NCERT Solutions Class 8th Social Science (Civics) Chapter – 4 कानूनों की समझ (Understanding of laws) Notes in Hindi

NCERT Solutions Class 8th Social Science (Civics) Chapter – 4 कानूनों की समझ

Text BookNCERT
Class  8th
Subject  Social Science (नागरिक शास्त्र)
Chapter4th
Chapter Nameकानूनों की समझ (Understanding of laws)
CategoryClass 8th Social Science Civics Notes in Hindi 
Medium Hindi
SourceLast Doubt

NCERT Solutions Class 8th Social Science (Civics) Chapter – 4 कानूनो की समझ (Understanding of laws) Notes in Hindi कानून के 5 उद्देश्य क्या हैं?, कानून को लागू कौन करता है?, भारत में कानून कौन बनाता है?, कानून कब लागू हुआ था?, भारत में कितने कानून हैं?, कानून कितने प्रकार के होते हैं?, हमारे पास कितने कानून हैं?, कानून का नियम क्या है?, कानून का जनक कौन है?, कानून का मुख्य कार्य क्या है?, भारत में 2022 में कितने कानून हैं?, कानून की प्रकृति कौन सी है?, कानून को क्या वैधता देता है?

NCERT Solutions Class – 8th Social Science (Civics) Chapter – 4 कानूनों की समझ

Chapter – 4

कानूनों की समझ

Notes

सबके लिए बराबर

 हमारे देश का कानून सबके लिए बराबर है। यह धर्म, जाति और लिंग के आधार पर लोगों के बीच कोई भेदभाव नहीं करता है। भारत का हर व्यक्ति, चाहे वह राष्ट्रपति हो, या कोई सरकारी अधिकारी हो या कोई गरीब मजदूर हो, यहाँ के कानून की नजर में एक समान है।

भारत में कानून का इतिहास

पुराने जमाने में हर क्षेत्र में अलग-अलग कानून हुआ करते थे। अलग-अलग समुदाय के लोग अपने अधिकार क्षेत्र में अपने हिसाब से कानून लागू करते थे। कई मामलों में एक ही अपराध के लिए जाति के आधार पर अलग-अलग सजाएँ दी जाती थीं। ऊँची जाति के लोगों को हल्की सजा मिलती थी, जबकि निचली जाति के लोगों को कठोर सजा मिलती थी।

अंग्रेजी शासन के दौरान, यहाँ की कानून व्यवस्था में कई बदलाव आये। जाति के आधार पर सजा देने में भेदभाव का प्रचलन समाप्त होने लगा। कई लोगों का मानना है कि भारत में अंग्रेजी शासन के समय से कानून की सही शुरुआत हुई थी। कुछ अन्य लोगों का मानना है कि अंग्रेजों के कई कानून मनमाने और दमनकारी होते थे। यह भी माना जाता है कि भारत के राष्ट्रवादी नेताओं ने कानूनी मामलों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

उन्नीसवीं सदी के अंत तक भारत में कानूनी पेशा भी उभरने लगा था। भारत के कानून विशेषज्ञ अपने लिए अदालतों में सम्मान की मांग करने लगे थे। इस तरह से यहाँ के वकीलों ने भी कानून के विकास में अपना योगदान दिया था।

देश के आजाद होने के बाद जब संविधान लागू हुआ तो जनता के प्रतिनिधियों को कानून बनाने का अधिकार मिला। संसद और विधान सभा के पास नये कानून बनाने का अधिकार है और पुराने कानूनों में संशोधन करने का अधिकार है।

नए कानून का निर्माण

आपने पढ़ा कि कानून बनाने का काम संसद का है। लेकिन संसद सदस्य बिना किसी आधार के कानून नहीं बना सकते हैं। अक्सर जनता द्वारा कानून बनाने की मांग उठती रहती है। कई गैर-राजनैतिक मंचों द्वारा जनता की मांग को उठाया जाता है। विभिन्न संचार माध्यमों द्वारा (टीवी, अखबार, इंटरनेट, आदि) भी जनता की आवाज को आगे रखा जाता है। जब संसद पर दबाव बढ़ता है तो एक या अधिक सांसद नये कानून का प्रस्ताव सदन में रखते हैं। उसके बाद उचित बहस के बाद संसद द्वारा उस बिल को पास किया जाता है। संसद से पास होने के बाद उस बिल को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के लिए भेजा जाता है। जब राष्ट्रपति का हस्ताक्षर हो जाता है तो यह बिल कानून का रूप ले लेता है।

अलोकप्रिय और विवादास्पद कानून

कई बार संसद द्वारा ऐसा कानून पास हो जाता है जो बहुत अलोकप्रिय साबित होता है। संसद से पास होने के कारण यह संवैधानिक रूप से वैध होता है और कानूनन सही होता है। लेकिन यदि जनता को लगता है कि उस कानून के पीछे की मंशा सही नहीं है तो लोगों को उसकी आलोचना और विरोध करने का अधिकार होता है। जब ऐसे कानून का विरोध बढ़ जाता है तो संसद को उस पर दोबारा विचार करने के लिए बाध्य होना पड़ता है।

नए कानून के विरोध में लोग तरह तरह की गतिविधियाँ कर सकते हैं, जैसे विरोध प्रदर्शन, अखबारों को चिट्ठी, टेलिविजन पर बहस, आदि। लोग अदालत की शरण में भी जा सकते हैं। यदि अदालत को लोगों का विरोध उचित लगता है तो वह उस कानून को खारिज कर सकती है।

इसे समझने के लिए हम नगरपालिका द्वारा रेहड़ी पटरी वालों को हटाने के लिए बनाए कानून का उदाहरण ले सकते हैं। बड़े शहरों में अक्सर फुटपाथ पर रेहड़ी पटरी वाले अपनी दुकानें लगाते हैं। इससे लोगों को, खासकर पैदल चलने वालों को बहुत परेशानी होती है। लेकिन हमें इस बात को भी ध्यान में रखना होगा, कि छोटे दुकानदारों को भी अपनी रोजी रोटी कमाने का हक है। इसलिए ऐसे कानूनों का अक्सर विरोध होता है।

NCERT Solution Class 8th राजनीतिक शास्त्र Notes in Hindi