1.1 संविधान सभा से क्या समझते है संविधान सभा की विशेषताएँ, स्थापना, दायित्व के बारे में बताये

संविधान सभा – आइए जानते है इस लेख के मध्य से, संविधान सभा ने राष्ट्र की महत्वपूर्ण व्यवस्था प्रणाली बनकर विश्व में प्रशिद्ध होते हुए कितने ही सारे देशों को राह से भटकने पर उन्हें उनके असली मंजिल पर लाया गया। विश्व में संविधान सभा की प्रमुख विशेषताएं के परिणाम से देशों के अंदर कई ऐसे कानूनों का संग्रह बनाया गया जिससे उस राष्ट्र को विकसित एवं उन्नति की ओर ले जाया जाए। संविधान सभा का एकमात्र कार्य नागरिकों के लिए सर्वोच्च कानून बनाना है। जिसका पालन कर नागरिकों का जीवन समानता और अनन्य से परे हो सके और ऐसे कानूनों के संग्रह को हम सभी संविधान के नाम से जानते हैं।
प्राचीन काल से संविधान सभा नहीं हुआ करती थी। बल्कि उसकी जगह पर राजा ही कानून का निर्माण एवं निर्वाह करता था। और राजा के पास ही न्यायपालिका, कार्यपालिका एवं विधायिका का पद होता था जिससे सरकार का एकमात्र शक्ति सिर्फ और सिर्फ राजा के हाथों में ही होता था। राजा जैसे चाहे अपनी शक्तिओ का इस्तेमाल कर सकता था। राजा जो चाहे कानून अपनी प्रजा के सामने प्रस्तुत कर देता और प्रजा को वह कानून मानना ही पड़ता था। वह जो चाहे कर सकता था। जैसे राजा ने कर बढ़ाने के लिए कानून बनाया तो प्रजा को कर बड़ा के ही राजा को देना पड़ेगा। प्रजा के पास राजा के विरुद्ध बोलने का कोई अधिकार नहीं होता था। राजा के हाथ में ही होता था की वो प्रजा के लिए सही निर्णेय ले या नहीं, यह समस्या का विषय था की सारि की सारि शक्ति सिर्फ एक व्यक्ति के हाथो में है, जिससे राष्ट्र लोकतांत्रिक या तानासाही राष्ट्र भी बन सकता है। राजा को विशेषाधिकार भी प्राप्त होते थे जैसे राजा के बाद उसका वंशज का ही वंश ही अगला राजा बनेगा। और जिससे असीम शक्ति और राष्ट्र को सभालने का दायित्व सिर्फ राजा के पास ही होती थी जैसा बोलेगा वैसा ही उनके आदेश को मानना पड़ेगा।
आपने जाना की कैसे राजा अपनी हुकूमत कायम करता है और राजा के वजह से ही राष्ट्र या तो लोकतांत्रिक या तानासाही राष्ट्र बन सकता है। लेकिन प्रजा ने इसका विद्रोह आरम्भं किया और प्रजा में से राजशाही के विरुद्ध बोलने वाले लोगों में से नाम सबसे पहले लिया वो थे फ्रांस की प्रजा जो लुई सोलहवाँ के अत्याचार से परेशान हो गई थी। फ्रांस के लोगों ने राजा की शक्तिओं जो की अशीम और साथ में विशेषाधिकार भी प्राप्त थे, उन पर अंकुश लगाने के लिए विचार किया। और समय के अत्या चार से एक हल निकाला फ्रांस की प्रजा ने मिलकर नेशनल असेंबली (संविधान सभा) को बनाया। इसका काम था संविधान को बनाना और राजशाही पर विरोध करते हुए अंकुश लगाना लेकिन विश्व में सबसे पहले बाजी सयुंक्त राज्य अमेरिका ने मारा उसने अपना सबसे संविधान सभा बनाया और संविधान का निर्माण किया। ऐसी और भी रोचक जानकारी जानने के लिए इस लेख को पूरा पढ़े जिससे आप को पता चल पाए की संभिधान सभा हमारे जीवन को किस प्रकार बदल कर उसे सुधार किया।

