कोई भी संसाधन असीमित नहीं है। सभी संसाधन सीमित हैं। अपने उद्देश्यों को शीघ्र और दक्षता से पाने के लिए उन संसाधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग करना चाहिए। अतः संसाधनों का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए और उन्हें बर्बाद भी नहीं करना चाहिए। इसलिए लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए संसाधनों का प्रभावी प्रबंधन अत्यंत आवश्यक है। संसाधनों के प्रबंधन का अर्थ है, उपलब्ध संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग करना। जैसे- हर किसी के पास दिन में 24 घंटे होते हैं। जहाँ कुछ लोग प्रतिदिन की समय-सारणी बनाते हैं और अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रत्येक घंटे का उपयोग करते हैं, वहीं अन्य अपना समय नष्ट करते हैं और पूरे दिन में कुछ भी उत्पादक कार्य नहीं कर पाते।
संसाधनों के प्रबंधन में संसाधन प्रबंधन प्रक्रियाओं का कार्यान्वयन शामिल है जिसमें नियोजन, आयोजन, कार्यान्वयन, नियंत्रण और मूल्यांकन सम्मिलित हैं। हम इनके बारे में विस्तार से निम्नलिखित भाग में पढ़ेंगे।
(i) वांछित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए भविष्य में किए जाने वाले कार्यों की योजना बनाना …………. कहलाता है।
(a) आयोजन
(b) नियोजन
(c) नियंत्रण
(d) क्रियान्वयन
(ii) उपलब्ध साधनों तथा वस्तुओं को सही ढंग से व्यवस्थित करना …………. कहलाता है।
(a) नियोजन
(b) क्रियान्वयन
(c) आयोजन
(d) नियंत्रण
(iii) किसी कार्य की योजना बनाने तथा उसके लिए आवश्यक संसाधनों को व्यवस्थित करने के बाद जो क्रिया अपनाई जाती है उसे …………. कहलाता है।
(a) आयोजन
(b) नियंत्रण
(c) नियोजन
(d) क्रियान्वयन
(iv) …………. प्रबंधन प्रक्रिया का अंतिम चरण है जिसमें किसी लक्ष्य प्राप्ति में सफलता या असफलता को आंका जा सकें-
(a) आयोजन
(b) मूल्यांकन
(c) क्रियान्वयन
(d) नियंत्रण
उत्तर –
(i) (b) नियोजन
(ii) (c) आयोजन
(iii) (d) क्रियान्वयन
(iv) (b) मूल्यांकन
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