विभिन्न प्रकार के चिरकालिक रोगी से बचने के लिए हमें आहारी परिवर्तनो की आवश्यकता क्यों होती है? ये जीवन शैली से किस प्रकार संबंधित हैं? आहार चिकित्सा से दीर्घकालिक रोगों का उपचार किस प्रकार किया जा सकता है?
उत्तर –
किसी भी रोगी के उचित आहार और अच्छे पोषण का बड़ा महत्त्व होता है। इसके अतिरिक्त, नियमित रूप से लिए जाने वाले उचित आहार, अच्छे पोषण तथा स्वस्थ्य जीवनशैली के कारण बहुत से चिरकालिक रोगों को नियंत्रित किया जा सकता है या फिर उनके प्रारंभ होने की अवस्था को विलबित/धीमा किया जा सकता है। आजकल हम जिन खाद्य पदार्थों का सेवन कर रहे है. विशेषकर संसाधित खाद्य पदार्थ, उनमें बहुत से ऐसे पदार्थ मिलाए जाते हैं, जिनमें अत्यधिक वसा और/या शक्कर होती है।
इस प्रकार के खाद्य पदार्थ अक्सर अत्यधिक परिष्कृत खाद्य पदार्थों से बनाए जाते हैं, जिसके कारण इनमें रेशेदार और ऐसे अन्य महत्त्वपूर्ण अवयवों कि मात्रा बहुत कम या बिल्कुल नहीं होती जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं। इसलिए हमें इनके बेहतर विकल्प ढूँढने के लिए डॉक्टरी पोषण चिकित्सक/ आहार विशेषज्ञ की मदद /सलाह की जरूरत होती है। उपरोक्त आहार संबंधी परिवर्तनों का सबसे नकारात्मक परिणाम यह है कि आज देश की शहरी जनसंख्या का बड़ा हिस्सा मोटापे, कोलन का कैंसर, मधुमेह, हृदयरोग और उच्च रक्तचाप इत्यादि जैसी किसी-न-किसी समस्या/ बीमारी से पीड़ित हैं।
उदाहरण के लिए, चीनी और वसा के बढ़ते उपभोग के साथ रेशों के कम उपभोग और शारीरिक गतिविधियों में कमी के कारण मोटापे और मधुमेह जैसे रोग तेजी से पनप रहे हैं। इसके अतिरिक्त अधिक लवण युक्त खाद्य पदार्थों तथा अधिक सोडियम अंश वाले संसाधित खाद्य पदार्थों के बढ़ते उपभोग तथा पोटेशियम से भरपूर फलों, सब्जियों, अनाजों और दालों के कम उपयोग, कैल्सियम युक्त खाद्य पदार्थों के कम उपभोग तथा कम शारीरिक गतिविधियों के कारण उच्च रक्तचाप के मामलों में निरंतर बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। नैदानिक पोषण विशेषज्ञ इस प्रकार की समस्याओं को उत्पन्न होने को रोकने के लिए या इनकी व्यवस्था में समाज के विभिन्न समूहों, जैसे कि विद्यालय, औद्योगिक क्षेत्र, महाविद्यालय, इत्यादि में उचित आहार परामर्श और मार्गदर्शन दे सकते हैं।
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