लिए कानून बनाए गए। कम्पनी ने अंग्रेजी भाषा को बढ़ावा देना शुरु किया। 
  • 1830 के बाद ईसाई मिशनरियों को काम करने की पूरी छूट दी गई और उन्हें जमीन और सम्पत्ति खरीदने का अधिकार भी दिया गया। 
  • 1850 में एक कानून बना जिसके मुताबिक कोई भी भारतीय यदि ईसाई धर्म स्वीकार कर लेता तब भी उसे अपने पुरखों की संपत्ति से हाथ नहीं धोना पड़ता। इस नियम से किसी व्यक्ति के लिए ईसाई धर्म के को कबूलना आसान हो गया।
  • भारत के लोगों को यह लगने लगा था कि अंग्रेज यहाँ की धार्मिक विचारधारा, सामाजिक रिवाजों और जीने के पारंपरिक तरीकों को नष्ट करने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन कुछ ऐसे विचारक भी थे सामाजिक कुरीतियों को खत्म करना चाहते थे।

मेरठ से दिल्ली तक – 8 अप्रैल 1857 को युवा सिपाही मंगल पांडे को बैरकपुर में अपने अफ़सरों पर हमला करने के आरोप में फाँसी पर लटका दिया गया। चंद दिन बाद मेरठ में तैनात कुछ सिपाहियों ने नए कारतूसों के साथ फ़ौजी अभ्यास करने से इनकार कर दिया। सिपाहियों को लगता था कि उन कारतूसों पर गाय और सूअर की चर्बी का लेप चढ़ाया गया था। 85 सिपाहियों को नौकरी से निकाल दिया गया। उन्हें अपने अफ़सरों का हुक्म न मानने के आरोप में 10-10 साल की सज़ा दी गई। यह 9 मई 1857 की बात है।

मेरठ में तैनात दूसरे भारतीय सिपाहियों की प्रतिक्रिया बहुत ज़बरदस्त रही। 10 मई को सिपाहियों ने मेरठ की जेल पर धावा बोलकर वहाँ बंद सिपाहियों को आज़ाद करा लिया। उन्होंने अंग्रेज़ अफ़सरों पर हमला करके उन्हें मार गिराया। उन्होंने बंदूक और हथियार कब्ज़े में ले लिए और अंग्रेज़ों की इमारतों व संपत्तियों को आग के हवाले कर दिया। उन्होंने फ़िरंगियों के खिलाफ़ युद्ध का ऐलान कर दिया।

फ़िरंगी – विदेशी। इस शब्द में अपमान का भाव आता है।

बग़ावत फैलने लगी – जब दिल्ली से अंग्रेज़ों के पैर उखड़ गए तो लगभग एक हफ़्ते तक कहीं कोई विद्रोह नहीं हुआ। ज़ाहिर है ख़बर फैलने में भी कुछ समय तो लगना ही था। लेकिन फिर तो विद्रोहों का सिलसिला ही शुरू हो गया।

एक के बाद एक हर रेजिमेंट में सिपाहियों ने विद्रोह कर दिया और वे दिल्ली, कानपुर व लखनऊ जैसे मुख्य बिंदुओं पर दूसरी टुकड़ियों का साथ देने को निकल पड़े। उनकी देखा-देखी कस्बों और गाँवों के लोग भी बग़ावत के रास्ते पर चलने लगे। वे स्थानीय नेताओं, ज़मींदारों और मुखियाओं के पीछे संगठित हो गए। ये लोग अपनी सत्ता स्थापित करने और अंग्रेज़ों से लोहा

कंपनी का पलटवार – इस उथल-पुथल के बावजूद अंग्रेज़ों ने हिम्मत नहीं छोड़ी। कंपनी ने अपनी पूरी ताकत लगाकर विद्रोह को कुचलने का फ़ैसला लिया। उन्होंने इंग्लैंड से और फ़ौजी मँगवाए विद्रोहियों को जल्दी सज़ा देने के लिए नए कानून बनाए और विद्रोह के मुख्य केंद्रों पर धावा बोल दिया।

विद्रोह के बाद के साल – अंग्रेज़ों ने 1859 के आखिर तक देश पर दोबारा नियंत्रण पा लिया था लेकिन अब वे पहले वाली नीतियों के सहारे शासन नहीं चला सकते थे।

