NCERT Solutions Class 9th Maths Chapter – 1 संख्या पद्धति (Number Systems) Examples in Hindi

NCERT Solutions Class 9th Maths Chapter – 1 संख्या पद्धति (Number Systems)

TextbookNCERT
Class9th
Subject(गणित) Mathematics
Chapter1th
Chapter Nameसंख्या पद्धति (Number Systems)
MathematicsClass 9th गणित
MediumHindi
SourceLast Doubt
NCERT Solutions Class 9th Maths Chapter – 1 संख्या पद्धति (Number Systems) Examples in Hindi जिसमें हम गणित में संख्या पद्धति क्या है? संख्या पद्धति में कितने अंक होते हैं? संख्या प्रणाली कितने प्रकार की होती है? संख्या पद्धति के जनक कौन है?, 7 प्रकार की संख्याएं कौन सी हैं?, 0 का जनक कौन है?, गणित के प्रथम पिता कौन थे?, गणित का राजा कौन है?, भारत में नंबर 1 गणितज्ञ कौन है?, गणित की खोज किसने की थी?, भारत में गणित का जनक कौन है?, आदि इसके बी अरे में हम विस्तार से पढ़ेंगे।

NCERT Solutions Class 9th Maths Chapter – 1 संख्या पद्धति (Number Systems)

Chapter – 1

संख्या पद्धति

Examples

उदाहरण 1. नीचे दिए गए कथन सत्य हैं या असत्य ? कारण के साथ अपने उत्तर दीजिए।

(i) प्रत्येक पूर्ण संख्या एक प्राकृत संख्या होती है।
(ii) प्रत्येक पूर्णांक एक परिमेय संख्या होता है।
(iii) प्रत्येक परिमेय संख्या एक पूर्णांक होती है ।

हल – (i) असत्य है, क्योंकि शून्य एक पूर्ण संख्या है परन्तु प्राकृत संख्या नहीं है।

(ii) सत्य है, क्योंकि प्रत्येक पूर्णांक m को m/1 के रूप में लिखा जा सकता है और इसलिए
यह एक परिमेय संख्या है।

(iii) असत्य है, क्योंकि 3/5 एक पूर्णांक नहीं है।

उदाहरण 2. 1 और 2 के बीच की पाँच परिमेय संख्याएँ ज्ञात कीजिए। इस प्रश्न को हम कम से कम दो विधियों से हल कर सकते हैं।

हल 1 – आपको याद होगा कि r और s के बीच की एक परिमेय संख्या ज्ञात करने के लिए आप r और s को जोड़ते हैं और उसे दो से भाग दे देते हैं,

अर्थात् r + s/2, r और s के बीच
स्थित होती है।

अतः 3/2, 1 और 2 के बीच की एक संख्या है। इसी प्रक्रिया में आप 1 और
2 के बीच चार और परिमेय संख्याएँ ज्ञात कर सकते हैं। ये चार संख्याएँ हैं: 2/4, 11/8, 13/8 और 7/4 |

हल 2 – एक अन्य विकल्प है कि एक ही चरण में सभी पाँच परिमेय संख्याओं को ज्ञात कर लें। क्योंकि हम पाँच संख्याएँ ज्ञात करना चाहते हैं, इसलिए हम 5 + 1 अर्थात्, 6 को हर लेकर 1 और 2 को परिमेय संख्याओं के रूप में लिखते हैं।

अर्थात् 1 = 6/6 और 2 = 12/6
हैं। तब आप यह देख सकते हैं कि 7/6, 8/6, 9/6, 10/6 और 11/6 सभी 1 और 2 के बीच स्थित परिमेय संख्याएँ हैं।

अतः 1 और 2 के बीच स्थित संख्याएँ हैं: 7/6, 4/3, 3/2, 5/3 और 11/6

उदाहरण 3. संख्या रेखा पर √2 का स्थान निर्धारण (को निरूपित) कीजिए।

हल – यह सरलता से देखा जा सकता है कि किस प्रकार यूनानियों ने √2 का पता लगाया होगा। एक एकक (मात्रक) की लंबाई की भुजा वाला वर्ग OABC लीजिए (देखिए आकृति 1.6 )।

तब आप पाइथागोरस प्रमेय लागू करके यह देख सकते हैं कि OB = √12 +12 = √2 है।  संख्या रेखा पर हम √2 को किस प्रकार निरूपित करते हैं? ऐसा सरलता से किया जा सकता है। इस बात का ध्यान रखते हुए कि शीर्ष 0 शून्य के साथ संपाती बना रहे, आकृति 1.6 को संख्या रेखा पर स्थानांतरित कीजिए (देखिए आकृति 1.7)।

