भारत में आपातकाल (1975-1977) भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का एक महत्वपूर्ण और विवादास्पद अध्याय है। इसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक लागू किया गया था। इसका कारण और प्रभाव निम्नलिखित है:
आपातकाल के कारण
- राजनीतिक अस्थिरता:
- 1971 के आम चुनाव में इंदिरा गांधी ने भारी बहुमत से जीत हासिल की थी, लेकिन उनके निर्वाचन को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 12 जून 1975 को अवैध घोषित कर दिया।
- अदालत ने पाया कि इंदिरा गांधी ने चुनाव में अनियमितताओं का सहारा लिया था।
- इससे उनकी प्रधानमंत्री पद की वैधता पर सवाल उठ खड़ा हुआ।
- जयप्रकाश नारायण का आंदोलन:
- 1974-75 में जयप्रकाश नारायण (जेपी) के नेतृत्व में संपूर्ण क्रांति आंदोलन ने सरकार के खिलाफ व्यापक जन समर्थन जुटाया।
- यह आंदोलन भ्रष्टाचार, महंगाई और प्रशासनिक विफलता के खिलाफ था।
- आर्थिक संकट:
- 1970 के दशक में भारत को गंभीर आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
- 1973 का तेल संकट, बढ़ती बेरोजगारी और महंगाई ने आम जनता में असंतोष बढ़ा दिया।
- आंतरिक अशांति:
- देश में कई जगह हड़ताल, आंदोलन और हिंसा का माहौल था।
- सरकार को लगा कि यह स्थिति लोकतंत्र और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है।
- इंदिरा गांधी की सत्ता बचाने की रणनीति:
- अपनी राजनीतिक स्थिति को बचाने के लिए इंदिरा गांधी ने राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद से संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल घोषित करवा दिया।
आपातकाल के परिणाम
1. राजनीतिक प्रभाव:
- लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन:
- प्रेस पर सेंसरशिप लगाई गई।
- सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया गया।
- संसद और न्यायपालिका की स्वतंत्रता सीमित हो गई।
- राजनीतिक दलों का दमन:
- विपक्षी दलों के नेता जैसे जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी आदि को गिरफ्तार कर लिया गया।
- कांग्रेस पार्टी की छवि पर धब्बा:
- इंदिरा गांधी के नेतृत्व की आलोचना बढ़ी, और कांग्रेस पार्टी की लोकप्रियता घटी।
2. आर्थिक प्रभाव:
- जबरन परिवार नियोजन अभियान चलाया गया, जिससे जनता में असंतोष बढ़ा।
- मजदूर आंदोलनों और हड़तालों पर रोक लगा दी गई, जिससे श्रमिक वर्ग में असंतोष उत्पन्न हुआ।
3. सामाजिक प्रभाव:
- जनता में भय और असंतोष का माहौल था।
- जबरन नसबंदी और अन्य कड़े फैसलों ने गरीबों और निम्न वर्ग को सबसे ज्यादा प्रभावित किया।
4. चुनाव और सत्ता परिवर्तन:
- आपातकाल हटने के बाद मार्च 1977 में आम चुनाव हुए।
- इंदिरा गांधी और उनकी कांग्रेस पार्टी को भारी पराजय का सामना करना पड़ा।
- जनता पार्टी ने सत्ता संभाली, और मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने।
- यह पहली बार था जब गैर-कांग्रेसी सरकार केंद्र में बनी।
5. संवैधानिक सुधार:
- आपातकाल के बाद संविधान में कई संशोधन किए गए।
- 44वां संविधान संशोधन (1978) किया गया, जिससे यह सुनिश्चित किया गया कि आपातकाल की घोषणा और उसके दुरुपयोग को कठिन बनाया जा सके।
निष्कर्ष
आपातकाल भारतीय लोकतंत्र के लिए एक गंभीर परीक्षा थी। हालांकि इसने भारत की संवैधानिक प्रणाली को चुनौती दी, लेकिन इसके बाद लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाए गए। इसने यह भी सिखाया कि सत्ता के अति-केंद्रीकरण से लोकतांत्रिक प्रक्रिया कमजोर हो सकती है।