1975 से 1977 तक भारत में लागू आपातकाल के दौरान कई गंभीर ज्यादतियाँ और मानवाधिकार उल्लंघन हुए, जिन्हें व्यापक आलोचना का सामना करना पड़ा। यहां पर 5 प्रमुख ज्यादतियों का विवरण दिया जा रहा है:
1. राजनीतिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी और हूल-हड़तालें
- आपातकाल के दौरान विपक्षी नेताओं, राजनीतिक कार्यकर्ताओं और समाजसेवियों को बिना किसी मुकदमे के गिरफ्तार किया गया। जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी जैसे प्रमुख नेता और कई अन्य व्यक्तियों को जेल में डाल दिया गया। इन नेताओं की राजनीतिक गतिविधियों को दबाने के लिए उन्हें या तो गिरफ्तार कर लिया गया या घरों में नजरबंद कर दिया गया।
2. मीडिया पर सेंसरशिप और सूचना का दमन
- आपातकाल के दौरान सरकार ने मीडिया की स्वतंत्रता को बुरी तरह से दबाया। पत्रकारों और संपादकों को अपने समाचार पत्रों और रेडियो प्रसारण में सरकार के पक्ष में खबरें प्रकाशित करने के लिए मजबूर किया गया। जो लोग इसका विरोध करते थे, उन्हें जेल में डाल दिया गया या उनके काम में व्यवधान डाला गया।
3. बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के बलात्कारी तरीके से निवारण
- बलात्कारी तरीके से नसबंदी की प्रक्रिया को व्यापक रूप से लागू किया गया। लाखों गरीबों, विशेष रूप से गरीब पुरुषों को जबरदस्ती नसबंदी कराने के लिए प्रेरित किया गया। इसमें जबरदस्ती और शारीरिक उत्पीड़न का मामला भी सामने आया। इसे “जनसंख्या नियंत्रण” के नाम पर लागू किया गया, लेकिन यह एक बड़ी ज्यादती साबित हुई।
4. कानूनी अधिकारों का उल्लंघन
- आपातकाल के दौरान, नागरिकों के संविधानिक अधिकार जैसे हैबियस कॉर्पस (कानूनी तौर पर गिरफ्तार होने वाले व्यक्ति के खिलाफ जांच) को निलंबित कर दिया गया। गिरफ्तारी के बाद किसी को जमानत मिलने की प्रक्रिया रोक दी गई, जिससे लाखों लोग बिना आरोप तय किए महीनों और वर्षों तक जेल में रहे।
5. तत्कालीन नेताओं द्वारा संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग
- आपातकाल के दौरान, संविधान और न्यायपालिका को सरकार के पक्ष में मोड़ा गया। कई न्यायाधीशों और संविधानिक अधिकारियों को इंदिरा गांधी के आदेशों के तहत काम करने के लिए दबाव डाला गया। इससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर संकट आया और संविधानिक प्रावधानों का उल्लंघन हुआ।
इन ज्यादतियों के कारण आपातकाल को भारतीय लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिए एक काला अध्याय माना जाता है। इसके खिलाफ समाज में आक्रोश और विरोध हुआ, और 1977 में इंदिरा गांधी को लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।