अभी आपने देखा है कि OB = √2 है। एक परकार की सहायता से 0 को केन्द्र और OB को त्रिज्या मानकर एक चाप (arc) खींचिए जो संख्या रेखा को बिन्दु P पर काटता है। तब बिन्दु P संख्या रेखा पर √2 के संगत होता है

उदाहरण 4. वास्तविक संख्या रेखा पर √3 का स्थान निर्धारण कीजिए।

हल – आइए हम आकृति 1.7 को पुनः लें।

 

OB पर एकक लंबाई वाले लंब BD की रचना कीजिए (जैसा कि आकृति 1.8 में दिखाया
गया है)। तब पाइथागोरस प्रमेय लागू करने पर, हमें OD = √(√2)² + 12 = √3 प्राप्त होता है।

एक परकार की सहायता से 0 को केन्द्र और OD को त्रिज्या मानकर एक चाप खींचिए जो
संख्या रेखा को बिन्दु Q पर काटता है । तब Q, √3 के संगत है।
इसी प्रकार √n-1 का स्थान निर्धारण हो जाने के बाद आप √n का स्थान निर्धारण कर
सकते हैं, जहाँ n एक धनात्मक पूर्णांक है।

उदाहरण 5. 10/3, 7/8 और 1/7 के दशमलव प्रसार ज्ञात कीजिए।

हल –

यहाँ आपने किन-किन बातों पर ध्यान दिया है? आपको कम से कम तीन बातों पर ध्यान देना चाहिए |

(i) कुछ चरण के बाद शेष या तो 0 हो जाते हैं या स्वयं की पुनरावृत्ति करना प्रारंभ कर देते हैं।

(ii) शेषों की पुनरावृत्ति श्रृंखला में प्रविष्टियों ( entries) की संख्या भाजक से कम होती है (1/3 में एक संख्या की पुनरावृत्ति होती है और भाजक 3 है, 1/7 में शेषों की पुनरावृत्ति श्रृंखला में छः प्रविष्टियाँ 326451 हैं और भाजक 7 है)।

(iii) यदि शेषों की पुनरावृत्ति होती हो, तो भागफल ( quotient) में अंकों का एक पुनरावृत्ति खंड प्राप्त होता है (1/3 के लिए भागफल में 3 की पुनरावृत्ति होती है और 1/7 के लिए भागफल में पुनरावृत्ति खंड 142857 प्राप्त होता है )।

यद्यपि केवल ऊपर दिए गए उदाहरणों से हमने यह प्रतिरूप प्राप्त किया है, परन्तु यह p/q (q ≠ 0) के रूप की सभी परिमेय संख्याओं पर लागू होता है। q से p को भाग देने पर दो मुख्य बातें घटती हैं – या तो शेष शून्य हो जाता है या कभी भी शून्य नहीं होता है और तब हमें शेषफलों की एक पुनरावृत्ति शृंखला प्राप्त होती है। आइए हम प्रत्येक स्थिति पर अलग-अलग विचार करें।

उदाहरण 6. दिखाइए कि 3.142678 एक परिमेय संख्या है। दूसरे शब्दों, में 3.142678 को p/q के रूप में व्यक्त कीजिए, जहाँ p और q पूर्णांक हैं और q≠0 है।

हल – यहाँ 3.142678 = 3142678/1000000 है। अतः यह एक परिमेय संख्या है।
आइए अब हम उस स्थिति पर विचार करें, जबकि दशमलव प्रसार अनवसानी आवर्ती हो।

उदाहरण 7. दिखाइए कि 0.3333… = 0.3¯ को p/q के रूप में व्यक्त किया जा सकता है, जहाँ p और q पूर्णांक हैं और q≠0 है।

हल – क्योंकि हम यह नहीं जानते हैं कि 0.3¯ क्या है, अतः आइए इसे हम ‘x’ मान लें।
x = 0.3333…
अब, यही वह स्थिति है जहाँ हमें कुछ युक्ति लगानी पड़ेगी ।
यहाँ, 10 x = 10 x (0.333…) = 3.333…
अब, 3.3333… = 3 + x, चूँकि x = 0.3333… है।
इसलिए, 10 x = 3 + x
x के लिए हल करने पर, हमें यह प्राप्त होता है :
9x = 3
अर्थात् x = 1/3

उदाहरण 8. दिखाइए कि 1.272727… = 1.27 को p/q के रूप में व्यक्त किया जा सकता है, जहाँ p और q पूर्णांक हैं और q≠0 है।

