मंडल आयोग क्या है? मंडल आयोग की सिफारिशें और उसके प्रभाव के बारे में बताएं ?

मंडल आयोग का गठन 1979 में भारत सरकार द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन का आकलन करने और उनके उत्थान के लिए सिफारिशें देने हेतु किया गया था। इस आयोग का नेतृत्व बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल ने किया, इसलिए इसे मंडल आयोग कहा जाता है।

मंडल आयोग के उद्देश्य:

  1. देश में पिछड़े वर्गों की पहचान करना।
  2. उनके सामाजिक और आर्थिक हालात का विश्लेषण करना।
  3. उनके लिए आरक्षण और अन्य कल्याणकारी उपायों की सिफारिश करना।

मंडल आयोग की सिफारिशें:

  1. आरक्षण: सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में OBC के लिए 27% आरक्षण।
  2. सामाजिक और आर्थिक मानदंड: पिछड़े वर्गों की पहचान के लिए सामाजिक, शैक्षणिक, और आर्थिक आधार पर 11 मानदंड तय किए गए।
  3. पिछड़े वर्गों की पहचान: कुल 3743 जातियों को OBC के रूप में वर्गीकृत किया गया।
  4. कुल आरक्षण सीमा: आरक्षण की कुल सीमा 50% रखने की सिफारिश की गई।
  5. कल्याण योजनाएँ: पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए विशेष योजनाओं का निर्माण।
  6. शिक्षा और रोजगार में अवसर: पिछड़े वर्गों के लिए विशेष प्रशिक्षण और आर्थिक सहायता की व्यवस्था।

मंडल आयोग के प्रभाव:

  1. सामाजिक प्रभाव:
    • पिछड़े वर्गों को समाज में समानता का अवसर मिला।
    • जातिगत भेदभाव और असमानता को कम करने का प्रयास किया गया।
    • लेकिन समाज में जातिगत ध्रुवीकरण भी बढ़ा।
  2. राजनीतिक प्रभाव:
    • पिछड़े वर्गों के मुद्दों ने भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान लिया।
    • मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने के बाद कई राजनीतिक दलों ने OBC का समर्थन पाने के लिए नीतियाँ बनाई।
  3. आर्थिक प्रभाव:
    • सरकारी नौकरियों और शिक्षा में OBC वर्ग के लोगों का प्रतिनिधित्व बढ़ा।
    • रोजगार और शिक्षा में आरक्षण ने OBC वर्ग के लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार किया।
  4. आंदोलन और विवाद:
    • 1990 में प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह द्वारा सिफारिशें लागू करने पर व्यापक विरोध और आंदोलन हुए।
    • आरक्षण के विरोध में कई जगह आत्मदाह जैसे चरम कदम भी उठाए गए।

मंडल आयोग की आलोचना:

  1. आरक्षण से जातिगत विभाजन और भेदभाव को बढ़ावा देने का आरोप।
  2. आर्थिक आधार पर पिछड़े वर्गों की पहचान न करना।
  3. मेरिट और प्रतिस्पर्धा को नुकसान पहुँचाने की आशंका।

समाप्ति:

मंडल आयोग ने भारतीय समाज में पिछड़े वर्गों की स्थिति सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हालांकि इसके लागू होने से सामाजिक और राजनीतिक विवाद भी हुए, लेकिन यह भारतीय लोकतंत्र और समाज में समावेशिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम था।