NCERT Solutions Class 7th Hindi Chapter – 11 नीलकंठ प्रश्न – उत्तर

NCERT Solutions Class 7th Hindi Chapter – 11 नीलकंठ 

TextbookNCERT
Class 7th
Subject Hindi
Chapter 11th
Chapter Name नीलकंठ
CategoryClass 7th  Hindi Question & Answer
Medium Hindi
SourceLast Doubt
NCERT Solutions Class 7th Hindi Chapter – 11 नीलकंठ प्रश्न – उत्तर मिठाईवाला कहानी का उद्देश्य क्या है?, मिठाईवाला अलग अलग चीजें क्यों बेचता था और वह महीनों बाद क्यों आता था?, मिठाई वाले में कौन कौन से गुण थे जिनकी वजह से बच्चे तो बच्चे बड़े भी उसकी ओर खिंचे चले आते थे?, मिठाईवाला हर बार बच्चों के लिए ही सामान क्यों लाता था?, मिठाईवाला पाठ से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?, मिठाईवाला पाठ की विधा क्या है?, किसकी बात सुनकर मिठाईवाला भावुक गया?, रोहिणी के पति का नाम क्या था , मिठाई वाले की तरफ लोग क्यों आकर्षित होते थे?, मिठाई को देखकर बच्चे की क्या प्रतिक्रिया हुई?, मिठाईवाला अलग अलग चीजें क्यों भेज?, 2 बच्चे मिठाईवाले के पास क्यों खिंचे चले आते थे ?, मिठाईवाला पहली बार क्या बेचने आया था?

NCERT Solutions Class 7th Hindi Chapter – 11 नीलकंठ

Chapter – 11

नीलकंठ

प्रश्न – उत्तर

निबंध से 

प्रश्न 1. मोर-मोरनी के नाम किस आधार पर रखे गए ?
उत्तर –
 मोर की गरदन नीली थी, इसलिए उसका नाम नीलकंठ रखा गया जबकि मोरनी मोर के साथ-साथ रहती थी अतः उसका नाम राधा रखा गया।

प्रश्न 2. जाली के बड़े घर में पहुँचने पर मोर के बच्चों का किस प्रकार स्वागत हुआ ?
उत्तर – मोर के शावकों को जब जाली के बड़े घर में पहुँचाया गया तो दोनों का स्वागत ऐसे किया गया जैसे नव वधू के आगमन पर किया जाता था। लक्का कबूतर नाचना छोड़ उनके चारों ओर घूम-घूमकर गुटरगूं-गुटरगूं करने लगा, बड़े खरगोश गंभीर भाव से कतार में बैठकर उन्हें देखने लगे। छोटे खरगोश उनके आसपास उछल-कूद मचाने लगे। तोते एक आँख बंद करके उन्हें देखने लगते हैं।

प्रश्न 3. लेखिका को नीलकंठ की कौन-कौन सी चेष्टाएँ बहुत भाती थीं ?
उत्तर – नीलकंठ देखने में बहुत सुंदर था वैसे तो उसकी हर चेष्टा ही अपने आप में आकर्षक थी लेकिन महादेवी को निम्न चेष्टाएँ अत्यधिक भाती थीं।
1. गर्दन ऊँची करके देखना।
2. विशेष भंगिमा के साथ गर्दन नीची कर दाना चुगना।
3. पानी पीना।
4. गर्दन को टेढ़ी करके शब्द सुनना।
5. मेघों की गर्जन ताल पर उसका इंद्रधनुष के गुच्छे जैसे पंखों को मंडलाकार बनाकर तन्मय नृत्य करना।
6. महादेवी के हाथों से हौले-हौले चने उठाकर खाना।
7. महादेवी के सामने पंख फैलाकर खड़े होना।

