NCERT Solutions Class 7th Hindi Chapter – 15 आश्रम का अनुमानित व्यय
Textbook | NCERT |
Class | 7th |
Subject | Hindi |
Chapter | 15th |
Chapter Name | आश्रम का अनुमानित व्यय |
Category | Class 7th Hindi Question & Answer |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 7 Hindi Chapter – 15 आश्रम का अनुमानित व्यय प्रश्न – उत्तर जिसमें हम,पाठ का उद्देश्य क्या है?,आश्रम का अनुमानित ,गांधीजी ने अनुमानित बजट क्यों बनाया?,गांधीजी का मुख्य सिद्धांत क्या था?,सिद्धांत क्या थे?,सत्याग्रह आंदोलन कब शुरू हुआ था?,सत्याग्रह के 3 सिद्धांत क्या थे?,महात्मा गांधी का नारा क्या है?,गांधीजी के तीन बंदर हमें क्या सिखाते हैं?,भारत में कितने सत्याग्रह हैं?,नमक कानून क्या है?.गांधीजी के तीन बंदर हमें क्या सिखाते हैं?,बंदर का दूसरा नाम क्या है?,,बंदर का नाम क्या है? |
NCERT Solutions Class 7th Hindi Chapter – 15 आश्रम का अनुमानित व्यय
Chapter – 15
आश्रम का अनुमानित व्यय
प्रश्न – उत्तर
लेखा जोखा
प्रश्न 1. हमारे यहाँ बहुत से काम लोग खुद नहीं करके किसी पेशेवर कारीगर से करवाते हैं। गांधी जी छेनी, हथौड़े, बसूले क्यों खरीदना चाहते होंगे ?
उत्तर – यह सत्य है कि हमारे यहाँ अर्थात् भारत में बहुत से काम लोग खुद न करके किसी पेशेवर कारीगर से करवाते हैं। गांधी जी छेनी, हथौड़े, वसूले इसलिए खरीदना चाहते होंगे ताकि लोग कुटीर उद्योग, लुहार व बढ़ईगिरी आदि को बढ़ावा दें। आत्मनिर्भर बनें व छोटे-छोटे कामों के लिए दूसरों का मुँह न ताकें।
प्रश्न 2. गांधी जी ने अखिल भारतीय कांग्रेस सहित कई संस्थाओं व आंदोलनों का नेतृत्व किया। उनकी जीवनी या उन पर लिखी गई किताबों से उन अंशों को चुनिए जिनसे हिसाब-किताब के प्रति गांधी जी की चुस्ती का पता चलता है।
उत्तर – गांधी जी कोई भी कार्य बिना हिसाब किताब के नहीं करते थे। वे प्रत्येक विषय के प्रति नकारात्मक व सकारात्मक सोच बराबर रखते थे। निम्ने उदाहरणों द्वारा इस वक्तव्य को स्पष्टता दे सकते हैं-
1. ‘दांडी यात्रा’ के लिए गाँधी जी जब ‘रास’ नामक स्थान पर पहुँचे तो वहाँ निषेधाज्ञा लागू थी अर्थात कोई भी नेता किसी प्रकार के विचार जलूस-जलसे के रूप में नहीं प्रकट कर सकता था। गांधी जी तो लोगों को संबोधित किए बिना रह नहीं सकते थे तो पहले ही यह योजना बना ली गई कि यदि उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया तो अब्बास तैयबजी दांडी यात्रा का नेतृत्व करेंगे।
2. असहयोग आंदोलन के समय भी वे यह हिसाब लगाने में पूर्णतया सक्ष्म थे कि किस स्थान पर किस तरह से ब्रिटिश शासन पर प्रहार करना है। यही कारण था कि लोग उनके हर विचार की कद्र करते थे और उनका कहा पूरी तरह से मानते थे।
3. वे बिल्कुल भी फिजूल खर्च न करते थे एक-एक पैसा सोच समझकरे खर्च करते थे यहाँ तक कि कई बार तो पच्चीस-पच्चीस किलोमीटर एक दिन में पैदल चलते थे। उनका मानना था कि धन को जरूरी कामों के लिए ही खर्च करना चाहिए। शानो-शौकत या वैभवपूर्व जीवन जीने के लिए नहीं।
4. किसी भी आश्रम या सभा का हिसाब-किताब वे बहुत कुशलता से लगाते थे। साबरमती आश्रम में भी उन्होंने ऐसा बजट बनाया कि आने वाले मेहमानों के खर्च भी उसमें शामिल किए गए।
प्रश्न 3. मान लीजिए, आपको कोई बाल आश्रम खोलना है। इस बजट से प्रेरणा लेते हुए उसको अनुमानित बजट बनाइए। इस बजट में दिए गए किन-किन मदों पर आप कितना खर्च करना चाहेंगे। किन नई मदों को जोड़ना-हटाना चाहेंगे ?
