शीतयुद्धकालीन प्रतिद्द्रियों के बीच किसी एक ऐसे संघर्ष का उदाहरण दीजिए जहाँ भारत ने मध्यस्थता करके युद्ध करने वालों ‘को शात किया हो

शीत युद्ध काल के दौरान भारत ने कोरिया युद्ध (1950-1953) के समाधान में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

परिदृश्य

कोरिया युद्ध उत्तर कोरिया (समर्थन: सोवियत संघ और चीन) और दक्षिण कोरिया (समर्थन: संयुक्त राज्य अमेरिका और पश्चिमी देशों) के बीच हुआ था। यह शीत युद्ध की वैचारिक प्रतिस्पर्धा (समाजवाद बनाम पूंजीवाद) का एक बड़ा उदाहरण था। युद्ध के कारण लाखों लोगों की मौत हुई और कोरियाई प्रायद्वीप तबाह हो गया।

भारत की मध्यस्थता

  1. संयुक्त राष्ट्र में भूमिका: भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद में एक तटस्थ और शांतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाया। भारत ने पक्षपात से बचते हुए संघर्ष विराम और वार्ता का प्रस्ताव रखा।
  2. कैदी विनिमय का समाधान: युद्ध समाप्त होने के बाद, उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच युद्धबंदी (कैदी) के आदान-प्रदान पर बड़ा विवाद था। भारत ने इसमें महत्वपूर्ण मध्यस्थता की।
    • भारत ने युद्धबंदियों की निगरानी के लिए एक “तटस्थ राष्ट्र प्रत्यावर्तन आयोग” (Neutral Nations Repatriation Commission) का नेतृत्व किया।
    • भारतीय सेना ने आयोग की कमान संभाली और सुनिश्चित किया कि युद्धबंदियों को उनकी इच्छा के अनुसार लौटने या रहने का विकल्प दिया जाए।
  3. शांतिपूर्ण समाधान में योगदान: भारत के नेतृत्व और मध्यस्थता ने कोरिया युद्ध को शांतिपूर्ण समाधान की ओर ले जाने में मदद की।

निष्कर्ष

भारत ने अपने गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) के सिद्धांतों का पालन करते हुए, कोरिया युद्ध में न केवल युद्धरत पक्षों को शांत किया, बल्कि एक निष्पक्ष मध्यस्थ के रूप में अपनी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा भी बढ़ाई। यह शीत युद्ध के दौरान भारत के संतुलित और तटस्थ कूटनीति का उदाहरण है।