प्रश्न 4. इस आनंदोत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा वाक्य किस घटना की ओर संकेत कर रहा है?
उत्तर – इस आनंदोत्सव में की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा, यह वाक्य उस घटना की ओर संकेत कर रहा है जब लेखिका ने बड़े मियाँ से एक अधमरी मोरनी खरीदी और उसे घर ले गई। उसका नाम कुब्जा रखा। उसे नीलकंठ और राधा का साथ रहना नहीं भाया। वह नीलकंठ के साथ रहना चाहती थी जबकि नीलकंठ उससे दूर भागता था। कुब्जा ने राधा के अंडे तोडकर बिखेर दिए। इससे नीलकंठ की प्रसन्नता का अंत हो गया क्योंकि राधा से दूरी बढ़ गई थी। कुब्जा ने नीलकंठ के शांतिपूर्ण जीवन में ऐसा कोलाहल मचाया कि बेचारे नीलकंठ का अंत ही हो गया।

प्रश्न 5. वसंत ऋतु में नीलकंठ के लिए जालीघर में बंद रहना असहनीय क्यों हो जाता था ?
उत्तर – जब्र वसंत ऋतु में जब आम के वृक्ष सुनहली मंजरियों से लद जाते थे और अशोक के वृक्ष नए पत्तों में बँक जाते थे तब नीलकंठ जालीघर में अस्थिर हो जाता था। वह वसंत ऋतु में किसी घर में बंदी होकर नहीं रह सकता था उसे पुष्पित और पल्लवित वृक्ष भाते थे। तब उसे बाहर छोड़ देना पड़ता था।

प्रश्न 6. जालीघर में रहनेवाले सभी जीव एक-दूसरे के मित्र बन गए थे, पर कुब्जा के साथ ऐसा संभव क्यों नहीं हो पाया ?
उत्तर – जालीघर में रहनेवाले सभी जीव-जंतु एक-दूसरे के मित्र बन गए, पर कुब्जा के साथ ऐसा संभव नहीं हो पाया, क्योंकि कुब्जा किसी से मित्रता करना नहीं चाहती थी। वह सबसे लड़ती रहती थी, उसे केवल नीलकंठ के साथ रहना पसंद था। वह और किसी को उसके पास नहीं जाने देती थी। किसी को उसके साथ देखते ही वह चोंच से मारना शुरू कर देती थी।

प्रश्न 7. नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को साँप से किस तरह बचाया? इस घटना के आधार पर नीलकंठ के स्वभाव की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर –
 एक बार एक साँप जालीघर के भीतर आ गया। सब जीव-जंतु भागकर इधर-उधर छिप गए, केवल एक शिशु खरगोश साँप की पकड़ में आ गया। साँप ने उसे निगलना चाहा और उसका आधा पिछला शरीर मुँह में दबा लिया। नन्हा खरगोश धीरे-धीरे चीं-चीं कर रहा था। सोए हुए नीलकंठ ने दर्दभरी व्यथा सुनी तो वह अपने पंख समेटता हुआ झूले से नीचे आ गया। अब उसने बहुत सतर्क होकर साँप के फन के पास पंजों से दबाया और फिर अपनी चोंच से इतने प्रहार उस पर किए कि वह अधमरा हो गया और फन की पकड़ ढीली होते ही खरगोश का बच्चा मुख से निकल आया। इस प्रकार नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को साँप से बचाया।

इस घटना के आधार पर नीलकंठ के स्वभाव की निम्न विशेषताएँ उभर कर आती हैं-

1. सतर्कता – जालीघर के ऊँचे झूले पर सोते हुए भी उसे खरगोश की कराह सुनकर यह शक हो गया कि कोई प्राणी कष्ट में है और वह झट से झूले से नीचे उतरा।

2. वीरता – नीलकंठ वीर प्राणी है। अकेले ही उसने साँप से खरगोश के बच्चे को बचाया और साँप के दो खंड (टुकड़े) करके अपनी वीरता का परिचय दिया।

3. कुशल संरक्षक – खरगोश को मृत्यु के मुँह से बचाकर उसने सिद्ध कर दिया कि वह कुशल संरक्षक है। उसके संरक्षण में किसी प्राणी को कोई भय न था।