संविधान सभा (constituent Assembly)

ऐसे लोगों के समूह को कहा जाता है, जो किसी भी राष्ट्र के लिए सविंधान का निर्माण या ऐसे नियमों के संगठन को तैयार करने का कार्य करते है। जिससे इस कायदे-क़ानून से राष्ट्र में सामन्ता, बंधुत्व, एकता और ऐसे ही अनेक कानून जो एक राष्ट्र को सुचारु रूप से चलाने के लिए आवशयक होते है। उसे शामिल करने वाले समूह को संविधान सभा कहते है। संभिधान सभा में केवल एक व्यक्ति नहीं होता है, बल्कि इसके अंदर बहुत सरे लोगों के समूह से मिलकर बना होता है और प्रत्येक व्यक्ति को एक स्थान के निवासी में से सिर्फ उस एक व्यक्ति को चुना जाता है जो की अपने आप में गुणों का संग्रह होता है। जो संविधान सभा में शामिल होकर संविधान बनाने में सहायता कर सके और राष्ट्र को उन्नति की और लेके जाए।

संविधान सभा की प्रमुख विशेषताएँ

• संविधान सभा राष्ट्र के चुने गए समाज के लोगों का समूह होता है। जो राष्ट्र के लोगो ने मिलकर एक जगह में चुनाव करके एक प्रतिनिधि को चुनते है। जो लगभग 10 लाख नागरिकों में से एक नागरिक को चुनने का दर्जा प्राप्त होता है।

• संविधान सभा नागरिकों के बीच एक ऐसे नीतियों को प्रस्तुत करता है। जिससे उस राष्ट्र को उचित दिशा निर्देश मिले। यह देश के लिए एक ढाँचा तैयार करने और उसे आकर देने का कार्य करता है, एवं संविधान उस राष्ट्र के लिए आत्मा होती है।

• संविधान सभा किसी भी देश के लिए उसके मौलिक अधिकारों को समाप्त करने की अनुमति नहीं देता है। जिससे नागरिकों के मौलिक अधिकार (Fundamental Right) जो नागरिकों के लिए सर्वपरि होता है, वह बच जाते है, जो एक लोकतांत्रिक देश के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

• संविधान सभा से राजशाही के विरुद्ध बोलने और उसकी शक्तियों पर अंकुश लगाने तथा राजा के विरुद्ध बोलने और एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाने में सहायता मिलती है।

• संविधान सभा से नागरिक अपने मूल कर्त्तवय और अपने अधिकार को समझ सकते है, अपने प्रति अनन्य होने पर इसका विरोध कर अपने अधिकार को प्राप्त कर सकते है समाज में किसी प्रकर की असमानता और अनन्य होने से बच सकते है, संविधान कहता है की सभी व्यक्ति चाहे वो ऊँची जाति या निचली जाति का हो सभी सामान है।

• संभिधान सभा यह सुनिश्चित करती है की लोगों के लिए यह सर्वपरि कानून हो और संभिधान के तीन मुख्य अंग होते है। सबसे पहला अंग न्यायपालिका दूसरा विधायिका और तीसरा अंग कार्यपालिका होती है। यह तीन अंग मिलकर राष्ट्र में एकता बने रखने में मदद करते है। अगर कभी तीनो में कोई एक या तीनो मिलकर राष्ट्र के लिए हानिकारक सावित हो रहे होते है। तो संभिधान इन्हे सभालती है और सही निर्णय लेती है।

संविधान सभा का दायित्व

• संविधान सभा का दायित्व या मानो कर्तव्य होता है, कि जो भी संविधान सभा के सदस्य जो होंगे यह समूह मिलकर संविधान का निर्माण करेंगे। जो कि एक राष्ट्र के लिए ढांचा का कार्य करेगा और इसके आत्मा का प्रवेश करवाएंगे। 

