पर्यावरणीय मुद्दे (Environmental Issues) वैश्विक राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई, प्रदूषण, जैव विविधता की कमी और प्राकृतिक संसाधनों की बढ़ती मांग ने देशों के बीच नई चुनौतियां और अवसर पैदा किए हैं। इन मुद्दों का वैश्विक राजनीति पर निम्नलिखित प्रभाव है:
1. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में वृद्धि
- जलवायु परिवर्तन समझौते: पर्यावरणीय मुद्दों से निपटने के लिए देश मिलकर समझौते कर रहे हैं, जैसे:
- पेरिस समझौता (2015): वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5°C तक सीमित रखने का प्रयास।
- क्योटो प्रोटोकॉल: ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती।
- अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, जैसे संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और IPCC, के माध्यम से देशों के बीच सहयोग बढ़ा है।
2. भू-राजनीतिक तनाव
- प्राकृतिक संसाधनों पर प्रतिस्पर्धा:
- तेल, पानी, और खनिज जैसे संसाधनों की कमी से देशों के बीच तनाव बढ़ता है।
- उदाहरण: आर्कटिक क्षेत्र में तेल और गैस के भंडार को लेकर देशों में विवाद।
- जल विवाद:
- नदियों और जलाशयों पर अधिकार को लेकर देशों के बीच विवाद बढ़ रहे हैं।
- उदाहरण: भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौता।
3. पर्यावरणीय कूटनीति (Environmental Diplomacy)
- पर्यावरणीय मुद्दों ने कूटनीति में एक नया आयाम जोड़ा है।
- विकसित और विकासशील देशों के बीच “जिम्मेदारी साझा करने” की बहस होती है।
- विकसित देश: ऐतिहासिक उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं।
- विकासशील देश: विकास के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता बताते हैं।
- “कार्बन क्रेडिट” और “ग्रीन फंडिंग” जैसे नए आर्थिक उपकरण विकसित किए गए हैं।
4. नीतिगत बदलाव और आर्थिक प्रभाव
- हरित नीतियां (Green Policies):
- पर्यावरणीय समस्याओं से निपटने के लिए देशों को नई नीतियां लागू करनी पड़ती हैं।
- उदाहरण: यूरोपीय संघ की ग्रीन डील, जिसमें 2050 तक नेट-जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य रखा गया है।
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर प्रभाव:
- कार्बन टैक्स और पर्यावरण मानकों का पालन न करने वाले देशों के निर्यात पर प्रतिबंध।
5. सामाजिक और राजनीतिक आंदोलन
- पर्यावरणीय मुद्दों ने जलवायु न्याय आंदोलन को जन्म दिया है।
- युवा पीढ़ी, जैसे ग्रेटा थनबर्ग, और सामाजिक कार्यकर्ताओं का बढ़ता प्रभाव।
- कई देशों में राजनीतिक दल पर्यावरणीय एजेंडा पर चुनाव लड़ रहे हैं।
6. सुरक्षा मुद्दों पर प्रभाव
- जलवायु प्रवासन:
- समुद्र स्तर बढ़ने और प्राकृतिक आपदाओं से विस्थापित लोगों की संख्या बढ़ रही है।
- यह प्रवासन देशों के बीच तनाव का कारण बन सकता है।
- प्राकृतिक आपदाएं:
- बाढ़, सूखा, और चक्रवात से उत्पन्न मानवीय संकट वैश्विक सुरक्षा के लिए चुनौती हैं।
7. विकासशील देशों पर दबाव
- विकास बनाम पर्यावरण:
- विकासशील देशों को आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाना कठिन हो रहा है।
- विदेशी मदद पर निर्भरता:
- विकासशील देश ग्रीन प्रौद्योगिकी और फंडिंग के लिए विकसित देशों पर निर्भर हैं।
निष्कर्ष
पर्यावरणीय मुद्दे न केवल वैश्विक राजनीति के लिए चुनौती हैं, बल्कि देशों के बीच सहयोग और संघर्ष दोनों का कारण बन रहे हैं। एकीकृत प्रयासों और समान जिम्मेदारी के माध्यम से ही इन समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। यह स्पष्ट है कि आने वाले दशकों में पर्यावरणीय मुद्दे वैश्विक राजनीति का एक प्रमुख निर्धारक बनेंगे।