संचार शब्द से आप क्या समझते हैं? मौखिक और गैर-शाब्दिक संचार की विभिन्न विधियाँ क्या हैं?
उत्तर –
किसी परिस्थिति/विषय/मुद्दे से संबंधित किसी भी प्रकार की जानकारी/सूचना अथवा विचारों को दूसरों तक विभिन्न संचार माध्यमों द्वारा संप्रेषित करने की प्रक्रिया को संचार कहते है।
मौखिक और गैर-शाब्दिक संचार की विभिन्न विधियाँ निम्न प्रकार है-
(i) शाब्दिक या मौखिक संचार (Verbal Communication) – दो या दो से अधिक लोगों के बीच संचार के लिए मौखिक रूप से बोले गए शब्दो और वाक्यों के उच्चारण को मौखिक/शाब्दिक संचार कहते है। बोलना, गाना, भाषण देना, फोन पर बातचीत करना इत्यादि मौखिक संचार के उदाहरण हैं। विभिन्न अनुसंधान यह दर्शाते है कि सभी व्यक्ति अपने सक्रिय समय का लगभग 70 प्रतिशत समय मौखिक रूप से संचार करने, अर्थात् सुनने, बोलने और जोर से पढ़ने में बिताते हैं।
(ii) गैर-शाब्दिक संचार (Non-Verbal Communication) – गैर-शाब्दिक संचार का तात्पर्य ऐसी संचार विधि से है जिसमें बिना शब्दों का प्रयोग किए मात्र शारीरिक हाव-भाव एवं संकेतों इत्यादि के प्रयोग द्वारा दूसरो तक अपनी बात/संदेश/जानकारी इत्यादि पहुँचाई जाती है। विभिन्न प्रकार के शारीरिक हाव-भाव, मुखमुद्राएँ, स्वभाव, भंगिमाएँ, नेत्र संपर्क, स्पर्श, परा-भाषा, लिखाई, पहनावा, केश-सज्जा इत्यादि गैर-शाब्दिक संचार के माध्यम हैं। इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार की वास्तुकला, प्रतीक और संकेत भी गैर-शाब्दिक संचार के ही उदाहरण है। प्राचीनकाल में बहुत से जनजातीय लोग संकेतों के माध्यम से ही एक-दूसरे से संचार संस्थापित करते थे। इसके अतिरिक्त टेलीविजन पर मूक-बधिरों के लिए प्रसारित होने वाले समाचार/कार्यक्रम भी संकेतों के रूप में प्रदर्शित होते है।
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