• संविधान सभा के सदस्य मिलकर राष्ट्र के हित के लिए समाज में चल रही समस्या के समाधान के लिए बैठकों का आयोजन करते है। बैठकों में समस्या से जुड़ी कई मुद्दों को पेश करते हैं, और एक निष्कर्ष निकालते है। जिसमे समाज में सुधार एवं संविधान में एक नई कड़ी को जोड़ते हैं।

• संविधान सभा का केवल यह कार्य नहीं होता है कि वे संविधान का निर्माण करें उनका यह कर्तव्य होता है, कि यह सभी को साथ लेकर राष्ट्र के नागरिकों को एक किया जाए। व उनके आकांशाओ के अनुसार उचित नियम व नीतिओं को संविधान में जोड़ें जो राष्ट्र के नागरिकों के लिए हितकारी हो जिससे सभी लोगों को संविधान के लागु होने के पश्तात उसे अपना सर्वोच्च क़ानून माने।

विश्व में संविधान सभा की स्थापना

• संविधान सभा का सर्वप्रथम विचार देने वाला व्यक्ति ब्रिटेन/ब्रिटिश का नागरिक सर हनरी मेन थे। इस तरह विश्व में संविधान सभा की स्थापना के बारे में विचार प्रस्तुत किया गया और इससे प्रेणा लेके की संविधान सभा से हम ऐसे संविधान का निर्माण कर सकते है। जिससे एक राष्ट्र को सभालने का मानचित्र और इससे राष्ट्र की व्यवस्था प्रणाली की स्थापना भी हो सकती है।

• दुनिया में सबसे पहले संविधान सभा 1786 में अमेरिका के फिलाडेल्फिया (Philadelphia) राज्य में बनाई गई थी। और यह विश्व का सबसे पहले लिखित सविंधान माना जाता है। उस समय अमेरिका में 13 राज्य हुआ करते थे उन सभी राज्यों ने मिलके अमेरिका का संविधान को बनाने में सहायता की और संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान 1787 को बन के तैयार हो गया। 

• संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद फ्रांस के जनता ने मिलकर अपनी पार्टी का संविधान सभा बनाया (फ्रांस के क्रांति के दौरान)। फ्रांस में प्रथम संविधान 1793 में लिखा गया। इसके बाद कई राजाओं के वजह से संविधान में कई बदलाब किए गए एवं उन बदलावों से सिख लेके उचित निर्णय लिए गए। लेकिन इन सब के बीच संविधान को हटाया गया और क्रांतिकारिओं के विद्रो से संविधान को पूर्ण स्थापित भी किया गया। (वर्तमान में फ्रांस एक लोकतान्त्रिक और विकसित देश भी बनकर उभरा है।)

संविंधान (Constitution)

संविधान सभा द्वारा बनाया गया सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य ही संविधान बनाना होता है। राष्ट्र के नागरिकों के लिए संविधान नियमों का एक ऐसा संगठन के समूह को कहा जाता है। जिसके नियमों के आधार पर पुरे राष्ट्र को सही रूप से चलाया जाता है। और जो पुरे राष्ट्र के नागरिकों को नियम-कायदे व उनके कर्त्तवयों के मूल रूपों के बारे में बताता है। इसे देश का व्यवस्था प्रणाली के रूप में भी समझा जा सकता है। संविधान को जनता की विशिष्ट आकांक्षाओं को पूरा करने का साधन, सरकार तथा जनता के बीच सम्बन्धों का विनियमन, राजनीतिक प्रक्रिया के मूल ढाँचे का निर्धारक, सरकार के तीन प्रमुख अंगों विधायिका, कार्यपालिका व न्यायपालिका की स्थापना करने का महत्वपूर्ण कार्य संविधान करता करता है। और संविंधान को बनाने के लिए सविंधान सभा की जरुरत होती है। 

