आज़ादी के समय, कांग्रेस पार्टी को ‘एक सतरंगा सामाजिक गठबंधन” क्यों कहा गया?

आज़ादी के समय, कांग्रेस पार्टी को ‘एक सतरंगा सामाजिक गठबंधन’ इसलिए कहा गया क्योंकि यह विभिन्न सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक और जातीय समूहों का प्रतिनिधित्व करने वाला एक व्यापक संगठन था। इसका गठन और कार्यप्रणाली भारत की विविधता को प्रतिबिंबित करती थी। इस संदर्भ में, ‘सतरंगा’ का अर्थ है विभिन्न रंगों और धाराओं का मेल, जो कांग्रेस पार्टी की संरचना और दृष्टिकोण को दर्शाता है।

कारण

1. विविधता का प्रतिनिधित्व – कांग्रेस पार्टी में सभी धर्मों, जातियों, वर्गों और क्षेत्रों के लोग शामिल थे। यह पार्टी न केवल हिंदू, मुसलमान, सिख और ईसाइयों को जोड़ती थी, बल्कि ऊंची जातियों, दलितों और आदिवासियों को भी अपने भीतर समेटे हुए थी।

2. राष्ट्रीय आंदोलन का मंच – भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान विभिन्न सामाजिक समूहों और विचारधाराओं को एकजुट करने का प्रयास किया। यह स्वतंत्रता आंदोलन का सबसे बड़ा मंच बन गई, जहां सभी वर्गों के लोग अंग्रेजी शासन के खिलाफ खड़े हो सके।

3. सामाजिक और राजनीतिक समावेशिता – कांग्रेस पार्टी ने भूमिहीन किसानों, मजदूरों, व्यापारी वर्ग, पूंजीपतियों और शिक्षित मध्यम वर्ग को एक साझा मंच प्रदान किया। यह वर्गीय और आर्थिक भेदभाव के बावजूद सभी को जोड़ने की कोशिश करती थी।

4. नेतृत्व में विविधता – कांग्रेस के नेतृत्व में भी विविधता थी। महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, मौलाना आज़ाद, बी.आर. आंबेडकर, रवींद्रनाथ टैगोर, और अन्य नेताओं के विचार और पृष्ठभूमि अलग-अलग थे। यह विविधता कांग्रेस के सतरंगे स्वरूप को दर्शाती है।

5. सामाजिक सुधार और राजनीतिक स्वाधीनता – कांग्रेस पार्टी ने केवल राजनीतिक स्वतंत्रता की बात नहीं की, बल्कि सामाजिक सुधार जैसे अस्पृश्यता का उन्मूलन, महिलाओं के अधिकार, और सांप्रदायिक एकता को भी अपने लक्ष्य में शामिल किया।

6. सांप्रदायिक और क्षेत्रीय संतुलन – कांग्रेस ने सांप्रदायिकता का विरोध किया और धर्मनिरपेक्षता की वकालत की। यह भारत के विभिन्न क्षेत्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए एक राष्ट्रीय दृष्टिकोण अपनाने का प्रयास करती थी।

निष्कर्ष:

कांग्रेस पार्टी को ‘सतरंगा सामाजिक गठबंधन’ कहना उचित था क्योंकि यह भारत की सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक विविधता का प्रतीक थी। इसने विभिन्न विचारधाराओं और सामाजिक समूहों को एक मंच पर लाकर स्वतंत्रता संग्राम को एक व्यापक जनांदोलन में बदल दिया। यह विविधता आज़ादी के संघर्ष की ताकत थी और कांग्रेस के राष्ट्रवादी स्वरूप की पहचान बनी।