इतिहास की सबसे बड़ी ‘गराज सेल’ किसे कहा गया है?

इतिहास की सबसे बड़ी ‘गराज सेल’ (Garage Sale) का संदर्भ 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद उसकी संपत्तियों और संसाधनों की बड़े पैमाने पर बिक्री से है। इसे “गराज सेल” इसलिए कहा गया क्योंकि सोवियत संघ के विघटन के बाद उसकी विशाल संपत्तियों, उद्योगों, और प्राकृतिक संसाधनों को बहुत कम कीमतों पर निजीकरण के तहत बेचा गया।

इसके प्रमुख पहलू:

1. सोवियत संघ का विघटन और आर्थिक संकट – 1991 में सोवियत संघ के टूटने के बाद रूस और उसके अन्य उत्तराधिकारी राज्यों को गहरे आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा। इस संकट से उबरने के लिए सरकारी संपत्तियों और उद्योगों का निजीकरण किया गया।

2. प्राकृतिक संसाधनों और उद्योगों की बिक्री – सोवियत संघ के पास विशाल प्राकृतिक संसाधन (तेल, गैस, कोयला) और भारी उद्योग थे। इन संपत्तियों को बहुत ही कम कीमतों पर औद्योगिक पूंजीपतियों (Oligarchs) को बेच दिया गया।

3. निजीकरण का गलत प्रबंधन – निजीकरण की इस प्रक्रिया में भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद ने गहरी भूमिका निभाई। कई बड़े उद्योग और संपत्तियां बेहद सस्ते में चुनिंदा लोगों के हाथों में चली गईं, जिससे रूस में असमानता और धन का केंद्रीकरण बढ़ गया।

4. राजनीतिक प्रभाव – इस “गराज सेल” ने रूस की अर्थव्यवस्था को तेजी से पूंजीवादी प्रणाली में बदला, लेकिन यह आम जनता के लिए आर्थिक असुरक्षा और गरीबी का कारण बना। वहीं, कुछ चुनिंदा व्यक्तियों (ओलिगार्क्स) ने इसका बड़ा फायदा उठाया और वे अरबपति बन गए।

इसे ‘गराज सेल’ क्यों कहा गया?

“सस्ते में बड़ी चीजें बेचना”: जिस प्रकार गराज सेल में सामान को कम कीमत पर बेच दिया जाता है, वैसे ही सोवियत संघ के संसाधनों और संपत्तियों को बेहद सस्ती कीमतों पर बेचा गया।

अराजकता और अव्यवस्था: यह प्रक्रिया बिना किसी ठोस योजना और पारदर्शिता के की गई, जिससे यह एक अनौपचारिक और अनियोजित बिक्री की तरह दिखी।

ऐतिहासिक महत्व:

यह “गराज सेल” केवल आर्थिक घटना नहीं थी, बल्कि इसके गहरे राजनीतिक और सामाजिक परिणाम हुए। इसने रूस में पूंजीवाद की शुरुआत की, लेकिन साथ ही समाज में असमानता और आर्थिक अस्थिरता भी बढ़ाई।

निष्कर्ष:

सोवियत संघ के विघटन के बाद उसके संसाधनों की बिक्री को ‘इतिहास की सबसे बड़ी गराज सेल’ कहा गया क्योंकि इसने विश्व इतिहास में आर्थिक और राजनीतिक बदलाव की दिशा को स्थायी रूप से बदल दिया।