अंग्रेज़ों ने जो अहम बदलाव किए वे निम्नलिखित हैं-

1. ब्रिटिश संसद ने 1858 में एक नया कानून पारित किया और ईस्ट इंडिया कंपनी के सारे अधिकार ब्रिटिश साम्राज्य के हाथ में सौंप दिए ताकि भारतीय मामलों को ज्यादा बेहतर ढंग से सँभाला जा सके।

2. देश के सभी शासकों को भरोसा दिया गया कि भविष्य में कभी भी उनके भूक्षेत्र पर कब्ज़ा नहीं किया जाएगा। उन्हें अपनी रियासत अपने वंशजों, यहाँ तक कि दत्तक पुत्रों को सौंपने की छूट दे दी गई। लेकिन उन्हें इस बात के लिए प्रेरित किया गया कि वे ब्रिटेन की रानी को अपना अधिपति स्वीकार करें।

3. सेना में भारतीय सिपाहियों का अनुपात कम करने और यूरोपीय सिपाहियों की संख्या बढ़ाने का फ़ैसला लिया गया। यह भी तय किया गया कि अवध, बिहार, मध्य भारत और दक्षिण भारत से सिपाहियों को भर्ती करने की बजाय अब गोरखा, सिखों और पठानों में से ज्यादा सिपाही भर्ती किए जाएँगे।

4. मुसलमानों की ज़मीन और संपत्ति बड़े पैमाने पर ज़ब्त की गई। उन्हें संदेह व शत्रुता के भाव से देखा जाने लगा। अंग्रेज़ों को लगता था कि यह विद्रोह उन्होंने ही खड़ा किया था।

5. अंग्रेज़ों ने फ़ैसला किया कि वे भारत के लोगों के धर्म और सामाजिक रीति-रिवाज़ों का सम्मान करेंगे।

6. भूस्वामियों और ज़मींदारों की रक्षा करने तथा ज़मीन पर उनके अधिकारों को स्थायित्व देने के लिए नीतियाँ बनाई गई। इस प्रकार, 1857 के बाद इतिहास का एक नया चरण शुरू हुआ।

NCERT Solution Class 8th Social Science History Notes All Chapters In Hindi
Chapter – 1 कैसे, कब और कहाँ
Chapter – 2 व्यापार से साम्राज्य तक कंपनी की सत्ता स्थापित होती है
Chapter – 3 ग्रामीण क्षेत्र पर शासन चलाना
Chapter – 4 आदिवासी, दिकू और एक स्वर्ण युग के कल्पना
Chapter – 5 जब जनता बग़ावत करती है 1857 और उसके बाद
Chapter – 6 “देशी जनता” को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना
Chapter – 7 महिलाएँ, जाति एवं सुधार
Chapter – 8 राष्ट्रीय आंदोलन का संघटनः 1870 के दशक से 1947 तक
NCERT Solution Class 8th Social Science History Question Answer All Chapters In Hindi
Chapter – 1 कैसे, कब और कहाँ
Chapter – 2 व्यापार से साम्राज्य तक कंपनी की सत्ता स्थापित होती है
Chapter – 3 ग्रामीण क्षेत्र पर शासन चलाना
Chapter – 4 आदिवासी, दिकू और एक स्वर्ण युग के कल्पना
Chapter – 5 जब जनता बग़ावत करती है 1857 और उसके बाद
Chapter – 6 “देशी जनता” को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना
Chapter – 7 महिलाएँ, जाति एवं सुधार
Chapter – 8 राष्ट्रीय आंदोलन का संघटनः 1870 के दशक से 1947 तक
NCERT Solution Class 8th Social Science History MCQ All Chapters In Hindi
Chapter – 1 कैसे, कब और कहाँ
Chapter – 2 व्यापार से साम्राज्य तक कंपनी की सत्ता स्थापित होती है
Chapter – 3 ग्रामीण क्षेत्र पर शासन चलाना
Chapter – 4 आदिवासी, दिकू और एक स्वर्ण युग के कल्पना
Chapter – 5 जब जनता बग़ावत करती है 1857 और उसके बाद
Chapter – 6 “देशी जनता” को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना
Chapter – 7 महिलाएँ, जाति एवं सुधार
Chapter – 8 राष्ट्रीय आंदोलन का संघटनः 1870 के दशक से 1947 तक

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