अमेरिका का संविधान (विश्व का सबसे पहला संविधान)

संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान जिसके तहत संघात्मक शासन व्यवस्था जिसमे शासन की सम्पूर्ण शक्ति केंद्र और राज्यों के मध्य विभाजित होती है। एवं सविंधान यह भी अनुमति देता है की यहाँ पर स्वतंत्र न्यायपालिका है। जिससे न्यायपालिका ना तो केंद्र के अधीन होती है और नाही राज्य के अधीन होती है। तथा राज्य की अंतिम शक्ति जनता के हाथों में होगी और जनता ही सम्प्रभु रहेंगी।

अमेरिकी संविधान का निर्माण फिलाडेल्फिया राज्य में, एक संवैधानिक सम्मेलन द्वारा 25 मई को 1787 में हुआ था और इसे 4 मार्च को 1789 में लागु किया गया। यहाँ का संविधान बहुत ही कठोर संविधान माना जाता है, कठोर संविधान कहने का मतलब है, जिसमे संशोधन के लिए जटिल प्रकिया हो, जैसे अमेरिका में है, क्योंकि वहाँ पर कांग्रेस के दोनों सदन का दो तिहाई बहुमत होने पर ही संशोधन प्रस्ताव पास होता है। एवं राज्यों के तीन चौथाई विधानमण्डल जिसका समर्थन करने पर संविधान को संशोधित किया जा सकता है।

अमेरिका में अध्यक्षात्मक शासन व्यवस्था है जो विश्व का पहला ऐसा संविधान है जिसका निर्माण संविधान-शास्त्र के सिद्धांतो के आधार पर हुआ है। यह गतिशील व जीवित संविधान है, जो बदलती हुई परिस्थितियों के अनुसार नए प्रयोग करने में समर्थ है। अमेरिका के संविधान में कुल 7 अनुच्छेद हैं जो 40 से कम छपे हुए पृष्ठों में अंकित है जिन्हे सिर्फ 30 मिनटों में पढ़ा जा सकता है। और यहाँ का संविधान अध्यक्षात्मक शासन पद्धति तथा संघात्मक शासन व्यवस्था का जनक माना जाता है।

अमेरिका का संविधान ब्रिटेन के संविधान से इस कारण अलग है क्योंकि ब्रिटेन में मंत्रिमण्डल देश की सभी महत्वपूर्ण नीतियों को निर्धारित करता है जबकि अमेरिका में नीतियों का निर्धारण राष्ट्रपति करता है। और यहाँ के संविधान में शक्ति पृथक्करण के सिद्धांत को अपनाया गया है। अर्थात शासन के तीन अंग है। व्यवस्थापिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका है।

भारतीय संविधान

भारतीय संविधान को संविधान सभा द्वारा 26 नबंवर 1949 ई. को स्वीकार किया गया था और 26 जनवरी 1950 ई. से सम्पूर्ण संविधान को लागू किया गया जिसमें 22 भाग, 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थी, परन्तु वर्तमान में 470 अनुच्छेद, तथा 12 अनुसूचियाँ हैं और ये 25 भागों में विभाजित है। इसे पूरा बनने में 2 साल 11 महीने और 18 दिन का समय लगा था। जिसमें कुल मिलकर 63,96,729 रुपये बनने में लगे।

भारतीय संविधान बनाने के लिए सबसे पहले जुलाई 1945 में इंग्लैंड की नई लेबर पार्टी सरकार जब सत्ता में आई तब, उसने यह पुष्टि किया कि भारतीय संविधान सभा बनना चाहिए। इससे भारत का संविधान बनना की बात का आरंभ हुआ। भारतीय संविधान की नींव भारतीय संविधान सभा द्वारा दिन सोमवार को 09 दिसम्बर 1946 सुबह ग्यारह बजे हुआ।

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