उत्तर – छात्र इस पाठ से उदाहरण लेकर बाल आश्रम के लिए आवश्यक चीज़ों और उनके अनुमानित-खर्च का बजट तैयार करें।
प्रश्न 4. आपको कई बार लगता होगा कि आप कई छोटे-मोटे काम (जैसे- घर की पुताई, दूध दुहना, खाट बुनना) करना चाहें तो कर सकते हैं। ऐसे कामों की सूची बनाइए जिन्हें आप चाहकर भी नहीं सीख पाते। इसके क्या कारण रहे होंगे उन कामों की सूची भी बनाइए, जिन्हें आप सीख कर ही छोड़ेंगे?
उत्तर – हमारे जीवन में ऐसे बहुत से काम होते हैं जिसे हम चाहकर भी नहीं सीख पाते; जैसे- घर पुताई सफ़ेदीवाला करता है, दूधवाला दूध देता है और खाट (चारपाई) बुननेवाले से बुनवाई जाती है। कुछ ऐसे ही निम्न कार्य हैं, मैं चाहकर भी सीख नहीं पाता; जैसे
कार्य | कारण |
रोटी बनाने का कार्य | लगन की कमी |
सिलाई करने का काम | सिखानेवाला नहीं मिला |
चप्पल जूते में टाँका लगाना – जानकारी का अभाव एवं औजारों की कमी पर मैं इन कामों को सीखने का पूरा प्रयास कर रहा हूँ। मैं इन कामों को सीखकर ही दम लूंगा। मैं इन कामों को सिखाने वाले प्रशिक्षित व्यक्ति के तालाश में हूँ। मैं इस काम को सीखकर ही दम लूंगा।
प्रश्न 5. इस अनुमानित बजट को गहराई से पढ़ने के बाद आश्रम के उद्देश्यों और कार्यप्रणाली के बारे में क्या-क्या अनुमान लगाए जा सकते हैं ?
उत्तर – अनुमानित बजट को गहराई से अध्ययन करने के बाद हम आश्रम के उद्देश्यों को भलीभाँति समझ सकते हैं स्वावलंबन की भावना का विकास करना, अतिथि सत्कार करना, जरूरतमंदों को आवश्यक सुविधाएँ प्रदान करना, बेकार लोगों को आजीविका प्रदान करना, श्रम का महत्त्व समझना, कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देना, चरखे खादी आदि से स्वदेशी आंदोलन को बढ़ावा देना। सहयोग की भावना का विकास। इस आश्रम की कार्य प्रणाली का मुख्य आधार आत्मनिर्भरता है।
भाषा की बात
प्रश्न 1. अनुमानित शब्द अनुमान में इत प्रत्यय जोड़कर बना है। इत प्रत्यय जोड़ने पर अनुमान का ‘न’ नित में परिवर्तित हो जाता है। नीचे इत प्रत्यय वाले कुछ और शब्द लिखे हैं। उनमें मूल शब्द पहचानिए और देखिए कि क्या परिवर्तन हो रहा है
प्रमाणित | व्यथित | द्रवित | मुखरित |
झंकृत | शिक्षित | मोहित | चर्चित |
इत प्रत्यय की भाँति इक प्रत्यय से भी शब्द बनते हैं और तब शब्द के पहले अक्षर में भी परिवर्तन हो जाता है; जैसे सप्ताह के इक + साप्ताहिक। नीचे इक प्रत्यय से बनाए गए शब्द दिए गए हैं। इनमें मूल शब्द पहचानिए और देखिए कि क्या परिवर्तन हो रहा है
मौखिक | संवैधानिक | प्राथमिक |
नैतिक | पौराणिक | दैनिक |
उत्तर –
इत प्रत्यय युक्त शब्द
मूल शब्द | प्रत्यय |
प्रमाणित | प्रमाण + इत |
झंकृत | झंकार + इत |
व्यथित | व्यथा + इत |
द्रवित | द्रव + इत |
मुखरित | मुखर + इत |
शिक्षित | शिक्षा + इत |
शिक्षित | द्रव + इत |
मोहित | मोह + इत |
मुखरित | मुखर + इत |
चर्चित | चर्चा + इत |
मौखिक | मुख + इक |
नैतिक | नीति + इक |
संवैधानिक | संविधान + इक |
पौराणिक | पुराण + इक |
पौराणिक | प्रथम + इक |
दैनिक | दिन + इक |
प्रश्न 2. बैलगाड़ी और घोड़ागाड़ी शब्द दो शब्दों को जोड़ने से बने हैं। इसमें दूसरा शब्द प्रधान है, यानी शब्द का प्रमुख अर्थ दूसरे शब्द पर टिका है। ऐसे समास को तत्पुरुष समास कहते हैं। ऐसे छह शब्द और सोचकर लिखिए और समझिए कि उनमें दूसरा शब्द प्रमुख क्यों है?
उत्तर –
राहखर्च | क्रीडाक्षेत्र |
तुलसीकृत | घुड़सवार |
गंगाजल | वनवास |
इन शब्दों में दूसरा शब्द प्रमुख है क्योंकि दूसरा शब्द पहले शब्द की सार्थकता को स्पष्ट कर रहा है।
राहखर्च | राह के लिए खर्च |
तुलसीकृत | तुलसी द्वारा कृत |
गंगाजल | गंगा का जल |
क्रीडाक्षेत्र | क्रीड़ा के लिए क्षेत्र |
घुड़सवार | घोड़े पर सवार |
वनवास | वन में वास |
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