पूरक आहार का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर –
पूरक आहार का वर्गीकरण-
(a) तरल पूरक आहार (Liquid Supplementary Foods) – शिशुओं को तरल पूरक आहार देने की शुरूआत आमतौर पर 4 से 6 माह की आयु के दौरान की जाती हैं। तरल पूरक आहार निम्न प्रकार के हो सकते हैं-
• शुरू-शुरू में 3:1 के अनुपात में उबले पानी के साथ मिला दूध और फिर कुछ सप्ताह बाद बिना पानी वाला दूध दिया जा सकता है।
• संतरे, मौसमी जैसे रसीलें फलों का रस, 5 मि.ली. से शुरू करते हुए एक वर्ष तक 85 मि.ली. तक धीरे-धीरे बढ़ाते हैं।
• सूप, सब्जी, दाल, छना हुआ सूप। लगभग एक वर्ष के बाद नमक और प्याज के साथ बिना छना सूप।
(b) मसले हुए अर्ध ठोस पूरक आहार (Semi-liquid Supplementary Foods) – शिशुओं को अर्ध ठोस पूरक आहार देने की शुरूआ 6 से 8 माह की आयु के दौरान की जाती हैं। शिशुओं को दिये जाने वाले अर्ध ठोस पूरक आहार निम्न प्रकार के हो सकते हैं-
• 6-8 मास की आयु से शिशुओं को अनाज, स्टार्च युक्त सब्जियाँ, जैसे कि- आलू अच्छी तरह से पकाकर, मसलकर दी जा सकती हैं। शुरुआत में शिशु को बहुत कम मात्रा में पूरक आहार देना चाहिए और फिर आयु के अनुरूप धीरे-धीरे उसकी मात्रा बढ़ाते जाना चाहिए।
• उबले अंडे का पीला भाग, अच्छी तरह पकी हुई दालें, मसला हुआ केला आदि भी दिये जा सकते हैं।
• अच्छी तरह पकाई गई और मसली हुई मछली एवं मांस, शिशु के एक वर्ष के पूरा होने पर शुरू किया जा सकता हैं।
(c) ठोस पूरक आहार (Solid Supplementary Foods) – शिशुओं को ठोस पूरक आहार देने की शुरूआत 9 से 11 माह की आयु के दौरान की जाती हैं। शिशुओं को दिये जाने वाले ठोस पूरक आहार निम्न प्रकार के हो सकते हैं-
• जब शिशु के दाँत निकलने लगते हैं तो उसे कटे हुए ठोस खाद्य पदार्थ, जैसे कि गाजर, खीरा, ककड़ी का टुकड़ा दिया जा सकता है।
• पके हुए चावल, रोटी का टुकड़ा, टोस्ट, बिस्कुट आदि दिए जा सकते हैं।
• दाल, अनाज, टुकड़ा किया गया मांस जिसमें अनेक चीज मिलाकर पकाई गई हो।
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