दूसरी दुनिया शब्दों से आप क्या समझते हैं?

“दूसरी दुनिया” (Second World) शब्द का प्रयोग विभिन्न संदर्भों में किया जाता है और यह अर्थ में विभिन्न हो सकता है, लेकिन सामान्यत: इसे दो प्रमुख संदर्भों में समझा जाता है:

1. साम्यवादी ब्लॉक या सोवियत संघ से संबंधित

  • “दूसरी दुनिया” शब्द का सबसे सामान्य और ऐतिहासिक संदर्भ शीत युद्ध (Cold War) के दौरान था। शीत युद्ध के समय, दुनिया को तीन भागों में बांटा गया था:
    • पहली दुनिया (First World): ये पश्चिमी लोकतांत्रिक देशों का समूह था, जिनमें मुख्य रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके नाटो सहयोगी देशों (जैसे ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा) शामिल थे। ये पूंजीवादी देशों का समूह था।
    • दूसरी दुनिया (Second World): यह शब्द सोवियत संघ और उसके साम्यवादी सहयोगी देशों के लिए इस्तेमाल किया गया। इसमें देशों का एक समूह था जो साम्यवादी विचारधारा (मार्क्सवाद-लेनिनवाद) पर आधारित थे और जिनकी अर्थव्यवस्था केंद्रीय योजना पर आधारित थी। इन देशों में मुख्य रूप से सोवियत संघ, चीन, क्यूबा, और पूर्वी यूरोपीय देशों (जैसे पोलैंड, हंगरी, चेकोस्लोवाकिया, पूर्वी जर्मनी) शामिल थे।
    • तीसरी दुनिया (Third World): यह शब्द उन देशों के लिए उपयोग किया जाता था जो न तो पूरी तरह से पश्चिमी पूंजीवादी देशों का हिस्सा थे और न ही सोवियत साम्यवादी देशों का। ये आमतौर पर नव-स्वतंत्र देशों का समूह था जो एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में थे, और जिनकी अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि आधारित थी और राजनीतिक अस्थिरता का सामना कर रहे थे।
    शीत युद्ध के दौरान, “दूसरी दुनिया” के देशों को साम्यवादी या सोवियत समर्थक देशों के रूप में देखा जाता था, जो पश्चिमी देशों के साथ प्रतिद्वंद्विता में थे।

2. सामाजिक और आर्थिक संदर्भ में ‘दूसरी दुनिया’

  • दूसरी दुनिया का एक और अर्थ भी हो सकता है, जो सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से जुड़ा है। इसे कभी-कभी उन देशों या क्षेत्रों के संदर्भ में भी इस्तेमाल किया जाता है जो औद्योगिक रूप से या विकास की दृष्टि से पिछड़े होते हैं, लेकिन फिर भी वे पूरी तरह से ‘तीसरी दुनिया’ के देशों के स्तर पर नहीं होते। इन देशों की विकासशील अर्थव्यवस्था होती है और ये अक्सर मध्यम विकासशील देश माने जाते हैं।
  • “दूसरी दुनिया” के तहत आने वाले देशों में अक्सर एक बेहतर जीवन स्तर और बुनियादी ढांचे की स्थिति होती है, लेकिन ये पश्चिमी देशों के मुकाबले कम विकसित होते हैं।

3. आध्यात्मिक या दार्शनिक दृष्टिकोण से ‘दूसरी दुनिया’

  • दूसरी दुनिया का एक अन्य अर्थ वह है जो आध्यात्मिक या दार्शनिक दृष्टिकोण से जुड़ा होता है। यह संदर्भ अक्सर परलौकिक जीवन (Afterlife) या दूसरी वास्तविकता (Alternate Reality) से संबंधित होता है। कई संस्कृतियों और धार्मिक परंपराओं में, “दूसरी दुनिया” का तात्पर्य उस जीवन से है जो इस भौतिक दुनिया के बाद आता है, जैसे स्वर्ग, नरक, पुनर्जन्म, या अन्य आध्यात्मिक अस्तित्व। यह धार्मिक, दार्शनिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोणों में भिन्न हो सकता है, लेकिन इसमें आमतौर पर एक ऐसी दुनिया का उल्लेख होता है, जिसे हम अपनी सांसारिक स्थिति से परे मानते हैं।

4. साइंस फिक्शन और कल्पनात्मक दृष्टिकोण से ‘दूसरी दुनिया’

  • विज्ञान कथाओं (Science Fiction) और काल्पनिक साहित्य में “दूसरी दुनिया” का प्रयोग एक वैकल्पिक या параलल यूनिवर्स (Parallel Universe) के संदर्भ में भी किया जाता है। इसमें एक ऐसी दुनिया का जिक्र होता है जो हमारे ब्रह्मांड में समानांतर रूप से अस्तित्व में होती है, लेकिन उसमें घटनाएँ, समाज, और जीवन के तौर-तरीके हमारे जीवन से अलग होते हैं। ये दूसरी दुनिया एक कल्पनात्मक और काल्पनिक रूप हो सकती है, जैसे दूसरे ग्रहों पर जीवन, टाइम ट्रैवल, या अन्य अस्तित्व की संभावनाएँ।

निष्कर्ष:

“दूसरी दुनिया” शब्द का अर्थ संदर्भ पर निर्भर करता है, लेकिन यह आमतौर पर साम्यवादी देशों के समूह (शीत युद्ध के समय), आर्थिक और सामाजिक दृष्टिकोण से विकासशील देशों, या आध्यात्मिक/कल्पनात्मक संदर्भ में परलौकिक जीवन या अन्य वास्तविकताओं के संदर्भ में प्रयोग किया जाता है। शीत युद्ध के दौरान इसका सबसे प्रसिद्ध उपयोग था, जब दुनिया को तीन प्रमुख समूहों में बांटा गया था: पश्चिमी पूंजीवादी (पहली दुनिया), सोवियत साम्यवादी (दूसरी दुनिया), और विकासशील देश (तीसरी दुनिया)।