निबंध से आगे

प्रश्न 1. यह पाठ एक रेखाचित्र’ है। रेखाचित्र की क्या-क्या विशेषताएँ होती हैं? जानकारी प्राप्त कीजिए और लेखिका के लिखे किसी अन्य रेखाचित्र को पढ़िए।
उत्तर- रेखाचित्र एक सीधी कहानी न होकर जीवन के कुछ मुख्य अंश प्रस्तुत करती है। यह एक सीधी सादी कहानी नहीं होती, बल्कि संपूर्ण जीवन की छोटी बड़ी घटनाओं का समावेश होता है। रेखाचित्र में भावनात्मक और संवेदना होती है। ये अत्यंत स्वाभाविक और सरल होते हैं। इनमें बनावट लेशमात्र भी नहीं होती। अन्य रेखाचित्र महादेवी के संग्रह से पढिए।

प्रश्न 2. वर्षा ऋतु में जब आकाश में बादल घिर आते हैं तब मोर पंख फैलाकर धीरे-धीरे मचलने लगता हैयह मोहक दृश्य देखने का प्रयास कीजिए।
उत्तर – चाँदी की रेखा

सुनता हूँ, मैंने भी देख,
काले बादल में रहती चाँदी की रेखा।
काले बादल जाति द्वेष के,
काले बादल विश्व क्लेश के
काले बादल उठते पथ पर
नव स्वतंत्रता के प्रवेश के!
सुनता आया हूँ, है देखा,
काले बादल में हँसती चाँदी की रेखा!
आज दिशा है घोर अँधेरी
नभ में गरज रही रणभेरी,
चमक रही चपला क्षण-क्षण पर
झनक रही झिल्ली झन-झनकर,
नाच नाच आँगन में गाते केकी केका
काले बादल में लहरी चाँदी की रेखा!
काले बादल, काले बादल,
मन भय से हो उठता चंचल ।
कौन हृदय में कहता पल-पल
मृत्यु आ रही साजे दल बल !
आग लग रही, घात चल रहे विधि का लेखा!
काले बादल में छिपती चाँदी की रेखा!
मुझे मृत्यु की भीति नहीं है,
पर अनीति से प्रीति नहीं है,
यह मनुजोचित रीति नहीं है,
जन में प्रीति प्रतीति नहीं है।
देश जातियों का कब होगा।
नव मानवता में रे एका
काले बादल में कलकी
सोने की रेखा!

प्रश्न 3. पुस्तकालयों से ऐसी कहानियों, कविताओं या गीतों को खोजकर पढ़िए जो वर्षा ऋतु और मोर के नाचने से संबंधित हों।
उत्तर –  छात्र स्वयं पुस्तकालयों से लेकर पढ़ें।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1. निबंध में आपने ये पंक्तियाँ पढ़ी हैं-मैं अपने शाल में लपेटकर उसे संगम ले गई। जब गंगा के बीच धार में उसे प्रवाहित किया गया तब उसके पंखों की चंद्रिकाओं से बिंबित प्रतिबिंबित होकर गंगा को चौड़ा पाट एक विशाल मयूर के समान तरंगित हो उठा।’ -इन पंक्तियों में एक भावचित्र है। इसके आधार पर कल्पना कीजिए और लिखिए मोर पंख की चंद्रिका और गंगा की लहरों में क्या-क्या समानताएँ लेखिका ने देखी होगी जिसके कारण गंगा का चौड़ा पाट एक विशाल मयूर पंख के समान तरंगित हो उठा।
उत्तर – जब गंगा के बीच धार में नीलकंठ को प्रवाहित किया गया, तब उसके पंखों की चंद्रिकाओं से बिंबित प्रतिबिंबित होकर गंगा का चौड़ा पाट एक विशाल मयूर के समान तरंगित हो उठा। गंगा और यमुना के श्वेत-श्याम जल का मिलन प्रात:काल के सूर्य की किरणों से जब सतरंगी दिखाई देता है तो दूर-दूर तक किसी मयूर के नृत्य का दृश्य प्रस्तुत करता है जो अत्यंत लुभावना व मनमोहक होता है। गंगा की लहरों के हिलने-डुलने में मोर के पंखों की थिरकन का आभास होता होगा।

