शीत युद्ध (Cold War) का परिचय
शीत युद्ध द्वितीय विश्व युद्ध के बाद (1945-1991) तक अमेरिका और सोवियत संघ (USSR) के बीच चला एक वैचारिक, राजनीतिक और आर्थिक संघर्ष था। यह संघर्ष मुख्य रूप से पूंजीवादी विचारधारा (अमेरिका) और समाजवादी विचारधारा (सोवियत संघ) के बीच था। इसे “शीत युद्ध” इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें दोनों देशों के बीच प्रत्यक्ष सैन्य संघर्ष नहीं हुआ, बल्कि राजनीतिक, कूटनीतिक, और वैचारिक टकराव हुआ।
शीत युद्ध के कारण
- विचारधाराओं का संघर्ष:
- अमेरिका पूंजीवादी लोकतंत्र का समर्थक था, जबकि सोवियत संघ समाजवादी और साम्यवादी व्यवस्था का पक्षधर था।
- विश्व में प्रभुत्व की होड़:
- दोनों महाशक्तियाँ अपने-अपने प्रभाव क्षेत्रों का विस्तार करना चाहती थीं।
- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद तनाव:
- याल्टा सम्मेलन के बाद सोवियत संघ और पश्चिमी शक्तियों के बीच आपसी भरोसे में कमी आ गई।
- परमाणु हथियारों की दौड़:
- दोनों देशों ने अपनी सैन्य शक्ति और परमाणु हथियारों का तेजी से विस्तार किया।
शीत युद्ध के प्रमुख घटनाक्रम
- बर्लिन संकट (1948-49):
- सोवियत संघ ने पश्चिमी बर्लिन की घेराबंदी की।
- नाटो और वॉरसॉ संधि:
- अमेरिका के नेतृत्व में NATO (1949) और सोवियत संघ के नेतृत्व में Warsaw Pact (1955) बने।
- कोरियाई युद्ध (1950-53):
- अमेरिका और सोवियत संघ ने कोरिया में अपने-अपने गुटों का समर्थन किया।
- क्यूबा मिसाइल संकट (1962):
- सोवियत संघ ने क्यूबा में परमाणु मिसाइलें तैनात कीं, जिससे दुनिया परमाणु युद्ध के कगार पर आ गई।
- अफगान युद्ध (1979-89):
- सोवियत संघ के अफगानिस्तान पर हमले के कारण अमेरिका ने मुजाहिदीनों का समर्थन किया।
शीत युद्ध के प्रभाव
राजनीतिक प्रभाव
- गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM):
- कई देशों ने गुटनिरपेक्ष नीति अपनाई और अमेरिका तथा सोवियत संघ के गुटों से दूरी बनाए रखी।
- विश्व में द्विध्रुवीयता:
- दुनिया दो गुटों में बँट गई:
- पश्चिमी गुट (अमेरिका के नेतृत्व में)
- पूर्वी गुट (सोवियत संघ के नेतृत्व में)
- दुनिया दो गुटों में बँट गई:
आर्थिक प्रभाव
- हथियारों की दौड़:
- दोनों गुटों ने अत्यधिक खर्च कर सैन्य और परमाणु हथियारों का विकास किया।
- विकासशील देशों पर प्रभाव:
- गुटनिरपेक्ष देशों ने अमेरिका और सोवियत संघ से आर्थिक और सैन्य मदद प्राप्त की।
सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव
- वैचारिक विभाजन:
- समाज में पूंजीवादी और समाजवादी विचारधाराओं के बीच मतभेद गहरा हुआ।
- वैज्ञानिक प्रगति:
- अंतरिक्ष में होड़ (Space Race) के कारण नई वैज्ञानिक प्रौद्योगिकियाँ विकसित हुईं।
परिणाम
- सोवियत संघ का विघटन (1991):
- शीत युद्ध के अंत के साथ ही सोवियत संघ टूट गया और कई नए देश बने।
- अमेरिका का वर्चस्व:
- अमेरिका विश्व की एकमात्र महाशक्ति बनकर उभरा।
निष्कर्ष
शीत युद्ध ने वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था और समाज को व्यापक रूप से प्रभावित किया। यह संघर्ष सीधा न होकर परोक्ष रूप में लड़ा गया, जिसने कई छोटे-छोटे युद्धों और संकटों को जन्म दिया। शीत युद्ध का अंत सोवियत संघ के विघटन के साथ हुआ, जिसने विश्व व्यवस्था को नई दिशा दी।