हल – मान लीजिए x = 1.272727… है। क्योंकि यहाँ दो अंकों की पुनरावृत्ति है, इसलिए हम x को 100 से गुणा करते हैं। ऐसा करने पर, हमें यह प्राप्त होता है:
अतः, 100x 127.2727…
100 x = 126 + 1.272727… = 126 + x
इसलिए, 100 x – x = 126, अर्थात् 99 x = 126
अर्थात्, x 126/99 = 14/11

आप इसके इस विलोम की जाँच कर सकते हैं कि 14/11 = 1.27 है।

उदाहरण 9. दिखाइए कि 0.2353535… = 0.235 को p/q के रूप में व्यक्त कर सकते हैं, जहाँ P और q पूर्णाक हैं और p ≠ 0 है।

हल – मान लीजिए x = 0.235¯ है। यहाँ यह देखिए कि 2 की पुनरावृत्ति नहीं होती है, परन्तु
खंड 35 की पुनरावृत्ति होती है। क्योंकि दो अंकों की पुनरावृत्ति हो रही है, इसलिए हम
x को 100 से गुणा करते हैं। ऐसा करने पर, हमें यह प्राप्त होता है
100 x 23.53535…
इसलिए, 100 x = 23.3 + 0.23535 = 23.3 + x
अतः, 99 x = 23.3
अर्थात् 99 x = 233/10, जिससे x = 233/990 हुआ।

आप इसके विलोम अर्थात् 233/990 = 0.235¯ की भी जाँच कर सकते है।

अतः अनवसानी आवर्ती दशमलव प्रसार वाली प्रत्येक संख्या को p/q (q ≠ 0) के रूप में

व्यक्त किया जा सकता है, जहाँ p और q पूर्णांक हैं। आइए हम अपने परिणामों को संक्षेप में इस प्रकार व्यक्त करें:

एक परिमेय संख्या का दशमलव प्रसार या तो सांत होता है या अनवसानी आवर्ती होता है। साथ ही, वह संख्या, जिसका दशमलव प्रसार सांत या अनवसानी आवर्ती है, एक परिमेय संख्या होती है।

उदाहरण 10. 1/7 और 2/7 के बीच की एक अपरिमेय संख्या ज्ञात कीजिए।

हल – हम सरलता से यह परिकलित कर सकते हैं कि 2/7 = 0.285714 है।

1/7 और 2/7 के बीच की एक अपरिमेय संख्या ज्ञात करने के लिए, हम एक ऐसी संख्या ज्ञात
करते हैं जो इन दोनों के बीच स्थित अनवसानी अनावर्ती होती है। इस प्रकार की आप
अपरिमित रूप से अनेक संख्याएँ ज्ञात कर सकते हैं। इस प्रकार की संख्या का एक उदाहरण
0.150150015000150000…

उदाहरण 11. जाँच कीजिए कि 7√5, 7/√5, √2 + 21, π – 2 अपरिमेय संख्याएँ हैं या नहीं।

हल – √5 = 2.236…, √2 = 1.4142…, π = 3.1415…हैं।
तब 7√5 = 15.652…, 7/√5 = 7√5/√5√5 = 7√5/5 = 3.1304… हैं।
√2 + 21= 22.4142…, π − 2 = 1.1415…

ये सभी अनवसानी अनावर्ती दशमलव हैं। अतः ये सभी अपरिमेय संख्याएँ हैं।

उदाहरण 12. 2√2 + 5√3 और √2 – 3√3 को जोड़िए।

हल – (2√2 + 5√3) + (√2 − 3√3) = (2√2 + √2) + (5√3 − 3√3)
= (2+1)√2 + (5-3)√3 = 3√2 + 2√3

उदाहरण 13. 6√5 को 2√5 से गुणा कीजिए।

हल – 6√5 × 2√5 = 6 × 2 × √5 × √5 = 12×5 = 60

उदाहरण 14. 8√15 को 2√3 से भाग दीजिए।

हल – 8√15 ÷ 2√3 = 8√3 x 5/2√3 = 8√3 x √5/2√3 = 4√5

इन उदाहरणों से आप निम्नलिखित तथ्यों के होने की आशा कर सकते हैं जो सत्य हैं:

(i) एक परिमेय संख्या और एक अपरिमेय संख्या का जोड़ या घटाना अपरिमेय होता है।

(ii) एक अपरिमेय संख्या के साथ एक शून्येतर (non- zero) परिमेय संख्या का गुणनफल या
भागफल अपरिमेय होता है।

(iii) यदि हम दो अपरिमेय संख्याओं को जोड़ें, घटायें, गुणा करें या एक अपरिमेय संख्या को दूसरी अपरिमेय संख्या से भाग दें, तो परिणाम परिमेय या अपरिमेय कुछ भी हो सकता है।