प्रश्न 2. नीलकंठ की नृत्य-भंगिमा का शब्दचित्र प्रस्तुत करें।
उत्तर – मेघों के घिरते ही नीलकंठ के पाँव थिरकने लगते हैं। जैसे-जैसे वर्षा तीव्र से तीव्रतर होती उसके पाँवों में शक्ति आ जाती और नृत्य तेजी से होने लगता जो अत्यंत मनोहारी होता। नीलकंठ के पंख फैलाते ही इंद्रधनुष का दृश्य साकार हो उठता।

भाषा की बात

प्रश्न 1. ‘रूप’ शब्द से कुरूप, स्वरूप, बहुरूप आदि शब्द बनते हैं। इसी प्रकार नीचे लिखे शब्दों से अन्य शब्द बनाओ-
गंध         रंग      फल        ज्ञान
उत्तर –
गंध     –     सुगंध, दुर्गंध, गंधहीन।
रंग      –    रंगना, रंगीला, नौरंग।
फल    –    सफल, फलदार, फलित।
ज्ञान    –    अज्ञान, ज्ञानवान, अज्ञानी।

प्रश्न 2. विस्मयाभिभूत शब्द विस्मय और अभिभूत दो शब्दों के योग से बना है। इसमें विस्मय के य के साथ अभिभूत के अ के मिलने से या हो गया है। अ आदि वर्ण है। ये सभी वर्ण ध्वनियों में व्याप्त हैं। व्यंजन वर्गों में इसके योग को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जैसे क + अ – क इत्यादि। अ की मात्रा के चिह्न (।) से आप परिचित हैं। अ की भाँति किसी शब्द में आ के भी जुड़ने से अकार की मात्रा ही लगती है, जैसे-मंडल + आकार  मंडलाकार। मंडल और आकार की संधि करने पर (जोड़ने पर) मंडलाकार शब्द बनता है और मंडलाकार शब्द का विग्रह करने पर (तोड़ने पर) मंडल और आकार दोनों अलग होते हैं। नीचे दिए गए शब्दों के संधि-विग्रह कीजिए
संधि
नील + आभ = ……………
नव + आगंतुक = ……………
विग्रह
सिंहासन = ………….
मेघाच्छन्न = ……………
उत्तर – संधि
नील + आभ = नीलाभ
नव + आगंतुक = नवागंतुक
विग्रह
सिंहासन = सिंह + आसन
मेघाच्छन्न = मेघ + आच्छन्न

कुछ करने को

प्रश्न 1. चयनित व्यक्ति/पशु/पक्षी की खास बातों को ध्यान में रखते हुए एक रेखाचित्र बनाइए।
उत्तर – विद्यार्थी स्वयं करें।

NCERT Solutions Class 7th हिंदी All Chapters वसंत

Chapter – 1 हम पंछी उन्मुक्त गगन के
Chapter – 2 हिमालय की बेटियां
Chapter – 3 कठपुतली
Chapter – 4 मीठाईवाला
Chapter – 5 पापा खो गए
Chapter – 6 शाम एक किसान
Chapter – 7 अपूर्व अनुभव
Chapter – 8 रहीम की दोहे
Chapter – 9 एक तिनका
Chapter – 10 खानपान की बदलती तस्वीर
Chapter – 11 नीलकंठ
Chapter – 12 भोर और बरखा
Chapter – 13 वीर कुवर सिंह
Chapter – 14 संघर्ष के कराण मैं तुनुकमिजाज हो गया धनराज
Chapter – 15 आश्रम का अनुमानित व्यय

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