सोवियत प्रणाली (Soviet System) का उदय 1917 की रूसी क्रांति के बाद हुआ और यह 1991 तक अस्तित्व में रही। यह प्रणाली साम्यवादी विचारधारा पर आधारित थी, जिसमें राज्य के नियंत्रण में अर्थव्यवस्था, राजनीति और समाज का प्रबंधन किया गया। हालांकि, सोवियत प्रणाली ने औद्योगीकरण और सामाजिक समानता के कुछ लक्ष्य प्राप्त किए, लेकिन इसमें कई दोष और कमजोरियां भी थीं। इन्हें निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:
1. अत्यधिक केंद्रीकरण
- सत्ता और निर्णय लेने की प्रक्रिया का अत्यधिक केंद्रीकरण था, जो मुख्य रूप से पार्टी के शीर्ष नेताओं और पोलितब्यूरो (Politburo) के हाथों में थी।
- इसने क्षेत्रीय और स्थानीय समस्याओं को अनदेखा किया और निर्णय लेने में धीमापन पैदा किया।
2. लोकतांत्रिक स्वतंत्रता का अभाव
- व्यक्तियों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, प्रेस की स्वतंत्रता और राजनीतिक अधिकार नहीं दिए गए।
- किसी भी प्रकार की असहमति को दबाने के लिए केजीबी (KGB) और अन्य गुप्त एजेंसियों का उपयोग किया गया।
3. आर्थिक समस्याएं
- सोवियत प्रणाली में केंद्रीय योजना (Central Planning) का उपयोग होता था, जिसमें उत्पादन और वितरण का राज्य द्वारा निर्धारण किया जाता था।
- यह प्रणाली जटिल और अकुशल साबित हुई, जिससे संसाधनों की बर्बादी और उत्पादकता में गिरावट हुई।
- उपभोक्ता वस्तुओं की कमी और खराब गुणवत्ता एक आम समस्या थी।
4. प्रौद्योगिकी और नवाचार में पिछड़ापन
- सरकारी नियंत्रण और नौकरशाही के कारण वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास में बाधा आई।
- प्रतिस्पर्धा की कमी ने नवाचार और तकनीकी प्रगति को सीमित कर दिया।
5. भ्रष्टाचार और नौकरशाही
- अत्यधिक नौकरशाही के कारण प्रशासनिक प्रक्रिया धीमी और जटिल हो गई।
- अधिकारियों के बीच भ्रष्टाचार व्यापक रूप से फैला था, जो प्रणाली की कमजोरियों को और बढ़ाता था।
6. मानवाधिकारों का हनन
- नागरिकों पर कठोर निगरानी रखी जाती थी, और असहमति व्यक्त करने वालों को जेल, निर्वासन या श्रमिक शिविरों (Gulag) में भेज दिया जाता था।
- धार्मिक स्वतंत्रता को सीमित किया गया और धार्मिक गतिविधियों को नियंत्रित किया गया।
7. कृषि और खाद्य समस्या
- कृषि क्षेत्र में सामूहिक खेती (Collectivization) का प्रयोग किया गया, जो अक्सर असफल रहा।
- किसानों के अधिकारों का हनन हुआ, और लाखों लोग भुखमरी के शिकार हुए (विशेषकर 1930 के दशक में)।
8. सामाजिक असमानता
- हालांकि प्रणाली ने समानता का दावा किया, पार्टी के नेताओं और उच्च पदस्थ अधिकारियों को विशेष सुविधाएं और अधिकार दिए गए, जिससे सामाजिक असमानता बढ़ी।
9. सैन्य और रक्षा पर अत्यधिक व्यय
- सोवियत संघ ने अमेरिका के साथ हथियारों की दौड़ में अत्यधिक संसाधन खर्च किए, जिससे अर्थव्यवस्था पर भारी दबाव पड़ा।
- नागरिक जरूरतों की तुलना में सैन्य जरूरतों को प्राथमिकता दी गई।
10. जनता के असंतोष और अस्थिरता
- दैनिक जीवन में कठिनाइयां, उपभोक्ता वस्तुओं की कमी, और सरकार की कठोर नीतियों के कारण जनता में असंतोष बढ़ा।
- 1980 के दशक के अंत में ग्लासनोस्त (Glasnost) और पेरेस्त्रोइका (Perestroika) सुधार भी इन समस्याओं को हल करने में असफल रहे।
11. राजनीतिक अस्थिरता
- विचारधारा और वास्तविकता के बीच बढ़ती खाई ने प्रणाली को कमजोर किया।
- अंततः 1991 में सोवियत संघ का विघटन हो गया।
इन दोषों के कारण सोवियत प्रणाली न केवल अपनी जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने में विफल रही, बल्कि अंततः अपने ही पतन का कारण बनी।