अब हम अपनी चर्चा वास्तविक संख्याओं के वर्गमूल निकालने की संक्रिया (operation) पर करेंगे। आपको याद होगा कि यदि a एक प्राकृत संख्या है, तब √a = b का अर्थ है b2 = a और b> 0। यही परिभाषा धनात्मक वास्तविक संख्याओं पर भी लागू की जा सकती है।

मान लीजिए a > 0 एक वास्तविक संख्या है। तब √a = b का अर्थ है b2 = a और b > 0 है।

उदाहरण 15. निम्नलिखित व्यंजकों को सरल कीजिए:

(i) (5 + √7)(2 + √5)
(ii) (5 + √5) (5 – √5)
(iii) (√3 + √7)²
(iv) (√11 – √7) (√11 + √7)

हल – (i) (5 + √7) (2 + √5) = 10 + 5√5 + 2√7 + √35

(ii) (5 + √5) (5 – √5) = 5² – (√5)² = 25 – 5 = 20

(iii) (√3 + √7)² = (√3)² + 2√3√7 + (√7)² = 3 + 2√21 + 7 = 10 + 2√21

(iv) (√11 − √7) (√11 + √7) = (√11)² – (√7)² = 11 – 7 = 4

उदाहरण 16. 1√2 के हर का परिमेयकरण कीजिए ।

हल – हम 1√2 को एक ऐसे तुल्य व्यंजक के रूप में लिखना चाहते हैं, जिसमें हर एक परिमेय संख्या हो। हम जानते हैं कि √2. √2 परिमेय है। हम यह भी जानते हैं कि 1/√2 को √2/√2 से गुणा करने पर हमें एक तुल्य व्यंजक प्राप्त होता है, क्योंकि √2/√2 = 1 है। अतः इन दो तथ्यों को एक साथ लेने पर, हमें यह प्राप्त होता है:

1/√2 = 1/√2 × √2/√2 = √2/2

इस रूप में 1/√2 को संख्या रेखा पर स्थान निर्धारण सरल हो जाता है। यह 0 और √2 के मध्य स्थित है।

उदाहरण 17. 1/2 + √3 के हर का परिमेयकरण कीजिए ।

हल – इसके लिए हम ऊपर दी गई सर्वसमिका (iv) का प्रयोग करते हैं। 1/2 + √3 को 2 – √3 से गुणा करने और भाग देने पर, हमें यह प्राप्त होता है :

1/2 + √3 × 2 – √3/2 – √3 = 2 – √3/4 – 3 = 2 – √3

उदाहरण 18. 5/√3 – √5 के हर का परिमेयकरण कीजिए।

हल – यहाँ हम ऊपर दी गई सर्वसमिका (iii) का प्रयोग करते हैं।
5/√3 – √5 = 5/√3 – √5 × √3 + √5/√3 + √5 = 5(√3 + √5)/3 – 5 = (-5/2)(√3+√5)

उदाहरण 19. 1/7+3√2 के हर का परिमेयकरण कीजिए।

हल – 1/7+ 3√2 = 1/7 + 3√2 × (7 – 3√2/7 – 3√2) = 7 – 3√2/49 – 18 = 7 – 3√2/31

अत: जब एक व्यंजक के हर में वर्गमूल वाला एक पद होता है ( या कोई संख्या करणी चिह्न के अंदर हो), तब इसे एक ऐसे तुल्य व्यंजक में, जिसका हर एक परिमेय संख्या है, रूपांतरित करने की क्रियाविधि को हर का परिमेयकरण (rationalising the denominator) कहा जाता है।

उदाहरण 20. सरल कीजिए:

(i) 22/3.21/3         
(ii) (1/35)4
(iii) 71/5/71/3 
(iv) 131/5.171/5

हल – (i) 22/3 . 21/3 = 2(2/3 + 1/3) = 23/3 = 21 = 2

(ii) (31/5)4 = 34/5

(iii) 71/5/71/3 = 7(1/5 – 1/3) = 73-5/15 = 7-2/15

(iv) 131/5 . 171/5 = (13 × 17)1/5 = 221/5

NCERT Solutions Class 9th Maths All Chapter in Hindi

अध्याय – 1 संख्या पद्धति
अध्याय – 2 बहुपद
अध्याय – 3 निर्देशांक ज्यामिति
अध्याय – 4 दो चरों में रैखिक समीकरण
अध्याय – 5 युक्लिड के ज्यामिति का परिचय
अध्याय – 6 रेखाएँ और कोण
अध्याय – 7 त्रिभुज
अध्याय – 8 चतुर्भुज
अध्याय – 9 वृत्त
अध्याय – 10 हीरोन का सूत्र
अध्याय – 11 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन
अध्याय – 12 सांख्यिकी

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