भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 का युद्ध कश्मीर विवाद के कारण हुआ था, लेकिन इसके पीछे कई अन्य राजनीतिक, सामरिक और ऐतिहासिक कारण भी थे। यह युद्ध अगस्त-सितंबर 1965 में लड़ा गया और इसका मुख्य फोकस जम्मू-कश्मीर क्षेत्र था।
1965 के युद्ध के मुख्य कारण:
1. कश्मीर विवाद
भारत और पाकिस्तान के बीच 1947 से ही जम्मू-कश्मीर का विवाद चल रहा था।
1947-48 के युद्ध के बाद कश्मीर का एक हिस्सा पाकिस्तान के नियंत्रण में (पाक-अधिकृत कश्मीर) और शेष हिस्सा भारत के अधीन रहा।
पाकिस्तान ने कश्मीर पर अपने दावे को मजबूत करने के लिए 1965 में इसे हथियाने की योजना बनाई।
2. ऑपरेशन जिब्राल्टर (Operation Gibraltar)
पाकिस्तान ने “ऑपरेशन जिब्राल्टर” नाम से एक गुप्त योजना बनाई, जिसके तहत पाकिस्तानी सैनिकों और घुसपैठियों को कश्मीर में भेजा गया।
उद्देश्य था कश्मीर में विद्रोह और अस्थिरता फैलाना, ताकि वहां के लोग भारत के खिलाफ बगावत कर दें।
लेकिन भारतीय सेना ने इन घुसपैठियों को पकड़ लिया और पाकिस्तान की योजना असफल हो गई।
3. पाकिस्तान की गलत धारणा
1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान भारत की हार से पाकिस्तान ने यह धारणा बना ली थी कि भारतीय सेना कमजोर है और उसे आसानी से हराया जा सकता है।
पाकिस्तान को यह भी भरोसा था कि कश्मीर के लोग भारत के खिलाफ उनके प्रयासों में साथ देंगे।
इन गलत धारणाओं ने पाकिस्तान को आक्रमण के लिए उकसाया।
4. पाकिस्तान का सैन्य आत्मविश्वास
1954 में अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के साथ पाकिस्तान की सैन्य साझेदारी और हथियारों की आपूर्ति के कारण उसकी सेना काफी मजबूत हुई थी।
पाकिस्तान ने सोचा कि यह उसकी सेना का सही समय है भारत पर हमला करने का।
5. रणनीतिक उद्देश्य
पाकिस्तान ने सोचा कि कश्मीर में घुसपैठ के जरिए कश्मीर को भारत से अलग किया जा सकता है।
पाकिस्तान ने इसे कश्मीर पर अपना दावा मजबूत करने और भारत को कमजोर करने का अवसर समझा।
6. रण ऑफ कच्छ संघर्ष (1965)
युद्ध से पहले, अप्रैल 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच गुजरात के रण ऑफ कच्छ क्षेत्र में झड़प हुई।
पाकिस्तान को इस झड़प में ब्रिटेन की मध्यस्थता के बाद फायदा हुआ।
इस छोटे संघर्ष ने पाकिस्तान को और आत्मविश्वास दिया कि वह भारत को हराने में सक्षम है।
7. अंतरराष्ट्रीय राजनीति का प्रभाव
पाकिस्तान को चीन और अमेरिका से समर्थन मिलने की उम्मीद थी।
पाकिस्तान ने सोचा कि अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण भारत लंबे समय तक युद्ध नहीं कर पाएगा।
8. भारत की स्थिरता और नेतृत्व पर हमला
1964 में पंडित नेहरू की मृत्यु और भारत में राजनीतिक अस्थिरता को पाकिस्तान ने एक अवसर के रूप में देखा।
लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बने, और पाकिस्तान को लगा कि उनका नेतृत्व कमजोर है।
युद्ध की शुरुआत:
पाकिस्तान ने ऑपरेशन जिब्राल्टर के तहत अगस्त 1965 में कश्मीर में घुसपैठ शुरू की।
भारत ने इस आक्रमण का जवाब दिया और अपनी सेना को सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात किया।
सितंबर 1965 में दोनों देशों की सेनाओं ने पंजाब और राजस्थान के विभिन्न मोर्चों पर संघर्ष शुरू किया।
परिणाम:
युद्ध में दोनों पक्षों को भारी नुकसान हुआ, लेकिन पाकिस्तान अपने उद्देश्यों को हासिल करने में विफल रहा।
23 सितंबर 1965 को संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप से युद्धविराम हुआ।
ताशकंद समझौते (1966) के तहत दोनों देश युद्ध के पहले की स्थिति पर लौट आए।
निष्कर्ष:
1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध कश्मीर विवाद के कारण हुआ था, लेकिन इसके पीछे पाकिस्तान की गलत धारणाएं, रणनीतिक महत्वाकांक्षाएं और अंतरराष्ट्रीय समर्थन का भरोसा भी शामिल था। हालांकि, भारत ने इस युद्ध में अपनी संप्रभुता और सैन्य क्षमता को प्रभावी रूप से साबित किया।